قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ترجمے کی لسٹ


معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ ابراہیم   آیت:

सूरा इब्राहीम

سورہ کے بعض مقاصد:
إثبات قيام الرسل بالبيان والبلاغ، وتهديد المعرضين عن اتباعهم بالعذاب.
यह प्रमाणित करना कि रसूलों ने अल्लाह के संदेश को पहुँचा दिया, तथा उनका अनुसरण करने से मुँह फेरने वालों को यातना की धमकी देना।

الٓرٰ ۫— كِتٰبٌ اَنْزَلْنٰهُ اِلَیْكَ لِتُخْرِجَ النَّاسَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ۙ۬— بِاِذْنِ رَبِّهِمْ اِلٰی صِرَاطِ الْعَزِیْزِ الْحَمِیْدِ ۟ۙ
{अलिफ़॰ लाम॰ रा॰।} सूरतुल-बक़रा के आरंभ में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है। यह क़ुरआन एक किताब है, जिसे हमने (ऐ रसूल!) आपकी ओर उतारा है, ताकि आप अल्लाह की की इच्छा और उसकी मदद से लोगों को कुफ़्र, अज्ञानता और गुमराही से निकालकर ईमान, ज्ञान और हिदायत की ओर अर्थात् इस्लाम धर्म की ओर ले आएँ, जो उस प्रभुत्वशाली अल्लाह का रास्ता है, जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता, जो हर चीज़ में प्रशंसित है।
عربی تفاسیر:
اللّٰهِ الَّذِیْ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَوَیْلٌ لِّلْكٰفِرِیْنَ مِنْ عَذَابٍ شَدِیْدِ ۟ۙ
वह अल्लाह, जो अकेले आकाशों की सारी वस्तुओं का मालिक है और अकेले वही धरती की सारी वस्तुओं का मालिक है। इसलिए वही इस बात का हक़दार है कि अकेले उसी की इबादत की जाए और उसकी सृष्टि में से किसी भी चीज़ को उसका साझी न बनाया जाए। और जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे सख़्त यातना का सामना करेंगे।
عربی تفاسیر:
١لَّذِیْنَ یَسْتَحِبُّوْنَ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا عَلَی الْاٰخِرَةِ وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَیَبْغُوْنَهَا عِوَجًا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ فِیْ ضَلٰلٍۢ بَعِیْدٍ ۟
जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे दुनिया के जीवन और उसके क्षणभंगुर आनंद को आख़िरत और उसके स्थायी आनंद पर प्रधानता देते हैं, तथा लोगों को अल्लाह के रास्ते से विचलित करते हैं और उसके रास्ते के लिए सत्य से विकृति और विचलन तथा सीध से टेढ़ और झुकाव ढूँढते हैं, ताकि कोई भी उसपर न चले। इन गुणों से विशेषित लोग सत्य एवं सीधे मार्ग से बहुत दूर की गुमराही में हैं।
عربی تفاسیر:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا بِلِسَانِ قَوْمِهٖ لِیُبَیِّنَ لَهُمْ ؕ— فَیُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟
हमने जो भी रसूल भेजा, उसे उसके समुदाय की भाषा में बात करने वाला बनाकर भेजा। ताकि रसूल अल्लाह के यहाँ से जो कुछ लेकर आए, उनके लिए उसे समझना आसान हो जाए। हमने उसे लोगों को अल्लाह पर ईमान लाने के लिए बाध्य करने के लिए नहीं भेजा। क्योंकि अल्लाह जिसे चाहता है, अपने न्याय के अनुसार गुमराह कर देता है, और जिसे चाहता है, अपनी कृपा से हिदायत का सामर्थ्य प्रदान करता है। वह प्रभुत्वशाली है, जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, अपनी रचना और प्रबंधन में पूर्ण ह़िकमत वाला है।
عربی تفاسیر:
وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا مُوْسٰی بِاٰیٰتِنَاۤ اَنْ اَخْرِجْ قَوْمَكَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَی النُّوْرِ ۙ۬— وَذَكِّرْهُمْ بِاَیّٰىمِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ۟
हमने मूसा को नबी बनाकर भेजा और उनकी सत्यता को इंगित करने वाली और उनके अपने पालनहार की ओर से भेजे हुए (रसूल) होने को दर्शाने वाली निशानियों के साथ उनका समर्थन किया। और हमने उन्हें अपनी जाति को कुफ़्र एवं अज्ञानता से ईमान और ज्ञान की ओर निकाल लाने का आदेश दिया। और हमने उन्हें उन दिनों की याद दिलाने का आदेश दिया जिनमें अल्लाह ने उनपर अनुग्रह किया था। निःसंदेह उन दिनों में अल्लाह के एकत्व, उसकी महान शक्ति और ईमान वालों पर अनुग्रह करने के स्पष्ट प्रमाण हैं। और इससे वही लोग लाभान्वित होते हैं, जो अल्लाह के आज्ञापालन पर धैर्य रखने वाले और उसकी नेमतों पर हमेशा शुक्र करने वाले हैं।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• أن المقصد من إنزال القرآن هو الهداية بإخراج الناس من ظلمات الباطل إلى نور الحق.
• क़ुरआन उतारने का उद्देश्य लोगों को असत्य के अंधेरों से सत्य के उजाले की ओर निकालकर मार्गदर्शन करना है।

• إرسال الرسل يكون بلسان أقوامهم ولغتهم؛ لأنه أبلغ في الفهم عنهم، فيكون أدعى للقبول والامتثال.
• रसूलों को उनके समुदायों की भाषा और ज़बान में भेजा जाता है। क्योंकि इससे उनकी बात अधिक समझी जा सकती है। इसलिए स्वीकृति और अनुपालन की संभावना अधिक रहती है।

• وظيفة الرسل تتلخص في إرشاد الناس وقيادتهم للخروج من الظلمات إلى النور.
• रसूलों के मिशन का सार लोगों का मार्गदर्शन करना और उन्हें अंधेरे से प्रकाश की ओर लो जाना है।

