Qurani Kərimin mənaca tərcüməsi - Hind dilinə tərcümə * - Tərcumənin mündəricatı

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Mənaların tərcüməsi Surə: Nuh   Ayə:

सूरा नूह़

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا نُوْحًا اِلٰی قَوْمِهٖۤ اَنْ اَنْذِرْ قَوْمَكَ مِنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
निःसंदेह हमने नूह़ को उनकी जाति की ओर भेजा कि अपनी जाति को सावधान कर दो, इससे पहले कि उनके पास दर्दनाक यातना आ जाए।
Ərəbcə təfsirlər:
قَالَ یٰقَوْمِ اِنِّیْ لَكُمْ نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! निःसंदेह मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से डराने वाला हूँ।
Ərəbcə təfsirlər:
اَنِ اعْبُدُوا اللّٰهَ وَاتَّقُوْهُ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۙ
कि अल्लाह की इबादत करो तथा उससे डरो और मेरी बात मानो।
Ərəbcə təfsirlər:
یَغْفِرْ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَیُؤَخِّرْكُمْ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— اِنَّ اَجَلَ اللّٰهِ اِذَا جَآءَ لَا یُؤَخَّرُ ۘ— لَوْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟
वह तुम्हारे लिए तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा तथा तुम्हें एक निर्धारित समय[1] तक मोहलत देगा। निश्चय जब अल्लाह का निर्धारित समय आ जाता है, तो वह टाला नहीं जाता, काश कि तुम जानते होते।
1. अर्थात तुम्हारी निश्चित आयु तक।
Ərəbcə təfsirlər:
قَالَ رَبِّ اِنِّیْ دَعَوْتُ قَوْمِیْ لَیْلًا وَّنَهَارًا ۟ۙ
उसने कहा : ऐ मेरे रब! निःसंदेह मैंने अपनी जाति को रात-दिन बुलाया।
Ərəbcə təfsirlər:
فَلَمْ یَزِدْهُمْ دُعَآءِیْۤ اِلَّا فِرَارًا ۟
तो मेरे बुलाने से ये लोग और ज़्यादा भागने लगे।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاِنِّیْ كُلَّمَا دَعَوْتُهُمْ لِتَغْفِرَ لَهُمْ جَعَلُوْۤا اَصَابِعَهُمْ فِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَاسْتَغْشَوْا ثِیَابَهُمْ وَاَصَرُّوْا وَاسْتَكْبَرُوا اسْتِكْبَارًا ۟ۚ
और निःसंदेह मैंने जब भी उन्हें बुलाया, ताकि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो उन्होंने अपनी उँगलियाँ अपने कानों में डाल लीं तथा अपने कपड़े ओढ़ लिए[2] और हठ दिखाया और बड़ा घमंड किया।
2. ताकि मेरी बात न सुन सकें।
Ərəbcə təfsirlər:
ثُمَّ اِنِّیْ دَعَوْتُهُمْ جِهَارًا ۟ۙ
फिर निःसंदेह मैंने उन्हें खुल्ल-मखुल्ला बुलाया।
Ərəbcə təfsirlər:
ثُمَّ اِنِّیْۤ اَعْلَنْتُ لَهُمْ وَاَسْرَرْتُ لَهُمْ اِسْرَارًا ۟ۙ
फिर निःसंदेह मैंने उन्हें उच्च स्वर में आमंत्रित किया और मैंने उन्हें चुपके-चुपके (भी) समझाया।
