Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: Al-Kahf   Ayah:

सूरा अल्-कह्फ़

Purposes of the Surah:
بيان منهج التعامل مع الفتن.
फ़ित्नों से निपटने की प्रणाली का वर्णन।

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ عَلٰی عَبْدِهِ الْكِتٰبَ وَلَمْ یَجْعَلْ لَّهٗ عِوَجًا ۟ؕٚ
पूर्णता और प्रताप के गुणों के साथ सब प्रशंसा तथा खुली एवं छिपी नेमतों पर हर प्रकार की स्तुति अकेले अल्लाह के लिए है, जिसने अपने बंदे और रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क़ुरआन अवतिरत किया और इस क़ुरआन में कोई टेढ़ापन और सत्य से झुकाव नहीं रखा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَیِّمًا لِّیُنْذِرَ بَاْسًا شَدِیْدًا مِّنْ لَّدُنْهُ وَیُبَشِّرَ الْمُؤْمِنِیْنَ الَّذِیْنَ یَعْمَلُوْنَ الصّٰلِحٰتِ اَنَّ لَهُمْ اَجْرًا حَسَنًا ۟ۙ
बल्कि उसे सीधा बनाया, जिसमें कोई अंतर्विरोध और विभेद नहीं है, ताकि वह काफिरों को अल्लाह के पास से एक भारी यातना से डराए, जो उनकी प्रतीक्षा कर रही है, तथा अच्छे कर्म करने वाले मोमिनों को शुभ सूचना दे कि उनके लिए एक अच्छा बदला है, जिसके समान कोई अन्य बदला नहीं हो सकता।
Arabic explanations of the Qur’an:
مَّاكِثِیْنَ فِیْهِ اَبَدًا ۟ۙ
वे इस प्रतिफल में हमेशा रहेंगे, जो उनसे कभी खत्म नहीं होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَّیُنْذِرَ الَّذِیْنَ قَالُوا اتَّخَذَ اللّٰهُ وَلَدًا ۟ۗ
तथा यहूदियों, ईसाइयों और कुछ मुशरिकों को डराए, जिन्होंने कहा : अल्लाह ने कोई संतान बना रखी है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• أنزل الله القرآن متضمنًا الحق والعدل والشريعة والحكم الأمثل .
• अल्लाह ने क़ुरआन अवतरित किया जो सत्य, न्याय, शरीयत तथा सर्वोत्तम निर्णय पर आधारित है।

• جواز البكاء في الصلاة من خوف الله تعالى.
• अल्लाह के भय से नमाज़ के दौरान रोने की अनुमति।

• الدعاء أو القراءة في الصلاة يكون بطريقة متوسطة بين الجهر والإسرار.
• नमाज़ के दौरान दुआ और क़ुरआन का पाठ ज़ोर और धीमी आवाज़ के बीच एक मध्यवर्ती तरीक़े पर होना चाहिए।

• القرآن الكريم قد اشتمل على كل عمل صالح موصل لما تستبشر به النفوس وتفرح به الأرواح.
• पवित्र क़ुरआन में हर वह अच्छा कार्य शामिल है, जो उस परिणाम तक पहुँचाने वाला है, जिससे दिलों को आनंद मिलता है और आत्माएं प्रसन्न होती हैं।

مَا لَهُمْ بِهٖ مِنْ عِلْمٍ وَّلَا لِاٰبَآىِٕهِمْ ؕ— كَبُرَتْ كَلِمَةً تَخْرُجُ مِنْ اَفْوَاهِهِمْ ؕ— اِنْ یَّقُوْلُوْنَ اِلَّا كَذِبًا ۟
इन मिथ्यारोपण करने वालों के पास अल्लाह की ओर संतान की निस्बत करने के दावे का कोई ज्ञान या उसका कोई प्रमाण नहीं है, और न ही इनके उन बाप-दादाओं के पास कोई ज्ञान था, जिनका इन्होंने इस विषय में अनुकरण किया है। बहुत घृणित है वह बात, जो उनके मुँह से बिना समझ-बूझ के निकल रही है। वे केवल झूठ बोल रहे हैं, जिसका कोई आधार और सबूत नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَّفْسَكَ عَلٰۤی اٰثَارِهِمْ اِنْ لَّمْ یُؤْمِنُوْا بِهٰذَا الْحَدِیْثِ اَسَفًا ۟
(ऐ रसूल!) यदि वे इस क़ुरआन पर ईमान न लाए, तो शायद आप अफ़सोस और दू:ख से खुद को नष्ट कर लेंगे। तो आप ऐसा न करें। क्योंकि उन्हें सीधे मार्ग पर लाने की ज़िम्मेदारी आपपर नहीं है। आपका काम केवल संदेश पहुँचा देना है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّا جَعَلْنَا مَا عَلَی الْاَرْضِ زِیْنَةً لَّهَا لِنَبْلُوَهُمْ اَیُّهُمْ اَحْسَنُ عَمَلًا ۟
और हमने धरती पर पाए जाने वाले सभी प्राणियों को उसकी शोभा बना दिया है, ताकि हम उनका परीक्षण कर सकें कि उनमें से कौन अल्लाह को प्रसन्न करने वाले सबसे अच्छे कार्य करता है और कौन सबसे बुरे कार्य करता है। ताकि हम प्रत्येक को उसके योग्य बदला दें।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِنَّا لَجٰعِلُوْنَ مَا عَلَیْهَا صَعِیْدًا جُرُزًا ۟ؕ
और धरती पर पाए जाने वाले सभी जीवों को हम वनस्पति से रहित मिट्टी बना देंगे। और यह धरती पर उपस्थित प्राणियों के जीवन का अंत हो जाने के बाद होगा। अतः इससे नसीहत प्राप्त करो।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمْ حَسِبْتَ اَنَّ اَصْحٰبَ الْكَهْفِ وَالرَّقِیْمِ كَانُوْا مِنْ اٰیٰتِنَا عَجَبًا ۟
(ऐ रसलू) आप हरगिज़ यह न समझें कि गुफा वालों की कहानी और उनकी वह शिला जिस पर उनके नाम लिखे गए हैं, हमारी अद्भुत निशानियों में से हैं। बल्कि उसके अलावा उससे भी अधिक अद्भुत चीज़ें मौजूद हैं, जैसे कि आकाशों और पृथ्वी की रचना।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِذْ اَوَی الْفِتْیَةُ اِلَی الْكَهْفِ فَقَالُوْا رَبَّنَاۤ اٰتِنَا مِنْ لَّدُنْكَ رَحْمَةً وَّهَیِّئْ لَنَا مِنْ اَمْرِنَا رَشَدًا ۟
(ऐ रसूल!) आप उस समय को याद कीजिए, जब ईमान वाले युवकों ने अपने धर्म के साथ भागकर गुफा में शरण ली, तो उन्होंने अपने पालनहार से प्रार्थना करते हुए कहा : ऐ हमारे पालनहार! तू हमें अपनी ओर से दया प्रदान कर, कि तू हमारे पापों को क्षमा कर दे और हमें हमारे शत्रुओं से मुक्ति प्रदान कर, तथा काफिरों से हिजरत करने और ईमान लाने के मामले में तू हमारे लिए सत्य मार्ग की ओर रहनुमाई और शुद्धता बना दे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَضَرَبْنَا عَلٰۤی اٰذَانِهِمْ فِی الْكَهْفِ سِنِیْنَ عَدَدًا ۟ۙ
फिर, उनके चलने और गुफा में शरण लेने के बाद, हमने उनके कानों पर पर्दा डाल दिया ताकि कोई आवाज़ न सुन सकें और कई वर्षों तक सोने के लिए उन्हें नींद से ग्रस्त कर दिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ بَعَثْنٰهُمْ لِنَعْلَمَ اَیُّ الْحِزْبَیْنِ اَحْصٰی لِمَا لَبِثُوْۤا اَمَدًا ۟۠
फिर, उनकी लंबी नींद के बाद, हमने उन्हें इसलिए जगाया, ताकि हम जान ले (उसके ज्ञान के प्रकटन के तौर पर) कि उनके गुफा में ठहरने की अवधि के बारे में परस्पर विरोधी दो समूहों में से कौन उस अवधि को अधिक जानने वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
نَحْنُ نَقُصُّ عَلَیْكَ نَبَاَهُمْ بِالْحَقِّ ؕ— اِنَّهُمْ فِتْیَةٌ اٰمَنُوْا بِرَبِّهِمْ وَزِدْنٰهُمْ هُدًی ۟ۗۖ
(ऐ रसूल) हम आपको उनकी खबर के बारे में सच्चाई के साथ बता रहे हैं, जिसमें कोई संदेह नहीं है। निःसंदेह वे कुछ युवक थे, जो अपने पालनहार पर ईमान लाए और उसका आज्ञापालन किया। तथा हमने उनके मार्गदर्शन और सत्य पर दृढ़ता में वृद्धि कर दी।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَّرَبَطْنَا عَلٰی قُلُوْبِهِمْ اِذْ قَامُوْا فَقَالُوْا رَبُّنَا رَبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ لَنْ نَّدْعُوَاۡ مِنْ دُوْنِهٖۤ اِلٰهًا لَّقَدْ قُلْنَاۤ اِذًا شَطَطًا ۟
और हमने उनके दिलों को ईमान और उसपर दृढ़ता, तथा उसके लिए स्वदेश छोड़ने पर धैर्य के साथ मज़बूत कर दिया, जब उन्होंने काफ़िर राजा के सामने खड़े होकर एक अल्लाह पर अपने ईमान लाने की घोषणा की और उससे कहा : जिस पालनहार पर हम ईमान लाए और उसकी पूजा की, वह आकाशों और धरती का पालनहार है। हम उसके सिवा तथाकथित झूठे पूज्यों की हरगिज़ पूजा नहीं करेंगे। यदि हमने उसके सिवा किसी अन्य की पूजा की, तो हमने सत्य से दूर एक अनुचित बात कही।
Arabic explanations of the Qur’an:
هٰۤؤُلَآءِ قَوْمُنَا اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اٰلِهَةً ؕ— لَوْلَا یَاْتُوْنَ عَلَیْهِمْ بِسُلْطٰنٍ بَیِّنٍ ؕ— فَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنِ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا ۟ؕ
फिर वे एक-दूसरे की ओर यह कहते हुए मुड़े : ये हमारी जाति के लोग हैं। इन्होंने अल्लाह के अलावा दूसरे पूज्य बना रखे हैं, जिनकी ये पूजा करते हैं। हालाँकि इनके पास उनकी पूजा का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। अतः उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं हो सकता, जो अल्लाह की ओर साझी की निस्बत करके उसपर झूठ गढ़े।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الداعي إلى الله عليه التبليغ والسعي بغاية ما يمكنه، مع التوكل على الله في ذلك، فإن اهتدوا فبها ونعمت، وإلا فلا يحزن ولا يأسف.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले की ज़िम्मेदारी संदेश पहुँचाना तथा अल्लाह पर भरोसा रखते हुए हर संभव प्रयास करना है। यदि लोग सीधे रास्ते पर आ जाते हैं, तो बहुत खूब, अन्यथा वह न दुःखी हो और न अफ़सोस करे।