وَاِذْ قَالَ مُوْسٰی لِقَوْمِهِ اذْكُرُوْا نِعْمَةَ اللّٰهِ عَلَیْكُمْ اِذْ اَنْجٰىكُمْ مِّنْ اٰلِ فِرْعَوْنَ یَسُوْمُوْنَكُمْ سُوْٓءَ الْعَذَابِ وَیُذَبِّحُوْنَ اَبْنَآءَكُمْ وَیَسْتَحْیُوْنَ نِسَآءَكُمْ ؕ— وَفِیْ ذٰلِكُمْ بَلَآءٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ عَظِیْمٌ ۟۠
(ऐ रसूल) उस समय को याद कीजिए, जब मूसा ने अपने पालनहार के आदेश का पालन करते हुए अपनी जाति बनी इसराईल को अल्लाह की ओर से प्राप्त होने वाली नेमतों का स्मरण कराते हुए कहा : ऐ मेरे समुदाय के लोगो! अल्लाह की नेमत को याद करो जब उसने तुम्हें फ़िरऔनियों से बचाया और उनकी यातना से सुरक्षा प्रदान की। वे तुम्हें घोर यातना देते थे। तुम्हारे बेटों का वध कर देते थे ताकि तुम्हारे बीच कोई ऐसा बच्चा न पैदा हो जो फ़िरऔन के राज्य पर क़ब्ज़ा जमा सके। तथा वे तुम्हारी महिलाओं को उन्हें अपमानित और बेइज़्ज़त करने के लिए जीवित रखते थे। उनके इने कृत्यों में तुम्हारे धैर्य की एक महान परीक्षा है। चुनाँचे इस आज़माइश पर धैर्य के बदले में अल्लाह ने तुम्हें फ़िरऔनियों की प्रताड़ना से छुटकारा प्रदान कर दिया।
عربی تفاسیر:
وَاِذْ تَاَذَّنَ رَبُّكُمْ لَىِٕنْ شَكَرْتُمْ لَاَزِیْدَنَّكُمْ وَلَىِٕنْ كَفَرْتُمْ اِنَّ عَذَابِیْ لَشَدِیْدٌ ۟
और मूसा ने उनसे कहा : उस समय को याद करो, जब तुम्हारे पालनहार ने तुम्हें अच्छी तरह सूचित कर दिया : यदि तुम अल्लाह की दी हुई इन नेमतों पर उसका शुक्रिया अदा करोगे, तो वह तुम्हें इनके अतिरिक्त और भी नेमतों और अनुग्रहों से सम्मानित करेगा, और यदि तुम उसकी नेमतों का इनकार करोगे और उनका शुक्रिया अदा न करोगे, तो उसकी यातना उसके लिए बहुत सख़्त है, जो उसकी नेमतों का इनकार करता है और उनका शुक्रिया अदा नहीं करता है।
عربی تفاسیر:
وَقَالَ مُوْسٰۤی اِنْ تَكْفُرُوْۤا اَنْتُمْ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا ۙ— فَاِنَّ اللّٰهَ لَغَنِیٌّ حَمِیْدٌ ۟
और मूसा ने अपने समुदाय के लोगों से कहा : यदि तुम कुफ़्र करो और तुम्हारे साथ धरती के सभी लोग कुफ़्र कर बैठें, तो तुम्हारे कुफ्र का नुक़सान तुम्हें ही उठाना पड़ेगा। क्योंकि अल्लाह स्वयं में बेनियाज़ है, स्वयं में प्रशंसा के योग्य है। ईमान वालों का ईमान उसे लाभ नहीं देता, और न काफ़िरों का कुफ़्र उसे नुक़सान पहुँचाता।
عربی تفاسیر:
اَلَمْ یَاْتِكُمْ نَبَؤُا الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ قَوْمِ نُوْحٍ وَّعَادٍ وَّثَمُوْدَ ۛؕ۬— وَالَّذِیْنَ مِنْ بَعْدِهِمْ ۛؕ— لَا یَعْلَمُهُمْ اِلَّا اللّٰهُ ؕ— جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَرَدُّوْۤا اَیْدِیَهُمْ فِیْۤ اَفْوَاهِهِمْ وَقَالُوْۤا اِنَّا كَفَرْنَا بِمَاۤ اُرْسِلْتُمْ بِهٖ وَاِنَّا لَفِیْ شَكٍّ مِّمَّا تَدْعُوْنَنَاۤ اِلَیْهِ مُرِیْبٍ ۟
(ऐ काफ़िरो!) क्या तुम्हारे पास तुमसे पहले के झुठलाने वाले समुदायों के विनाश की ख़बर नहीं आई? नूह की जाति, हूद की जाति आद, सालेह की जाति समूद और उनके बाद आने वाले समुदायों की, जिनकी संख्या बहुत अधिक है, जिन्हें अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। उनके रसूल उनके पास स्पष्ट प्रमाणों के साथ आए। लेकिन उन्होंने रसूलों से क्रोध के कारण अपनी उँगलियों को काटते हुए अपने हाथ अपने मुँहों में डाल लिए और अपने रसूलों से कहा : हम उसका इनकार करते हैं, जिसके साथ तुम भेजे गए हो। और निःसंदहे हम उस चीज़ के बारे में जिसकी ओर तुम हमें आमंत्रित करते हो, असमंजस में डालने वाले संदेह में पड़े हुए हैं।
عربی تفاسیر:
قَالَتْ رُسُلُهُمْ اَفِی اللّٰهِ شَكٌّ فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— یَدْعُوْكُمْ لِیَغْفِرَ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَیُؤَخِّرَكُمْ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ؕ— قَالُوْۤا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ؕ— تُرِیْدُوْنَ اَنْ تَصُدُّوْنَا عَمَّا كَانَ یَعْبُدُ اٰبَآؤُنَا فَاْتُوْنَا بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟
उनके रसूलों ने उनके जवाब में कहा : क्या अल्लाह के एकेश्वरवाद और इबादत के लिए उसके एकल होने के बारे में कोई संदेह है, जबकि वह आकाशों का रचयिता तथा धरती का रचयिता और बिना किसी नमूने के उनकी उत्पत्ति करने वाला है?! वह तुम्हें ईमान की ओर बुलाता है, ताकि तुम्हारे पिछले गुनाहों को माफ़ कर दे और तुम्हेंं तुम्हारे सांसारिक जीवन में निर्धारित समय सीमा को पूरा करने तक के लिए मोहलत दे। उनके समुदायों ने उनसे कहा : तुम तो हमारे ही जैसे इनसान हो। तुम्हें हमपर कोई विशिष्टता प्राप्त नहीं है। तुम हमें उसकी पूजा करने से रोकना चाहते हो, जिसकी हमारे बाप-दादा पूजा करते थे। इसलिए हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण लाओ, जो तुम्हारे इस दावे में तुम्हारी सच्चाई का संकेत दे कि तुम अल्लाह की ओर से हमारे लिए रसूल बनाकर भेजे गए हो।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• من وسائل الدعوة تذكير المدعوين بنعم الله تعالى عليهم، خاصة إن كان ذلك مرتبطًا بنعمة كبيرة، مثل نصر على عدوه أو نجاة منه.
• अल्लाह की ओर बुलाने का एक साधन यह है कि आमंत्रित लोगों को अल्लाह की नेमतों की याद दिलाई जाए, खासकर यदि वह किसी महान नेमत से संबंधित हो। जैसे कि उसके शत्रु पर विजय या उससे मुक्ति।

• من فضل الله تعالى أنه وعد عباده مقابلة شكرهم بمزيد الإنعام، وفي المقابل فإن وعيده شديد لمن يكفر به.
• यह अल्लाह का अनुग्रह है कि उसने अपने बंदों से उनके शुक्र के बदले में और अधिक इनाम का वादा किया है। और इसके विपरीत नाशुक्री करने वालों के लिए उसकी धमकी बड़ी सख़्त है।

• كفر العباد لا يضر اللهَ البتة، كما أن إيمانهم لا يضيف له شيئًا، فهو غني حميد بذاته.
• बंदों का कुफ़्र अल्लाह को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुँचाता है, जैसे उनका ईमान उसमें कुछ भी वृद्धि नहीं करता। क्योंकि वह अपने आप में बेनियाज़ और प्रशंसित है।

