Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Yūnus   Ayah:

सूरा यूनुस

Purposes of the Surah:
تقرير النبوة بالأدلة، ودعوة المكذبين للإيمان مع تهديدهم بالعذاب.
प्रमाणों द्वारा नुबुव्वत (ईशदूत्व) का सिद्धीकरण, तथा झुठलाने वालों को यात्ना की धमकी देने के साथ-साथ ईमान लाने के लिए आमंत्रित करना।

الٓرٰ ۫— تِلْكَ اٰیٰتُ الْكِتٰبِ الْحَكِیْمِ ۟
{अलिफ़, लाम, रा।} इस प्रकार के अक्षरों के बारे में सूरतुल-बक़रा के आरंभ में बात की जा चुकी है। इस सूरत में तिलावत की गई ये आयतें सुदृढ़ एवं मज़बूत क़ुरआन की आयतें हैं, जो हिकमत और अहकाम पर आधारित है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَكَانَ لِلنَّاسِ عَجَبًا اَنْ اَوْحَیْنَاۤ اِلٰی رَجُلٍ مِّنْهُمْ اَنْ اَنْذِرِ النَّاسَ وَبَشِّرِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنَّ لَهُمْ قَدَمَ صِدْقٍ عِنْدَ رَبِّهِمْ ؔؕ— قَالَ الْكٰفِرُوْنَ اِنَّ هٰذَا لَسٰحِرٌ مُّبِیْنٌ ۟
क्या लोगों के लिए यह आश्चर्य की बात है कि हमने उनकी जाति ही के एक व्यक्ति पर, उसे यह आदेश देते हुए, वह़्य (प्रकाशना) उतारी कि लोगों को अल्लाह की यातना से सचेत कर दे?! (ऐ रसूल!) आप अल्लाह पर ईमान लाने वाले लोगों को यह प्रसन्न करने वाली सूचना दे दें कि उन्होंने जो भी अच्छे कर्म आगे भेजे हैं, उसके प्रतिफल के तौर पर उनके लिए उनके पालानहार के पास उच्च स्थान (पद) है। काफिरों ने कहा : निःसंदेह यह आदमी जो इन आयतों को लेकर आया है, एक स्पष्ट जादूगर है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ رَبَّكُمُ اللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ یُدَبِّرُ الْاَمْرَ ؕ— مَا مِنْ شَفِیْعٍ اِلَّا مِنْ بَعْدِ اِذْنِهٖ ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمْ فَاعْبُدُوْهُ ؕ— اَفَلَا تَذَكَّرُوْنَ ۟
निःसंदेह (ऐ आश्चर्य करने वालो!) तुम्हारा पालनहार वही अल्लाह है, जिसने भव्य आकाशों तथा विशाल धरती को छह दिनों में बनाया, फिर वह अर्श पर बुलंद हुआ। तो तुम्हें कैसे आश्चर्य होता है कि उसने तुम्हारी ही जाति में से एक आदमी को रसूल बनाकर भेजा?! वह अपने विशाल राज्य में अकेले ही निर्णय लेता है और फ़ैसले करता है। उसके पास उसकी अनुमति तथा अनुशंसा करने वाले से उसकी संतुष्टि के बिना कोई व्यक्ति किसी चीज़ के बारे में अनुशंसा नहीं कर सकता। इन गुणों से विशेषित अल्लाह ही तुम्हारा पालनहार है। अतः निष्ठापूर्वक एकमात्र उसी की उपासना करो। तो क्या तुम उसके एकेश्वरवाद के इन सभी प्रमाणों एवं तर्कों से शिक्षा ग्रहण नहीं करतेॽ जिसके पास थोड़ी-सी भी शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता होगी, वह उसे जान लेगा और उसपर ईमान लाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِلَیْهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِیْعًا ؕ— وَعْدَ اللّٰهِ حَقًّا ؕ— اِنَّهٗ یَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ لِیَجْزِیَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ بِالْقِسْطِ ؕ— وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَهُمْ شَرَابٌ مِّنْ حَمِیْمٍ وَّعَذَابٌ اَلِیْمٌ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟
क़ियामत के दिन तुम सब को उसी एक अल्लाह की ओर लौटना है, ताकि वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का प्रतिफल प्रदान करे। अल्लाह ने लोगों से इसका सच्चा वादा किया है, जो वह नहीं तोड़ेगा। निःसंदेह वह इसमें सक्षम है। वह किसी पिछले उदाहरण के बिना सृष्टि की रचना का आरंभ करता है और फिर उसकी मृत्यु के पश्चात उसे पुनः जीवित करेगा, ताकि उन लोगों को न्याय के साथ प्रतिफल प्रदान करे, जो अल्लाह पर ईमान लाए और सत्कर्म किए। वह न उनकी नेकियों को घटाएगा और न उनके गुनाहों को बढ़ाएगा। जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार किया, उनके लिए उनके इस इनकार के कारण खौलते हुए जल का पेय होगा, जो उनकी आँतों के टुकड़े-टुकड़े कर देगा तथा उनके लिए दर्दनाक यातना होगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُوَ الَّذِیْ جَعَلَ الشَّمْسَ ضِیَآءً وَّالْقَمَرَ نُوْرًا وَّقَدَّرَهٗ مَنَازِلَ لِتَعْلَمُوْا عَدَدَ السِّنِیْنَ وَالْحِسَابَ ؕ— مَا خَلَقَ اللّٰهُ ذٰلِكَ اِلَّا بِالْحَقِّ ۚ— یُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّعْلَمُوْنَ ۟
वही है, जिसने सूर्य को ज्योति फैलाने वाला बनाया और चाँद को प्रकाशमान बनाया, जिससे रोशनी प्राप्त की जाती है। साथ ही चाँद की अट्ठाईस मंज़िलों के अनुसार उसकी गति निर्धारित की। मंज़िल से अभिप्राय वह दूरी है, जिसे चाँद हर दिन और रात तय करता है। यह सब इसलिए किया, ताकि (ऐ लोगो!) तुम सूरज के द्वारा दिनों की संख्या तथा चाँद के द्वारा महीनों एवं वर्षों की संख्या जान सको। अल्लाह ने आकाशों और धरती तथा उनके बीच की चीज़ों को सत्य के साथ ही पैदा किया है; ताकि लोगों को अपनी शक्ति और महानता के दर्शन कराए। अल्लाह अपने एकेश्वरवाद के इन स्पष्ट प्रमाणों और उज्ज्वल तर्कों को ऐसे लोगों के लिए खोल-खोलकर बयान करता है, जो इनसे उसके एकेश्वरवाद का पता लगाना जानते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ فِی اخْتِلَافِ الَّیْلِ وَالنَّهَارِ وَمَا خَلَقَ اللّٰهُ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّتَّقُوْنَ ۟
निःसंदेह बंदों पर रात और दिन के एक-दूसरे के बाद आने में, उसके साथ होने वाले अंधकार और प्रकाश में तथा दोनों में से किसी एक के छोटे और दूसरे के लंबे होने में और आकाशों तथा धरती के अंदर मौजूद सारी सृष्टियों में, निश्चय उन लोगों के लिए अल्लाह की शक्ति को दर्शाने वाली निशानियाँ हैं, जो अल्लाह से उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर डरते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• إثبات نبوة النبي صلى الله عليه وسلم وأن إرساله أمر معقول لا عجب فيه .
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत (ईशदूतत्व) का सिद्धीकरण, और यह कि आपका रसूल बनाकर भेजा जाना एक यथोचित मामला है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

• خلق السماوات والأرض ومن فيهما، وتدبير الأمر، وتقدير الأزمان واختلاف الليل والنهار كلها آيات عظيمة دالة على ألوهية الله سبحانه.
• आकाशों और धरती तथा उनके बीच की चीज़ों की रचना, मामले का प्रबंधन, समय का निर्धारण तथा रात और दिन का आना-जाना, सभी महान संकेत हैं, जो सर्वशक्तिमान अल्लाह की उलूहियत (एकमात्र पूज्य होने) का पता देते हैं।

• الشفاعة يوم القيامة لا تكون إلا لمن أذن له الله، ورضي قوله وفعله.
• क़ियामत के दिन सिफ़ारिश केवल उसी के लिए होगी, जिसे अल्लाह अनुमति देगा और उसकी बात एवं कर्म से वह ख़ुश होगा।

• تقدير الله عز وجل لحركة الشمس ولمنازل القمر يساعد على ضبط التاريخ والأيام والسنين.
• सर्वशक्तिमान अल्लाह का सूर्य की गति और चाँद की मंज़िलें निर्धारित करना, तिथि, दिन और वर्ष निर्धारित करने में मदद करता है।

اِنَّ الَّذِیْنَ لَا یَرْجُوْنَ لِقَآءَنَا وَرَضُوْا بِالْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَاطْمَاَنُّوْا بِهَا وَالَّذِیْنَ هُمْ عَنْ اٰیٰتِنَا غٰفِلُوْنَ ۟ۙ
निःसंदेह जो काफ़िर लोग अल्लाह से मिलने की आशा नहीं रखते कि उससे डरें या उसकी लालसा करें, तथा वे सदैव रहने वाले परलोक के जीवन के बजाय इस दुनिया के नश्वर जीवन से प्रसन्न हो गए और उनके दिल उसपर खुश होकर उससे संतुष्ट हो गए और वे लोग जो अल्लाह की निशानियों और उसके प्रमाणों से मुँह फेरने वाले और उनसे असावधान हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اُولٰٓىِٕكَ مَاْوٰىهُمُ النَّارُ بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
इन गुणों से विशेषित लोगों का ठिकाना, जहाँ वे शरण लेंगे, जहन्नम है; इस कारण कि उन्होंने कुफ़्र किया और क़ियामत के दिन को झुठलाया।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ یَهْدِیْهِمْ رَبُّهُمْ بِاِیْمَانِهِمْ ۚ— تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُ فِیْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟
निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, अल्लाह उन्हें उनके ईमान के कारण सुकर्म का मार्ग दिखाएगा, जो उसकी प्रसन्नता की ओर ले जाने वाला है। फिर, क़ियामत के दिन, अल्लाह उन्हें सदैव रहने वाली नेमत भरी जन्नतों में दाख़िल करेगा, जहाँ उनके नीचे से नहरें प्रवाहित होंगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
دَعْوٰىهُمْ فِیْهَا سُبْحٰنَكَ اللّٰهُمَّ وَتَحِیَّتُهُمْ فِیْهَا سَلٰمٌ ۚ— وَاٰخِرُ دَعْوٰىهُمْ اَنِ الْحَمْدُ لِلّٰهِ رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟۠
जन्नत में उनकी प्रार्थना अल्लाह की तसबीह व तक़दीस (प्रशंसा और पवित्रता) होगी तथा उन्हें अल्लाह का अभिवादन, फ़रिश्तों का अभिवादन और उनका एक-दूसरे का अभिवादन : सलाम (शांति) होगा, तथा उनकी प्रार्थना का अंत सभी प्राणियों के पालनहार की प्रशंसा पर होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَوْ یُعَجِّلُ اللّٰهُ لِلنَّاسِ الشَّرَّ اسْتِعْجَالَهُمْ بِالْخَیْرِ لَقُضِیَ اِلَیْهِمْ اَجَلُهُمْ ؕ— فَنَذَرُ الَّذِیْنَ لَا یَرْجُوْنَ لِقَآءَنَا فِیْ طُغْیَانِهِمْ یَعْمَهُوْنَ ۟
यदि पवित्र अल्लाह लोगों के क्रोधित होने पर ख़ुद अपने, अपने बच्चों और अपने धन पर बद-दुआ (शाप) को उसी तरह जल्दी क़बूल कर ले, जिस तरह उनकी भलाई की दुआओं को स्वीकार करता है - तो वे नष्ट हो जाएँ। लेकिन अल्लाह उन्हें ढील देता है। अतः वह उन लोगों को, जो उससे मिलने की प्रतीक्षा नहीं करते (क्योंकि उन्हें न किसी दंड का भय होता है और न सवाब की आशा होती है) हिसाब के दिन के बारे में भ्रमित, चकित और शंकित छोड़ देता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذَا مَسَّ الْاِنْسَانَ الضُّرُّ دَعَانَا لِجَنْۢبِهٖۤ اَوْ قَاعِدًا اَوْ قَآىِٕمًا ۚ— فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُ ضُرَّهٗ مَرَّ كَاَنْ لَّمْ یَدْعُنَاۤ اِلٰی ضُرٍّ مَّسَّهٗ ؕ— كَذٰلِكَ زُیِّنَ لِلْمُسْرِفِیْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जब (पाप करके) अपने ऊपर अत्याचार करने वाले मनुष्य को किसी बीमारी या दुर्दशा का सामना होता है, तो वह अपने पहलू पर लेटा हुआ, या बैठा या खड़ा हुआ पूर्ण विनम्रता और विनय के साथ हमें पुकारता है; इस आशा में कि जो दुःख उसे पहुँचा है, उसे दूर कर दिया जाए। फिर जब हम उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लेते हैं और उसका दुःख दूर कर देते हैं, तो वह अपनी पूर्व स्थिति पर ऐसे चल पड़ता है जैसे उसने हमें कभी अपने किसी दुःख को दूर करने के लिए पुकारा ही नहीं था। जिस प्रकार इस उल्लंघनकारी के लिए अपनी पथभ्रष्टता में निरंतर बने रहना सुंदर बना दिया गया है, उसी प्रकार अपने कुफ़्र के द्वारा सीमाओं का उल्लंघन करने वालों के लिए उस कुफ़्र एवं अवज्ञा को शोभित कर दिया गया है, जो वे किया करते थे। अतः वे उसे नहीं छोड़ेंगें।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَقَدْ اَهْلَكْنَا الْقُرُوْنَ مِنْ قَبْلِكُمْ لَمَّا ظَلَمُوْا ۙ— وَجَآءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ وَمَا كَانُوْا لِیُؤْمِنُوْا ؕ— كَذٰلِكَ نَجْزِی الْقَوْمَ الْمُجْرِمِیْنَ ۟
तथा हमने (ऐ बहुदेववादियो!) तुमसे पहले के समुदायों को, अल्लाह के रसूलों को झुठलाने और पाप करने के कारण विनष्ट कर दिया, जबकि उनके पास उनके रसूल आ चुके थे, जिन्हें हमने उनकी ओर स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा था। जो प्रमाण यह सिद्ध करते थे कि वे रसूल अपने रब के पास से जो कुछ लेकर आए हैं, उसमें वे सच्चे हैं। परंतु वे ईमान नहीं लाए; क्योंकि उनके अंदर ईमान लाने की योग्यता ही नहीं थी। सो, अल्लाह ने उन्हें असहाय छोड़ दिया और उन्हें ईमान लाने की तौफ़ीक़ नहीं दी। जिस प्रकार हमने उन अत्याचारी समुदायों को बदला दिया, उसी तरह हम हर समय और जगह में उनके जैसे लोगों को बदला देते रहेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ جَعَلْنٰكُمْ خَلٰٓىِٕفَ فِی الْاَرْضِ مِنْ بَعْدِهِمْ لِنَنْظُرَ كَیْفَ تَعْمَلُوْنَ ۟
फिर हमने तुम्हें (ऐ लोगो!) उन झुठलाने वाले समुदायों के, जिन्हें हमने विनष्ट कर दिया था, उत्तराधिकारी बनाया; ताकि हम देखें कि तुम कैसे कर्म करते हो, क्या तुम अच्छे कार्य करते हो कि तुम्हें उसपर सवाब (पुण्य) दिया जाए, अथवा तुम बुरे कार्य करते हो कि उसपर तुम्हें दंडित किया जाए?
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• لطف الله عز وجل بعباده في عدم إجابة دعائهم على أنفسهم وأولادهم بالشر.
• सर्वशक्तिमान अल्लाह की अपने बंदों पर कृपा कि वह उनकी स्वयं अपने और अपने बच्चों के विरुद्ध बुराई की दुआ (बद्दुआ) को क़बूल नहीं करता।

