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Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans * - Übersetzungen


Übersetzung der Bedeutungen Surah / Kapitel: Āl ʿImrān   Vers:
اَلَمْ تَرَ اِلَی الَّذِیْنَ اُوْتُوْا نَصِیْبًا مِّنَ الْكِتٰبِ یُدْعَوْنَ اِلٰی كِتٰبِ اللّٰهِ لِیَحْكُمَ بَیْنَهُمْ ثُمَّ یَتَوَلّٰی فَرِیْقٌ مِّنْهُمْ وَهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟
ऐ नबी! क्या आपने उन यहूदियों का हाल नहीं देखा, जिन्हें अल्लाह ने तौरात तथा उसमें मौजूद आपकी नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) की निशानियों के ज्ञान का एक हिस्सा दिया। उन्हें अल्लाह की पुस्तक तौरात की ओर बुलाया जाता है, ताकि वह उनके बीच उनके विवादों का निर्णय करे। परंतु उनके विद्वानों और प्रमुख लोगों का एक समूह मुँह फेर लेता है, इस हाल में कि वे उसके आदेश से उपेक्षा करने वाले होते हैं क्योंकि वह उनकी इच्छाओं के अनुकूल नहीं है। हालाँकि उनके लिए बेहतर यह था - जबकि वे तौरात का अनुसरण करने का दावा करते हैं - कि उससे फैसला कराने में सबसे आगे रहते।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَالُوْا لَنْ تَمَسَّنَا النَّارُ اِلَّاۤ اَیَّامًا مَّعْدُوْدٰتٍ ۪— وَّغَرَّهُمْ فِیْ دِیْنِهِمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟
यह सत्य से मुँह फेरना और उससे उपेक्षा करना इस कारण है, क्योंकि वे दावा करते थे कि क़ियामत के दिन दोज़ख की आग उन्हें केवल कुछ दिनों के लिए ही छुएगी, फिर वे जन्नत में प्रवेश करेंगे। उनके इस गढ़े हुए झूठे और असत्य भ्रम ने उन्हें धोखे में डाल दिया और उन्होंने अल्लाह और उसके धर्म की अवहेलना करने का साहस किया।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
فَكَیْفَ اِذَا جَمَعْنٰهُمْ لِیَوْمٍ لَّا رَیْبَ فِیْهِ ۫— وَوُفِّیَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
(उस समय) उनका हाल और उनका पछताना कैसा होगा?! निश्चय वह बहुत बुरा होगा जब हम उन्हें हिसाब के लिए एक ऐसे दिन में एकत्र करेंगे, जिसमें कोई संदेह नहीं और वह क़ियामत का दिन है। और हर प्राणी को उसके किए हुए कार्यों का उसके योग्य बदला दिया जाएगा। उसकी नेकियों को घटाकर या उसकी बुराइयों को बढ़ाकर उसपर अत्याचार नहीं किया जाएगा।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلِ اللّٰهُمَّ مٰلِكَ الْمُلْكِ تُؤْتِی الْمُلْكَ مَنْ تَشَآءُ وَتَنْزِعُ الْمُلْكَ مِمَّنْ تَشَآءُ ؗ— وَتُعِزُّ مَنْ تَشَآءُ وَتُذِلُّ مَنْ تَشَآءُ ؕ— بِیَدِكَ الْخَیْرُ ؕ— اِنَّكَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
ऐ रसूल! आप अपने पालनहार की प्रशंसा और उसकी महिमा करते हुए कह दें : ऐ अल्लाह! तू ही दुनिया और आख़िरत में सारे राज्य का मालिक है। तू अपनी सृष्टि में से जिसे चाहता है, उसे राज्य प्रदान करता है और जिससे चाहता है, उसे छीन लेता है। तथा उनमें से जिसे तू चाहता है, सम्मान देता है और जिसे तू चाहता है, उसे अपमानित करता है। यह सब तेरी हिकमत और न्याय से होता है। केवल तेरे ही हाथ में सारी भलाई है और तू सब कुछ करने में सक्षम हैं।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
تُوْلِجُ الَّیْلَ فِی النَّهَارِ وَتُوْلِجُ النَّهَارَ فِی الَّیْلِ ؗ— وَتُخْرِجُ الْحَیَّ مِنَ الْمَیِّتِ وَتُخْرِجُ الْمَیِّتَ مِنَ الْحَیِّ ؗ— وَتَرْزُقُ مَنْ تَشَآءُ بِغَیْرِ حِسَابٍ ۟