قَالَتْ لَهُمْ رُسُلُهُمْ اِنْ نَّحْنُ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ یَمُنُّ عَلٰی مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ؕ— وَمَا كَانَ لَنَاۤ اَنْ نَّاْتِیَكُمْ بِسُلْطٰنٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟
उनके रसूलों ने उन्हें जवाब देते हुए कहा : हम तो तुम्हारे जैसे इनसान ही हैं। इसलिए हम इसमें आपकी समानता से इनकार नहीं करते हैं। परंतु इस समानता से यह ज़रूरी नहीं है कि हम हर चीज़ में समान हों। क्योंकि अल्लाह अपने बंदों में से जिन पर चाहता है, विशेष कृपा करता है और उन्हें लोगों की ओर संदेशवाहक के रूप में चुन लेता है। तथा अल्लाह की इच्छा के बिना हमारे लिए सही नहीं है कि हम तुम्हारे पास वह प्रमाण लेकर आएँ जिसकी तुमने माँग की है। क्योंकि उसको लाना हमारी क्षमता में नहीं है।बल्कि केवल अल्लाह ही ऐसा करने में सक्षम है। और ईमान वालों को अपने सभी मामलों में अकेले अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।
عربی تفاسیر:
وَمَا لَنَاۤ اَلَّا نَتَوَكَّلَ عَلَی اللّٰهِ وَقَدْ هَدٰىنَا سُبُلَنَا ؕ— وَلَنَصْبِرَنَّ عَلٰی مَاۤ اٰذَیْتُمُوْنَا ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُتَوَكِّلُوْنَ ۟۠
कौन-सी बाधा और कौन-सा बहाना है जो हमें उस (अल्लाह) पर भरोसा करने से रोकता है? जबकि उसने हमें सबसे सीधा और सबसे स्पष्ट रास्ता दिखाया है। तथा तुम्हारे झुठलाने और उपहास के माध्यम से हमें कष्ट पहुँचाने पर हम अवश्य सब्र करेंगे। तथा ईमान वालों को अपने सभी मामलों में अकेले अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।
عربی تفاسیر:
وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِرُسُلِهِمْ لَنُخْرِجَنَّكُمْ مِّنْ اَرْضِنَاۤ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِیْ مِلَّتِنَا ؕ— فَاَوْحٰۤی اِلَیْهِمْ رَبُّهُمْ لَنُهْلِكَنَّ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
रसूलों के समुदायों में से जिन्होंने कुफ़्र किया, जब वे अपने रसूलों के साथ बहस करने में असमर्थ हो गए, तो उन्होंने कहा : निश्चय हम तुम्हें अवश्य अपनी बस्ती से निकाल देंगे या अवश्य तुम अपने धर्म से हमारे धर्म में लौट आओगे। तो अल्लाह ने रसूलों की ओर उन्हें सशक्त करते हुए वह़्य की : निश्चय हम उन अत्याचारियों को अवश्य नष्ट कर देंगे, जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार किया।
عربی تفاسیر:
وَلَنُسْكِنَنَّكُمُ الْاَرْضَ مِنْ بَعْدِهِمْ ؕ— ذٰلِكَ لِمَنْ خَافَ مَقَامِیْ وَخَافَ وَعِیْدِ ۟
उनका विनाश करने के बाद, हम (ऐ रसूलो) तुम्हें (और तुम्हारे अनुयायियों को) उस धरती में आबाद कर देंगे। यह झुठलाने वाले काफ़िरों का विनाश करने और उनका विनाश करने के बाद रसूलों और ईमान वालों को धरती में आबाद करने की उक्त बात उसके लिए है, जिसने मेरी महानता और मेरे उसका निरीक्षण करने को अपने मन में उपस्थित रखा, और मेरी उसे यातना की चेतावनी का भय रखा।
عربی تفاسیر:
وَاسْتَفْتَحُوْا وَخَابَ كُلُّ جَبَّارٍ عَنِیْدٍ ۟ۙ
रसूलों ने अपने पालनहार से अपने दुश्मनों के विरुद्ध विजय और सहायता माँगी और प्रत्येक अभिमानी, सत्य से बैर रखने वाला, जो सत्य के स्पष्ट होने के बावजूद उसे नहीं मानता, असफल रहा।
عربی تفاسیر:
مِّنْ وَّرَآىِٕهٖ جَهَنَّمُ وَیُسْقٰی مِنْ مَّآءٍ صَدِیْدٍ ۟ۙ
क़ियामत के दिन इस अभिमानी के आगे जहन्नम है। चुनाँचे जहन्नम उसके घात में है। तथा उसे उसके अंदर जहन्नमियों के शरीर से बहने वाली पीप पिलाई जाएगी। इसलिए वह उसकी प्यास को नहीं बुझाएगी। चुनाँचे उसे प्यास और अन्य प्रकार की यातनाओं के द्वारा निरंतर प्रताड़ित किया जाएगा।
عربی تفاسیر:
یَّتَجَرَّعُهٗ وَلَا یَكَادُ یُسِیْغُهٗ وَیَاْتِیْهِ الْمَوْتُ مِنْ كُلِّ مَكَانٍ وَّمَا هُوَ بِمَیِّتٍ ؕ— وَمِنْ وَّرَآىِٕهٖ عَذَابٌ غَلِیْظٌ ۟
वह उसकी कड़वाहट, गर्मी और बदबू के कारण उसे बार-बार पीने का प्रयास करेगा, लेकिन वह उसे निगलने में सक्षम नहीं होगा। तथा जिस यातना से वह पीड़ित होगा, उसकी गंभीरता के कारण हर तरफ़ से मौत उसके पास आएगी। हालाँकि वह मरने वाला नहीं कि आराम पा जाए। बल्कि वह ज़िंदा रहेगा और पीड़ा झेलेगा। और उसके सामने एक और कठोर यातना है, जो उसकी प्रतीक्षा कर रही है।
عربی تفاسیر:
مَثَلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ اَعْمَالُهُمْ كَرَمَادِ ١شْتَدَّتْ بِهِ الرِّیْحُ فِیْ یَوْمٍ عَاصِفٍ ؕ— لَا یَقْدِرُوْنَ مِمَّا كَسَبُوْا عَلٰی شَیْءٍ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الضَّلٰلُ الْبَعِیْدُ ۟
काफ़िर लोग जो नेकी के कार्य करते हैं, जैसे दान, उपकार और कमज़ोरों पर कृपा आदि, उनकी मिसाल उस राख की तरह है, जिस पर आँधी वाले दिन में तेज़ हवा चले और उसे पूरी शक्ति से उड़ा ले जाए और अलग-अलग स्थानों में इस तरह बिखेर दे कि उसका निशान तक बाक़ी न रहे। यही हाल काफ़िरों के अच्छे कार्यों का है, जिनपर कुफ़्र की आँधी चल चुकी है। क़ियामत के दिन काफ़िरों को उनका कोई लाभ नहीं होगा। वह कार्य जिसकी बुनियाद ईमान पर न हो, वह सत्य के मार्ग से दूर की गुमराही है।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• أن الأنبياء والرسل بشرٌ من بني آدم، غير أن الله تعالى فضلهم بحمل الرسالة واصطفاهم لها من بين بني آدم.
• नबी और रसूल इनसान ही हैं। लेकिन अल्लाह ने उन्हें संदेश के वाहन के साथ प्रतिष्ठता प्रदान की है और आदम की संतान में से उन्हें इस कार्य के लिए चुन लिया है।

• على الداعية الذي يريد التغيير أن يتوقع أن هناك صعوبات جَمَّة سوف تقابله، ومنها الطرد والنفي والإيذاء القولي والفعلي.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाला व्यक्ति जो समाज में बदलाव लाना चाहता है, उसे इस बात की आशा रखनी चाहिए कि उसके सामने कई कठिनाइयाँ हैं, जिनसे उसका सामना होगा, जैसे निष्कासन, निर्वासन और वचन एवं कर्म से कष्ट पहुँचाना।

• أن الدعاة والصالحين موعودون بالنصر والاستخلاف في الأرض.
• अल्लाह की ओर बुलाने वालों और नेक लोगों से विजय और धरती में उत्तराधिकार का वादा किया गया है।