Ərəbcə təfsirlər:
فَقُلْتُ اسْتَغْفِرُوْا رَبَّكُمْ ۫— اِنَّهٗ كَانَ غَفَّارًا ۟ۙ
तो मैंने कहा : अपने पालनहार से क्षमा माँगो। निःसंदेह वह बहुत क्षमा करने वाला है।
Ərəbcə təfsirlər:
یُّرْسِلِ السَّمَآءَ عَلَیْكُمْ مِّدْرَارًا ۟ۙ
वह तुम पर मूसलाधार बारिश बरसाएगा।
Ərəbcə təfsirlər:
وَّیُمْدِدْكُمْ بِاَمْوَالٍ وَّبَنِیْنَ وَیَجْعَلْ لَّكُمْ جَنّٰتٍ وَّیَجْعَلْ لَّكُمْ اَنْهٰرًا ۟ؕ
और वह तुम्हें धन और बच्चों में वृद्धि प्रदान करेगा तथा तुम्हारे लिए बाग़ बना देगा और तुम्हारे लिए नहरें निकाल देगा।
Ərəbcə təfsirlər:
مَا لَكُمْ لَا تَرْجُوْنَ لِلّٰهِ وَقَارًا ۟ۚ
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह की महिमा से नहीं डरते?
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَدْ خَلَقَكُمْ اَطْوَارًا ۟
हालाँकि उसने तुम्हें विभिन्न चरणों[3] में पैदा किया है।
3. अर्थात पहले वीर्य, फिर रक्त का पिंड, फिर लोथड़ा, फिर हड्डियाँ, फिर उन पर मांस, फिर सबसे अच्छी आकृति वाला मनुष्य।
Ərəbcə təfsirlər:
اَلَمْ تَرَوْا كَیْفَ خَلَقَ اللّٰهُ سَبْعَ سَمٰوٰتٍ طِبَاقًا ۟ۙ
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने किस तरह ऊपर-तले सात आकाश बनाए?
Ərəbcə təfsirlər:
وَّجَعَلَ الْقَمَرَ فِیْهِنَّ نُوْرًا وَّجَعَلَ الشَّمْسَ سِرَاجًا ۟
और उसने उनमें चाँद को प्रकाश बनाया और सूर्य को दीपक बनाया।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاللّٰهُ اَنْۢبَتَكُمْ مِّنَ الْاَرْضِ نَبَاتًا ۟ۙ
और अल्लाह ही ने तुम्हें धरती[4] से (विशेष ढंग से) उगाया।
4. अर्थात तुम्हारे मूल आदम (अलैहिस्सलाम) को।
Ərəbcə təfsirlər:
ثُمَّ یُعِیْدُكُمْ فِیْهَا وَیُخْرِجُكُمْ اِخْرَاجًا ۟
फिर वह तुम्हें उसी में वापस ले जाएगा और तुम्हें (उसी से) निकालेगा।
Ərəbcə təfsirlər:
وَاللّٰهُ جَعَلَ لَكُمُ الْاَرْضَ بِسَاطًا ۟ۙ
और अल्लाह ने तुम्हारे लिए धरती को बिछौना बनाया।
Ərəbcə təfsirlər:
لِّتَسْلُكُوْا مِنْهَا سُبُلًا فِجَاجًا ۟۠
ताकि तुम उसके विस्तृत मार्गों पर चलो।
Ərəbcə təfsirlər:
قَالَ نُوْحٌ رَّبِّ اِنَّهُمْ عَصَوْنِیْ وَاتَّبَعُوْا مَنْ لَّمْ یَزِدْهُ مَالُهٗ وَوَلَدُهٗۤ اِلَّا خَسَارًا ۟ۚ
नूह ने कहा : ऐ मेरे रब! निःसंदेह उन्होंने मेरी अवज्ञा की और उसका[5] अनुसरण किया, जिसके धन और संतान ने उसकी क्षति ही को बढ़ाया।
5. अर्थात अपने प्रमुखों का।
Ərəbcə təfsirlər:
وَمَكَرُوْا مَكْرًا كُبَّارًا ۟ۚ
और उन्होंने बहुत बड़ी चाल चली।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالُوْا لَا تَذَرُنَّ اٰلِهَتَكُمْ وَلَا تَذَرُنَّ وَدًّا وَّلَا سُوَاعًا ۙ۬— وَّلَا یَغُوْثَ وَیَعُوْقَ وَنَسْرًا ۟ۚ