• في العلم بمقدار لبث أصحاب الكهف، ضبط للحساب، ومعرفة لكمال قدرة الله تعالى وحكمته ورحمته.
• गुफा वालों के ठहरने की अवधि के ज्ञान में, हिसाब की सटीकता और सर्वशक्तिमान अल्लाह की शक्ति, हिकमत और दया की पूर्णता की जानकारी है।

• في الآيات دليل صريح على الفرار بالدين وهجرة الأهل والبنين والقرابات والأصدقاء والأوطان والأموال؛ خوف الفتنة.
• इन आयतों में, फ़ितने के डर से धर्म को बचाकर भागने तथा परिवार, बच्चों, रिश्तेदारों, दोस्तों, स्वदेश और धन-दौलत को छोड़ने का स्पष्ट प्रमाण है।

• ضرورة الاهتمام بتربية الشباب؛ لأنهم أزكى قلوبًا، وأنقى أفئدة، وأكثر حماسة، وعليهم تقوم نهضة الأمم.
• युवाओं के प्रशिक्षण पर ध्यान देने की आवश्यकता, क्योंकि वे सबसे शुद्ध और सबसे साफ़ दिलों वाले तथा सबसे अधिक उत्साह वाले होते हैं और उन्हीं पर क़ौमों का पुनर्जागरण आधारित होता है।