• بيان حال الإنسان بالدعاء في الضراء والإعراض عند الرخاء والتحذير من الاتصاف بذلك.
• मानव स्थिति का वर्णन कि वह विपत्ति में अल्लाह को पुकारता है और ख़ुशहाली में उपेक्षा करता है, और इस तरह की विशेषता अपनाने के खिलाफ चेतावनी।

• هلاك الأمم السابقة كان سببه ارتكابهم المعاصي والظلم.
• पिछले समुदायों के विनाश का कारण उनका पाप और अत्याचार करना था।

وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیَاتُنَا بَیِّنٰتٍ ۙ— قَالَ الَّذِیْنَ لَا یَرْجُوْنَ لِقَآءَنَا ائْتِ بِقُرْاٰنٍ غَیْرِ هٰذَاۤ اَوْ بَدِّلْهُ ؕ— قُلْ مَا یَكُوْنُ لِیْۤ اَنْ اُبَدِّلَهٗ مِنْ تِلْقَآئِ نَفْسِیْ ۚ— اِنْ اَتَّبِعُ اِلَّا مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ ۚ— اِنِّیْۤ اَخَافُ اِنْ عَصَیْتُ رَبِّیْ عَذَابَ یَوْمٍ عَظِیْمٍ ۟
जब उनके सामने अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) को दर्शाने वाली क़ुरआन की स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती हैं, तो दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले लोग, जो सवाब की आशा नहीं रखते और न सज़ा से डरते हैं, कहते हैं : (ऐ मुहम्मद!) मूर्तिपूजा के अपमान पर आधारित इस क़ुरआन के अलावा दूसरा क़ुरआन ले आओ, अथवा हमारी इच्छाओं के अनुसार इसके कुछ भाग या पूर्ण भाग को निरस्त करके इसे बदल दो। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : इसे बदलना मेरे लिए संभव नहीं है, और इसके सिवा कोई दूसरा क़ुरआन लाने में तो मैं - और भी - सक्षम नहीं हूँ। बल्कि, केवल अल्लाह ही है जो उसमें से जो चाहे बदल सकता है। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो अल्लाह मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) भेजता है। यदि मैं तुम्हारी माँग का उत्तर देकर अल्लाह की अवज्ञा करूँ, तो मुझे एक महान दिन की सज़ा का डर है और वह क़ियामत का दिन है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ لَّوْ شَآءَ اللّٰهُ مَا تَلَوْتُهٗ عَلَیْكُمْ وَلَاۤ اَدْرٰىكُمْ بِهٖ ۖؗۗ— فَقَدْ لَبِثْتُ فِیْكُمْ عُمُرًا مِّنْ قَبْلِهٖ ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दें : यदि अल्लाह चाहता कि मैं तुम्हें क़ुरआन पढ़कर न सुनाऊँ, तो मैं तुम्हें क़ुरआन पढ़कर न सुनाता और इसे तुम तक न पहुँचाता। तथा यदि अल्लाह चाहता, तो तुम्हें मेरी ज़ुबानी क़ुरआन से सूचित न करता। फिर मैं तुम्हारे बीच जीवन की एक लंबी अवधि (चालीस वर्ष) व्यतीत कर चुका हूँ। न मैं पढ़ना जानता था और न लिखना। मैं इस तरह की किसी चीज़ की खोज और तलाश में भी नहीं था। तो क्या तुम अपनी बुद्धि से यह नहीं जानते कि जो कुछ मैं तुम्हारे पास लेकर आया हूँ वह अल्लाह की ओर से है, और उसमें मेरा कोई दख़ल नहीं है?!
Arabic explanations of the Qur’an:
فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اَوْ كَذَّبَ بِاٰیٰتِهٖ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُفْلِحُ الْمُجْرِمُوْنَ ۟
अतः उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूठ गढ़े। फिर मेरे लिए यह कैसे संभव है कि मैं अल्लाह पर झूठ गढ़ते हुए क़ुरआन को बदल दूँ? बात यह है कि जो लोग अल्लाह पर झूठ गढ़कर उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं, वे अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकते।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَضُرُّهُمْ وَلَا یَنْفَعُهُمْ وَیَقُوْلُوْنَ هٰۤؤُلَآءِ شُفَعَآؤُنَا عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— قُلْ اَتُنَبِّـُٔوْنَ اللّٰهَ بِمَا لَا یَعْلَمُ فِی السَّمٰوٰتِ وَلَا فِی الْاَرْضِ ؕ— سُبْحٰنَهٗ وَتَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟
मुश्रिक (बहुदेववादी) लोग अल्लाह के सिवा कथित देवताओं की पूजा करते हैं, जो न लाभ पहुँचाते हैं और न हानि। जबकि सत्य पूज्य तो जब चाहे लाभ और हानि पहुँचा सकता है। तथा वे लोग अपने देवताओं के बारे में कहते हैं : ये मध्यस्थ हैं, जो अल्लाह के यहाँ हमारे लिए सिफारिश करेंगे। अतः वह हमारे पापों के कारण हमें यातना नहीं देगा। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : क्या तुम लोग सब कुछ जानने वाले अल्लाह को सूचना दे रहे हो कि उसका कोई साझी है, हालाँकि वह आकाशों में और धरती में अपना कोई साझी नहीं जानता! मुश्रिक (बहुदेववादी) लोग जो कुछ असत्य एवं झूठ कह रहे हैं, अल्लाह उससे पाक और पवित्र है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا كَانَ النَّاسُ اِلَّاۤ اُمَّةً وَّاحِدَةً فَاخْتَلَفُوْا ؕ— وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ لَقُضِیَ بَیْنَهُمْ فِیْمَا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
सारे मनुष्य केवल एक ही एकेश्वरवादी मोमिन समुदाय थे। फिर उन्होंने विभेद किया। अतः उनमें से कुछ लोग विश्वासी (मोमिन) बने रहे और कुछ ने कुफ़्र (अविश्वास) किया। यदि अल्लाह की तरफ से पहले ही यह निर्णय न किया जा चुका होता कि वह लोगों के बीच होने वाले मतभेद के बारे में इस दुनिया में फैसला नहीं करेगा, बल्कि उनके बीच उसके बारे में क़ियामत के दिन फ़ैसला करेगा। यदि यह बात न होती, तो इस संसार ही में उनके बीच उसका फ़ैसला कर दिया जाता, जिसमें वे विभेद कर रहे हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता कि कौन सीधे रास्ते पर चलने वाला है और कौन भटका हुआ है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَقُوْلُوْنَ لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ اٰیَةٌ مِّنْ رَّبِّهٖ ۚ— فَقُلْ اِنَّمَا الْغَیْبُ لِلّٰهِ فَانْتَظِرُوْا ۚ— اِنِّیْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِیْنَ ۟۠
तथा मुश्रिक (बहुदेववादी) लोग कहते हैं : मुहम्मद - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम - पर उनके पालनहार की तरफ़ से उनकी सच्चाई को दर्शाने वाली कोई निशानी क्यों नहीं उतारी गईॽ तो (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : निशानियों का उतरना परोक्ष की बात है, जिसे अल्लाह ही जानता है। इसलिए तुम उन भौतिक निशानियों की प्रतीक्षा करो, जिनका तुमने सुझाव दिया है। मैं भी तुम्हारे साथ उनकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• عظم الافتراء على الله والكذب عليه وتحريف كلامه كما فعل اليهود بالتوراة.
• अल्लाह पर झूठा आरोप लगाना, उसपर झूठ बोलना तथा उसकी वाणी को विकृत करना, जैसा कि यहूदियों ने तौरात के साथ किया था, बहुत गंभीर है।

• النفع والضر بيد الله عز وجل وحده دون ما سواه.
• लाभ और हानि केवल अल्लाह के हाथ में है, किसी और के नहीं।

• بطلان قول المشركين بأن آلهتهم تشفع لهم عند الله.
• बहुदेववादियों के इस कथन की अमान्यता कि उनके पूज्य अल्लाह के निकट उनकी सिफ़ारिश करेंगे।

• اتباع الهوى والاختلاف على الدين هو سبب الفرقة.
• इच्छाओं के पीछे चलना और धर्म में विभेद करना विभाजन का कारण है।

وَاِذَاۤ اَذَقْنَا النَّاسَ رَحْمَةً مِّنْ بَعْدِ ضَرَّآءَ مَسَّتْهُمْ اِذَا لَهُمْ مَّكْرٌ فِیْۤ اٰیَاتِنَا ؕ— قُلِ اللّٰهُ اَسْرَعُ مَكْرًا ؕ— اِنَّ رُسُلَنَا یَكْتُبُوْنَ مَا تَمْكُرُوْنَ ۟
और जब हम बहुदेववादियों को उनके अकाल और दुखों से पीड़ित होने के पश्चात् बारिश एवं हरियाली का स्वाद चखाते हैं, तो वे हमारी निशानियों का मखौल उड़ाते और उन्हें झुठलाते हैं। (ऐ पैगंबर!) आप इन बहुदेववादियों से कह दें : अल्लाह का उपाय सबसे तीव्र है और वह तुम्हें ढील देने और सज़ा देने में अधिक तेज़ है। निःसंदेह संरक्षक फ़रिश्ते तुम्हारी चालबाज़ियों को लिख रहे हैं। उनसे कोई चीज़ नहीं छूटती है। तो फिर उनके पैदा करने वाले (अल्लाह) से कैसे छूट सकती है?! तथा अल्लाह तुम्हें तुम्हारी चालबाज़ी का बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُوَ الَّذِیْ یُسَیِّرُكُمْ فِی الْبَرِّ وَالْبَحْرِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا كُنْتُمْ فِی الْفُلْكِ ۚ— وَجَرَیْنَ بِهِمْ بِرِیْحٍ طَیِّبَةٍ وَّفَرِحُوْا بِهَا جَآءَتْهَا رِیْحٌ عَاصِفٌ وَّجَآءَهُمُ الْمَوْجُ مِنْ كُلِّ مَكَانٍ وَّظَنُّوْۤا اَنَّهُمْ اُحِیْطَ بِهِمْ ۙ— دَعَوُا اللّٰهَ مُخْلِصِیْنَ لَهُ الدِّیْنَ ۚ۬— لَىِٕنْ اَنْجَیْتَنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟
वह अल्लाह ही है, जो (ऐ लोगो!) तुम्हें थल में तुम्हारे पैरों पर तथा तुम्हारे चौपायों (सवारियों) पर चलाता है और वही तुम्हें समुद्र में नौकाओं में चलाता है। यहाँ तक कि जब तुम नौकाओं में समुद्र में होते हो और नौकाएँ यात्रियों को लेकर अच्छी हवा के सहारे चल पड़ती हैं, तो सवार लोग उस अच्छी हवा से प्रसन्न हो उठते हैं। चुनाँचे इसी दौरान जबकि वे अपने आनंद में होते हैं, उनपर एक तेज़ चलने वाली हवा आती है और हर तरफ़ से समुद्र की लहरें उनपर उठती चली आती हैं तथा उनका प्रबल गुमान यह होता है कि उनका सर्वनाश होने वाला है। ऐसे में, वे अकेले अल्लाह को पुकारते हैं और उसके साथ किसी दूसरे को साझी नहीं करते, यह कहते हुए : यदि तूने हमें इस विनाशकारी विपत्ति से बचा लिया, तो तेरे इस अनुग्रह के लिए हम अवश्य तेरे आभारी होंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَمَّاۤ اَنْجٰىهُمْ اِذَا هُمْ یَبْغُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّمَا بَغْیُكُمْ عَلٰۤی اَنْفُسِكُمْ ۙ— مَّتَاعَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ؗ— ثُمَّ اِلَیْنَا مَرْجِعُكُمْ فَنُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
फिर जब वह उनकी दुआ स्वीकार कर लेता है और उन्हें उस विपत्ति से बचा लेता है, तो वे अचानक धरती में कुफ़्र, अवज्ञा और पाप करके उपद्रव करने लगते हैं। (ऐ लोगो!), होश में आ जाओ, वास्तव में तुम्हारे उपद्रव का दुष्परिणाम स्वयं तुम्हें ही झेलना है। क्योंकि तुम्हारी सरकशी व उद्दंडता से अल्लाह को कोई नुक़सान नहीं होगा। तुम इस दुनिया के जीवन में उसका आनंद ले रहे हो, जबकि यह नश्वर है। फिर क़ियामत के दिन तुम्हें हमारी ही ओर लौटकर आना है। तब हम तुम्हें बताएँगे कि तुम क्या पाप कर रहे थे तथा हम तुम्हें उसका बदला देंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّمَا مَثَلُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا كَمَآءٍ اَنْزَلْنٰهُ مِنَ السَّمَآءِ فَاخْتَلَطَ بِهٖ نَبَاتُ الْاَرْضِ مِمَّا یَاْكُلُ النَّاسُ وَالْاَنْعَامُ ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَخَذَتِ الْاَرْضُ زُخْرُفَهَا وَازَّیَّنَتْ وَظَنَّ اَهْلُهَاۤ اَنَّهُمْ قٰدِرُوْنَ عَلَیْهَاۤ ۙ— اَتٰىهَاۤ اَمْرُنَا لَیْلًا اَوْ نَهَارًا فَجَعَلْنٰهَا حَصِیْدًا كَاَنْ لَّمْ تَغْنَ بِالْاَمْسِ ؕ— كَذٰلِكَ نُفَصِّلُ الْاٰیٰتِ لِقَوْمٍ یَّتَفَكَّرُوْنَ ۟
सांसारिक जीवन का उदाहरण, जिसके आनंद में तुम लीन हो, जल्दी समाप्त होने के मामले में, बारिश के पानी की तरह है, जिससे धरती से उगने वाले पौधे, जिन्हें इनसान भी खाते हैं, जैसे अनाज और फल आदि और पशु भी खाते हैं, जैसे घास आदि, खूब घने होकर निकल आए। यहाँ तक कि जब धरती ने सुंदरता की चादर ओढ़ ली और वह विभिन्न प्रकार के पौधों से सज गई तथा उसके मालिकों ने समझ लिया कि वे धरती की उगाई हुई फसलों को काटने और फलों को तोड़ने में सक्षम हैं, कि अचानक उसे नष्ट करने का हमारा निर्णय आ गया और हमने उसे कटी हुई फ़सल की तरह कर दिया, मानो वह खेत कुछ समय पहले तक पेड़-पौधों से भरा हुआ था ही नहीं। जिस प्रकार हमने तुम्हारे लिए दुनिया की स्थिति और उसके जल्दी ख़त्म होने को खोल-खोलकर बयान किया है, उसी प्रकार हम सोचने और विचार करने वालों के लिए प्रमाणों एवं तर्कों का वर्णन करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاللّٰهُ یَدْعُوْۤا اِلٰی دَارِ السَّلٰمِ ؕ— وَیَهْدِیْ مَنْ یَّشَآءُ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟
अल्लाह सभी लोगों को अपनी जन्नत की ओर बुलाता है, जो कि शांति का घर है, जिसमें लोग विपत्तियों और चिंताओं से सुरक्षित होंगे और मौत से भी महफ़ूज़ रहेंगे। अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, इस्लाम धर्म को अपनाने की तौफ़ीक़ देता है, जो इस शांति के घर की ओर ले जाता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الله أسرع مكرًا بمن مكر بعباده المؤمنين.
• जो लोग अल्लाह के मोमिन बंदों के साथ चालबाज़ी करते हैं, उनके साथ अल्लाह का उपाय अधिक तेज़ है।