• بيان إبطال أعمال الكافرين الصالحة، وعدم اعتبارها بسبب كفرهم.
• काफ़िरों के कुफ़्र के कारण उनके अच्छे कार्यों को अमान्य करने और उनका एतिबार न करने का वर्णन।

اَلَمْ تَرَ اَنَّ اللّٰهَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ ؕ— اِنْ یَّشَاْ یُذْهِبْكُمْ وَیَاْتِ بِخَلْقٍ جَدِیْدٍ ۟ۙ
(ऐ इनसान) क्या तू नहीं जानता कि अल्लाह ने आसमानों और ज़मीन को सत्य के साथ पैदा किया है। चुनाँचे उसने उन्हें व्यर्थ में नहीं बनाया। यदि वह (ऐ लोगो!) तुम्हें विनष्ट करना और तुम्हारे स्थान पर एक अन्य मख़लूक़ लाना चाहे, जो उसकी इबादत और आज्ञापालन करे, तो वह तुम्हें विनष्ट करके एक अन्य मख़लूक़ ला सकता है, जो उसकी इबादत और आज्ञापालन करने वाली हो। क्योंकि यह उसके लिए बहुत आसान काम है।
عربی تفاسیر:
وَّمَا ذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ بِعَزِیْزٍ ۟
तुम्हें विनष्ट करके तुम्हारे स्थान पर अन्य मख़लूक़ को लाना अल्लाह सर्वशक्तिमान को विवश करने वाला कार्य नहीं है। क्योंकि वह सब कुछ करने में सक्षम है, उसे कोई भी चीज़ विवश नहीं कर सकती।
عربی تفاسیر:
وَبَرَزُوْا لِلّٰهِ جَمِیْعًا فَقَالَ الضُّعَفٰٓؤُا لِلَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْۤا اِنَّا كُنَّا لَكُمْ تَبَعًا فَهَلْ اَنْتُمْ مُّغْنُوْنَ عَنَّا مِنْ عَذَابِ اللّٰهِ مِنْ شَیْءٍ ؕ— قَالُوْا لَوْ هَدٰىنَا اللّٰهُ لَهَدَیْنٰكُمْ ؕ— سَوَآءٌ عَلَیْنَاۤ اَجَزِعْنَاۤ اَمْ صَبَرْنَا مَا لَنَا مِنْ مَّحِیْصٍ ۟۠
नियत समय के दिन लोग अपनी क़ब्रों से उठकर अल्लाह के सामने उपस्थित होंगे। उस समय कमज़ोर अनुयायी अपने सरदारों से कहेंगे : (ऐ सरदारो!) हम तुम्हारे अनुयायी थे। तुम्हारे आदेश का पानल करते और तुम्हारे मना किए हुए कार्य से दूर रहते थे। तो क्या तुम हमें अल्लाह की यातना से कुछ भी बचा सकते हो? तो उनके सरदार करेंगे : यदि अल्लाह ने हमें हिदायत की तौफ़ीक़ प्रदान की होती, तो हम तुम्हें अवश्य उसका मार्ग दिखाते। फिर हम सभी उसकी यातना से बच जाते। लेकिन हम गुमराह हो गए, तो हमने तुम्हें भी गुमराह कर दिया। अब हमारे और तुम्हारे लिए बराबर है कि हम यातना सहन करने सो कमज़ोर हो जाएँ या धैर्य से काम लें। हमारे लिए यातना से भागने की कोई जगह नहीं है।
عربی تفاسیر:
وَقَالَ الشَّیْطٰنُ لَمَّا قُضِیَ الْاَمْرُ اِنَّ اللّٰهَ وَعَدَكُمْ وَعْدَ الْحَقِّ وَوَعَدْتُّكُمْ فَاَخْلَفْتُكُمْ ؕ— وَمَا كَانَ لِیَ عَلَیْكُمْ مِّنْ سُلْطٰنٍ اِلَّاۤ اَنْ دَعَوْتُكُمْ فَاسْتَجَبْتُمْ لِیْ ۚ— فَلَا تَلُوْمُوْنِیْ وَلُوْمُوْۤا اَنْفُسَكُمْ ؕ— مَاۤ اَنَا بِمُصْرِخِكُمْ وَمَاۤ اَنْتُمْ بِمُصْرِخِیَّ ؕ— اِنِّیْ كَفَرْتُ بِمَاۤ اَشْرَكْتُمُوْنِ مِنْ قَبْلُ ؕ— اِنَّ الظّٰلِمِیْنَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
जब जन्नत वाले जन्नत में और जहन्नम वाले जहन्नम में प्रवेश कर गए, तो इबलीस ने कहा : निःसंदेह अल्लाह ने तुमसे सच्चा वादा किया और उसने तुमसे जो वादा किया था, उसे पूरा कर दिया। और मैंने तुमसे झूठा वादा किया, इसलिए मैंने तुमसे जो वादा किया था, उसे पूरा नहीं किया। मेरे पास कोई शक्ति नहीं थी जिसके द्वारा मैं तुम्हें दुनिया में कुफ़्र और गुमराही पर मजबूर कर सकता। लेकिन दरअसल मैंने तुम्हें कुफ़्र की ओर बुलाया और तुम्हारे लिए गुनाहों को सुंदर बनाकर पेश किया, तो तुम तुरंत मेरे पीछे चल पड़े। इसलिए अपनी गुमराही के लिए मुझे दोष न दो, बल्कि स्वयं को दोष दो। क्योंकि तुम खुद दोष के अधिक योग्य हो। न मैं तुम्हें यातना से बचाने के लिए तुम्हारी मदद को पहुँचने वाला हूँ, और न तुम मुझसे यातना को दूर करने के लिए मेरी मदद को पहुँचने वाले हो। मैं तुम्हारे उपासना में मुझे अल्लाह का साझी बनाने का इनकार करता हूँ। निःसंदेह (दुनिया में अल्लाह का साझी बनाकर और उसका इनकार करके) अत्याचार करने वालों के लिए क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना है, जो उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
عربی تفاسیر:
وَاُدْخِلَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا بِاِذْنِ رَبِّهِمْ ؕ— تَحِیَّتُهُمْ فِیْهَا سَلٰمٌ ۟
अत्याचारियों के अंजाम के विपरीत, ईमान लाने और अच्छे कार्य करने वालों को ऐसी जन्नतों में प्रवेश कराया जाएगा, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं। वे अपने रब की अनुमति और सामर्थ्य से उनमें हमेशा के लिए रहेंगे। वे एक-दूसरे का अभिवादन करेंगे, फ़रिश्ते भी उनका अभिवादन करेंगे और उनका पवित्र पालनहार भी उनका अभिवादन करेगा। यह अभिवादन 'सलाम' के द्वारा होगा।
عربی تفاسیر:
اَلَمْ تَرَ كَیْفَ ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا كَلِمَةً طَیِّبَةً كَشَجَرَةٍ طَیِّبَةٍ اَصْلُهَا ثَابِتٌ وَّفَرْعُهَا فِی السَّمَآءِ ۟ۙ
(ऐ रसूल) क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह ने एकेश्वरवाद के शब्द (तौह़ीद के कलिमा) 'ला इलाहा इल्लल्लाह' का उदाहरण कैसे दिया, जब उसका उदाहरण एक पवित्र वृक्ष अर्थात् खजूर के पेड़ के साथ दिया, जिसका तना धरती के अंदर धँसा हुआ होता है, जो अपनी जड़ो के द्वारा पानी प्राप्त करता है और उसकी शाखा आकाश की ओर ऊँची होती है, ओस पीती है और अच्छी (साफ़) हवा को ग्रहण करती है।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• بيان سوء عاقبة التابع والمتبوع إن اجتمعا على الباطل.
• अनुसरण करने वाले और अनुसरण किए गए व्यक्ति के बुरे परिणाम का वर्णन यदि दोनों असत्य पर एकत्रित हो जाएँ।