وَاِذِ اعْتَزَلْتُمُوْهُمْ وَمَا یَعْبُدُوْنَ اِلَّا اللّٰهَ فَاْوٗۤا اِلَی الْكَهْفِ یَنْشُرْ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِّنْ رَّحْمَتِهٖ وَیُهَیِّئْ لَكُمْ مِّنْ اَمْرِكُمْ مِّرْفَقًا ۟
और जब तुमने अपनी जाति से किनारा कर लिया और वे अल्लाह के अतिरिक्त जिनकी पूजा करते हैं, उन्हें छोड़ दिया और तुमने अकेले अल्लाह की इबादत की, तो अब तुम अपने धर्म को बचाकर गुफा में शरण लो, जहाँ तुम्हारा पालनहार तुमपर अपनी दया का विस्तार कर देगा, जिससे वह तुम्हारे शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा और सुरक्षा करेगा। तथा तुम्हारे लिए तुम्हारे काम में उस चीज़ को आसान बना देगा जिसका तुम लाभ उठाओगे, जिससे तुम्हारे अपने लोगों के बीच रहने की क्षतिपूर्ति हो जाएगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَتَرَی الشَّمْسَ اِذَا طَلَعَتْ تَّزٰوَرُ عَنْ كَهْفِهِمْ ذَاتَ الْیَمِیْنِ وَاِذَا غَرَبَتْ تَّقْرِضُهُمْ ذَاتَ الشِّمَالِ وَهُمْ فِیْ فَجْوَةٍ مِّنْهُ ؕ— ذٰلِكَ مِنْ اٰیٰتِ اللّٰهِ ؕ— مَنْ یَّهْدِ اللّٰهُ فَهُوَ الْمُهْتَدِ ۚ— وَمَنْ یُّضْلِلْ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ وَلِیًّا مُّرْشِدًا ۟۠
चुनाँचे उन्होंने उसका पालन किया, जिसका उन्हें आदेश दिया गया था। और अल्लाह ने उन्हें नींद से ग्रस्त कर दिया और उनके दुश्मनों से उनकी रक्षा की। और (ऐ उनको देखने वाले!) तुम सूरज को देखोगे कि जब वह पूरब से निकलता है, तो उनकी गुफा से उसमें प्रवेश करने वाले की दाईं ओर मुड़ जाता है, और जब डूबता है, तो उससे कतराकर उसकी बाईं ओर मुड़ जाता है और उस (गुफा) पर सूरज की किरणें नहीं पड़ती हैं। इस प्रकार वे स्थायी छाया में रहते हैं, सूरज की गर्मी उन्हें नुकसान नहीं पहुँचाती है। वे गुफा की एक विस्तृत जगह में हैं, उन्हें ज़रूरत भर हवा मिलती रहती है। उनके साथ होने वाली ये चीज़ें, जैसे कि गुफा में उन्हें शरण देना, उन्हें नींद से ग्रस्त करना, सूरज का उनसे कतराकर गुज़रना, उनके स्थान का विस्तृत होना और उन्हें उनकी जाति के लोगें से बचाना : अल्लाह की अद्भुत कारीगरी में से हैं, जो उसकी शक्ति को दर्शाती हैं। जिसे अल्लाह हिदायत के मार्ग की तौफ़ीक़ दे, वह वास्तव में मार्गदर्शित है, और जिसे वह छोड़ दे और पथभ्रष्ट कर दे, तो आप उसके लिए कोई सहायक नहीं पाएँगे, जो उसे हिदायत की तौफ़ीक़ दे सके और उसकी ओर उसका मार्गदर्शन कर सके। क्योंकि मार्गदर्शन केवल अल्लाह के हाथ में है, उसके अपने हाथ में नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَتَحْسَبُهُمْ اَیْقَاظًا وَّهُمْ رُقُوْدٌ ۖۗ— وَّنُقَلِّبُهُمْ ذَاتَ الْیَمِیْنِ وَذَاتَ الشِّمَالِ ۖۗ— وَكَلْبُهُمْ بَاسِطٌ ذِرَاعَیْهِ بِالْوَصِیْدِ ؕ— لَوِ اطَّلَعْتَ عَلَیْهِمْ لَوَلَّیْتَ مِنْهُمْ فِرَارًا وَّلَمُلِئْتَ مِنْهُمْ رُعْبًا ۟
और (ऐ उनकी ओर देखने वाले) तुम उनकी आँखें खुली होने के कारण उन्हें जगा हुआ समझते, जबकि वास्तव में वे सोए हुए थे। तथा हम उन्हें उनकी नींद में कभी दाईं करवट और कभी बाईं करवट पलटते रहते थे, ताकि मिट्टी उनके शरीर न खा ले। और उनके साथ जाने वाला कुत्ता गुफा के द्वार पर अपनी बाँहें फैलाए हुए था। यदि आप उन्हें झाँककर देख लेते, तो उनके भय से पीठ फेरकर भाग खड़े होते और आपके दिल में उनका डर भर जाता।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَكَذٰلِكَ بَعَثْنٰهُمْ لِیَتَسَآءَلُوْا بَیْنَهُمْ ؕ— قَالَ قَآىِٕلٌ مِّنْهُمْ كَمْ لَبِثْتُمْ ؕ— قَالُوْا لَبِثْنَا یَوْمًا اَوْ بَعْضَ یَوْمٍ ؕ— قَالُوْا رَبُّكُمْ اَعْلَمُ بِمَا لَبِثْتُمْ ؕ— فَابْعَثُوْۤا اَحَدَكُمْ بِوَرِقِكُمْ هٰذِهٖۤ اِلَی الْمَدِیْنَةِ فَلْیَنْظُرْ اَیُّهَاۤ اَزْكٰی طَعَامًا فَلْیَاْتِكُمْ بِرِزْقٍ مِّنْهُ  وَلَا یُشْعِرَنَّ بِكُمْ اَحَدًا ۟
जिस प्रकार हमने उनके साथ वह कुछ किया, जिसका हमने अपनी शक्ति के अजूबों में से उल्लेख किया है, उसी प्रकार हमने उन्हें एक लंबी अवधि के बाद जगा दिया, ताकि वे एक-दूसरे से उस अवधि के बारे में पूछें, जो उन्होंने सोते हुए बिताई। चुनाँचे उनमें से कुछ ने उत्तर दिया : हम एक दिन या दिन के कुछ समय तक सोए रहे। जबकि उनमें से जिसके लिए उनके सोए रहने की अवधि स्पष्ट नहीं हो सकी, उसने उत्तर दिया : तुम्हारा पालनहार ही अधिक जानता है कि तुम कितने दिनों तक सोए रहे। अतः इसके ज्ञान को उसी के हवाले कर दो और अपने काम में व्यस्त हो जाओ। इसलिए अब तुम अपने में से किसी व्यक्ति को चाँदी के ये सिक्के देकर अपने शहर की ओर भेजो। वह देख ले कि नगर का कौन व्यक्ति अधिक उत्तम एवं पवित्र भोजन रखता है, तो उससे तुम्हारे पास कुछ खाना ले आए। और वह जाते-आते तथा सौदा करते समय सावधान रहे तथा व्यवहार कुशलता से काम ले और किसी को भी तुम्हारे स्थान का पता न चलने दे। क्योंकि इससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّهُمْ اِنْ یَّظْهَرُوْا عَلَیْكُمْ یَرْجُمُوْكُمْ اَوْ یُعِیْدُوْكُمْ فِیْ مِلَّتِهِمْ وَلَنْ تُفْلِحُوْۤا اِذًا اَبَدًا ۟
यदि तुम्हारे समुदाय के लोगों को तुम्हारी सूचना मिल गई तथा तुम्हारे स्थान का पता चल गया, तो वे पत्थर मार-मारकर तुम्हारी हत्या कर देंगे अथवा तुम्हें अपने उस भ्रष्ट धर्म में वापस लौटा लेंगे, जिसपर तुम अल्लाह की कृपा से सत्य धर्म की ओर मार्गदर्शन पाने से पहले चला करते थे। और यदि तुम उस पूर्व धर्म में लौट गए, तो कभी सफल नहीं होगे, न इस सांसारिक जीवन में और न ही आखिरत में। बल्कि अल्लाह ने जिस सत्य धर्म का रास्ता तुम्हें दिखाया है, उसे त्यागने तथा उस भ्रष्ट धर्म में लौट जाने के कारण, तुम्हें दोनों लोकों में बहुत बड़े घाटे का सामना करना पड़ेगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• من حكمة الله وقدرته أن قَلَّبهم على جنوبهم يمينًا وشمالًا بقدر ما لا تفسد الأرض أجسامهم، وهذا تعليم من الله لعباده.
• यह अल्लाह की हिकमत और उसकी शक्ति का प्रदर्शन है कि वह उन्हें उनकी करवटों पर दायें और बायें इस क़दर पलटता रहा कि पृथ्वी उनके शरीर को खराब न कर सके। और यह अल्लाह की ओर से अपने बंदों के लिए एक शिक्षा है।

• جواز اتخاذ الكلاب للحاجة والصيد والحراسة.
• ज़रूरत, शिकार और पहरेदारी के लिए कुत्तों को रखने की अनुमति।

• انتفاع الإنسان بصحبة الأخيار ومخالطة الصالحين حتى لو كان أقل منهم منزلة، فقد حفظ ذكر الكلب لأنه صاحَبَ أهل الفضل.
• इनसान अच्छे लोगों की संगति और सदाचारियों के साथ मेलजोल से लाभान्वित होता है, भले ही वह मर्तबे में उनसे कम है। क्योंकि एक कुत्ते का उल्लेख इसलिए संरक्षित किया गया, क्योंकि वह सदाचारियों के साथ था।

• دلت الآيات على مشروعية الوكالة، وعلى حسن السياسة والتلطف في التعامل مع الناس.
• इन आयतों से प्रतिनिधित्व की वैधता, और लोगों के साथ व्यवहार में नरमी और व्यवहार-कुशलता से काम लेने का पता चलता है।