• بغي الإنسان عائد على نفسه ولا يضر إلا نفسه.
• इनसान की सरकशी स्वयं उसी पर लौटने वाली है और वह केवल अपना नुक़सान करता है।

• بيان حقيقة الدنيا في سرعة انقضائها وزوالها، وما فيها من النعيم فهو فانٍ.
• दुनिया की इस वास्तविकता का वर्णन कि वह बहुत जल्द समाप्त और ख़त्म हो जाने वाली है और उसमें जो आनंद है, वह नश्वर है।

• الجنة هي مستقر المؤمن؛ لما فيها من النعيم والسلامة من المصائب والهموم.
• मोमिन का ठिकाना जन्नत है; क्योंकि उसमें आनंद तथा विपत्तियों और चिंताओं से सुरक्षा है।

لِلَّذِیْنَ اَحْسَنُوا الْحُسْنٰی وَزِیَادَةٌ ؕ— وَلَا یَرْهَقُ وُجُوْهَهُمْ قَتَرٌ وَّلَا ذِلَّةٌ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَنَّةِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह के अनिवार्य किए हुए पूजा कार्यों (आज्ञाकारिता) को करके, तथा उसके निषिद्ध किए हुए पापों को त्यागकर अच्छा काम किया; उनके लिए सबसे अच्छा बदला अर्थात् जन्नत है, तथा उनके लिए इससे अधिक एक और वस्तु अर्थात् पवित्र अल्लाह के चेहरे के दर्शन का सौभाग्य है। और उनके चेहरों पर न धूल छाएगी और न ही उनपर तिरस्कार व अपमान छाएगा, एहसान के गुण से विशिष्ट यही लोग जन्नत वाले हैं, जिसमें वे सदैव रहेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَالَّذِیْنَ كَسَبُوا السَّیِّاٰتِ جَزَآءُ سَیِّئَةٍ بِمِثْلِهَا ۙ— وَتَرْهَقُهُمْ ذِلَّةٌ ؕ— مَا لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ مِنْ عَاصِمٍ ۚ— كَاَنَّمَاۤ اُغْشِیَتْ وُجُوْهُهُمْ قِطَعًا مِّنَ الَّیْلِ مُظْلِمًا ؕ— اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ ۚ— هُمْ فِیْهَا خٰلِدُوْنَ ۟
और जिन लोगों ने कुफ़्र और पाप जैसे बुरे कर्म किए, उनके लिए उस बुराई का बदला जो उन्होंने किया है, आख़िरत में उसी के समान अल्लाह की सज़ा है, और उनके चेहरों पर तिरस्कार व अपमान छाया होगा। जब अल्लाह उनपर अपनी यातना उतारेगा, तो कोई उन्हें अल्लाह के अज़ाब से बचाने वाला नहीं होगा, मानो कि उनके चेहरों पर अंधेरी रात की तारीकी ओढ़ा दी गई हो। स्याही की यह अधिकता जहन्नम के धुएँ तथा उसकी तारीकी छा जाने के कारण होगी। इन गुणों से विशिष्ट यही लोग जहन्नम वाले हैं, जिसमें वे हमेशा रहेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَوْمَ نَحْشُرُهُمْ جَمِیْعًا ثُمَّ نَقُوْلُ لِلَّذِیْنَ اَشْرَكُوْا مَكَانَكُمْ اَنْتُمْ وَشُرَكَآؤُكُمْ ۚ— فَزَیَّلْنَا بَیْنَهُمْ وَقَالَ شُرَكَآؤُهُمْ مَّا كُنْتُمْ اِیَّانَا تَعْبُدُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप क़ियामत के दिन को याद करें, जब हम सभी प्राणियों को एकत्र करेंगे, फिर हम उन लोगों से कहेंगे, जिन्होंने दुनिया में अल्लाह के साथ शिर्क किया था : (ऐ मुश्रिको!) अपने-अपने स्थान पर ठहरे रहो, तुम भी और तुम्हारे वे पूज्य भी, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूजा करते थे। फिर हम पूज्यों (जिनकी पूजा की जाती थी) और पूजकों (पूजा करने वालों) के बीच अलगाव पैदा कर देंगे। तथा जिनकी पूजा की जाती थी, वे पूजा करने वालों से यह कहते हुए अलग हो जाएँगे : तुम दुनिया में हमारी तो पूजा नहीं करते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَكَفٰی بِاللّٰهِ شَهِیْدًا بَیْنَنَا وَبَیْنَكُمْ اِنْ كُنَّا عَنْ عِبَادَتِكُمْ لَغٰفِلِیْنَ ۟
उस समय उनके वे देवी-देवता, जिनकी उन्होंने अल्लाह के सिवा पूजा की थी, यह कहते हुए अलग हो जाएँगे : अल्लाह गवाह है (और अकेले उसी की गवाही पर्याप्त है) कि हम अपने लिए तुम्हारी पूजा से प्रसन्न नहीं थे। न हमने तुम्हें इसका आदेश दिया था और न हमें तुम्हारी पूजा की ख़बर थी।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُنَالِكَ تَبْلُوْا كُلُّ نَفْسٍ مَّاۤ اَسْلَفَتْ وَرُدُّوْۤا اِلَی اللّٰهِ مَوْلٰىهُمُ الْحَقِّ وَضَلَّ عَنْهُمْ مَّا كَانُوْا یَفْتَرُوْنَ ۟۠
उस महान स्थान में, प्रत्येक व्यक्ति अपने सांसारिक जीवन में किए हुए कामों को जाँच लेगा और बहुदेववादियों को उनके सत्य पालनहार अर्थात अल्लाह की ओर लौटाया जाएगा, जो उनका हिसाब लेगा और उन्होंने अपनी मूर्तियों की सिफारिश की जो झूठी बात गढ़ ली थी, वह उनसे दूर चली जाएगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ مَنْ یَّرْزُقُكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ وَالْاَرْضِ اَمَّنْ یَّمْلِكُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَمَنْ یُّخْرِجُ الْحَیَّ مِنَ الْمَیِّتِ وَیُخْرِجُ الْمَیِّتَ مِنَ الْحَیِّ وَمَنْ یُّدَبِّرُ الْاَمْرَ ؕ— فَسَیَقُوْلُوْنَ اللّٰهُ ۚ— فَقُلْ اَفَلَا تَتَّقُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले इन लोगों से पूछें : वह कौन है, जो आकाश से बारिश बरसाकर तुम्हें जीविका प्रदान करता हैॽ तथा वह कौन है, जो तुम्हें धरती से उसमें उगने वाले पौधों और उसमें पाए जाने वाले खनिजों के साथ जीविका प्रदान करता है? और वह कौन है, जो जीव को निर्जीव से, जैसे मनुष्य को शुक्राणु से और पक्षी को अंडे से निकालता हैॽ तथा वह कौन है, जो निर्जीव को जीव से, जैसे शुक्राणु को जीवधारी से और अंडे को पक्षी से निकालता हैॽ और वह कौन है, जो आकाशों और धरती तथा उनमें रहने वाले प्राणियों के मामलों का प्रबंध करता हैॽ वे अवश्य जवाब देंगे कि इन सब चीज़ों का करने वाला अल्लाह ही है। तो आप उनसे कह दें : क्या तुम लोग इस बात को नहीं जानते और अल्लाह के आदेशों का पालन करके तथा उसके निषेधों से बचकर उससे डरते नहींॽ!
Arabic explanations of the Qur’an:
فَذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبُّكُمُ الْحَقُّ ۚ— فَمَاذَا بَعْدَ الْحَقِّ اِلَّا الضَّلٰلُ ۚ— فَاَنّٰی تُصْرَفُوْنَ ۟
तो (ऐ लोगो!) जो यह सब कर रहा है, वही सत्य अल्लाह तुम्हारा सृजनहार और तुम्हारे मामलों का प्रबंधन करने वाला है। फिर सत्य के ज्ञान के पश्चात् सत्य से दूरी और विनाश के सिवा और क्या रह जाता हैॽ! तो इस स्पष्ट सत्य को छोड़कर तुम्हारी बुद्धि कहाँ चली जाती हैॽ!
Arabic explanations of the Qur’an:
كَذٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَی الَّذِیْنَ فَسَقُوْۤا اَنَّهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
जिस प्रकार अल्लाह के लिए वास्तविक रुबूबियत (प्रतिपालकता) की बात सत्य सिद्ध हो चुकी है, उसी तरह (ऐ रसूल!) हठ के कारण सत्य मार्ग से निकल जाने वालों के प्रति आपके पालनहार की पूर्वनियति वचन भी सत्य होकर रही कि वे लोग ईमान नहीं लाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• أعظم نعيم يُرَغَّب به المؤمن هو النظر إلى وجه الله تعالى.
• सबसे बड़ी नेमत, जिसके द्वारा एक मोमिन को प्रलोभित किया जा सकता है, वह अल्लाह तआला के चेहरे का दर्शन है।

• بيان قدرة الله، وأنه على كل شيء قدير.
• अल्लाह की शक्ति का वर्णन, और यह कि वह सभी चीजों पर सर्वशक्तिमान है।

• التوحيد في الربوبية والإشراك في الإلهية باطل، فلا بد من توحيدهما معًا.
• अल्लाह के एकमात्र रब होने का इक़रार करना और इबादत में किसी और को उसका साझी बनाना अमान्य व अस्वीकार्य है। अतः उसे एक साथ दोनों में एक मानना आवश्यक है।

• إذا قضى الله بعدم إيمان قوم بسبب معاصيهم فإنهم لا يؤمنون.
• यदि अल्लाह किसी क़ौम की अवज्ञा के कारण उसके ईमान न लाने का निर्णय कर दे, तो वह ईमान नहीं ला सकती।

قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَآىِٕكُمْ مَّنْ یَّبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ ؕ— قُلِ اللّٰهُ یَبْدَؤُا الْخَلْقَ ثُمَّ یُعِیْدُهٗ فَاَنّٰی تُؤْفَكُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन बहुदेववादियों से कह दें : क्या तुम्हारे ठहराए हुए साझीदारों में, जिनकी तुम अल्लाह के सिवा पूजा करते हो, कोई ऐसा है, जो पूर्व उदाहरण के बिना उत्पत्ति का आरंभ करे और फिर उसकी मृत्यु के पश्चात् उसे पुनर्जीवित करेॽ आप उनसे कह दें कि अल्लाह ही पूर्व उदाहरण के बिना उत्पत्ति का आरंभ करता है और फिर वही उसकी मृत्यु के पश्चात् उसे पुनर्जीवित करेगा। तो फिर (ऐ बहुदेववादियो!) तुम लोग सत्य से असत्य की ओर कैसे फिरे जा रहे होॽ!
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ هَلْ مِنْ شُرَكَآىِٕكُمْ مَّنْ یَّهْدِیْۤ اِلَی الْحَقِّ ؕ— قُلِ اللّٰهُ یَهْدِیْ لِلْحَقِّ ؕ— اَفَمَنْ یَّهْدِیْۤ اِلَی الْحَقِّ اَحَقُّ اَنْ یُّتَّبَعَ اَمَّنْ لَّا یَهِدِّیْۤ اِلَّاۤ اَنْ یُّهْدٰی ۚ— فَمَا لَكُمْ ۫— كَیْفَ تَحْكُمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : क्या तुम्हारे ठहराए हुए उन साझीदारों में, जिनकी तुम अल्लाह के अलावा पूजा करते हो, कोई ऐसा है, जो सत्य की ओर मार्गदर्शन करेॽ आप उनसे कह दें : केवल अल्लाह ही सत्य की ओर मार्गदर्शन करता है। तो क्या जो लोगों को सीधा रास्ता दिखाए और उसकी ओर लोगों को बुलाए, वह इसका अधिक योग्य है कि उसका अनुसरण किया जाए या कि तुम्हारे वे पूज्य जो स्वयं ही मार्ग नहीं पाते, जबतक कि कोई दूसरा उन्हें मार्ग न दिखा देॽ! फिर तुम्हें क्या हो गया है, तुम कैसे व्यर्थ फ़ैसले करते हो, जब यह दावा करते हो कि वे अल्लाह के साझीदार हैंॽ! अल्लाह तुम्हारे कथन से बहुत ऊँचा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا یَتَّبِعُ اَكْثَرُهُمْ اِلَّا ظَنًّا ؕ— اِنَّ الظَّنَّ لَا یُغْنِیْ مِنَ الْحَقِّ شَیْـًٔا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌۢ بِمَا یَفْعَلُوْنَ ۟
बहुदेववादियों में से अधिकांश लोग केवल उसी का अनुसरण करते हैं जिसका उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। वे केवल भ्रम और संशय का पालन करते हैं। निश्चय संशय न तो ज्ञान का स्थान ले सकता और न ही उससे बेनियाज़ कर सकता है। वे जो कुछ कर रहे हैं, अल्लाह उसे भली-भाँति जानने वाला है। उनके कार्यों में से कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है और वह जल्द ही उन्हें उसका बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا كَانَ هٰذَا الْقُرْاٰنُ اَنْ یُّفْتَرٰی مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلٰكِنْ تَصْدِیْقَ الَّذِیْ بَیْنَ یَدَیْهِ وَتَفْصِیْلَ الْكِتٰبِ لَا رَیْبَ فِیْهِ مِنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟۫
यह क़ुरआन कोई ऐसी किताब नहीं है कि उसे गढ़ लिया जाए और अल्लाह के अलावा किसी और की ओर मंसूब कर दिया जाए, क्योंकि लोग निश्चित रूप से इस क़ुरआन जैसी किताब लाने में असमर्थ हैं। बल्कि यह क़ुरआन उससे पहले उतरने वाली किताबों की पुष्टि करने वाला तथा उन पुस्तकों में सार रूप से वर्णन किए गए अहकाम का विवरण प्रस्तुत करने वाला है। अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सभी प्राणियों के पालनहार सर्वशक्तिमान (अल्लाह) की ओर से उतारा गया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ؕ— قُلْ فَاْتُوْا بِسُوْرَةٍ مِّثْلِهٖ وَادْعُوْا مَنِ اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
बल्कि, क्या ये बहुदेववादी कहते हैं : मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस क़ुरआन को अपनी तरफ़ से गढ़ लिया है और उसे अल्लाह की तरफ़ मंसूब कर दिया है? (ऐ रसूल!) आप उनका खंडन करते हुए कह दें : यदि (तुम्हारे कहने के अनुसार) मैं इसे अपनी तरफ़ से गढ़कर लाया हूँ, जबकि मैं तुम्हारे ही जैसा एक इनसान हूँ, तो तुम इसके समान एक सूरत ही ले आओ और अपनी सहायता के लिए जिसे बुला सकते हो, बुला लो, यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि क़ुरआन मनगढ़ंत और झूठा है। सच्चाई यह है कि तुम ऐसा कभी नहीं कर पाओगे। यदि तुम भाषाविद तथा वाक्पटु होने के बावजूद ऐसा नहीं कर सकते, तो यह इस बात का प्रमाण है कि क़ुरआन अल्लाह की ओर से उतरने वाली पुस्तक है।
Arabic explanations of the Qur’an:
بَلْ كَذَّبُوْا بِمَا لَمْ یُحِیْطُوْا بِعِلْمِهٖ وَلَمَّا یَاْتِهِمْ تَاْوِیْلُهٗ ؕ— كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الظّٰلِمِیْنَ ۟
उन्होंने क़ुरआन को नहीं माना, बल्कि उसको समझने और उसमें मनन-चिंतन करने से पहले ही तथा जिस यातना से उन्हें डराया गया था उसके आने से पूर्व ही उन्होंने इस क़ुरआन को झुठलाने में जल्दी दिखाई, जबकि उस यातना के आने का समय क़रीब हो चुका था। इनके झुठलाने ही की तरह, पिछले समुदायों ने भी झुठलाया था, जिसके कारण उन्हें यातनाओं का सामना करना पड़ा। अतः (ऐ रसूल!) आप सोचें कि उन झुठलाने वाले समुदायों का अंत कैसा रहा? निश्चित रूप से अल्लाह ने उन्हें नष्ट कर दिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یُّؤْمِنُ بِهٖ وَمِنْهُمْ مَّنْ لَّا یُؤْمِنُ بِهٖ ؕ— وَرَبُّكَ اَعْلَمُ بِالْمُفْسِدِیْنَ ۟۠
बहुदेववादियों में से कुछ लोग अपनी मृत्यु से पहले क़ुरआन पर ईमान ले आएँगे और कुछ लोग अपने हठ और अहंकार के कारण मरते दम तक इसपर ईमान नहीं लाएँगे। (ऐ रसूल!) आपका पालनहार कुफ़्र पर जमे रहने वालों को सबसे ज़्यादा जानने वाला है और उन्हें उनके कुफ़्र का बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِنْ كَذَّبُوْكَ فَقُلْ لِّیْ عَمَلِیْ وَلَكُمْ عَمَلُكُمْ ۚ— اَنْتُمْ بَرِیْٓـُٔوْنَ مِمَّاۤ اَعْمَلُ وَاَنَا بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تَعْمَلُوْنَ ۟
यदि (ऐ रसूल!) आपकी क़ौम के लोग आपको झुठलाएँ, तो उनसे कह दें : मेरे लिए मेरे कर्म का सवाब है और मुझे ही अपने कर्म की ज़िम्मेदारी उठानी है और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म का सवाब है और तुम्हें ही उसका दंड झेलना है। जो कुछ मैं कर रहा हूँ उसके दंड से तुम बरी हो और जो कुछ तुम कर रहे हो उसके दंड से मैं बरी हूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّسْتَمِعُوْنَ اِلَیْكَ ؕ— اَفَاَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ وَلَوْ كَانُوْا لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
बहुदेववादियों में से कुछ लोग ऐसे हैं कि जब आप क़ुरआन पढ़ते हैं, तो वे (ऐ रसूल!) आपकी ओर कान लगा लेते हैं, परंतु मानने और पालन करने के उद्देश्य से नहीं। तो क्या आप उन लोगों को सुना सकते हैं, जिनसे सुनने की शक्ति छीन ली गई है?! इसी प्रकार आप इन लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखा सकते, जो सत्य को सुनने से बहरे हैं। अतः वे उसे समझते नहीं हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الهادي إلى الحق هداية التوفيق هو الله وحده دون ما سواه.
• सत्य की ओर मार्गदर्शन की तौफीक़ प्रदान करने वाला एकमात्र अल्लाह है, उसके सिवा कोई और नहीं।

• الحث على تطلب الأدلة والبراهين والهدايات للوصول للعلم والحق وترك الوهم والظن.
• ज्ञान और सत्य तक पहुँचने के लिए साक्ष्यों एवं प्रमाणों तथा मार्गदर्शन तलब करने और भ्रम तथा अनुमान को त्यागने का आग्रह करना।

• ليس في مقدور أحد أن يأتي ولو بآية مثل القرآن الكريم إلى يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन तक कोई भी व्यक्ति क़ुरआन की तरह एक आयत भी नहीं ला सकता।

• سفه المشركين وتكذيبهم بما لم يفهموه ويتدبروه.
• बहुदेववादियों की मूर्खता और उनका उस चीज़ को झुठलाना, जो उनकी समझ में नहीं आई और जिसपर उन्होंने सोच-विचार नहीं किया।

وَمِنْهُمْ مَّنْ یَّنْظُرُ اِلَیْكَ ؕ— اَفَاَنْتَ تَهْدِی الْعُمْیَ وَلَوْ كَانُوْا لَا یُبْصِرُوْنَ ۟
तथा बहुदेववादियों में से कुछ लोग ऐसे हैं, जो (ऐ रसूल!) आपकी ओर केवल अपनी बाह्य दृष्टि से देखते हैं, अपनी अंतर्दृष्टि से नहीं। तो क्या आप उन लोगों को प्रबुद्ध कर सकते हैं, जिन्होंने अपनी दृष्टि खो दी है?! निःसंदेह आप ऐसा नहीं कर सकते। इसी प्रकार आप अंतर्दृष्टि से वंचित व्यक्ति को सीधा मार्ग नहीं दिखा सकते।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ اللّٰهَ لَا یَظْلِمُ النَّاسَ شَیْـًٔا وَّلٰكِنَّ النَّاسَ اَنْفُسَهُمْ یَظْلِمُوْنَ ۟
निःसंदेह अल्लाह अपने बंदों पर अत्याचार करने से पाक है। वह उनपर कणभर भी अत्याचार नहीं करता, परंतु वे स्वयं ही असत्य के पक्षपात, अहंकार और हठ के कारण खुद को विनाश के साधनों में लाकर अपनी जानों पर अत्याचार करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَوْمَ یَحْشُرُهُمْ كَاَنْ لَّمْ یَلْبَثُوْۤا اِلَّا سَاعَةً مِّنَ النَّهَارِ یَتَعَارَفُوْنَ بَیْنَهُمْ ؕ— قَدْ خَسِرَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِلِقَآءِ اللّٰهِ وَمَا كَانُوْا مُهْتَدِیْنَ ۟
और जब क़ियामत के दिन अल्लाह लोगों को हिसाब-किताब के लिए एकत्र करेगा, तो उन्हें लगेगा कि वे अपने दुनिया के जीवन और क़ब्र में केवल दिन की एक घड़ी भर ठहरे थे, उससे ज़्यादा नहीं। वहाँ वे एक-दूसरे को पहचानेंगे। फिर उनके एक-दूसरे को पहचानने का सिलसिला क़ियामत के दिन की भयावहता को देखकर समाप्त हो जाएगा। वास्तव में, वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने क़ियामत के दिन अपने पालनहार से मिलने को झुठलाया तथा वे दुनिया में दोबारा जीवित होने के दिन पर ईमान रखने वाले नहीं थे कि घाटे से बच सकें।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِمَّا نُرِیَنَّكَ بَعْضَ الَّذِیْ نَعِدُهُمْ اَوْ نَتَوَفَّیَنَّكَ فَاِلَیْنَا مَرْجِعُهُمْ ثُمَّ اللّٰهُ شَهِیْدٌ عَلٰی مَا یَفْعَلُوْنَ ۟
और यदि हम (ऐ रसूल!) आपको उस यातना का कुछ हिस्सा जिसका हमने उनसे वादा किया है, आपकी मृत्यु से पहले दिखा दें, या हम आपको उससे पहले मृत्यु दे दें, तो दोनों स्थितियों में उन्हें हमारे पास ही लौटकर आना है। फिर जो कुछ वे कर रहे हैं अल्लाह उससे अवगत है, उससे उनकी कोई चीज़ छिपी नहीं है और वह शीघ्र ही उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلِكُلِّ اُمَّةٍ رَّسُوْلٌ ۚ— فَاِذَا جَآءَ رَسُوْلُهُمْ قُضِیَ بَیْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
पिछले समुदायों में से प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल था, जो उनकी ओर भेजा गया था। फिर जब उस (रसूल) ने उन्हें वह संदेश पहुँचा दिया, जिसे पहुँचाने का उसे आदेश दिया गया था और लोगों ने उसे झुठला दिया, तो उनके तथा रसूल के बीच न्याय के साथ फ़ैसला कर दिया गया। चुनाँचे अल्लाह ने अपनी कृपा से रसूल को बचा लिया और अपने न्याय से उन लोगों को नष्ट कर दिया। तथा उनके कर्मों का बदला देने में उनके साथ कुछ भी अन्याय नहीं किया जाता।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
और ये काफ़िर लोग हठधर्मी करते हुए और चुनौती देते हुए कहते हैं : यदि तुम अपने दावे में सच्चे हो, तो बताओ कि जिस यातना का तुमने हमसे वादा किया था, उसका समय कब आएगा?!
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ لَّاۤ اَمْلِكُ لِنَفْسِیْ ضَرًّا وَّلَا نَفْعًا اِلَّا مَا شَآءَ اللّٰهُ ؕ— لِكُلِّ اُمَّةٍ اَجَلٌ ؕ— اِذَا جَآءَ اَجَلُهُمْ فَلَا یَسْتَاْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا یَسْتَقْدِمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : मैं स्वयं अपने लिए न किसी हानि का मालिक हूँ कि स्वयं को उससे नुक़सान पहुँचाऊँ या ख़ुद से उसे हटा सकूँ, और न ही किसी लाभ का मालिक हूँ कि उससे स्वयं को फायदा पहुँचाऊँ। तो मैं किसी और को कैसे फायदा या नुक़सान पहुँचा सकता हूँ? सिवाय उसके जो अल्लाह उसमें से चाहे, तो फिर मैं उसके ग़ैब की बातों को कैसे जान सकता हूँ? प्रत्येक समुदाय, जिसे अल्लाह ने विनाश की धमकी दी है, उसके विनाश का एक समय निर्धारित है, जिसका ज्ञान केवल अल्लाह को है। अतः जब उसके विनाश का समय आ जाता है, तो वे उससे न कुछ पीछे रह सकते हैं और न आगे बढ़ सकते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ اِنْ اَتٰىكُمْ عَذَابُهٗ بَیَاتًا اَوْ نَهَارًا مَّاذَا یَسْتَعْجِلُ مِنْهُ الْمُجْرِمُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप यातना की जल्दी मचाने वालों से कह दें : मुझे बताओ कि यदि तुमपर अल्लाह की यातना रात या दिन के किसी समय आ जाए, तो आख़िर कौन-सी चीज़ है, जिसे तुम इस यातना से जल्दी चाहते हो?!
Arabic explanations of the Qur’an:
اَثُمَّ اِذَا مَا وَقَعَ اٰمَنْتُمْ بِهٖ ؕ— آٰلْـٰٔنَ وَقَدْ كُنْتُمْ بِهٖ تَسْتَعْجِلُوْنَ ۟
क्या जिस यातना का तुमसे वादा किया गया है, उसके तुम्हारे ऊपर घटित हो जाने के बाद तुम ईमान लाओगे, जबकि उस समय किसी व्यक्ति को उसका ईमान लाभ नहीं देगा, जो उससे पहले ईमान नहीं लाया था? क्या तुम अब ईमान ला रहे हो, हालाँकि इससे पहले तुम यातना के लिए उसे झुठलाने के तौर पर जल्दी मचाया करते थे?!
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ قِیْلَ لِلَّذِیْنَ ظَلَمُوْا ذُوْقُوْا عَذَابَ الْخُلْدِ ۚ— هَلْ تُجْزَوْنَ اِلَّا بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُوْنَ ۟
फिर उन्हें यातना में डाले जाने और उनकी ओर से उससे बाहर निकलने की माँग किए जाने के पश्चात उनसे कहा जाएगा : आख़िरत की स्थायी यातना का स्वाद चखो। क्या जो कुफ़्र और पाप तुम किया करते थे, तुम्हें उसके अलावा किसी और चीज़ का बदला दिया जाएगा?!
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَسْتَنْۢبِـُٔوْنَكَ اَحَقٌّ هُوَ ؔؕ— قُلْ اِیْ وَرَبِّیْۤ اِنَّهٗ لَحَقٌّ ؔؕ— وَمَاۤ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِیْنَ ۟۠
और (ऐ रसूल!) बहुदेववादी लोग आपसे पूछते हैं : क्या यह यातना, जिसका हमसे वादा किया गया है, सत्य है? आप उनसे कह दें : हाँ, (अल्लाह की क़सम!) निश्चय यह बिल्कुल सत्य है और तुम उससे बच नहीं सकते हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الإنسان هو الذي يورد نفسه موارد الهلاك، فالله مُنَزَّه عن الظلم.
• मनुष्य स्वयं ही अपने आपको विनाश की जगहों में लाता है, क्योंकि अल्लाह अत्याचार से परे है।