• بيان أن الشيطان أكبر عدو لبني آدم، وأنه كاذب مخذول ضعيف، لا يملك لنفسه ولا لأتباعه شيئًا يوم القيامة.
• इस बात का वर्णन कि शैतान इनसान का सबसे बड़ा दुश्मन है, और वह एक झूठा, असहाय और कमज़ोर है। वह क़ियामत के दिन अपने या अपने अनुयायियों के लिए किसी चीज़ का मालिक नहीं होगा।

• اعتراف إبليس أن وعد الله تعالى هو الحق، وأن وعد الشيطان إنما هو محض الكذب.
• इबलीस का यह स्वीकरण कि अल्लाह का वचन ही सत्य है, और शैतान का वचन निरा झूठ है।

• تشبيه كلمة التوحيد بالشجرة الطيبة الثمر، العالية الأغصان، الثابتة الجذور.
• 'कलिमा -ए- तौहीद' (एकेश्वरवाद के शब्द) को अच्छे फल, उच्च शाखाओं और दृढ़ जड़ों वाले पेड़ के समान बताना।

تُؤْتِیْۤ اُكُلَهَا كُلَّ حِیْنٍ بِاِذْنِ رَبِّهَا ؕ— وَیَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ یَتَذَكَّرُوْنَ ۟
यह अच्छा पेड़ अपने पालनहार की अनुमति से हर समय अपना अच्छा फल देता है। तथा पाक एवं उच्च अल्लाह इस आशा में लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करता है कि वे उपदेश ग्रहण करें।
عربی تفاسیر:
وَمَثَلُ كَلِمَةٍ خَبِیْثَةٍ كَشَجَرَةٍ خَبِیْثَةِ ١جْتُثَّتْ مِنْ فَوْقِ الْاَرْضِ مَا لَهَا مِنْ قَرَارٍ ۟
और शिर्क के दुष्ट शब्द का उदाहरण एक दुष्ट पेड़ की तरह है, जो कि इंद्रायन की बेल है, जिसे उसकी जड़ से उखाड़ दिया गया, उसकी ज़मीन पर कोई स्थिरता नहीं है, और न ही आकाश की ओर कोई बुलंदी है। चुनाँचे वह सूख जाता है और हवाएँ उसे उड़ा ले जाती हैं। अतः कुफ़्र के शब्द का अंजाम (भी) विनाश है और कुफ़्र करने वाले का कोई अच्छा काम अल्लाह की ओर नहीं चढ़ता।
عربی تفاسیر:
یُثَبِّتُ اللّٰهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِالْقَوْلِ الثَّابِتِ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَفِی الْاٰخِرَةِ ۚ— وَیُضِلُّ اللّٰهُ الظّٰلِمِیْنَ ۙ۫— وَیَفْعَلُ اللّٰهُ مَا یَشَآءُ ۟۠
अल्लाह मोमिनों को तौह़ीद के दृढ़ कलिमा (शब्द) के साथ दुनिया के जीवन में पूर्ण ईमान प्रदान करता है यहाँ तक कि उनकी मृत्यु ईमान पर होती है। और 'बरज़ख़' के जीवन में उनकी कब्रों के अंदर (फ़रिश्तों द्वारा) सवाल के समय (भी सुदृढ़ रखता है) और क़ियामत के दिन (भी) उन्हें दृढ़ता प्रदान करेगा। जबकि अल्लाह उसके साथ शिर्क और कुफ़्र करके अत्याचार करने वालों को सत्यता और सही मार्गदर्शन से भटका देता है। और अल्लाह जो चाहता है, करता है। जिसे गुमराह करना चाहता है, उसे अपने न्याय के साथ गुमराह कर देता है और जिसे सीधी राह दिखाना चाहता है, उसे अपने अनुग्रह से सीधी राह दिखाता है। उसे कोई मजबूर करने वाला नहीं है।
عربی تفاسیر:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ بَدَّلُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ كُفْرًا وَّاَحَلُّوْا قَوْمَهُمْ دَارَ الْبَوَارِ ۟ۙ
आपने क़ुरैश के उन लोगों का हाल देख लिया जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का इनकार किया, जब उन्होंने 'हरम' में सुरक्षा प्रदान करने और उनके बीच मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नबी बनाकर भेजने की अल्लाह की नेमत को बदल डाला। उन्होंने उसके बदले उसकी नेमतों की नाशुक्री करते हुए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अपने पालनहार की ओर से लाए हुए धर्म को झुठला दिया और अपनी जाति के उन लोगों को विनाश के घर में ला उतारा, जिन्होंने कुफ़्र में उनका पालन किया।
عربی تفاسیر:
جَهَنَّمَ ۚ— یَصْلَوْنَهَا ؕ— وَبِئْسَ الْقَرَارُ ۟
विनाश का घर' जहन्नम है, जिसमें वे प्रवेश करके उसकी गर्मी झेलेंगे और उनका यह ठिकाना बहुत बुरा ठिकाना है।
عربی تفاسیر:
وَجَعَلُوْا لِلّٰهِ اَنْدَادًا لِّیُضِلُّوْا عَنْ سَبِیْلِهٖ ؕ— قُلْ تَمَتَّعُوْا فَاِنَّ مَصِیْرَكُمْ اِلَی النَّارِ ۟
मुश्रिकों ने अल्लाह के साझी और समकक्ष बना लिए, ताकि खुद अल्लाह के रास्ते से भटकने के बाद अपने अनुयायियों को भी उससे भटका दें। (ऐ रसूल) आप उनसे कह दें : इस जीवन में तुम जिन इच्छाओं में व्यस्त और संदेह फैलाने में लगे हो, उनका कुछ लाभ उठा लो। क्योंकि क़ियामत के दिन तुम्हें आग (नरक) ही की ओर लौटना है, उसके अलावा तुम्हारा कोई अन्य ठिकाना नहीं है।
عربی تفاسیر:
قُلْ لِّعِبَادِیَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا یُقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَیُنْفِقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰهُمْ سِرًّا وَّعَلَانِیَةً مِّنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَ یَوْمٌ لَّا بَیْعٌ فِیْهِ وَلَا خِلٰلٌ ۟
(ऐ रसूल!) आप मोमिनों से कह दें : ऐ मोमिनो! पूर्ण रूप से नमाज़ पढ़ो, और अल्लाह के दिए हुए धन से आवश्यक और वांछनीय कार्यों में खर्च करो, रियाकारी के डर से गुप्त रूप से, और खुले तौर पर इसलिए कि दूसरे लोग तुम्हारा अनुसरण करें। इससे पहले कि वह दिन आ जाए, जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा, न छुड़ौती स्वीकार की जाएगी कि उसके द्वारा अल्लाह के अज़ाब से छुटकारा प्राप्त कर लिया जाए, और न कोई दोस्ती होगी कि एक दोस्त अपने दोस्त के लिए सिफ़ारिश कर दे।
عربی تفاسیر:
اَللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَاَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَاَخْرَجَ بِهٖ مِنَ الثَّمَرٰتِ رِزْقًا لَّكُمْ ۚ— وَسَخَّرَ لَكُمُ الْفُلْكَ لِتَجْرِیَ فِی الْبَحْرِ بِاَمْرِهٖ ۚ— وَسَخَّرَ لَكُمُ الْاَنْهٰرَ ۟ۚ
अल्लाह वह है, जिसने आकाशों और धरती को किसी पूर्व उदाहरण के बिना पैदा किया, और आकाश से बारिश का पानी उतारा, फिर उस उतारे हुए पानी से (ऐ लोगो!) तुम्हारी जीविका के लिए फलों की क़िस्मों को निकाला और नावों को तुम्हारे वश में कर दिया, जो पानी के ऊपर उसके अनुमान के अनुसार चलती हैं, और नदियों को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया, ताकि उनसे पानी पिओ और अपने पशुओं और अपनी खेतियों को सैराब करो।
عربی تفاسیر:
وَسَخَّرَ لَكُمُ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ دَآىِٕبَیْنِ ۚ— وَسَخَّرَ لَكُمُ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ ۟ۚ
उसने सूर्य और चाँद को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया, जो लगातार गतिशील हैं, तथाा दिन और रात को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया, जो एक-दूसरे के बाद आते-जाते हैं; रात तुम्हारे सोने और आराम करने के लिए और दिन तुम्हारी गतिविधि और दौड़-धूप करने के लिए है।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• تشبيه كلمة الكفر بشجرة الحَنْظل الزاحفة، فهي لا ترتفع، ولا تنتج طيبًا، ولا تدوم.
• 'कुफ़्र के कलिमे' (शब्द) को इंद्रायन की बेल के समान बताया गया है, जो न ऊँची होती है, न अच्छा फल देती है और न स्थायी होती है।