وَكَذٰلِكَ اَعْثَرْنَا عَلَیْهِمْ لِیَعْلَمُوْۤا اَنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ وَّاَنَّ السَّاعَةَ لَا رَیْبَ فِیْهَا ۚۗ— اِذْ یَتَنَازَعُوْنَ بَیْنَهُمْ اَمْرَهُمْ فَقَالُوا ابْنُوْا عَلَیْهِمْ بُنْیَانًا ؕ— رَبُّهُمْ اَعْلَمُ بِهِمْ ؕ— قَالَ الَّذِیْنَ غَلَبُوْا عَلٰۤی اَمْرِهِمْ لَنَتَّخِذَنَّ عَلَیْهِمْ مَّسْجِدًا ۟
और जिस प्रकार हमने उनके साथ हमारी शक्ति को दर्शाने वाले अद्भुत कार्य किए, जैसे बहुत वर्षों तक उन्हें नींद के आगोश में रखना और उसके बाद उन्हें जगाना, उसी प्रकार हमने उनके शहर के लोगों को उनसे अवगत कर दिया, ताकि उनके शहर के लोगों को पता चल जाए कि अल्लाह का ईमान वालों की मदद करने और मरने के बाद दोबारा जीवित करने का वादा सच्चा है और यह कि क़ियामत आने वाली है, उसके आने में कोई संदेह नहीं है। फिर जब गुफा वालों का मामला प्रकाश में आ गया और उनकी मृत्यु हो गई, तो उनसे अवगत होने वालों के बीच इस बारे में मतभेद हो गया कि : वे उनके संबंध में क्या करें? उनमें से एक समूह ने कहा : उनकी गुफा के द्वार पर एक भवन बना दो, जिससे वे छिपे तथा सुरक्षित रहें। उनका पालनहार उनकी स्थिति के बारे में सबसे अधिक जानता है। क्योंकि उनकी स्थिति की अपेक्षा यह है कि उन्हें अल्लाह के यहाँ विशेष स्थान प्राप्त है। तथा प्रभावशाली लोगों ने, जिनके पास ज्ञान तथा सही दावत नहीं थी, कहा : हम उनके इस स्थान पर उनके सम्मान हेतु तथा उनके स्थान की यादगार के तौर पर एक मस्जिद बनाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
سَیَقُوْلُوْنَ ثَلٰثَةٌ رَّابِعُهُمْ كَلْبُهُمْ ۚ— وَیَقُوْلُوْنَ خَمْسَةٌ سَادِسُهُمْ كَلْبُهُمْ رَجْمًا بِالْغَیْبِ ۚ— وَیَقُوْلُوْنَ سَبْعَةٌ وَّثَامِنُهُمْ كَلْبُهُمْ ؕ— قُلْ رَّبِّیْۤ اَعْلَمُ بِعِدَّتِهِمْ مَّا یَعْلَمُهُمْ اِلَّا قَلِیْلٌ ۫۬— فَلَا تُمَارِ فِیْهِمْ اِلَّا مِرَآءً ظَاهِرًا ۪— وَّلَا تَسْتَفْتِ فِیْهِمْ مِّنْهُمْ اَحَدًا ۟۠
उनकी कहानी के बारे में बातचीत करने वाले कुछ लोग उनकी संख्या के बारे में कहेंगे : वे तीन हैं, उनमें से चौथा उनका कुत्ता है। तथा उनमें से कुछ अन्य लोग कहेंगे : वे पाँच हैं, उनमें से छठा उनका कुत्ता है। जबकि इन दोनों समूहों ने जो कुछ कहा है, वह बिना सबूत के अपने गुमान के अनुसार कहा है। उनमें से कुछ दूसरे लोग कहेंगे : वे सात हैं और उनमें से आठवाँ उनका कुत्ता है। (ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : मेरा पालनहार ही उनकी संख्या बेहतर जानता है, उनकी संख्या केवल कुछ ही लोगों को पता है, जिन्हें अल्लाह ने उनकी संख्या सिखाई है। अतः आप उनकी संख्या या उनकी अन्य स्थितियों के बारे में किताब वालों या अन्य लोगों से सरसरी बहस के अलावा गहरी बहस न करें। इस प्रकार कि आप उसी तक सीमित रहें जो उनके विषय में आपपर वह़्य उतरी है। तथा आप उनमें से किसी से भी उनके मामले के विवरण के बारे में न पूछें, क्योंकि उन्हें इसका ज्ञान नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَا تَقُوْلَنَّ لِشَایْءٍ اِنِّیْ فَاعِلٌ ذٰلِكَ غَدًا ۟ۙ
और (ऐ नबी) आप हरगिज़ किसी चीज़ के बारे में, जिसे आप कल करना चाहते हों, यह न कहें : मैं कल यह काम करूँगा। क्योंकि आप नहीं जानते कि आप इसे करेंगे, या आपके और उसके बीच कोई बाधा आ जाएगी? यह हर मुसलमान के लिए एक निर्देशन है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ ؗ— وَاذْكُرْ رَّبَّكَ اِذَا نَسِیْتَ وَقُلْ عَسٰۤی اَنْ یَّهْدِیَنِ رَبِّیْ لِاَقْرَبَ مِنْ هٰذَا رَشَدًا ۟
परंतु यह कि आप उसके करने को अल्लाह की चाहत के साथ जोड़ दें और यूँ कहें : मैं - इन शा अल्लाह - (यदि अल्लाह चाहे) उसे कल करूँगा। और यदि आप यह कहना भूल जाएँ, तो अपने पालनहार को "इन शा अल्लाह " कह कर याद कर लें और कहें : मुझे आशा है कि मेरा पालनहार मुझे इस मामले से निकटतर मार्गदर्शन और सफलता की राह दिखाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَبِثُوْا فِیْ كَهْفِهِمْ ثَلٰثَ مِائَةٍ سِنِیْنَ وَازْدَادُوْا تِسْعًا ۟
और गुफा वाले अपनी गुफा में तीन सौ नौ साल रहे।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلِ اللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا لَبِثُوْا ۚ— لَهٗ غَیْبُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— اَبْصِرْ بِهٖ وَاَسْمِعْ ؕ— مَا لَهُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّلِیٍّ ؗ— وَّلَا یُشْرِكُ فِیْ حُكْمِهٖۤ اَحَدًا ۟
और (ऐ रसूल) आप कह दीजिए : अल्लाह सबसे अधिक जानता है कि वे अपनी गुफा में कितने समय तक ठहरे, तथा उसने हमें बता दिया है कि वे उसमें कितने समय तक रहे। इसलिए उस महिमावान के कथन के बाद किसी अन्य की बात मान्य नहीं। आकाशों तथा धरती की छिपी हुई समस्त चीज़ों को पैदा करना और उनका ज्ञान रखना उसी महिमावान का काम है। वह महिमावान क्या ही खूब देखने वाला है! चुनाँचे वह सब कुछ देखता है। तथा वह क्या ही खूब सुनने वाला है! चुनाँचे वह सब कुछ सुनता है। उसके सिवा उनका कोई सहायक नहीं है, जो उनके मामले को संभाल सके और वह अपने शासन में किसी को साझी नहीं बनाता है। वह अकेला एकमात्र शासक है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاتْلُ مَاۤ اُوْحِیَ اِلَیْكَ مِنْ كِتَابِ رَبِّكَ ؕ— لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِهٖ ۫ۚ— وَلَنْ تَجِدَ مِنْ دُوْنِهٖ مُلْتَحَدًا ۟
और क़ुरआन में से जो कुछ अल्लाह ने आपकी ओर वह़्य की है (ऐ रसूल) आप उसे पढ़ें और उसपर अमल करें। क्योंकि उसकी बातों को कोई बदलने वाला नहीं; इसलिए वे सर्वथा सत्य और सर्वथा न्याय हैं। और आप उस महिमावान् अल्लाह के सिवा हरगिज़ कोई शरण स्थल और पनाह लेने की जगह नहीं पाएँगे, जहाँ आप शरण ले सकें।
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Benefits of the verses in this page:
• اتخاذ المساجد على القبور، والصلاة فيها، والبناء عليها؛ غير جائز في شرعنا.
• कब्रों पर मस्जिदें बनाना, उनमें नमाज़ पढ़ना और उनपर निर्माण करना, हमारी शरीयत में वैध नहीं है।