• مهمة الرسول هي التبليغ للمرسل إليهم، والله يتولى حسابهم وعقابهم بحكمته، فقد يعجله في حياة الرسول أو يؤخره بعد وفاته.
• रसूल का कार्य उन लोगों को अल्लाह का संदेश पहुँचा देना है, जिनकी ओर उसे भेजा गया है, जबकि अल्लाह उनके हिसाब का प्रभार लेता है और अपनी हिकमत के अनुसार उन्हें दंडित करता है। चुनाँचे कभी रसूल के जीवनकाल ही में दंडित कर देता है और कभी उसकी मृत्यु के बाद विलंबित कर देता है।

• النفع والضر بيد الله عز وجل، فلا أحد من الخلق يملك لنفسه أو لغيره ضرًّا ولا نفعًا.
• लाभ और हानि सर्वशक्तिमान अल्लाह के हाथ में है। अतः सृष्टि में से कोई भी अपने लिए या दूसरों के लिए हानि या लाभ का अधिकार नहीं रखता।

• لا ينفع الإيمان صاحبه عند معاينة الموت.
•मृत्यु को देखकर ईमान लाने से इनसान को कोई फ़ायदा नहीं होगा।

وَلَوْ اَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍ ظَلَمَتْ مَا فِی الْاَرْضِ لَافْتَدَتْ بِهٖ ؕ— وَاَسَرُّوا النَّدَامَةَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَ ۚ— وَقُضِیَ بَیْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟
यदि अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को धरती का सारा बहुमूल्य धन प्राप्त हो जाए, तो वह उसे अपने आपको अल्लाह की यातना से छुड़ाने के बदले में दे देगा, यदि उसे ऐसा करने का अवसर प्रदान किया जाए। तथा बहुदेववादी लोग जब क़ियामत के दिन यातना को देखेंगे, तो अपने अविश्वास पर पछतावे को छिपाएँगे। और अल्लाह उनके बीच न्याय के साथ फ़ैसला कर देगा और उनपर अत्याचार नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें उनके कर्मों का बदला दिया जाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَاۤ اِنَّ لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
सुन लो! जो कुछ आकाशों में है उसका मालिक और जो कुछ धरती में है उसका मालिक केवल अल्लाह है। याद रखो! निःसंदेह काफिरों को दंडित करने का अल्लाह का वादा सच्चा है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। परंतु अधिकांश लोग इस बात को नहीं जानते। अतः वे (इसके बारे में) संदेह करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُوَ یُحْیٖ وَیُمِیْتُ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
वही पवित्र अल्लाह मरे हुए लोगों को जीवित करता है और जीवित लोगों को मौत देता है तथा क़ियामत के दिन तुम सब उसी की ओर लौटाए जाओगे। फिर वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ قَدْ جَآءَتْكُمْ مَّوْعِظَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَشِفَآءٌ لِّمَا فِی الصُّدُوْرِ ۙ۬— وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّلْمُؤْمِنِیْنَ ۟
ऐ लोगो! तुम्हारे पास क़ुरआन आ गया है, जिसमें सदुपदेश, प्रोत्साहन और डरावा है। तथा वह दिलों के अंदर मौजूद संशय और शंका की बीमारी का इलाज, और सत्य के रास्ते के लिए मार्गदर्शन है, तथा उसमें ईमान वालों के लिए दया है; क्योंकि वही उससे लाभ उठाते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ بِفَضْلِ اللّٰهِ وَبِرَحْمَتِهٖ فَبِذٰلِكَ فَلْیَفْرَحُوْا ؕ— هُوَ خَیْرٌ مِّمَّا یَجْمَعُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप लोगों से कह दें : मैं जो क़ुरआन तुम्हारे पास लेकर आया हूँ, वह अल्लाह की तरफ़ से तुमपर एक अनुकंपा और दया है। अतः अल्लाह ने इस क़ुरआन को उतारकर तुमपर जो अनुकंपा और दया की है, उसपर प्रसन्न हो, इनके सिवा किसी और बात पर नहीं। क्योंकि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो कुछ अपने पालनहार की तरफ़ से उनके पास लेकर आए हैं, वह दुनिया की उस नश्वर सामग्री से उत्तम है, जिसे वे इकट्ठा कर रहे हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ اَرَءَیْتُمْ مَّاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ لَكُمْ مِّنْ رِّزْقٍ فَجَعَلْتُمْ مِّنْهُ حَرَامًا وَّحَلٰلًا ؕ— قُلْ آٰللّٰهُ اَذِنَ لَكُمْ اَمْ عَلَی اللّٰهِ تَفْتَرُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन मुश्रिकों (बहुदेववादियों) से कह दें : मुझे इस बारे में बताओ कि अल्लाह ने जो रोज़ी उतारकर तुमपर उपकार किया है, फिर तुमने उसमें अपनी इच्छाओं से काम लेते हुए कुछ को हराम ठहरा लिया है और कुछ को हलाल। आप उनसे पूछें : क्या जिन चीज़ों को तुमने हलाल ठहराया है, उन्हें हलाल ठहराने तथा जिन चीज़ों को तुमने हराम ठहराया है, उन्हें हराम ठहराने की अल्लाह ने तुम्हें अनुमति प्रदान की है, या तुम लोग अल्लाह पर झूठ गढ़ते हो?!
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا ظَنُّ الَّذِیْنَ یَفْتَرُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَذُوْ فَضْلٍ عَلَی النَّاسِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَشْكُرُوْنَ ۟۠
जो लोग अल्लाह पर झूठ गढ़ते हैं, वे क्या सोचते हैं कि क़ियामत के दिन उनके साथ क्या कुछ होने वाला है?! क्या वे यह समझते है कि उन्हें क्षमा कर दिया जाएगा?! यह बहुत दूर की बात है। वास्तव में अल्लाह लोगों पर बड़ा कृपालु है कि उन्हें मोहलत देता है और उन्हें दंड देने में जल्दी नहीं करता। परंतु उनमें से अधिकांश लोग अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों का इनकार करने वाले हैं। अतः वे उनके प्रति आभारी नहीं होते।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا تَكُوْنُ فِیْ شَاْنٍ وَّمَا تَتْلُوْا مِنْهُ مِنْ قُرْاٰنٍ وَّلَا تَعْمَلُوْنَ مِنْ عَمَلٍ اِلَّا كُنَّا عَلَیْكُمْ شُهُوْدًا اِذْ تُفِیْضُوْنَ فِیْهِ ؕ— وَمَا یَعْزُبُ عَنْ رَّبِّكَ مِنْ مِّثْقَالِ ذَرَّةٍ فِی الْاَرْضِ وَلَا فِی السَّمَآءِ وَلَاۤ اَصْغَرَ مِنْ ذٰلِكَ وَلَاۤ اَكْبَرَ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ مُّبِیْنٍ ۟
(ऐ रसूल!) आप जिस कार्य में भी होते हैं और क़ुरआन में से जो कुछ भी पढ़ते हैं, तथा (ऐ मोमिनों!) तुम जो काम भी करते हो, हम तुम्हें जानते हुए देख रहे होते हैं और तुम्हें सुन रहे होते हैं, जब तुम कार्य करना शुरू करते हो। तुम्हारे पालनहार के ज्ञान से आकाश या धरती में कणभर भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं होती। तथा इससे कम वज़न या इससे अधिक वज़न की कोई चीज़ नहीं है, परंतु वह एक स्पष्ट पुस्तक में दर्ज है, जो न कोई छोटी बात छोड़ती है और न बड़ी, बल्कि सबको अपने अंदर समाहित कर रखा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• عظم ما ينتظر المشركين بالله من عذاب، حتى إنهم يتمنون دفعه بكل ما في الأرض، ولن يُقْبلَ منهم.
• उस यातना की भयंकरता, जो अल्लाह के साथ शिर्क करने वालों की प्रतीक्षा कर रही है, यहाँ तक कि वे धरती पर मौजूद सभी चीज़ों के द्वारा उसे हटाने की कामना करेंगे, परंतु वह उनसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

• القرآن شفاء للمؤمنين من أمراض الشهوات وأمراض الشبهات بما فيه من الهدايات والدلائل العقلية والنقلية.
• क़ुरआन ईमान वालों के लिए उसमें मौजूद मार्गदर्शन और बौद्धिक एवं धार्मिक प्रमाणों से वासनाओं और संदेहों के रोगों का उपचार है।

• ينبغي للمؤمن أن يفرح بنعمة الإسلام والإيمان دون غيرهما من حطام الدنيا.
• मोमिन को चाहिए कि वह सांसारिक सामग्रियों के बजाय इस्लाम और ईमान की नेमत पर प्रसन्न हो।

• دقة مراقبة الله لعباده وأعمالهم وخواطرهم ونياتهم.
• अल्लाह अपने बंदों तथा उनके कर्मों, विचारों और इरादों का सूक्ष्म निरीक्षण करता है।