और उन्होंने कहा : तुम अपने पूज्यों को कदापि न छोड़ना, और न कभी वद्द को छोड़ना, और न सुवाअ को और न यग़ूस और यऊक़ तथा नस्र[6] को।
6. ये सभी नूह़ (अलैहिस्सलाम) की जाति के बुतों के नाम हैं। ये पाँच सदाचारी व्यक्ति थे जिनके मरने के पश्चात् शैतान ने उन्हें समझाया कि इनकी मूर्तियाँ बना लो। जिससे तुम्हें इबादत की प्रेरणा मिलेगी। जब इन मूर्तियों को बनाने वाले लोगों की मृत्यु हो गई, तो शैतान ने उनके वंशजों को यह कहकर शिर्क में लिप्त कर दिया कि तुम्हारे पूर्वज उनकी पूजा करते थे, जिनकी मूर्तियाँ तुम्हारे घरों में लटकी हुई हैं। इसलिए वे उनकी पूजा करने लगे। फिर उनकी पूजा अरब तक फैल गई।
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَدْ اَضَلُّوْا كَثِیْرًا ۚ۬— وَلَا تَزِدِ الظّٰلِمِیْنَ اِلَّا ضَلٰلًا ۟
और निश्चय उन्होंने बहुत-से लोगों को पथभ्रष्ट कर दिया। तथा तू अत्याचारियों की पथभ्रष्टता[7] ही में वृद्धि कर।
7. नूह़ (अलैहिस्सलाम) ने 950 वर्ष तक उन्हें समझाया। (देखिए : सूरतुल अनकबूत, आयत : 14) और जब नहीं माने, तो यह निवेदन किया।
Ərəbcə təfsirlər:
مِمَّا خَطِیْٓـٰٔتِهِمْ اُغْرِقُوْا فَاُدْخِلُوْا نَارًا ۙ۬— فَلَمْ یَجِدُوْا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اَنْصَارًا ۟
वे अपने पापों के कारण डुबो[8] दिए गए, फिर जहन्नम में डाल दिए गए, तो उन्होंने अल्लाह के सिवा अपने लिए कोई मदद करने वाले नहीं पाए।
8. इसका संकेत नूह़ के तूफ़ान की ओर है। (देखिए : सूरह हूद, आयत : 40, 44)
Ərəbcə təfsirlər:
وَقَالَ نُوْحٌ رَّبِّ لَا تَذَرْ عَلَی الْاَرْضِ مِنَ الْكٰفِرِیْنَ دَیَّارًا ۟
तथा नूह़ ने कहा : ऐ मेरे रब! धरती पर (इन) काफ़िरों में से कोई रहने वाला न छोड़।
Ərəbcə təfsirlər:
اِنَّكَ اِنْ تَذَرْهُمْ یُضِلُّوْا عِبَادَكَ وَلَا یَلِدُوْۤا اِلَّا فَاجِرًا كَفَّارًا ۟
निःसंदेह यदि तू उन्हें छोड़े रखेगा, तो वे तेरे बंदों को पथभ्रष्ट करेंगे और दुराचारी एवं सख़्त काफ़िर ही को जन्म देंगे।
Ərəbcə təfsirlər:
رَبِّ اغْفِرْ لِیْ وَلِوَالِدَیَّ وَلِمَنْ دَخَلَ بَیْتِیَ مُؤْمِنًا وَّلِلْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ؕ— وَلَا تَزِدِ الظّٰلِمِیْنَ اِلَّا تَبَارًا ۟۠
ऐ मेरे पालनहार! मुझे क्षमा करे दे, तथा मेरे माता-पिता को, और (हर) उस व्यक्ति को जो मेरे घर में मोमिन बन कर प्रवेश करे, तथा ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली स्त्रियों को। और अत्याचारियों को विनाश के सिवाय किसी चीज़ में न बढ़ा।
Ərəbcə təfsirlər:
 
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Qurani Kərimin Hind dilinə mənaca tərcüməsi. Tərcüməçi: Əzizul Haqq Əl-Öməri.

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