• في القصة إقامة الحجة على قدرة الله على الحشر وبعث الأجساد من القبور والحساب.
• इस कहानी में क़ियामत के दिन लोगों को एकत्रित करने, क़ब्रों से शरीर को पुनर्जीवित कर उठाने और हिसाब लेने पर अल्लाह की सक्षमता पर तर्क स्थापित किया गया है।

• دلَّت الآيات على أن المراء والجدال المحمود هو الجدال بالتي هي أحسن.
• इन आयतों से पता चलता है कि प्रशंसनीय बहस वह है, जो अच्छे तरीक़े से की जाए।

• السُّنَّة والأدب الشرعيان يقتضيان تعليق الأمور المستقبلية بمشيئة الله تعالى.
• शरई सुन्नत और शिष्टाचार की अपेक्षा यह है कि भविष्य के मामलों को अल्लाह की मशीयत (इच्छा) से जोड़ा जाए।

وَاصْبِرْ نَفْسَكَ مَعَ الَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ بِالْغَدٰوةِ وَالْعَشِیِّ یُرِیْدُوْنَ وَجْهَهٗ وَلَا تَعْدُ عَیْنٰكَ عَنْهُمْ ۚ— تُرِیْدُ زِیْنَةَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَلَا تُطِعْ مَنْ اَغْفَلْنَا قَلْبَهٗ عَنْ ذِكْرِنَا وَاتَّبَعَ هَوٰىهُ وَكَانَ اَمْرُهٗ فُرُطًا ۟
आप अपने आपको उन लोगों के संग रखें, जो निष्ठापूर्वक अपने पालनहार को दिन की शुरुआत और उसके अंत में, इबादत के तौर पर और कुछ माँगने के लिए, पुकारते हैं। तथा आप धन और सम्मान वाले लोगों के साथ बैठने की इच्छा में उनसे अपनी आँखें न फेरें। और आप उसकी बात न मानें, जिसके दिल पर मुहर लगाकर हमने उसे हमारी याद से असावधान कर दिया है। जिसके कारण उसने आपको अपनी बैठक से गरीबों को हटाने का आदेश दिया, और उसने अपने पालनहार की आज्ञाकारिता पर अपनी इच्छा के अनुपालन को प्रधानता दी और उसके सभी कार्य व्यर्थ और बर्बाद हैं।
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وَقُلِ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكُمْ ۫— فَمَنْ شَآءَ فَلْیُؤْمِنْ وَّمَنْ شَآءَ فَلْیَكْفُرْ ۚ— اِنَّاۤ اَعْتَدْنَا لِلظّٰلِمِیْنَ نَارًا اَحَاطَ بِهِمْ سُرَادِقُهَا ؕ— وَاِنْ یَّسْتَغِیْثُوْا یُغَاثُوْا بِمَآءٍ كَالْمُهْلِ یَشْوِی الْوُجُوْهَ ؕ— بِئْسَ الشَّرَابُ ؕ— وَسَآءَتْ مُرْتَفَقًا ۟
और (ऐ रसूल!) आप इन लोगों से, जो अपने हृदय की लापरवाही के कारण अल्लाह की याद से गाफ़िल हैं, कह दीजिए : मैं तुम्हारे पास जो कुछ लेकर आया हूँ, वह सत्य है। और वह अल्लाह की ओर से है, मेरी ओर से नहीं। और मैं तुम्हारी यह माँग स्वीकार करने वाला नहीं कि मैं ईमान वालों को निष्कासित कर दूँ। अब तुम में से जो इस सच्चाई पर ईमान लाना चाहे, वह उसपर ईमान ले आए और वह उसके प्रतिफल से प्रसन्न होगा। और तुम में से जो उसपर विश्वास न करना चाहे, वह विश्वास न करे और शीघ्र ही वह उस दंड से दुखी होगा जो उसकी प्रतीक्षा कर रहा है। हमने कुफ़्र अपनाकर स्वयं पर अत्याचार करने वाले लोगों के लिए भयानक आग तैयार कर रखी है, जिसकी दीवारें उन्हें घेरी हुई होंगी। इसलिए वे उससे भाग नहीं सकेंगे। अगर वे अपनी प्यास की तीव्रता के कारण पानी की फ़र्याद करेंगे, तो उन्हें तलछट जैसा बहुत गर्म पानी दिया जाएगा, जिसकी गर्मी की तीव्रता के कारण उनके चेहरे भुन जाएँगे। क्या बुरा है वह पेय जो उन्हें दिया जाएगा। क्योंकि वह प्यास नहीं बुझाएगा, बल्कि उसे और बढ़ा देगा। तथा वह उस लपट को भी नहीं बुझाएगा जो उनकी खाल उधेड़ रही होगी। जहन्नम क्या ही बुरा घर है जहाँ वे उतरेंगे और क्या ही बुरा ठिकाना है जिसमें वे ठहरेंगे।
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اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ اِنَّا لَا نُضِیْعُ اَجْرَ مَنْ اَحْسَنَ عَمَلًا ۟ۚ
निःसंदेह जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और नेक कार्य किए, उन्होंने अच्छा काम किया है। इसलिए उनके लिए बहुत बड़ा प्रतिफल है। निःसंदेह हम अच्छे कर्म करने वाले लोगों का बदला व्यर्थ नहीं करते, बल्कि उन्हें कोई कमी किए बिना पूरा-पूरा बदला देते हैं।
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اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُ یُحَلَّوْنَ فِیْهَا مِنْ اَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَّیَلْبَسُوْنَ ثِیَابًا خُضْرًا مِّنْ سُنْدُسٍ وَّاِسْتَبْرَقٍ مُّتَّكِـِٕیْنَ فِیْهَا عَلَی الْاَرَآىِٕكِ ؕ— نِعْمَ الثَّوَابُ ؕ— وَحَسُنَتْ مُرْتَفَقًا ۟۠
ईमान एवं अच्छे कार्य करने की विशेषताओं से विशिष्ट इन लोगों के लिए हमेशा के लिए निवास करने के लिए बगीचे हैं, उनके महलों के नीचे से स्वर्ग की मीठी नहरें बहती हैं। वे वहाँ सोने के कंगनों से सुशोभित किए जाएँगे तथा पतले और मोटे रेशम से बने हरे कपड़े पहनेंगे। वे सुंदर पर्दों से सजाए गए बिस्तरों पर टेक लगाए बैठे होंगे। उनका प्रतिफल बहुत अच्छा है और जन्नत उनके लिए निवास करने के लिए एक बेहतरीन घर और ठिकाना है।
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وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلًا رَّجُلَیْنِ جَعَلْنَا لِاَحَدِهِمَا جَنَّتَیْنِ مِنْ اَعْنَابٍ وَّحَفَفْنٰهُمَا بِنَخْلٍ وَّجَعَلْنَا بَیْنَهُمَا زَرْعًا ۟ؕ
और (ऐ रसूल!) आप (उनके सामने) दो व्यक्तियों का उदाहरण दें, जिनमें से एक काफ़िर और दूसरा मोमिन था। हमने उनमें से काफ़िर के लिए अंगूर के दो बाग़ बनाए। और हमने दोनों बाग़ों को खजूर के पेड़ों से घेर दिया, तथा हमने उनके खाली क्षेत्र में फसलें उगाईं।
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كِلْتَا الْجَنَّتَیْنِ اٰتَتْ اُكُلَهَا وَلَمْ تَظْلِمْ مِّنْهُ شَیْـًٔا ۙ— وَّفَجَّرْنَا خِلٰلَهُمَا نَهَرًا ۟ۙ
प्रत्येक बगीचे ने अपने फल दिए, जिसमें खजूर, अंगूर और फसलें शामिल थीं। और उसमें से कुछ भी कम नहीं किया, बल्कि पूरा-पूरा फल दिया। तथा हमने उन्हें आसानी से पानी देने के लिए उनके बीच एक नहर जारी कर दी।
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وَّكَانَ لَهٗ ثَمَرٌ ۚ— فَقَالَ لِصَاحِبِهٖ وَهُوَ یُحَاوِرُهٗۤ اَنَا اَكْثَرُ مِنْكَ مَالًا وَّاَعَزُّ نَفَرًا ۟
और इन दो बाग़ों के मालिक के पास अन्य धन और फल भी थे। चुनाँचे उसने गर्व करते हुए अपने मोमिन साथी से, जबकि वह उसे प्रभावित करने के लिए उससे संबोधित था, कहा : मैं तुमसे अधिक धनवान, तुमसे बढ़कर सम्मान वाला और तुमसे ज़्यादा शक्तिशाली बिरादरी वाला हूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• فضيلة صحبة الأخيار، ومجاهدة النفس على صحبتهم ومخالطتهم وإن كانوا فقراء؛ فإن في صحبتهم من الفوائد ما لا يُحْصَى.
• अच्छे लोगों की संगति की विशेषता, तथा उनकी संगति अपनाने और उनके साथ मेल-जोल रखने पर स्वयं से संघर्ष करना, भले ही वे गरीब हों। क्योंकि उनके साथ रहने में अनगिनत लाभ हैं।