اَلَاۤ اِنَّ اَوْلِیَآءَ اللّٰهِ لَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟ۚ
सुन लो! निःसंदेह अल्लाह के मित्रों को न भविष्य में क़ियामत की भयावहता का डर होगा और न वे दुनिया के छूट जाने वाले आनंद पर शोकाकुल होंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَكَانُوْا یَتَّقُوْنَ ۟ؕ
ये अल्लाह के मित्र वे लोग हैं, जो अल्लाह पर और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर ईमान रखते थे तथा अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَهُمُ الْبُشْرٰی فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَفِی الْاٰخِرَةِ ؕ— لَا تَبْدِیْلَ لِكَلِمٰتِ اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟ؕ
उनके लिए, उनके पालनहार की ओर से, दुनिया में प्रसन्नता प्रदान करने वाले अच्छे स्वप्न या लोगों की प्रशंसा के रूप में शुभ-सूचना है, तथा उनके लिए फ़रिश्तों की ओर से शुभ समाचार है जब उनके प्राण निकाले जाते हैं, तथा मृत्यु के बाद एवं प्रलय के दिन। अल्लाह ने उनसे जो वादा किया है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। यह प्रतिफल ही महान सफलता है; क्योंकि इसमें उद्देश्य की प्राप्ति एवं भय से मुक्ति है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَا یَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ— اِنَّ الْعِزَّةَ لِلّٰهِ جَمِیْعًا ؕ— هُوَ السَّمِیْعُ الْعَلِیْمُ ۟
(ऐ रसूल!) ये लोग आपके धर्म के बारे में जो तिरस्कार और लांछन की बातें करते हैं, आप उससे दुःखी न हों। निःसंदेह समस्त प्रभुत्व एवं आधिपत्य अल्लाह ही के लिए है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। वह उनकी बातों का सुनने वाला और उनके कार्यों का जानने वाला है और जल्द ही उन्हें उसका बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَاۤ اِنَّ لِلّٰهِ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَمَنْ فِی الْاَرْضِ ؕ— وَمَا یَتَّبِعُ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ شُرَكَآءَ ؕ— اِنْ یَّتَّبِعُوْنَ اِلَّا الظَّنَّ وَاِنْ هُمْ اِلَّا یَخْرُصُوْنَ ۟
सुन लो! जो कोई आकाशों में है और जो कोई धरती में है, सब का मालिक एकमात्र अल्लाह है। और ये बहुदेववादी लोग जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे साझीदारों की पूजा करते हैं, वे किस चीज़ का अनुसरण कर रहे हैं?! वास्तव में, वे केवल संदेह का पालन करते हैं, तथा अपने साझीदारों की अल्लाह की ओर निसबत करनें में मात्र झूठ बोल रहे हैं। अल्लाह उनकी बातों से सर्वोच्च एवं महान है।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُوَ الَّذِیْ جَعَلَ لَكُمُ الَّیْلَ لِتَسْكُنُوْا فِیْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًا ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّقَوْمٍ یَّسْمَعُوْنَ ۟
वही अकेला है, जिसने (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए रात बनाई, ताकि तुम उसमें हरकत (चलने-फिरने) और थकान से आराम पा सको और दिन को प्रकाशमान बनाया, ताकि उसमें जीवनयापन के लिए लाभदायक वस्तुओं की तलाश में दौड़-धूप कर सको। निःसंदेह इसमें उन लोगों के लिए स्पष्ट निशानियाँ हैं, जो मानने और स्वीकार करने के उद्देश्य से सुनते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًا سُبْحٰنَهٗ ؕ— هُوَ الْغَنِیُّ ؕ— لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— اِنْ عِنْدَكُمْ مِّنْ سُلْطٰنٍ بِهٰذَا ؕ— اَتَقُوْلُوْنَ عَلَی اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ ۟
बहुदेववादियों के एक समूह ने कहा : अल्लाह ने फ़रिश्तों को अपनी पुत्रियाँ बनाया है! अल्लाह उनके इस बात से पवित्र है। वह पवित्र अल्लाह अपनी सभी सृष्टियों से बेनियाज़ है। जो कुछ अकाशों में है और जो कुछ धरती में है, सबका मालिक वही है। तुम्हारे पास (ऐ बहुदेववादियो!) तुम्हारे इस कथन का कोई प्रमाण नहीं है। क्या तुम बिना किसी प्रमाण के अल्लाह पर एक गंभीर बात कहते हो - कि तुम उसकी ओर संतान की निसबत करते हो - जिसकी सच्चाई तुम नहीं जानते?!
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ اِنَّ الَّذِیْنَ یَفْتَرُوْنَ عَلَی اللّٰهِ الْكَذِبَ لَا یُفْلِحُوْنَ ۟ؕ
(ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : निःसंदेह जो लोग अल्लाह की ओर संतान की निसबत करके उसपर झूठ गढ़ते हैं, वे अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं होंगे और न उस चीज़ से मुक्ति पा सकेंगे, जिससे वे डर रहे हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
مَتَاعٌ فِی الدُّنْیَا ثُمَّ اِلَیْنَا مَرْجِعُهُمْ ثُمَّ نُذِیْقُهُمُ الْعَذَابَ الشَّدِیْدَ بِمَا كَانُوْا یَكْفُرُوْنَ ۟۠
अतः वे संसार की सुख-सामग्रियों और नेमतों का जो आनंद ले रहे हैं, उससे धोखा न खाएँ। क्योंकि यह एक क्षणभंगुर थोड़ा-सा सुख है। फिर उन्हें क़ियामत के दिन हमारे ही पास लौटना है। फिर हम उन्हें उनके अल्लाह का इनकार करने और उसके रसूल को झुठलाने के कारण कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• ولاية الله تكون لمن آمن به، وامتثل أوامره، واجتنب نواهيه، واتبع رسوله صلى الله عليه وسلم، وأولياء الله هم الآمنون يوم القيامة، ولهم البشرى في الدنيا إما بالرؤيا الصالحة أو عند الموت.
• अल्लाह की मित्रता उसे प्राप्त होती है, जो उसपर ईमान लाता है, उसकी आज्ञाओं का पालन करता है, उसके निषेधों से बचता है और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण करता है। अल्लाह के मित्र (औलिया) ही क़ियामत के दिन सुरक्षित रहेंगे, तथा उनके लिए इस दुनिया में या तो अच्छे स्वप्न के ज़रिए या मौत के समय शुभ समाचार है।

• العزة لله جميعًا وحده ؛ فهو مالك الملك، وما عُبِد من دون الله لا حقيقة له.
• सारी महिमा केवल अल्लाह की है। क्योंकि वही राज्य का स्वामी है। तथा अल्लाह के अतिरिक्त जिसकी पूजा की जाती है, उसकी कोई सच्चाई नहीं है।

• الحث على التفكر في خلق الله؛ لأن ذلك يقود إلى الإيمان به وتوحيده.
• अल्लाह की सृष्टि पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहन; क्योंकि यह अल्लाह पर ईमान लाने और उसे एकमात्र पूज्य मानने की ओर ले जाता है।

• حرمة الكذب على الله عز وجل، وأن صاحبه لن يفلح، ومن أعظم الكذب نسبة الولد له سبحانه.
• अल्लाह पर झूठ बोलना हराम है और ऐसा करने वाला कभी सफल नहीं होगा। और एक सबसे बड़ा झूठ अल्लाह की ओर संतान की निसबत करना है।

وَاتْلُ عَلَیْهِمْ نَبَاَ نُوْحٍ ۘ— اِذْ قَالَ لِقَوْمِهٖ یٰقَوْمِ اِنْ كَانَ كَبُرَ عَلَیْكُمْ مَّقَامِیْ وَتَذْكِیْرِیْ بِاٰیٰتِ اللّٰهِ فَعَلَی اللّٰهِ تَوَكَّلْتُ فَاَجْمِعُوْۤا اَمْرَكُمْ وَشُرَكَآءَكُمْ ثُمَّ لَا یَكُنْ اَمْرُكُمْ عَلَیْكُمْ غُمَّةً ثُمَّ اقْضُوْۤا اِلَیَّ وَلَا تُنْظِرُوْنِ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन झुठलाने वाले मुश्रिकों (बहुदेववादियों) को नूह अलैहिस्सलाम का वृत्तांत सुनाएँ, जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यदि मेरा तुम्हारे बीच खड़ा होना तुमपर भारी लगता है तथा मेरा अल्लाह की आयतों द्वारा उपदेश देना और नसीहत करना तुम्हारे लिए कष्ट का कारण बन गया है, और तुमने मेरी हत्या का संकल्प कर लिया है, तो मैंने तुम्हारी साजिश को विफल करने में केवल अल्लाह पर भरोसा किया है। अतः तुम अपना मामला सुनिश्चित कर लो और मुझे मारने का पक्का इरादा कर लो, तथा मदद के लिए अपने देवी-देवताओं को भी बुला लो। फिर अपनी साजिश को एक अस्पष्ट रहस्य न रखो और फिर मुझे मारने की योजना बनाने के बाद जो तुम्हारे दिल में है, उसे कर डालो और मुझे एक क्षण के लिए भी मोहलत न दो।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاِنْ تَوَلَّیْتُمْ فَمَا سَاَلْتُكُمْ مِّنْ اَجْرٍ ؕ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلَی اللّٰهِ ۙ— وَاُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْمُسْلِمِیْنَ ۟
यदि तुमने मेरे (अल्लाह के धर्म की ओर) बुलावे से मुँह फेर लिया, तो तुम जानते हो कि मैंने तुम्हें अपने पालनहार का संदेश पहुँचाने पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगा है। तुम लोग मुझपर ईमान लाओ या कुफ़्र करो, मेरा सवाब (बदला) अल्लाह के ज़िम्मे है। अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं उन लोगों में से हो जाऊँ, जो आज्ञाकारित और सत्कर्म के साथ उसके अधीन रहने वाले हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَكَذَّبُوْهُ فَنَجَّیْنٰهُ وَمَنْ مَّعَهٗ فِی الْفُلْكِ وَجَعَلْنٰهُمْ خَلٰٓىِٕفَ وَاَغْرَقْنَا الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا ۚ— فَانْظُرْ كَیْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِیْنَ ۟
फिर भी उनकी क़ौम ने उन्हें झुठलाया और उनको सच्चा नहीं माना। अतः हमने उन्हें और उनके साथ नाव में सवार मोमिनों को बचा लिया और उन्हें उनसे पहले के लोगों का उत्तराधिकारी बना दिया। तथा जिन लोगों ने उनकी लाई हुई निशानियों और प्रमाणों को झुठलाया था, हमने उन्हें तूफ़ान (बाढ़) के द्वारा नष्ट कर दिया। अतः (ऐ रसूल!) आप सोचें कि जिन लोगों को नूह अलैहिस्सलाम ने सचेत किया था, पर वे ईमान नहीं लाए, उनका अंतिम परिणाम क्या हुआ?
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْ بَعْدِهٖ رُسُلًا اِلٰی قَوْمِهِمْ فَجَآءُوْهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَمَا كَانُوْا لِیُؤْمِنُوْا بِمَا كَذَّبُوْا بِهٖ مِنْ قَبْلُ ؕ— كَذٰلِكَ نَطْبَعُ عَلٰی قُلُوْبِ الْمُعْتَدِیْنَ ۟
फिर कुछ समय के बाद, हमने नूह अलैहिस्सलाम के पश्चात् बहुत-से रसूल उनकी क़ौमों की ओर भेजे। तो वे रसूल अपने समुदायों के पास निशानियों और प्रमाणों के साथ आए। परंतु रसूलों को झुठलाने के उनके पिछले आग्रह के कारण उनमें ईमान लाने की कोई इच्छा नहीं थी। अतः अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी। जिस प्रकार हमने पिछले रसूलों के अनुयायियों के दिलों पर मुहर लगा दी थी, उसी प्रकार हम हर समय और जगह में उन काफ़िरों के दिलों पर मुहर लगा देते हैं, जो कुफ़्र के साथ अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करने वाले हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ مُّوْسٰی وَهٰرُوْنَ اِلٰی فِرْعَوْنَ وَمَلَاۡىِٕهٖ بِاٰیٰتِنَا فَاسْتَكْبَرُوْا وَكَانُوْا قَوْمًا مُّجْرِمِیْنَ ۟
फिर कुछ समय के बाद, हमने इन रसूलों के पश्चात मूसा और उनके भाई हारून अलैहिमस्सलाम को मिस्र के राजा फ़िरऔन और उसकी क़ौम के सरदारों की ओर भेजा। हमने उन दोनों को उनकी सत्यता को दर्शाने वाली निशानियों के साथ भेजा था। परंतु उन्होंने घमंड के कारण उन दोनों के लाए हुए धर्म को मानने से इनकार कर दिया। दरअसल, वे अल्लाह के साथ कुफ़्र करने और उसके रसूलों को झुठलाने के कारण अपराधी लोग थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَمَّا جَآءَهُمُ الْحَقُّ مِنْ عِنْدِنَا قَالُوْۤا اِنَّ هٰذَا لَسِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟
फिर जब फिरऔन और उसकी क़ौम के सरदारों के पास वह धर्म आ गया, जिसे मूसा और हारून अलैहिमस्सलाम लेकर आए थे, तो उन लोगों ने मूसा अलैहिस्सलाम के लाए हुए धर्म की सत्यता को दर्शाने वाली निशानियों के बारे में कहा : निःसंदेह यह तो खुला जादू है, यह सत्य नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ مُوْسٰۤی اَتَقُوْلُوْنَ لِلْحَقِّ لَمَّا جَآءَكُمْ ؕ— اَسِحْرٌ هٰذَا ؕ— وَلَا یُفْلِحُ السّٰحِرُوْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने उनकी निंदा करते हुए कहा : क्या तुम सत्य के बारे में, जबकि वह तुम्हारे पास आ गया है, ऐसा कहते हो कि वह जादू है?! कदापि नहीं, वह जादू नहीं है। निश्चय मैं जानता हूँ कि जादूगर कभी सफल नहीं होता। फिर मैं इसका उपयोग कैसे कर सकता हूँ?!
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالُوْۤا اَجِئْتَنَا لِتَلْفِتَنَا عَمَّا وَجَدْنَا عَلَیْهِ اٰبَآءَنَا وَتَكُوْنَ لَكُمَا الْكِبْرِیَآءُ فِی الْاَرْضِ ؕ— وَمَا نَحْنُ لَكُمَا بِمُؤْمِنِیْنَ ۟
फिरऔन की क़ौम ने मूसा अलैहिस्सलाम को यह कहते हुए उत्तर दिया : क्या तुम इस जादू के साथ हमारे पास इसलिए आए हो, ताकि हमें उस धर्म से फेर दो, जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है, तथा तुम्हें और तुम्हारे भाई को राज्य प्राप्त हो जाए? हम (ऐ मूसा और हारून!) तुम्हारे लिए इस बात को स्वीकार करने वाले नहीं हैं कि तुम दोनों हमारी तरफ़ भेजे गए रसूल (संदेष्टा) हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• سلاح المؤمن في مواجهة أعدائه هو التوكل على الله.
• अपने शत्रुओं का सामना करते समय मोमिन का हथियार अल्लाह पर भरोसा करना है।

• الإصرار على الكفر والتكذيب بالرسل يوجب الختم على القلوب فلا تؤمن أبدًا.
• कुफ़्र और रसूलों को झुठलाने पर अड़े रहना दिलों पर मुहर लगने का कारण है। इसलिए ऐसे लोग कभी ईमान नहीं लाएँगे।

• حال أعداء الرسل واحد، فهم دائما يصفون الهدى بالسحر أو الكذب.
• रसूलों के दुश्मनों की स्थिति एक जैसी होती है, वे मार्गदर्शन को हमेशा जादू या झूठ बताते हैं।