तेरी शक्ति की निशानियों में से एक यह है कि तू रात को दिन में दाख़िल करता है, तो दिन का समय लंबा हो जाता है और तू दिन को रात में दाखिल करता है, तो रात का समय लंबा हो जाता है, तथा तू जीवित को मृत से निकालता है; जैसे मोमिन को काफ़िर से और खेती को दाने से। तथा तू मृत को जीवित से निकालता है; जैसे काफ़िर को मोमिन से और अंडे को मुर्गी से। और तू जिसे चाहे बिना हिसाब और गिनती के विस्तृत जीविका प्रदान करता है।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
لَا یَتَّخِذِ الْمُؤْمِنُوْنَ الْكٰفِرِیْنَ اَوْلِیَآءَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۚ— وَمَنْ یَّفْعَلْ ذٰلِكَ فَلَیْسَ مِنَ اللّٰهِ فِیْ شَیْءٍ اِلَّاۤ اَنْ تَتَّقُوْا مِنْهُمْ تُقٰىةً ؕ— وَیُحَذِّرُكُمُ اللّٰهُ نَفْسَهٗ ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ الْمَصِیْرُ ۟
ऐ ईमान वालो! तुम काफ़िरों को मित्र (सहयोगी) न बनाओ कि मोमिनों को छोड़कर उनसे प्रेम करो और उनका समर्थन करो। और जो ऐसा करेगा, वह अल्लाह से बरी हो गया और अल्लाह उससे बरी हो गया। परंतु अगर तुम उनके प्रभुत्व में हो और तुम्हें उनसे अपने आपपर डर महसूस हो, तो ऐसी परिस्थिति में उनके प्रति (दिल में) शत्रुता रखते हुए बातचीत में कोमलता और कार्यों में दया दिखाकर, उनके कष्ट से बचाव करने में कुछ भी गलत नहीं है, तथा अल्लाह तुम्हें अपने आपसे डराता है, इसलिए उससे डरो, और अवज्ञा करके उसके क्रोध का शिकार न बनो। तथा क़ियामत के दिन सभी बंदों को अकेले अल्लाह ही की ओर लौटना है, ताकि उन्हें उनके कामों का बदला मिले।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
قُلْ اِنْ تُخْفُوْا مَا فِیْ صُدُوْرِكُمْ اَوْ تُبْدُوْهُ یَعْلَمْهُ اللّٰهُ ؕ— وَیَعْلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
(ऐ नबी!) आप कह दें : यदि तुम उस चीज़ को अपने सीनों में छिपाओ जिससे अल्लाह ने तुम्हें मना किया है, जैसे काफिरों से दोस्ती करना, या उसे ज़ाहिर करो, अल्लाह उसे जनता है और उसमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। वह आकाशों और धरती की सारी चीज़ों को जानता है। और अल्लाह हर चीज़ को करने में सक्षम है, उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
Arabische Interpretationen von dem heiligen Quran:
Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أن التوفيق والهداية من الله تعالى، والعلم - وإن كثر وبلغ صاحبه أعلى المراتب - إن لم يصاحبه توفيق الله لم ينتفع به المرء.
• तौफ़ीक़ (किसी चीज़ का सामर्थ्य प्रदान करना) और मार्गदर्शन अल्लाह की ओर से है। तथा ज्ञान - चाहे वह कितना भी अधिक हो और आदमी उसके उच्चतम पद पर पहुँच जाए - यदि उसके साथ अल्लाह की तौफ़ीक़ न हो, तो आदमी उससे लाभ नहीं उठा सकता।

• أن الملك لله تعالى، فهو المعطي المانع، المعز المذل، بيده الخير كله، وإليه يرجع الأمر كله، فلا يُسأل أحد سواه.
• सारा राज्य अल्लाह ही का है। चुनाँचे वही देने वाला और वही रोकने वाला है, वही सम्मान देने वाला और वही अपमानित करने वाला है। उसी के हाथ में सारी भलाई है और उसी की ओर सारे मामले लौटते हैं। अतः उसके अलावा किसी से नहीं माँगा जाएगा।

• خطورة تولي الكافرين، حيث توعَّد الله فاعله بالبراءة منه وبالحساب يوم القيامة.
• काफ़िरों से दोस्ती रखने का ख़तरा, क्योंकि अल्लाह ने ऐसा करने वाले को उससे बरी होने और क़ियामत के दिन हिसाब लेने की धमकी दी है।

 
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Vom Tafsirzentrum für Quranwissenschaften herausgegeben.

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