• كثرة الذكر مع حضور القلب سبب للبركة في الأعمار والأوقات.
• दिल की उपस्थिति के साथ अधिक से अधिक ज़िक्र करना आयु और समय में बरकत का कारण है।

• قاعدتا الثواب وأساس النجاة: الإيمان مع العمل الصالح؛ لأن الله رتب عليهما الثواب في الدنيا والآخرة.
• प्रतिफल (सवाब) के दो नियम और मुक्ति का आधार : ईमान और अच्छा काम है। क्योंकि अल्लाह ने लोक और परलोक में सवाब (प्रतिफल) को इन्हीं दो चीज़ों पर आधारित किया है।

وَدَخَلَ جَنَّتَهٗ وَهُوَ ظَالِمٌ لِّنَفْسِهٖ ۚ— قَالَ مَاۤ اَظُنُّ اَنْ تَبِیْدَ هٰذِهٖۤ اَبَدًا ۟ۙ
और उस काफ़िर ने ईमान वाले के साथ अपने बाग़ में प्रवेश किया, ताकि उसे अपना बाग़ दिखाए, जबकि वह कुफ़्र और गर्व के द्वारा अपने आप पर अत्याचार करने वाला था। काफ़िर ने कहा : मुझे नहीं लगता कि यह बाग़ जो तुम देख रहे हो, नष्ट हो जाएगा। क्योंकि मैंने उसके बाकी रहने के कारण अपना लिए हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَّمَاۤ اَظُنُّ السَّاعَةَ قَآىِٕمَةً ۙ— وَّلَىِٕنْ رُّدِدْتُّ اِلٰی رَبِّیْ لَاَجِدَنَّ خَیْرًا مِّنْهَا مُنْقَلَبًا ۟ۚ
मुझे नहीं लगता कि क़ियामत आने वाली है। बल्कि यह एक निरंतर जीवन है। और यह मानते हुए कि वह आ ही गई, तो जब मैं पुनर्जीवित किया जाऊँगा और अपने पालनहार की ओर लौटाया जाऊँगा, तो पुनर्जीवन के बाद मैं जिसकी ओर लौटूँगा उसे अपने इस बाग़ से उत्तम पाऊँगा। क्योंकि इस दुनया में मेरे समृद्ध होने की अपेक्षा यह है कि मैं पुनर्जीवन के बाद भी समृद्ध होऊँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ لَهٗ صَاحِبُهٗ وَهُوَ یُحَاوِرُهٗۤ اَكَفَرْتَ بِالَّذِیْ خَلَقَكَ مِنْ تُرَابٍ ثُمَّ مِنْ نُّطْفَةٍ ثُمَّ سَوّٰىكَ رَجُلًا ۟ؕ
उसके मोमिन साथी ने उसकी बात का उत्तर देते हुए उससे कहा : क्या तूने उस अस्तित्व के साथ क़ुफ़्र किया, जिसने तेरे पिता आदम को मिट्टी से पैदा किया, फिर तुझे वीर्य से पैदा किया, फिर तुझे एक पुरुष बनाया, औ तेरे अंगों को ठीक-ठीक किया और तुझे परिपूर्ण बनाया? क्योंकि जो इन सभी चीज़ों को कर सकता है, वह तुझे पुनः जीवित करने में भी सक्षम है।
Arabic explanations of the Qur’an:
لٰكِنَّاۡ هُوَ اللّٰهُ رَبِّیْ وَلَاۤ اُشْرِكُ بِرَبِّیْۤ اَحَدًا ۟
लेकिन मैं यह बात नहीं कहता, बल्कि मैं कहता हूँ : वह महिमावान् अल्लाह ही मेरा पालनहार है, जिसने अपनी नेमतों के द्वारा हम पर उपकार किया, और मैं इबादत में किसी को भी उसका साझी नहीं बनाता।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَوْلَاۤ اِذْ دَخَلْتَ جَنَّتَكَ قُلْتَ مَا شَآءَ اللّٰهُ ۙ— لَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللّٰهِ ۚ— اِنْ تَرَنِ اَنَا اَقَلَّ مِنْكَ مَالًا وَّوَلَدًا ۟ۚ
और जब तूने अपने बाग़ में प्रवेश किया, तो तूने यह क्यों नहीं कहा : जो अल्लाह ने चाहा, अल्लाह की मदद के बिना किसी के लिए कोई शक्ति नहीं है। क्योंकि वही है, जो वह चाहता है, करता है और वह सर्वशक्तिमान् है। यदि तू मुझे अपने से ज़्यादा ग़रीब और संतान में कमतर देखता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَعَسٰی رَبِّیْۤ اَنْ یُّؤْتِیَنِ خَیْرًا مِّنْ جَنَّتِكَ وَیُرْسِلَ عَلَیْهَا حُسْبَانًا مِّنَ السَّمَآءِ فَتُصْبِحَ صَعِیْدًا زَلَقًا ۟ۙ
मुझे आशा है कि अल्लाह मुझे तुम्हारे बाग़ से अच्छा प्रदान करे और तुम्हारे बाग़ पर आकाश से कोई अज़ाब भेज दे। फिर तुम्हारा बाग़ एक ऐसी भूमि बन जाए, जहाँ कोई वनस्पति न हो, जिसमें उसकी चिकनाहट के कारण पैर फिसलते हों।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَوْ یُصْبِحَ مَآؤُهَا غَوْرًا فَلَنْ تَسْتَطِیْعَ لَهٗ طَلَبًا ۟
अथवा उसका पानी धरती की गहराई में चला जाए। फिर तुम किसी भी तरह से उस तक नहीं पहुँच सकते हो। और अगर उसका पानी नीचे चला गया, तो वह बाकी नहीं रह सकती।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاُحِیْطَ بِثَمَرِهٖ فَاَصْبَحَ یُقَلِّبُ كَفَّیْهِ عَلٰی مَاۤ اَنْفَقَ فِیْهَا وَهِیَ خَاوِیَةٌ عَلٰی عُرُوْشِهَا وَیَقُوْلُ یٰلَیْتَنِیْ لَمْ اُشْرِكْ بِرَبِّیْۤ اَحَدًا ۟
उस मोमिन व्यक्ति ने जो आशा व्यक्त की थी, वह पूरी हो गई। चुनाँचे उस काफ़िर के बाग़ के फलों को विनाश ने घेर लिया। फिर वह काफ़िर अपने बाग़ के बनाने और मरम्मत के लिए खर्च किए गए धन पर अफ़सोस के मारे हाथ मलने लगा। जबकि वह बाग़ उन छप्परों पर गिरा पड़ा था, जिनपर अंगूर की बेलों को फैलाया जाता है। और वह कहता था : काश मैं अपने अकेले पालनहार पर ईमान लाया होता और इबादत में उसके साथ किसी को साझी न बनाता।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَمْ تَكُنْ لَّهٗ فِئَةٌ یَّنْصُرُوْنَهٗ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَمَا كَانَ مُنْتَصِرًا ۟ؕ
इस काफ़िर के पास उसे उसपर उतरने वाले दंड से बचाने के लिए कोई समूह नहीं था, जबकि वह अपने समूह पर गर्व कर रहा था। और वह स्वयं भी अल्लाह के उसके बाग़ को विनष्ट करने से बचने वाला न था।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُنَالِكَ الْوَلَایَةُ لِلّٰهِ الْحَقِّ ؕ— هُوَ خَیْرٌ ثَوَابًا وَّخَیْرٌ عُقْبًا ۟۠
उस स्थिति में, सहायता करना केवल अल्लाह के अधिकार में है। वह अपने ईमान वाले मित्रों को सबसे उत्तम बदला देने वाला है, क्योंकि वह उनके प्रतिफल को कई गुना बढ़ा देता है, तथा वह उनके लिए अंजाम के एतिबार से भी सबसे अच्छा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا كَمَآءٍ اَنْزَلْنٰهُ مِنَ السَّمَآءِ فَاخْتَلَطَ بِهٖ نَبَاتُ الْاَرْضِ فَاَصْبَحَ هَشِیْمًا تَذْرُوْهُ الرِّیٰحُ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ مُّقْتَدِرًا ۟
और (ऐ रसूल) दुनिया के धोखे में पड़े हुए लोगों को (सांसारिक जीवन का) एक उदाहरण दें। चुनाँचे दुनिया का उदाहरण उसके नष्ट होने और जल्दी समाप्त होने में, उस बारिश के पानी की तरह है, जिसे हमने आकाश से उतारा। फिर उस जल से धरती के पौधे उगे और पक गए। फिर वह पौधा टूटकर चूरा-चूरा बन गया। हवाएँ जिसके हिस्सों को अन्य क्षेत्रों में उड़ा ले जाती हैं। फिर धरती वापस वैसी ही हो जाती है जैसी पहले थी। और अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखने वाला है। उसे कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती। इसलिए वह जो चाहता है, जीवित रखता है और जो चाहता है, नष्ट कर देता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• على المؤمن ألا يستكين أمام عزة الغني الكافر، وعليه نصحه وإرشاده إلى الإيمان بالله، والإقرار بوحدانيته، وشكر نعمه وأفضاله عليه.
• मोमिन को धनवान काफ़िर के घमंड के आगे झुकना नहीं चाहिए। बल्कि उसे नसीहत करना चाहिए तथा उसका अल्लाह पर ईमान लाने, उसकी तौहीद को स्वीकारने और उसकी नेमतों एवं उपकारों का शुक्रिया अदा करने की ओर मार्गदर्शन करना चाहिए।