• إن الساحر لا يفلح أبدًا.
• जादूगर कभी सफल नहीं होता।

وَقَالَ فِرْعَوْنُ ائْتُوْنِیْ بِكُلِّ سٰحِرٍ عَلِیْمٍ ۟
फ़िरऔन ने अपनी क़ौम से कहा : मेरे पास हर ऐसे जादूगर को लेकर आओ, जिसे जादू में महारत हासिल हो और उसमें निपुण हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَمَّا جَآءَ السَّحَرَةُ قَالَ لَهُمْ مُّوْسٰۤی اَلْقُوْا مَاۤ اَنْتُمْ مُّلْقُوْنَ ۟
जब वे फ़िरऔन के पास जादूगरों को ले आए, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने उनपर अपनी जीत के बारे में आश्वस्त होकर उनसे कहा : (ऐ जादूगरो!) तुम्हें जो कुछ डालना है, डालो।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَمَّاۤ اَلْقَوْا قَالَ مُوْسٰی مَا جِئْتُمْ بِهِ ۙ— السِّحْرُ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ سَیُبْطِلُهٗ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُصْلِحُ عَمَلَ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
फिर जब उन्होंने अपने पास मौजूद जादू को फेंक दिया, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : जो कुछ तुमने दिखाया है, वह जादू है। निःसंदेह अल्लाह, जो कुछ तुमने किया है, उसे इस तरह विनष्ट कर देगा कि उसका कोई निशान नहीं रहेगा। वास्तव में, तुम लोग अपने जादू द्वारा धरती में बिगाड़ पैदा करने वाले हो, और अल्लाह बिगाड़ पैदा करने वाले के कार्य को नहीं सुधारता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیُحِقُّ اللّٰهُ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ وَلَوْ كَرِهَ الْمُجْرِمُوْنَ ۟۠
अल्लाह अपने पूर्वनियति शब्दों के साथ तथा अपने शरई शब्दों में विद्यमान प्रमाणों एवं तर्कों के साथ सत्य को स्थापित और सशक्त कर देता है, भले ही फिरऔनियों के अपराधी काफिरों को बुरा लगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَمَاۤ اٰمَنَ لِمُوْسٰۤی اِلَّا ذُرِّیَّةٌ مِّنْ قَوْمِهٖ عَلٰی خَوْفٍ مِّنْ فِرْعَوْنَ وَمَلَاۡىِٕهِمْ اَنْ یَّفْتِنَهُمْ ؕ— وَاِنَّ فِرْعَوْنَ لَعَالٍ فِی الْاَرْضِ ۚ— وَاِنَّهٗ لَمِنَ الْمُسْرِفِیْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम ने मुँह फेरने की ठान रखी थी। चुनाँचे मूसा अलैहिस्सलाम पर (उनके प्रत्यक्ष निशानियों और स्पष्ट प्रमाणों को लाने के बाद भी) उनकी क़ौम बनू इसराईल के केवल कुछ युवाओं ने विश्वास किया, जबकि वे फ़िरऔन और उसकी क़ौम के सरदारों से डरे हुए थे कि उनका मामला अगर प्रकाश में आ गया, तो वे उन्हें यातना में डालकर उन्हें उनके ईमान से विचलित न कर दें। दरअसल, फिरऔन अभिमानी तथा मिस्र और उसके लोगों पर हावी व मुसल्लत था। तथा निःसंदेह वह कुफ़्र, बनू इसराईल की हत्या करने और उन्हें यातना देने में हद से आगे बढ़ा हुआ था।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَقَالَ مُوْسٰی یٰقَوْمِ اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ فَعَلَیْهِ تَوَكَّلُوْۤا اِنْ كُنْتُمْ مُّسْلِمِیْنَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने अपनी क़ौम से कहा : ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यदि तुम अल्लाह पर सच्चा ईमान रखते हो, तो केवल अल्लाह ही पर भरोसा करो, अगर तुम आज्ञाकारी हो। क्योंकि अल्लाह पर भरोसा तुमसे बुराई को दूर कर देगा और तुम्हारे लिए भलाई लाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَقَالُوْا عَلَی اللّٰهِ تَوَكَّلْنَا ۚ— رَبَّنَا لَا تَجْعَلْنَا فِتْنَةً لِّلْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
तो उन्होंने मूसा अलैहिस्सलाम को जवाब देते हुए कहा : हमने केवल अल्लाह पर भरोसा किया है। ऐ हमारे पालनहार! तू हमपर अत्याचारियों को प्रभुत्व प्रदान न कर कि वे यातना, हत्या और प्रलोभन द्वारा हमें हमारे धर्म से भटका दें।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَنَجِّنَا بِرَحْمَتِكَ مِنَ الْقَوْمِ الْكٰفِرِیْنَ ۟
और (ऐ हमारे पालनहार!) अपनी दया से हमें फ़िरऔन की काफ़िर क़ौम के हाथों से मुक्ति प्रदान कर, क्योंकि उन्होंने हमें गुलाम बनाकर रखा है और हमें यातना और हत्या द्वारा प्रताड़ित किया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَوْحَیْنَاۤ اِلٰی مُوْسٰی وَاَخِیْهِ اَنْ تَبَوَّاٰ لِقَوْمِكُمَا بِمِصْرَ بُیُوْتًا وَّاجْعَلُوْا بُیُوْتَكُمْ قِبْلَةً وَّاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ ؕ— وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟
और हमने मूसा और उनके भाई हारून अलैहिमस्सलाम की ओर वह़्य (प्रकाशना) भेजी कि तुम दोनों अपनी क़ौम के लिए मिस्र में एक अल्लाह की उपासना हेतु कुछ घर बनाओ और अपने घरों का रुख क़िबला (बैतुल मक़्दिस) की दिशा में रखो तथा संपूर्ण रूप से नमाज़ अदा करो। तथा (ऐ मूसा!) आप ईमान वालों को यह प्रसन्नतापूर्ण सूचना दे दें कि अल्लाह उनकी मदद करेगा, उन्हें समर्थन देगा, उनके दुश्मनों का विनाश करेगा और उन्हें धर्ती में ख़लीफा (उत्तराधिकारी) बनाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَقَالَ مُوْسٰی رَبَّنَاۤ اِنَّكَ اٰتَیْتَ فِرْعَوْنَ وَمَلَاَهٗ زِیْنَةً وَّاَمْوَالًا فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۙ— رَبَّنَا لِیُضِلُّوْا عَنْ سَبِیْلِكَ ۚ— رَبَّنَا اطْمِسْ عَلٰۤی اَمْوَالِهِمْ وَاشْدُدْ عَلٰی قُلُوْبِهِمْ فَلَا یُؤْمِنُوْا حَتّٰی یَرَوُا الْعَذَابَ الْاَلِیْمَ ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : ऐ हमारे पालनहार! तूने फ़िरऔन और उसकी क़ौम की अशराफिया को दुनिया की चमक-दमक और शोभा-सामग्री प्रदान की है और उन्हें इस सांसारिक जीवन में धन-संपत्ति दी है, परंतु जो कुछ तूने उन्हें दिया उसके लिए उन्होंने तेरा शुक्रिया अदा नहीं किया। बल्कि उन्होंने उनका इस्तेमाल तेरे रास्ते से लोगों को भटकाने के लिए किया। ऐ हमारे रब! उनके धन को तबाह और नष्ट कर दे और उनके हृदय को इतना कठोर बना दे कि वे उस समय तक ईमान न लाएँ जबतक कि दर्दनाक यातना को अपने सामने न देख लें, जिस समय उनके ईमान से उन्हें कोई फ़ायदा न होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الثقة بالله وبنصره والتوكل عليه ينبغي أن تكون من صفات المؤمن القوي.
• अल्लाह पर और उसकी मदद पर विश्वास और उसपर भरोसा एक मज़बूत ईमान वाले व्यक्ति का प्रमुख गुण होना चाहिए।

• بيان أهمية الدعاء، وأنه من صفات المتوكلين.
• दुआ के महत्व का उल्लेख, और यह कि यह अल्लाह पर भरोसा रखने वालों की विशेषताओं में से एक है।

• تأكيد أهمية الصلاة ووجوب إقامتها في كل الرسالات السماوية وفي كل الأحوال.
• सभी आसमानी संदेशों और सभी परिस्थितियों में नमाज़ के महत्व और इसे स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

• مشروعية الدعاء على الظالم.
• अत्याचार करने वाले व्यक्ति को बददुआ देना जायज़ है।

قَالَ قَدْ اُجِیْبَتْ دَّعْوَتُكُمَا فَاسْتَقِیْمَا وَلَا تَتَّبِعٰٓنِّ سَبِیْلَ الَّذِیْنَ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह ने फरमाया : मैंने (ऐ मूसा और हारून!) तुम दोनों की फ़िरऔन और उसकी क़ौम की अशराफिया के विरूद्ध दुआ को स्वीकार कर लिया। अतः तुम दोनों अपने धर्म पर जमे रहो और उससे मुँह फेरकर उन अज्ञानियों के मार्ग का अनुसरण न करो, जो सत्य के मार्ग का ज्ञान नहीं रखते।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَجٰوَزْنَا بِبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ الْبَحْرَ فَاَتْبَعَهُمْ فِرْعَوْنُ وَجُنُوْدُهٗ بَغْیًا وَّعَدْوًا ؕ— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَدْرَكَهُ الْغَرَقُ قَالَ اٰمَنْتُ اَنَّهٗ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا الَّذِیْۤ اٰمَنَتْ بِهٖ بَنُوْۤا اِسْرَآءِیْلَ وَاَنَا مِنَ الْمُسْلِمِیْنَ ۟
और हमने सागर को फाड़ने के बाद बनी इसराईल के लिए उसे पार करना आसान बना दिया, यहाँ तक कि उन्होंने उसे सुरक्षित रूप से पार कर लिया। फिर फ़िरऔन और उसके सैनिकों ने अत्याचार और ज़्यादती करते हुए उनका पीछा किया। यहाँ तक कि जब सागर के दोनों भाग उसपर मिल गए और वह डूबने लगा और बचने की कोई उम्मीद न रही, तो कहने लगा : मैं ईमान ले आया कि उसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, जिसपर बनी इसराईल ईमान लाए हैं और मैं अल्लाह के आज्ञाकारियों में से हूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
آٰلْـٰٔنَ وَقَدْ عَصَیْتَ قَبْلُ وَكُنْتَ مِنَ الْمُفْسِدِیْنَ ۟
क्या तू जीवन से निराश होने के बाद अब ईमान ला रहा है?! हालाँकि (ऐ फ़िरऔन!) तू अल्लाह की यातना उतरने से पहले, उसका इनकार करके और उसके रास्ते से रोककर, अल्लाह की अवज्ञा करता रहा है और तू बिगाड़ पैदा करने वालों में से था, क्योंकि तू स्वयं पथभ्रष्ट था और दूसरों को भी पथभ्रष्ट करता था।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَالْیَوْمَ نُنَجِّیْكَ بِبَدَنِكَ لِتَكُوْنَ لِمَنْ خَلْفَكَ اٰیَةً ؕ— وَاِنَّ كَثِیْرًا مِّنَ النَّاسِ عَنْ اٰیٰتِنَا لَغٰفِلُوْنَ ۟۠
आज हम तुझे (ऐ फिरऔन!) समुद्र से निकाल लेंगे और तुझे एक ऊँचे स्थान पर डाल देंगे, ताकि तेरे बाद आने वाले लोग तुझसे सीख ग्रहण करें। वास्तव में अधिकतर लोग हमारे तर्कों और हमारी शक्ति के प्रमाणों से अनभिज्ञ हैं, उनमें सोच-विचार नहीं करते।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَقَدْ بَوَّاْنَا بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ مُبَوَّاَ صِدْقٍ وَّرَزَقْنٰهُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ ۚ— فَمَا اخْتَلَفُوْا حَتّٰی جَآءَهُمُ الْعِلْمُ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ یَقْضِیْ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كَانُوْا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
और हमने बनी इसराईल को शाम (लेवंत) की धन्य भूमि में एक सुखद स्थान और एक मनभावन ठिकाना दिया और उन्हें हलाल व शुद्ध चीज़ों से जीविका प्रदान की। फिर उन्होंने अपने धर्म के मामले में मतभेद नहीं किया, यहाँ तक कि उनके पास क़ुरआन आ गया, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के उन गुणों एवं विशेषताओं की पुष्टि करने वाला है, जो उन्होंने तौरात में पढ़ा था। फिर जब उन लोगों ने इसका इनकार कर दिया, तो उनके क्षेत्रों को छीन लिया गया। निश्चय ही (ऐ रसूल!) आपका पालनहार क़ियामत के दिन उनके बीच उस चीज़ के बारे में फ़ैसला कर देगा, जिसमें वे मतभेद कर रहे थे। फिर वह उनमें से सत्यवादी और असत्यवादी को वह बदला देगा, जिसका उन दोनों में से प्रत्येक हक़दार होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاِنْ كُنْتَ فِیْ شَكٍّ مِّمَّاۤ اَنْزَلْنَاۤ اِلَیْكَ فَسْـَٔلِ الَّذِیْنَ یَقْرَءُوْنَ الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلِكَ ۚ— لَقَدْ جَآءَكَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُمْتَرِیْنَ ۟ۙ
यदि (ऐ रसूल!) आप उस क़ुरआन की सच्चाई के बारे में, जो हमने आपकी ओर उतारा है, संदेह और अचरज में हैं, तो ईमान लाने वाले उन यहूदियों से पूछ लें जो तौरात पढ़ते हैं और उन ईसाइयों से पूछ लें जो इंजील पढ़ते हैं। वे आपको बताएँगे कि आपपर जो उतारा गया है, वह सत्य है; क्योंकि वे अपनी पुस्तकों में उसका विवरण पाते हैं। निःसंदेह आपके पास आपके पालनहार की ओर से वह सत्य आया है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। अतः आप कदापि संदेह करने वालों में से न हों।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ فَتَكُوْنَ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟
और आप कदापि उन लोगों में से न हों, जिन्होंने अल्लाह के तर्कों एवं प्रमाणों को झुठला दिया। अन्यथा इसकी वजह से आप उन घाटा उठाने वाले लोगों में से हो जाएँगे, जिन्होंने अपने अविश्वास के कारण अपने आपको विनाश से ग्रस्त करके खुद अपना घाटा किया। यह सारी चेतावनी शक और इनकार के खतरे एवं गंभीरता को बयान करने के लिए है, अन्यथा नबी इस बात से मा'सूम (पवित्र) हैं कि उनकी ओर से इस तरह की कोई बात सामने आए।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ الَّذِیْنَ حَقَّتْ عَلَیْهِمْ كَلِمَتُ رَبِّكَ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۙ
निःसंदेह जिन लोगों के विषय में अल्लाह का फ़ैसला सिद्ध हो चुका है कि वे कुफ़्र पर जमे रहने के कारण कुफ़्र ही पर मरेंगे, वे कभी भी ईमान नहीं लाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَوْ جَآءَتْهُمْ كُلُّ اٰیَةٍ حَتّٰی یَرَوُا الْعَذَابَ الْاَلِیْمَ ۟
यद्यपि उनके पास प्रत्येक धार्मिक अथवा ब्रह्मांडीय निशानी आ जाए। यहाँ तक कि वे दर्दनाक यातना अपनी आँखों से देख लें, तब वे ईमान ले आएँगे, जबकि उस समय ईमान लाना उनको लाभ नहीं देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• وجوب الثبات على الدين، وعدم اتباع سبيل المجرمين.
• धर्म पर मज़बूती से जमे रहने और अपराधियों के मार्ग पर न चलने की अनिवार्यता।