• الرابط بين الأمر بالصلاة والزكاة مع ذكر الآخرة هو الإشعار بأنهما مما تكون به النجاة يومئذ.
• आख़िरत का ज़िक्र करते हुए नमाज़ और ज़कात का आदेश देने के बीच की कड़ी यह सूचना देना है कि वे दोनों उन चीज़ों में से हैं जिनके द्वारा उस दिन मुक्ति प्राप्त होगी।

• تعداد بعض النعم العظيمة إشارة لعظم كفر بعض بني آدم وجحدهم نعمه سبحانه وتعالى .
• कुछ बड़ी नेमतों को गिनाना कुछ लोगों के अल्लाह की नेमतों की नाशुक्री और इनकार करने की गंभीरता की ओर संकेत है।

وَاٰتٰىكُمْ مِّنْ كُلِّ مَا سَاَلْتُمُوْهُ ؕ— وَاِنْ تَعُدُّوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ لَا تُحْصُوْهَا ؕ— اِنَّ الْاِنْسَانَ لَظَلُوْمٌ كَفَّارٌ ۟۠
और उसने तुम्हें उन सब चीज़ों में से प्रदान किया, जो तुमने माँगीं और जो तुमने नहीं माँगीं। यदि तुम अल्लाह की नेमतों की गणना करो, तो उनकी बहुतायत और बहुलता के कारण उनकी गणना नहीं कर सकते। क्योंकि तुम्हारे लिए जो कुछ उल्लेख किया गया है, वे उनके कुछ उदाहरण हैं। निश्चय इनसान अपने आप पर बड़ा अत्याचार करने वाला, अल्लाह सर्वशक्तिमान की नेमतों का बहुत कृतघ्न है।
عربی تفاسیر:
وَاِذْ قَالَ اِبْرٰهِیْمُ رَبِّ اجْعَلْ هٰذَا الْبَلَدَ اٰمِنًا وَّاجْنُبْنِیْ وَبَنِیَّ اَنْ نَّعْبُدَ الْاَصْنَامَ ۟ؕ
(ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब इबराहीम (अलैहिस्सलाम) ने अपने बेटे इसमाईल और उनकी माँ हाजर को मक्का की घाटी में रहने के लिए छोड़ने के बाद दुआ की : ऐ मेरे पालनहार! इस नगर - मक्का - को, जिसमें मैंने अपने परिवार को रहने के लिए छोड़ा है, शांति एवं सुरक्षा वाला नगर बना दे। जिसमें कोई खून न बहाया जाए, और किसी पर अत्याचार न किया जाए। तथा मुझे और मेरे बच्चों को मूर्तिपूजा से दूर रख।
عربی تفاسیر:
رَبِّ اِنَّهُنَّ اَضْلَلْنَ كَثِیْرًا مِّنَ النَّاسِ ۚ— فَمَنْ تَبِعَنِیْ فَاِنَّهٗ مِنِّیْ ۚ— وَمَنْ عَصَانِیْ فَاِنَّكَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
ऐ मेरे पालनहार! मूर्तियों ने बहुत से लोगों को गुमराह किया है। क्योंकि उन्होंने यह सोचा कि ये मूर्तियाँ उनके लिए सिफ़ारिश करेंगी। इसलिए वे इनके फ़ितने (प्रलोभन) में पड़ गए और अल्लाह को छोड़कर इनकी पूजा की। अतः लोगों में से जिसने भी अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसके आज्ञापालन में मेरा अनुसरण किया, वह मेरे दल और मेरे अनुयायियों में से है। और जिसने मेरी अवज्ञा की और अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसके आज्ञापालन में मेरा अनुसरण नहीं किया, तो (ऐ मेरे रब!) तू जिनके गुनाहों को क्षमा करना चाहे, क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
عربی تفاسیر:
رَبَّنَاۤ اِنِّیْۤ اَسْكَنْتُ مِنْ ذُرِّیَّتِیْ بِوَادٍ غَیْرِ ذِیْ زَرْعٍ عِنْدَ بَیْتِكَ الْمُحَرَّمِ ۙ— رَبَّنَا لِیُقِیْمُوا الصَّلٰوةَ فَاجْعَلْ اَفْىِٕدَةً مِّنَ النَّاسِ تَهْوِیْۤ اِلَیْهِمْ وَارْزُقْهُمْ مِّنَ الثَّمَرٰتِ لَعَلَّهُمْ یَشْكُرُوْنَ ۟
ऐ हमारे पालनहार! मैंने अपनी कुछ संतान, अर्थात् अपने बेटे इसमाईल और उसके बेटों को तेरे सम्मानित घर के पास एक ऐसी घाटी में बसाया है, जिसमें कोई खेती या पानी नहीं है। ऐ हमारे पालनहार! मैंने उन्हें उसके पास इसलिए बसाया है कि वे उसमें नमाज़ क़ायम करें। इसलिए (ऐ मेरे रब!) लोगों के दिलों को इनकी ओर और इस नगर की ओर प्रलोभित कर दे, और उन्हें फलों से रोज़ी प्रदान कर, ताकि वे अपने ऊपर तेरे उपकार का शुक्रिया अदा करें।
عربی تفاسیر:
رَبَّنَاۤ اِنَّكَ تَعْلَمُ مَا نُخْفِیْ وَمَا نُعْلِنُ ؕ— وَمَا یَخْفٰی عَلَی اللّٰهِ مِنْ شَیْءٍ فِی الْاَرْضِ وَلَا فِی السَّمَآءِ ۟
ऐ हमारे पालनहार! तू हर उस चीज़ को जानता है, जिसे हम छिपाते हैं और जिसे हम प्रकट करते हैं। तथा धरती या आकाश में अल्लाह से कोई भी चीज़ छिपी नहीं है। बल्कि वह उसे जानता है। इसलिए उसकी ओर हमारी आवश्यकता और हमारी निर्धनता उससे छिपी नहीं है।
عربی تفاسیر:
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ وَهَبَ لِیْ عَلَی الْكِبَرِ اِسْمٰعِیْلَ وَاِسْحٰقَ ؕ— اِنَّ رَبِّیْ لَسَمِیْعُ الدُّعَآءِ ۟
हर प्रकार का आभार और प्रशंसा उस अल्लाह महिमावान् के लिए है, जिसने नेक संतान प्रदान करने की मेरी दुआ स्वीकार कर ली। चुनाँचे उसने मेरे बुढ़ापे के बावजूद मुझे हाजर से इसमाईल और सारा से इसहाक़ प्रदान किया। निःसंदेह मेरा पवित्र पालनहार उसकी दुआ को सुनने वाला है, जो उससे दुआ करे।
عربی تفاسیر:
رَبِّ اجْعَلْنِیْ مُقِیْمَ الصَّلٰوةِ وَمِنْ ذُرِّیَّتِیْ ۖۗ— رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَآءِ ۟
ऐ मेरे पालनहार! मुझे पूर्ण रूप से नमाज़ पढ़ने वाला बना और मेरी औलाद को भी नमाज़ क़ायम करने वालों में से बना। ऐ हमारे पालनहार! और मेरी दुआ स्वीकार कर और उसे अपने यहाँ स्वीकृत बना दे।
عربی تفاسیر:
رَبَّنَا اغْفِرْ لِیْ وَلِوَالِدَیَّ وَلِلْمُؤْمِنِیْنَ یَوْمَ یَقُوْمُ الْحِسَابُ ۟۠
ऐ हमारे पालनहार! मेरे पापों को क्षमा कर दे और मेरे माता-पिता के पापों को क्षमा कर दे। (यह प्रार्थना उन्होंने उस समय की थी जब उन्हें पता नहीं था कि उनके पिता अल्लाह के दुश्मन हैं। जब उनके लिए यह स्पष्ट हो गया कि वह अल्लाह के दुश्मन हैं, तो उनसे खुद को अलग कर लिया।) और ईमान वालों के गुनाहों को क्षमा कर दे, जिस दिन लोग अपने पालनहार के सामने हिसाब के लिए खड़े होंगे।
عربی تفاسیر:
وَلَا تَحْسَبَنَّ اللّٰهَ غَافِلًا عَمَّا یَعْمَلُ الظّٰلِمُوْنَ ؕ۬— اِنَّمَا یُؤَخِّرُهُمْ لِیَوْمٍ تَشْخَصُ فِیْهِ الْاَبْصَارُ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) आप हरगिज़ यह न समझें कि यदि अल्लाह अत्याचारियों की यातना को विलंबित कर रहा है, तो वह उनके झुठलाने और अल्लाह के रास्ते से रोकने आदि कार्यों से अनजान है। बल्कि वह उनसे अवगत है। उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। वह केवल उनकी यातना को क़ियामत के दिन तक विलंबित कर रहा है, जिस दिन आँखें, जो कुछ देख रही होंगी उसकी भयावहता के डर से, फटी की फटी रह जाएँगी।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• بيان فضيلة مكة التي دعا لها نبي الله إبراهيم عليه الصلاة والسلام.
• मक्का की श्रेष्ठता का वर्णन, जिसके लिए अल्लाह के नबी इबराहीम अलैहिस्सलाम ने दुआ की थी।