• ينبغي لكل من أعجبه شيء من ماله أو ولده أن يضيف النعمة إلى مُولِيها ومُسْدِيها بأن يقول: ﴿ما شاءَ اللهُ لا قُوَّةَ إلَّا بِاللهِ﴾.
• जिसे अपने धन या संतान में से कोई चीज़ पसंद आ जाए, उसे चाहिए कि उस नेमत को उसके दाता व प्रदाता से संबंधित करे और यह कहे : ﴾ما شاءَ اللهُ لا قُوَّةَ إلَّا بِاللهِ﴿ ''जो अल्लाह ने चाहा, अल्लाह की मदद के बिना कोई शक्ति नहीं।''

• إذا أراد الله بعبد خيرًا عجل له العقوبة في الدنيا.
• जब अल्लाह किसी बंदे के साथ भलाई का इरादा रखता है, तो उसे दुनिया में ही सज़ा दे देता है।

• جواز الدعاء بتلف مال من كان ماله سبب طغيانه وكفره وخسرانه.
• जिस व्यक्ति का धन उसकी सरकशी, कुफ़्र और नुकसान का कारण हो, उसके धन की क्षति के लिए दुआ करना उचित (जायज़) है।

اَلْمَالُ وَالْبَنُوْنَ زِیْنَةُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَالْبٰقِیٰتُ الصّٰلِحٰتُ خَیْرٌ عِنْدَ رَبِّكَ ثَوَابًا وَّخَیْرٌ اَمَلًا ۟
धन और संतान सांसारिक जीवन की शोभा हैं। और आखिरत में धन का कोई लाभ नहीं है जब तक कि उसे अल्लाह को प्रसन्न करने वाले काम में न खर्च किया जाए। तथा अल्लाह के निकट पसंदीदा कार्य और बातें, सवाब की दृष्टि से, संसार की सभी शोभाओं से उत्तम हैं। और वे सबसे उत्तम वस्तु हैं, जिनकी इनसान आशा करता है। क्योंकि दुनिया की शोभा नश्वर है, जबकि अल्लाह के निकट पसंदीदा कामों और बातों का सवाब बाक़ी रहने वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَوْمَ نُسَیِّرُ الْجِبَالَ وَتَرَی الْاَرْضَ بَارِزَةً ۙ— وَّحَشَرْنٰهُمْ فَلَمْ نُغَادِرْ مِنْهُمْ اَحَدًا ۟ۚ
और उस दिन को याद करो, जब हम पर्वतों को उनके स्थानों से हटा देंगे। और तुम धरती को साफ़ और खुला मैदान देखोगे, क्योंकि उस पर उपस्थित पहाड़, पेड़ और इमारत सब गायब हो जाएँगे। और हम सभी प्राणियों को इकट्ठा कर लेंगे। चुनाँचे हम उनमें से किसी को भी नहीं छोड़ेंगे, जिसे हमने पुनर्जीवित करके उठाया न हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَعُرِضُوْا عَلٰی رَبِّكَ صَفًّا ؕ— لَقَدْ جِئْتُمُوْنَا كَمَا خَلَقْنٰكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍ ؗ— بَلْ زَعَمْتُمْ اَلَّنْ نَّجْعَلَ لَكُمْ مَّوْعِدًا ۟
और लोग आपके पालनहार के समक्ष पंक्तियों में प्रस्तुत किए जाएँगे, तो वह उनका हिसाब लेगा। और उनसे कहा जाएगा : तुम हमारे पास वैसे ही अकेले, नंगे पैर, नंगे शरीर और बिना ख़तना के आए हो, जैसे हमने तुम्हें पहली बार पैदा किया था। लेकिन तुम तो यह सोचते थे कि तुम कभी पुनर्जीवित नहीं किए जाओगे और हम तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देने के लिए कभी कोई समय और स्थान निर्धारित नहीं करेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَوُضِعَ الْكِتٰبُ فَتَرَی الْمُجْرِمِیْنَ مُشْفِقِیْنَ مِمَّا فِیْهِ وَیَقُوْلُوْنَ یٰوَیْلَتَنَا مَالِ هٰذَا الْكِتٰبِ لَا یُغَادِرُ صَغِیْرَةً وَّلَا كَبِیْرَةً اِلَّاۤ اَحْصٰىهَا ۚ— وَوَجَدُوْا مَا عَمِلُوْا حَاضِرًا ؕ— وَلَا یَظْلِمُ رَبُّكَ اَحَدًا ۟۠
और कर्मपत्र रख दिया जाएगा। तो कुछ लोग अपना कर्मपत्र अपने दाएँ हाथ में पकड़े होंगे और कुछ उसे अपने बाएँ हाथ में। और (ऐ इनसान) तुम काफिरों को देखोगे कि जो कुछ उसमें लिखा होगा, उससे डरे हुए होंगे। क्योंकि वे खूब जानते होंगे कि उन्होंने दुनिया में क्या कुफ़्र और पाप किए थे। और वे कहेंगे : हाय हमारा विनाश और हमारा दुर्भाग्य! इस पुस्तक को क्या हुआ है कि हमारे कर्मों में से कोई छोटा या बड़ा नहीं छोड़ा है, मगर उसे संरक्षित कर रखा है और गिन रखा है। और उन्होंने सांसारिक जीवन में जो पाप किए थे, उन्हें लिखा हुआ और अंकित पाएँगे। और (ऐ रसूल) आपका पालनहार किसी पर अत्याचार नहीं करेगा। चुनाँचे वह किसी को बिना पाप के दंड नहीं देगा और न किसी आज्ञाकारी व्यक्ति की नेकी में से कुछ कम करेगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذْ قُلْنَا لِلْمَلٰٓىِٕكَةِ اسْجُدُوْا لِاٰدَمَ فَسَجَدُوْۤا اِلَّاۤ اِبْلِیْسَ ؕ— كَانَ مِنَ الْجِنِّ فَفَسَقَ عَنْ اَمْرِ رَبِّهٖ ؕ— اَفَتَتَّخِذُوْنَهٗ وَذُرِّیَّتَهٗۤ اَوْلِیَآءَ مِنْ دُوْنِیْ وَهُمْ لَكُمْ عَدُوٌّ ؕ— بِئْسَ لِلظّٰلِمِیْنَ بَدَلًا ۟
