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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Āl ʿImrān   Vers:
فَانْقَلَبُوْا بِنِعْمَةٍ مِّنَ اللّٰهِ وَفَضْلٍ لَّمْ یَمْسَسْهُمْ سُوْٓءٌ ۙ— وَّاتَّبَعُوْا رِضْوَانَ اللّٰهِ ؕ— وَاللّٰهُ ذُوْ فَضْلٍ عَظِیْمٍ ۟
फिर वे “हमराउल असद” की ओर निकलने के बाद अल्लाह की ओर से महान प्रतिफल, अपने पदों में वृद्धि और अपने शत्रुओं से सुरक्षा के साथ लौटे, चुनांचे वे न मारे गए और न ही घायल हुए। तथा उन्होंने ऐसी बातों का अनुसरण किया, जिनसे अल्लाह प्रसन्न होता है, जैसे उसकी आज्ञाकारिता पर प्रतिबद्ध रहना और उसकी अवज्ञा से दूर रहना। और अल्लाह अपने मोमिन बंदों पर बड़े अनुग्रह वाला है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّمَا ذٰلِكُمُ الشَّیْطٰنُ یُخَوِّفُ اَوْلِیَآءَهٗ ۪— فَلَا تَخَافُوْهُمْ وَخَافُوْنِ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟
तुम्हें डराने वाला शैतान ही है। वह अपने समर्थकों और सहायकों के द्वारा तुम्हें भयभीत करता है। अतः तुम उनके सामने कायरता मत दिखाओ। क्योंकि उनके पास कोई शक्ति और सामर्थ्य नहीं है। और अल्लाह की आज्ञाकारिता पर प्रतिबद्धता के साथ केवल उसी से डरो, यदि तुम वास्तव में उस पर विश्वास रखने वाले हो।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا یَحْزُنْكَ الَّذِیْنَ یُسَارِعُوْنَ فِی الْكُفْرِ ۚ— اِنَّهُمْ لَنْ یَّضُرُّوا اللّٰهَ شَیْـًٔا ؕ— یُرِیْدُ اللّٰهُ اَلَّا یَجْعَلَ لَهُمْ حَظًّا فِی الْاٰخِرَةِ ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ عَظِیْمٌ ۟
(ऐ रसूल) मुनाफिक़ो में से जो लोग अपनी एड़ियों के बल पलटते हुए कुफ़्र (अविश्वास) में जल्दी कर रहे हैं, आप उनसे दुःखी न हों। क्योंकि वे अल्लाह को कोई हानि नहीं पहुँचा सकते। बल्कि वे अल्लाह पर ईमान और उसके आज्ञापालन से दूर होकर स्वयं को नुकसान पहुँचा रहे हैं। अल्लाह उन्हें असहाय छोड़कर और उन्हें तौफ़ीक़ न देकर यह चाहता है कि उनके लिए आख़िरत की नेमतों में से कोई हिस्सा न रह जाए। और उनके लिए वहाँ जहन्नम में बहुत बड़ी यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
اِنَّ الَّذِیْنَ اشْتَرَوُا الْكُفْرَ بِالْاِیْمَانِ لَنْ یَّضُرُّوا اللّٰهَ شَیْـًٔا ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
वास्तव में, जिन लोगों ने ईमान के बदले कुफ्र का सौदा किया, वे अल्लाह को कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकते। बल्कि वे खुद को नुकसान पहुँचाएंगे। और आख़िरत में उनके लिए दर्दनाक यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا یَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنَّمَا نُمْلِیْ لَهُمْ خَیْرٌ لِّاَنْفُسِهِمْ ؕ— اِنَّمَا نُمْلِیْ لَهُمْ لِیَزْدَادُوْۤا اِثْمًا ۚ— وَلَهُمْ عَذَابٌ مُّهِیْنٌ ۟
अपने पालनहार का इनकार करने वाले और उसकी शरीयत का विरोध करने वाले, हरगिज़ यह न समझें कि उनके कुफ्र के बावजूद उन्हें ढील देना और उनकी आयु लंबी करना, उनके लिए अच्छा है। मामला वैसा नहीं है, जैसा वे समझते हैं। वास्तव में, हम उन्हें ढील इसलिए दे रहे हैं ताकि अधिक से अधिक गुनाह करके अपने पाप का घड़ा भर लें। और उनके लिए अपमानजनक यातना है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
مَا كَانَ اللّٰهُ لِیَذَرَ الْمُؤْمِنِیْنَ عَلٰی مَاۤ اَنْتُمْ عَلَیْهِ حَتّٰی یَمِیْزَ الْخَبِیْثَ مِنَ الطَّیِّبِ ؕ— وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُطْلِعَكُمْ عَلَی الْغَیْبِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ یَجْتَبِیْ مِنْ رُّسُلِهٖ مَنْ یَّشَآءُ ۪— فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖ ۚ— وَاِنْ تُؤْمِنُوْا وَتَتَّقُوْا فَلَكُمْ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟
(ऐ ईमान वालो!) अल्लाह की हिकमत यह नहीं है कि वह तुम्हें तुम्हारे मुनाफिक़ों (पाखंडियों) के साथ मिश्रण (घुलने-मिलने), तुम्हारे बीच अंतर न होने और सच्चे विश्वासियों के स्पष्ट न होने की स्थिति में छोड़ दे, जब तक कि वह तुम्हें विभिन्न प्रकार की ज़िम्मेदारियों और परीक्षणों के द्वारा उत्कृष्ट न कर दे। ताकि अच्छा मोमिन, दुष्ट मुनाफ़िक़ से विदित होकर सामने आ जाए। तथा अल्लाह की हिकमत यह भी नहीं है कि वह तुम्हें परोक्ष (ग़ैब की बातों) से सूचित कर दे, तो तुम मोमिन और मुनाफ़िक़ के बीच अंतर करने लगो। लेकिन अल्लाह अपने रसूलों में से जिसे चाहता है, चुन लेता है और उसे कुछ ग़ैब की बातों की सूचना देता है, जैसा कि उसने अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को मुनाफिक़ों की स्थिति के बारे में सूचित किया। अतः तुम अल्लाह और उसके रसूल पर अपने ईमान को मज़बूत कर लो। यदि तुम सच्चे ईमान वाले बन जाओ और अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके एवं उसकी मना की हुई चीज़ों से बचकर, डरने लगो, तो तुम्हारे लिए अल्लाह के निकट बड़ा प्रतिफल है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
وَلَا یَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ یَبْخَلُوْنَ بِمَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ هُوَ خَیْرًا لَّهُمْ ؕ— بَلْ هُوَ شَرٌّ لَّهُمْ ؕ— سَیُطَوَّقُوْنَ مَا بَخِلُوْا بِهٖ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— وَلِلّٰهِ مِیْرَاثُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟۠
जो लोग उन नेमतों में कंजूसी करते हैं, जो अल्लाह ने अपनी कृपा से उन्हें प्रदान किए हैं। चुनाँचे वे उनमें अल्लाह के अधिकार को रोक लेते हैं, वे यह मत सोचें कि यह व्यवहार उनके लिए अच्छा है, बल्कि यह उनके लिए बुरा है। क्योंकि उन्होंने जिस धन में कंजूसी की है, वह तौक़ (पट्टा) बन जाएगा, जिसे क़ियामत के दिन उनकी गर्दनों में डालकर उन्हें यातना दी जाएगी। तथा आकाश और धरती की सभी चीज़ों को अकेले अल्लाह ही की ओर लौटना है। और वही अपनी समस्त रचनाओं के नाश हो जाने के बाद जीवित रहेगा। और जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसके सूक्ष्म से सूक्ष्म विवरण से अवगत है और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• ينبغي للمؤمن ألا يلتفت إلى تخويف الشيطان له بأعوانه وأنصاره من الكافرين، فإن الأمر كله لله تعالى.
• मोमिन को चाहिए कि वह शैतान के अपने काफ़िर समर्थकों और सहायकों के द्वारा उसे भयभीत करने की ओर ध्यान न दे। क्योंकि सारा मामला सर्वशक्तिमान अल्लाह के हाथ में है।

• لا ينبغي للعبد أن يغتر بإمهال الله له، بل عليه المبادرة إلى التوبة، ما دام في زمن المهلة قبل فواتها.
• बंदे को अल्लाह की ढील से धोखा नहीं खाना चाहिए। बल्कि उसे समय सीमा समाप्त होने से पहले तौबा करने में जल्दी करना चाहिए।

• البخيل الذي يمنع فضل الله عليه إنما يضر نفسه بحرمانها المتاجرة مع الله الكريم الوهاب، وتعريضها للعقوبة يوم القيامة.
• जो कंजूस अपने ऊपर अल्लाह के अनुग्रह को (खर्च करने से) रोक लेता है, वह अपने आपको दानशील दाता अल्लाह के साथ व्यापार से वंचित करके खुद को नुकसान पहुंचाता है और अपने आपको क़यामत के दिन सज़ा के लिए प्रस्तुत करता है।

 
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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans - Übersetzungen

Vom Tafsirzentrum für Quranwissenschaften herausgegeben.

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