• أن الإنسان مهما ارتفع شأنه في مراتب الطاعة والعبودية ينبغي له أن يخاف على نفسه وذريته من جليل الشرك ودقيقه.
• आज्ञापालन और इबादत की श्रेणियों में इनसान की स्थिति कितनी भी ऊँची क्यों न हो जाए, उसे ख़ुद अपने और अपनी संतान के बारे में छोटे-बड़े शिर्क से डरते रहना चाहिए।

• دعاء إبراهيم عليه الصلاة والسلام يدل على أن العبد مهما ارتفع شأنه يظل مفتقرًا إلى الله تعالى ومحتاجًا إليه.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम की दुआ यह दर्शाती है कि बंदे की स्थिति चाहे कितनी भी ऊँची हो, वह हमेशा अल्लाह का मुह़ताज और ज़रूरतमंद रहता है।

• من أساليب التربية: الدعاء للأبناء بالصلاح وحسن المعتقد والتوفيق في إقامة شعائر الدين.
इस्लामी तरबियत का एक तरीक़ा यह है कि : बच्चों के लिए धर्मपरायणता, शुद्ध अक़ीदा और धर्म के अनुष्ठानों को स्थापित करने में सामर्थ्य की दुआ की जाए।

مُهْطِعِیْنَ مُقْنِعِیْ رُءُوْسِهِمْ لَا یَرْتَدُّ اِلَیْهِمْ طَرْفُهُمْ ۚ— وَاَفْـِٕدَتُهُمْ هَوَآءٌ ۟ؕ
जब लोग क़ब्रों से उठकर पुकारने वाले की ओर तेज़ी से भागेंगे, अपने सिर को उठाए हुए होंगे, वे घबराहट से आकाश की ओर देखेंगे, उनकी निगाहें उनकी ओर नहीं लौटेंगी, बल्कि वे जो कुछ भी देख रही होंगी उसके डर से खुली की खुली रह जाएँगी और उनके दिल ख़ाली होंगे, उस दिन के दृश्य की दहशत से उनमें कोई समझ-बूझ नहीं होगी।
عربی تفاسیر:
وَاَنْذِرِ النَّاسَ یَوْمَ یَاْتِیْهِمُ الْعَذَابُ فَیَقُوْلُ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْا رَبَّنَاۤ اَخِّرْنَاۤ اِلٰۤی اَجَلٍ قَرِیْبٍ ۙ— نُّجِبْ دَعْوَتَكَ وَنَتَّبِعِ الرُّسُلَ ؕ— اَوَلَمْ تَكُوْنُوْۤا اَقْسَمْتُمْ مِّنْ قَبْلُ مَا لَكُمْ مِّنْ زَوَالٍ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) अपनी उम्मत को क़ियामत के दिन की यातना से डराएँ। उस समय कुफ़्र और शिर्क के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वाले लोग कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! हमें मोहलत दे दे और हमसे यातना को टाल दे और हमें थोड़े समय के लिए दुनिया में वापस भेज दे, हम तुझपर ईमान लाएँगे और उन रसूलों का पालन करेंगे, जिन्हें तूने हमारी ओर भेजा था। तब उन्हें फटकार लगाते हुए जवाब दिया जाएगा : क्या तुमने दुनिया के जीवन में, मरणोपरांत पुनर्जीवित किए जाने का इनकार करते हुए यह क़सम नहीं खाई थी कि तुम्हें दुनिया के जीवन से आख़िरत की ओर स्थानांतरित नहीं होना है?!
عربی تفاسیر:
وَّسَكَنْتُمْ فِیْ مَسٰكِنِ الَّذِیْنَ ظَلَمُوْۤا اَنْفُسَهُمْ وَتَبَیَّنَ لَكُمْ كَیْفَ فَعَلْنَا بِهِمْ وَضَرَبْنَا لَكُمُ الْاَمْثَالَ ۟
और तुम अपने से पहले के उन समुदायों के रहने की जगहों में उतरे, जिन्होंने अल्लाह का इनकार करके अपने आप पर अत्याचार किया था, जैसे हूद और सालेह के समुदाय। और तुम्हारे लिए स्पष्ट हो गया कि हमने अन्हें कैसे विनष्ट किया और हमने अल्लाह की किताब में तुम्हारे लिए उदाहरण प्रस्तुत किए, ताकि तुम उपदेश ग्रहण करो, परन्तु तुमने उनसे उपदेश ग्रहण नहीं किया।
عربی تفاسیر:
وَقَدْ مَكَرُوْا مَكْرَهُمْ وَعِنْدَ اللّٰهِ مَكْرُهُمْ ؕ— وَاِنْ كَانَ مَكْرُهُمْ لِتَزُوْلَ مِنْهُ الْجِبَالُ ۟
अत्याचारी संप्रदायों के रहने के स्थानों में उतरने वाले इन लोगों ने अल्लाह के नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हत्या करने और आपके आमंत्रण (मिशन) को समाप्त करने की साज़िश रची। हालाँकि अल्लाह उनके उपाय से अवगत है, उससे कोई बात छिपी नहीं है। तथा इन लोगों का उपाय बहुत कमज़ोर है। चुनाँचे वह कमज़ोर होने के कारण पर्वत को या उसके अलावा किसी चीज़ को उसके स्थान से नहीं टाल सकता। जबकि उनके साथ अल्लाह के उपाय का मामला इसके विपरीत है।
عربی تفاسیر:
فَلَا تَحْسَبَنَّ اللّٰهَ مُخْلِفَ وَعْدِهٖ رُسُلَهٗ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ ذُو انْتِقَامٍ ۟ؕ
(ऐ रसूल!) आप हरगिज़ यह न समझें कि अल्लाह, जिसने अपने रसूलों से विजय और धर्म को प्रभुत्व प्रदान करने का वादा किया था, रसूलों से अपने किए हुए वादे के ख़िलाफ़ करने वाला है। निःसंदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी चीज़ का ज़ोर नहीं चलता और वह अपने दोस्तों को अवश्य प्रभुत्व प्रदान करेगा। वह अपने दुश्मनों तथा अपने रसूलों के दुश्मनों से सख़्त बदला लेने वाला है।
