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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Ibrāhīm   Vers:

इब्राहीम

Die Ziele der Surah:
إثبات قيام الرسل بالبيان والبلاغ، وتهديد المعرضين عن اتباعهم بالعذاب.
यह प्रमाणित करना कि रसूलों ने अल्लाह के संदेश को पहुँचा दिया, तथा उनका अनुसरण करने से मुँह फेरने वालों को यातना की धमकी देना।

الٓرٰ ۫— كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ اِلَیْكَ لِتُخْرِجَ النَّاسَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ۙ۬— بِاِذْنِ رَبِّهِمْ اِلٰی صِرَاطِ الْعَزِیْزِ الْحَمِیْدِ ۟ۙ
{अलिफ़॰ लाम॰ रा॰।} सूरतुल-बक़रा के आरंभ में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है। यह क़ुरआन एक किताब है, जिसे हमने (ऐ रसूल!) आपकी ओर उतारा है, ताकि आप अल्लाह की की इच्छा और उसकी मदद से लोगों को कुफ़्र, अज्ञानता और गुमराही से निकालकर ईमान, ज्ञान और हिदायत की ओर अर्थात् इस्लाम धर्म की ओर ले आएँ, जो उस प्रभुत्वशाली अल्लाह का रास्ता है, जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता, जो हर चीज़ में प्रशंसित है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اللّٰهِ الَّذِیْ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَوَیْلٌ لِّلْكٰفِرِیْنَ مِنْ عَذَابٍ شَدِیْدِ ۟ۙ
वह अल्लाह, जो अकेले आकाशों की सारी वस्तुओं का मालिक है और अकेले वही धरती की सारी वस्तुओं का मालिक है। इसलिए वही इस बात का हक़दार है कि अकेले उसी की इबादत की जाए और उसकी सृष्टि में से किसी भी चीज़ को उसका साझी न बनाया जाए। और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे सख़्त यातना का सामना करेंगे।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
١لَّذِیْنَ یَسْتَحِبُّوْنَ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا عَلَی الْاٰخِرَةِ وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَیَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ فِیْ ضَلٰلٍۢ بَعِیْدٍ ۟
जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे दुनिया के जीवन और उसके क्षणभंगुर आनंद को आख़िरत और उसके स्थायी आनंद पर प्रधानता देते हैं, तथा लोगों को अल्लाह के रास्ते से विचलित करते हैं और उसके रास्ते के लिए सत्य से विकृति और विचलन तथा सीध से टेढ़ और झुकाव ढूँढते हैं, ताकि कोई भी उसपर न चले। इन गुणों से विशेषित लोग सत्य एवं सीधे मार्ग से बहुत दूर की गुमराही में हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا بِلِسَانِ قَوْمِهٖ لِیُبَیِّنَ لَهُمْ ؕ— فَیُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟
हमने जो भी रसूल भेजा, उसे उसके समुदाय की भाषा में बात करने वाला बनाकर भेजा। ताकि रसूल अल्लाह के यहाँ से जो कुछ लेकर आए, उनके लिए उसे समझना आसान हो जाए। हमने उसे लोगों को अल्लाह पर ईमान लाने के लिए बाध्य करने के लिए नहीं भेजा। क्योंकि अल्लाह जिसे चाहता है, अपने न्याय के अनुसार गुमराह कर देता है, और जिसे चाहता है, अपनी कृपा से हिदायत का सामर्थ्य प्रदान करता है। वह प्रभुत्वशाली है, जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, अपनी रचना और प्रबंधन में पूर्ण ह़िकमत वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰی بِاٰیٰتِنَاۤ اَنْ اَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ۙ۬— وَذَكِّرْهُمْ بِاَیّٰىمِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ۟
हमने मूसा को नबी बनाकर भेजा और उनकी सत्यता को इंगित करने वाली और उनके अपने पालनहार की ओर से भेजे हुए (रसूल) होने को दर्शाने वाली निशानियों के साथ उनका समर्थन किया। और हमने उन्हें अपनी जाति को कुफ़्र एवं अज्ञानता से ईमान और ज्ञान की ओर निकाल लाने का आदेश दिया। और हमने उन्हें उन दिनों की याद दिलाने का आदेश दिया जिनमें अल्लाह ने उनपर अनुग्रह किया था। निःसंदेह उन दिनों में अल्लाह के एकत्व, उसकी महान शक्ति और ईमान वालों पर अनुग्रह करने के स्पष्ट प्रमाण हैं। और इससे वही लोग लाभान्वित होते हैं, जो अल्लाह के आज्ञापालन पर धैर्य रखने वाले और उसकी नेमतों पर हमेशा शुक्र करने वाले हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أن المقصد من إنزال القرآن هو الهداية بإخراج الناس من ظلمات الباطل إلى نور الحق.
• क़ुरआन उतारने का उद्देश्य लोगों को असत्य के अंधेरों से सत्य के उजाले की ओर निकालकर मार्गदर्शन करना है।

• إرسال الرسل يكون بلسان أقوامهم ولغتهم؛ لأنه أبلغ في الفهم عنهم، فيكون أدعى للقبول والامتثال.
• रसूलों को उनके समुदायों की भाषा और ज़बान में भेजा जाता है। क्योंकि इससे उनकी बात अधिक समझी जा सकती है। इसलिए स्वीकृति और अनुपालन की संभावना अधिक रहती है।

• وظيفة الرسل تتلخص في إرشاد الناس وقيادتهم للخروج من الظلمات إلى النور.
• रसूलों के मिशन का सार लोगों का मार्गदर्शन करना और उन्हें अंधेरे से प्रकाश की ओर लो जाना है।

 
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Vom Tafsirzentrum für Quranwissenschaften herausgegeben.

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