• لا تُقْبل توبة من حَشْرَجَت روحه، أو عاين العذاب.
• जिसके प्राण निकल रहे हों, या जो यातना को अपनी आँखों से देख ले, उसकी तौबा स्वीकार नहीं की जाती है।

• أن اليهود والنصارى كانوا يعلمون صفات النبي صلى الله عليه وسلم، لكن الكبر والعناد هو ما منعهم من الإيمان.
• यहूदी और ईसाई नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की विशेषताओं को जानते थे, परंतु अहंकार और हठ ने उन्हें ईमान लाने से रोक दिया।

فَلَوْلَا كَانَتْ قَرْیَةٌ اٰمَنَتْ فَنَفَعَهَاۤ اِیْمَانُهَاۤ اِلَّا قَوْمَ یُوْنُسَ ۚؕ— لَمَّاۤ اٰمَنُوْا كَشَفْنَا عَنْهُمْ عَذَابَ الْخِزْیِ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَمَتَّعْنٰهُمْ اِلٰی حِیْنٍ ۟
ऐसा नहीं हुआ है कि जिन बस्तियों की ओर हमने अपने रसूलों को भेजा था, उनमें से कोई बस्ती यातना देखने से पहले सार्थक रूप से ईमान लाई हो, फिर यातना देखने से पहले ईमान लाने के कारण उसका ईमान उसे लाभ पहुँचाया हो, सिवाय यूनुस अलैहिस्सलाम की क़ौम के, कि जब वे सच्चा ईमान ले आए, तो हमने सांसारिक जीवन में उनके ऊपर से अपमान व तिरस्कार के अज़ाब को हटा दिया और उन्हें उनकी समय सीमा समाप्त होने तक (दुनिया की सामग्रियों से) लाभान्वित होने का अवसर प्रदान किया।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَوْ شَآءَ رَبُّكَ لَاٰمَنَ مَنْ فِی الْاَرْضِ كُلُّهُمْ جَمِیْعًا ؕ— اَفَاَنْتَ تُكْرِهُ النَّاسَ حَتّٰی یَكُوْنُوْا مُؤْمِنِیْنَ ۟
और यदि (ऐ रसूल!) आपका पालनहार धरती में मौजूद सभी लोगों को ईमान वाला बनाना चाहता, तो सभी लोग अवश्य ईमान ले आते, परंतु अपनी हिकमत के कारण उसने ऐसा नहीं चाहा। अतः वह जिसे चाहता है, अपने न्याय से गुमराह कर देता है और जिसे चाहता है, अपनी कृपा से मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसलिए आप लोगों को ईमान लाने पर मजबूर नहीं कर सकते। क्योंकि उन्हें ईमान लाने की तौफ़ीक़ देना केवल अल्लाह के हाथ में है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا كَانَ لِنَفْسٍ اَنْ تُؤْمِنَ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَیَجْعَلُ الرِّجْسَ عَلَی الَّذِیْنَ لَا یَعْقِلُوْنَ ۟
किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है कि वह अल्लाह की अनुमति के बिना अपने आप ईमान ले आए। अतः अल्लाह की इच्छा के बिना ईमान नहीं पाया जा सकता। इसलिए आप उनपर अफ़सोस न करें। अल्लाह उन लोगों पर यातना और अपमान डाल देता है, जो उसके प्रमाणों व तर्कों तथा उसके आदेशों और निषेधों को नहीं समझते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلِ انْظُرُوْا مَاذَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَمَا تُغْنِی الْاٰیٰتُ وَالنُّذُرُ عَنْ قَوْمٍ لَّا یُؤْمِنُوْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप उन मुश्रिकों से, जो आपसे निशानियों का प्रश्न करते हैं, कह दें : विचार करो कि आकाशों और धरती में अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसकी शक्ति को इंगित करने वाली क्या-क्या निशानियाँ हैं। जो लोग, अविश्वास पर अपने हठ के कारण, ईमान लाने को तैयार नहीं हैं, उन्हें निशानियों, तर्कों और संदेशवाहकों का उतारना कोई लाभ नहीं देता।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَهَلْ یَنْتَظِرُوْنَ اِلَّا مِثْلَ اَیَّامِ الَّذِیْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلِهِمْ ؕ— قُلْ فَانْتَظِرُوْۤا اِنِّیْ مَعَكُمْ مِّنَ الْمُنْتَظِرِیْنَ ۟
तो क्या ये झुठलाने वाले लोग उसी तरह की घटनाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिनसे अल्लाह ने इनसे पहले के झुठलाने वाले समुदायों को ग्रस्त किया था?! आप (ऐ रसूल!) उनसे कह दीजिए : तुम अल्लाह की यातना की प्रतीक्षा करो, मैं (भी) तुम्हारे साथ अपने पालनहार के वादे की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ نُنَجِّیْ رُسُلَنَا وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا كَذٰلِكَ ۚ— حَقًّا عَلَیْنَا نُنْجِ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
फिर हम उनपर दंड उतार देते हैं और अपने रसूलों को बचा लेते हैं, तथा उनके साथ ईमान लाने वालों को भी बचा लेते हैं। इसलिए वे उस यातना से पीड़ित नहीं होते, जिससे उनकी क़ौम ग्रस्त होती है। जिस प्रकार हमने उन रसूलों और उनके साथ मोमिनों को बचा लिया, ऐसे ही हम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को और आपके साथ मोमिनों को बचा लेंगे। यह बचाना हमपर एक सिद्ध अधिकार है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنْ كُنْتُمْ فِیْ شَكٍّ مِّنْ دِیْنِیْ فَلَاۤ اَعْبُدُ الَّذِیْنَ تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلٰكِنْ اَعْبُدُ اللّٰهَ الَّذِیْ یَتَوَفّٰىكُمْ ۖۚ— وَاُمِرْتُ اَنْ اَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟ۙ
(ऐ रसूल!) आप कह दें : ऐ लोगो! यदि तुम मेरे उस धर्म के विषय में संदेह में हो, जिसकी ओर मैं तुम्हें आमंत्रित करता हूँ और वह तौहीद (एकेश्वरवाद) का धर्म है, तो मैं तुम्हारे धर्म के भ्रष्ट होने के बारे में निश्चित हूँ, इसलिए मैं उसका अनुसरण नहीं करता। तथा मैं उनकी पूजा नहीं करता, जिनकी तुम अल्लाह को छोड़कर पूजा करते हो। परंतु मैं उस अल्लाह की इबादत करता हूँ, जो तुम्हें मौत देता है और उसने मुझे आदेश दिया है कि मैं उसके धर्म के प्रति निष्ठावान मोमिनों (विश्वासियों) में से रहूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَنْ اَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّیْنِ حَنِیْفًا ۚ— وَلَا تَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟
तथा उसने मुझे यह भी आदेश दिया है कि मैं सत्य धर्म पर स्थापित रहूँ और सभी धर्मों से विमुख होकर उसी पर स्थिर रहूँ, और मुझे इस बात से मना किया है कि मैं उसके साथ शिर्क करने वालों में से होऊँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَا تَدْعُ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ مَا لَا یَنْفَعُكَ وَلَا یَضُرُّكَ ۚ— فَاِنْ فَعَلْتَ فَاِنَّكَ اِذًا مِّنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
(ऐ रसूल!) आप अल्लाह के सिवा उन मूर्तियों और प्रतिमाओं इत्यादि को न पुकारें, जो न किसी लाभ के मालिक हैं कि आपको लाभ पहुँचा सकें और न किसी हानि के मालिक हैं कि आपको हानि पहुँचा सकें। क्योंकि यदि आपने उनकी पूजा की, तो फिर आप अल्लाह के अधिकार और स्वयं के अधिकार पर अतिक्रमण करने वाले अत्याचारियों में से हो जाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الإيمان هو السبب في رفعة صاحبه إلى الدرجات العلى والتمتع في الحياة الدنيا.
• ईमान ही ईमान वाले को ऊँचे पदों पर पहुँचाने और इस दुनिया के जीवन का आनंद लेने का कारण है।

• ليس في مقدور أحد حمل أحد على الإيمان؛ لأن هذا عائد لمشيئة الله وحده.
• कोई भी किसी को ईमान लाने पर मजबूर नहीं कर सकता; क्योंकि यह केवल अल्लाह की इच्छा पर निर्भर है।

• لا تنفع الآيات والنذر من أصر على الكفر وداوم عليه.
• जो व्यक्ति कुफ़्र (अविश्वास) पर हठ करता है और निरंतर उसी पर जमा रहता है, उसे निशानियाँ और चेतावनियाँ लाभ नहीं देतीं।

• وجوب الاستقامة على الدين الحق، والبعد كل البعد عن الشرك والأديان الباطلة.
• सत्य धर्म पर मज़बूती से जमे रहना और बहुदेववाद तथा झूठे धर्मों से पूरी तरह से दूर रहना अनिवार्य है।

وَاِنْ یَّمْسَسْكَ اللّٰهُ بِضُرٍّ فَلَا كَاشِفَ لَهٗۤ اِلَّا هُوَ ۚ— وَاِنْ یُّرِدْكَ بِخَیْرٍ فَلَا رَآدَّ لِفَضْلِهٖ ؕ— یُصِیْبُ بِهٖ مَنْ یَّشَآءُ مِنْ عِبَادِهٖ ؕ— وَهُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمُ ۟
यदि अल्लाह (ऐ रसूल!) आपको किसी विपत्ति से पीड़ित कर दे और आप उसे अपने से दूर करना चाहें, तो पवित्र अल्लाह के सिवा कोई उसे दूर करने वाला नहीं, और यदि वह आपके साथ भलाई का इरादा कर ले, तो कोई उसके अनुग्रह को रोक नहीं सकता। वह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, अपने अनुग्रह से सम्मानित करता है। अतः उसे कोई विवश करने वाला नहीं। तथा वह अपने तौबा करने वाले बंदों को बहुत क्षमा करने वाला, उनपर अत्यंत दयावान है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ قَدْ جَآءَكُمُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكُمْ ۚ— فَمَنِ اهْتَدٰی فَاِنَّمَا یَهْتَدِیْ لِنَفْسِهٖ ۚ— وَمَنْ ضَلَّ فَاِنَّمَا یَضِلُّ عَلَیْهَا ؕ— وَمَاۤ اَنَا عَلَیْكُمْ بِوَكِیْلٍ ۟ؕ
(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : ऐ लोगो! तुम्हारे पालनहार की ओर से अवतिरत क़ुरआन तुम्हारे पास आ गया है। अतः जो कोई सीधा मार्ग अपनाएगा और उसपर ईमान लाएगा, उसका लाभ उसी को प्राप्त होगा, क्योंकि अल्लाह अपने बंदों की आज्ञाकारिता से निस्पृह है। और जो कोई पथभ्रष्टता का मार्ग अपनाएगा, उसकी पथभ्रष्टता का प्रभाव केवल उसी पर होगा, क्योंकि अल्लाह को उसके बंदों की अवज्ञा से हानि नहीं पहुँच सकती। और मैं तुम्हारे ऊपर कोई निरीक्षक नहीं हूँ कि तुम्हारे कर्मों का संरक्षण करूँ और तुमसे उनका हिसाब लूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاتَّبِعْ مَا یُوْحٰۤی اِلَیْكَ وَاصْبِرْ حَتّٰی یَحْكُمَ اللّٰهُ ۚ— وَهُوَ خَیْرُ الْحٰكِمِیْنَ ۟۠
और (ऐ रसूल!) आप उस चीज़ का अनुसरण करें, जो आपका पालनहार आपकी ओर वह़्य (प्रकाशना) करता है और उसके अनुसार कार्य करें, तथा आपकी क़ौम के जो लोग आपके विरोधी हैं उनके कष्ट पर, और जिस चीज़ के पहुँचाने का आपको आदेश दिया गया है, उसके पहुँचाने पर धैर्य से काम लें। तथा आप निरंतर इसी व्यवहार पर बने रहें, यहाँ तक कि अल्लाह उनके बारे में अपना फ़ैसला कर दे, इस प्रकार कि वह आपको इस दुनिया में उनपर विजय प्रदान कर दे और आख़िरत में उन्हें दंडित करे, यदि उनकी मृत्यु उनके कुफ़्र की अवस्था में हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• إن الخير والشر والنفع والضر بيد الله دون ما سواه.
• निःसंदेह भलाई और बुराई तथा लाभ एवं हानि केवल अल्लाह के हाथ में है, किसी और के अधिकार में नहीं है।

• وجوب اتباع الكتاب والسُّنَّة والصبر على الأذى وانتظار الفرج من الله.
• क़ुरआन और सुन्नत का पालन करना, तकलीफ़ व नुकसान के समय धैर्य रखना और अल्लाह की ओर से आसानी व राहत की प्रतीक्षा करना अनिवार्य है।

• آيات القرآن محكمة لا يوجد فيها خلل ولا باطل، وقد فُصِّلت الأحكام فيها تفصيلًا تامَّا.
• क़ुरआन की आयतें सुदृढ़ हैं, उनमें कोई दोष व विकार और असत्य बात नहीं पाई जाती है और उनमें अहकाम (धार्मिक प्रावधानों) को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया है।

• وجوب المسارعة إلى التوبة والندم على الذنوب لنيل المطلوب والنجاة من المرهوب.
वांछित चीज़ को प्राप्त करने तथा भयावह एवं अप्रिय चीज़ से बचने के लिए पापों से तौबा करने और उनपर पछतावा करने में जल्दी करना चाहिए।

 
Translation of the meanings Surah: Yūnus
Surahs’ Index Page Number
 
Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Translations’ Index

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

close