عربی تفاسیر:
یَوْمَ تُبَدَّلُ الْاَرْضُ غَیْرَ الْاَرْضِ وَالسَّمٰوٰتُ وَبَرَزُوْا لِلّٰهِ الْوَاحِدِ الْقَهَّارِ ۟
काफ़िरों से यह बदला क़ियामत के दिन लिया जाएगा, जिस दिन इस धरती को एक अन्य शुद्ध सफेद धरती से बदल दिया जाएगा, और आसमानों को दूसरे आसमानों से बदल दिया जाएगा। और लोग अपनी क़ब्रों से अपने शरीर और कर्मों के साथ प्रकट होंगे, उस अल्लाह के सामने खड़े होने के लिए, जो अपने राज्य और अपनी महिमा में अकेला है, ऐसा प्रभुत्वशाली है, जो सबको पराजित करता है और उसे पराजित नहीं किया जा सकता, तथा सब पर उसका प्रभुत्व है और उसपर किसी का प्रभुत्व नहीं हो सकता।
عربی تفاسیر:
وَتَرَی الْمُجْرِمِیْنَ یَوْمَىِٕذٍ مُّقَرَّنِیْنَ فِی الْاَصْفَادِ ۟ۚ
49 - 50 - (ऐ रसूल!) जिस दिन इस धरती को दूसरी धरती से बदल दिया जाएगा और आकाशों को बदल दिया जाएगा, उस दिन आप काफ़िरों और मुश्रिकों को देखेंगे कि एक-दूसरे के साथ बेड़ियों में जकड़े हुए होंगे। उनके हाथ और पैर जंजीरों के साथ उनके गले में बाँध दिए जाएँगे। उनके कपड़े जो वे पहनेंगे, तारकोल (एक अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ) के बने होंगे। और उनके विकृत चेहरे आग से झुलस रहे होंगे।
عربی تفاسیر:
سَرَابِیْلُهُمْ مِّنْ قَطِرَانٍ وَّتَغْشٰی وُجُوْهَهُمُ النَّارُ ۟ۙ
49 - 50 - (ऐ रसूल!) जिस दिन इस धरती को दूसरी धरती से बदल दिया जाएगा और आकाशों को बदल दिया जाएगा, उस दिन आप काफ़िरों और मुश्रिकों को देखेंगे कि एक-दूसरे के साथ बेड़ियों में जकड़े हुए होंगे। उनके हाथ और पैर जंजीरों के साथ उनके गले में बाँध दिए जाएँगे। उनके कपड़े जो वे पहनेंगे, तारकोल (एक अत्यधिक ज्वलनशील पदार्थ) के बने होंगे। और उनके विकृत चेहरे आग से झुलस रहे होंगे।
عربی تفاسیر:
لِیَجْزِیَ اللّٰهُ كُلَّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَرِیْعُ الْحِسَابِ ۟
ताकि अल्लाह हर प्राणी को उसका बदला दे, जो भी उसने अच्छा या बुरा किया है। निःसंदेह अल्लाह कार्यों का शीघ्र हिसाब लेने वाला है।
عربی تفاسیر:
هٰذَا بَلٰغٌ لِّلنَّاسِ وَلِیُنْذَرُوْا بِهٖ وَلِیَعْلَمُوْۤا اَنَّمَا هُوَ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ وَّلِیَذَّكَّرَ اُولُوا الْاَلْبَابِ ۟۠
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाला यह क़ुरआन अल्लाह की ओर से लोगों को सूचना देना (एक संदेश) है। और ताकि उन्हें इसमें मौजूद गंभीर धमकियों और भयभीत करने वाली चीज़ों से डराया जाए, और ताकि वे यह जान लें कि सत्य पूज्य अकेला अल्लाह ही है, फिर वे उसकी इबादत करें और उसके साथ किसी को साझी न बनाएँ। और ताकि सद्बुद्धि वाले लोग इससे सीख लें। क्योंकि वही लोग हैं जो उपदेशों और पाठों से लाभान्वित होते हैं।
عربی تفاسیر:
حالیہ صفحہ میں آیات کے فوائد:
• تصوير مشاهد يوم القيامة وجزع الخلق وخوفهم وضعفهم ورهبتهم، وتبديل الأرض والسماوات.
• क़ियामत के दिन के दृश्यों, तथा लोगों की घबराहट, दहशत, डर, कमज़ोरी और भय का चित्रण और धरती एवं आकाशों के बदल जाने का बयान।

• وصف شدة العذاب والذل الذي يلحق بأهل المعصية والكفر يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन गुनाहगारों और काफ़िरों को मिलने वाली यातना और अपमान की गंभीरता का वर्णन।

• أن العبد في سعة من أمره في حياته في الدنيا، فعليه أن يجتهد في الطاعة، فإن الله تعالى لا يتيح له فرصة أخرى إذا بعثه يوم القيامة.
• बंदा दुनिया के जीवन में अपने मामले के बारे में विस्तार में होता है। इसलिए उसे नेक कार्य करने में भरपूर प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अल्लाह उसे क़ियामत के दिन उठाने के बाद दूसरा अवसर नहीं देगा।

 
معانی کا ترجمہ سورت: سورۂ ابراہیم
سورتوں کی لسٹ صفحہ نمبر
 
قرآن کریم کے معانی کا ترجمہ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - ترجمے کی لسٹ

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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