Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Hind dilinə tərcümə * - Tərcumənin mündəricatı

XML CSV Excel API
Please review the Terms and Policies

Mənaların tərcüməsi Ayə: (37) Surə: Fussilət
وَمِنْ اٰیٰتِهِ الَّیْلُ وَالنَّهَارُ وَالشَّمْسُ وَالْقَمَرُ ؕ— لَا تَسْجُدُوْا لِلشَّمْسِ وَلَا لِلْقَمَرِ وَاسْجُدُوْا لِلّٰهِ الَّذِیْ خَلَقَهُنَّ اِنْ كُنْتُمْ اِیَّاهُ تَعْبُدُوْنَ ۟
तथा उसकी निशानियों में से रात और दिन तथा सूरज और चाँद हैं। तुम न तो सूरज को सजदा करो और न चाँद को, और उस अल्लाह को सजदा करो, जिसने उन्हें पैदा किया है, यदि तुम उसी (अल्लाह) की इबादत करते हो।[11]
11. अर्थात सच्चा पूज्य अल्लाह के सिवा कोई नहीं है। ये सूर्य, चंद्रमा और अन्य आकाशीय ग्रहें अल्लाह के बनाए हुए हैं। और उसी के अधीन हैं। इसलिए इनको सजदा करना व्यर्थ है। और जो ऐसा करता है, वह अल्लाह के साथ उसकी बनाई हुई चीज़ को उसका साझी बनाता है, जो शिर्क और अक्षम्य पापा तथा अन्याय है। सजदा करना इबादत है, जो अल्लाह ही के लिए विशिष्ट है। इसीलिए कहा कि यदि अल्लाह ही की इबादत करते हो, तो सजदा भी उसी को करो। उसके सिवा कोई ऐसा नहीं जिसे सजदा करना उचित हो। क्योंकि सब अल्लाह के बनाए हुए हैं, सूर्य हो या कोई मनुष्य। सजदा आदर के लिए हो या इबादत (वंदना) के लिए। अल्लाह के सिवा किसी को भी सजदा करना अवैध तथा शिर्क है, जिसाका परिणाम सदैव के लिए नरक है। आयत 38 पूरी करके सजदा करें।
Ərəbcə təfsirlər:
 
Mənaların tərcüməsi Ayə: (37) Surə: Fussilət
Surələrin mündəricatı Səhifənin rəqəmi
 
Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Hind dilinə tərcümə - Tərcumənin mündəricatı

Qurani Kərimin Hind dilinə mənaca tərcüməsi. Tərcüməçi: Əzizul Haqq Əl-Öməri.

Bağlamaq