और (ऐ रसूल) उस समय को याद कीजिए, जब हमने फरिश्तों से कहा था : तुम सब आदम को अभिवादन के लिए सजदा करो। तो उन सभी ने अपने पालनहार के आदेश का पालन करते हुए उन्हें सजदा किया, परंतु इबलीस ने सजदा नहीं किया। वह जिन्नों में से था, फ़रिश्तों में से नहीं था। अतः उसने सजदा करने से इनकार किया और अभिमान का शिकार हो गया। इस तरह वह अपने पालनहार के आज्ञापालन से निकल गया। तो क्या फिर भी (ऐ लोगो) तुम मुझे छोड़कर उसे और उसकी संतान को अपना मित्र बनाते हो, हालाँकि वे तुम्हारे दुश्मन हैं। भला तुम अपने शत्रुओं को अपना मित्र कैसे ठहरा रहे हो?! अत्याचारियों का यह कार्य कितना बुरा और घृणित है कि उन्होंने अल्लाह सर्वशक्तिमान से दोस्ती की बजाय शैतान को अपना दोस्त बना लिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
مَاۤ اَشْهَدْتُّهُمْ خَلْقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَلَا خَلْقَ اَنْفُسِهِمْ ۪— وَمَا كُنْتُ مُتَّخِذَ الْمُضِلِّیْنَ عَضُدًا ۟
ये लोग जिन्हें तुमने मुझे छोड़कर अपना सहायक व मित्र बना रखा है, तुम्हारे ही जैसे बंदे हैं। मैंने आकाशों तथा धरती को पैदा करते समय उन्हें उपस्थित नहीं किया था। बल्कि उस समय उनका अस्तित्व ही नहीं था। और न ही मैंने उनमें से कुछ को दूसरों के पैदा करने में उपस्थित किया था। क्योंकि मैं सृजन और प्रबंधन में अकेला हूँ। और मैं मानव जाति और जिन्न के शैतानों में से गुमराह करने वालों को अपना सहायक बनाने वाला न था। क्योंकि मैं सहायकों से बेनियाज़ हूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَوْمَ یَقُوْلُ نَادُوْا شُرَكَآءِیَ الَّذِیْنَ زَعَمْتُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهُمْ وَجَعَلْنَا بَیْنَهُمْ مَّوْبِقًا ۟
और (ऐ रसूल) उनके सामने क़ियामत के दिन की चर्चा कीजिए, जिस दिन अल्लाह उन लोगों से कहेगा, जिन्होंने दुनिया में उसका साझी बनाया था : मेरे उन साझियों को पुकारो, जिनके बारे में तुमने दावा किया था कि वे मेरे साझी हैं, ताकि वे तुम्हारी कुछ मदद कर सकें। चुनाँचे वे उन्हें पुकारेंगे, लेकिन वे उनकी पुकार का न कोई उत्तर देंगे और न उनकी कोई मदद करेंगे। तथा हम पूजने वालों और पूजे गए लोगों के बीच एक विनाश का स्थान बना देंगे, जिसमें वे दोनों दाखिल होंगे और वह जहन्नम की आग है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَرَاَ الْمُجْرِمُوْنَ النَّارَ فَظَنُّوْۤا اَنَّهُمْ مُّوَاقِعُوْهَا وَلَمْ یَجِدُوْا عَنْهَا مَصْرِفًا ۟۠
और अल्लाह का साझी बनाने वाले लोग जहन्नम को देखेंगे, तो वे पूरी तरह से निश्चित हो जाएँगे कि वे उसमें गिरने वाले हैं और उन्हें कोई स्थान नहीं मिलेगा जहाँ वे उससे मुड़कर शरण ले सकें।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• على العبد الإكثار من الباقيات الصالحات، وهي كل عمل صالح من قول أو فعل يبقى للآخرة.
• बंदे को चाहिए कि अधिक से अधित बाक़ी रहने वाले सत्कर्म करे। इससे अभिप्राय प्रत्येक नेक बात या काम है, जो आख़िरत के लिए बाक़ी रहता है।

• على العبد تذكر أهوال القيامة، والعمل لهذا اليوم حتى ينجو من أهواله، وينعم بجنة الله ورضوانه.
• बंदे को चाहिए कि क़ियामत की भयावहता को याद करे और इस दिन के लिए काम करे, ताकि उसकी भयावहता से मुक्ति पा सके, तथा अल्लाह की जन्नत और उसकी प्रसन्नता का आनंद ले सके।

• كَرَّم الله تعالى أبانا آدم عليه السلام والجنس البشري بأجمعه بأمره الملائكة أن تسجد له في بدء الخليقة سجود تحية وتكريم.
• अल्लाह ने सृष्टि की शुरुआत में फरिश्तों को हमारे पिता आदम अलैहिस्सलाम को अभिवादन एवं सम्मान का सजदा करने का आदेश देकर, उन्हें तथा पूरी मानव जाति को सम्मानित किया।

• في الآيات الحث على اتخاذ الشيطان عدوًّا.
• इन आयतों में शैतान को दुश्मन समझने पर बल दिया गया है।

وَلَقَدْ صَرَّفْنَا فِیْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ لِلنَّاسِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍ ؕ— وَكَانَ الْاِنْسَانُ اَكْثَرَ شَیْءٍ جَدَلًا ۟
हमने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाले इस क़ुरआन में अनेक प्रकार के बहुत-से उदाहरण प्रस्तुत किए हैं और उन्हें विविधता के साथ बयान किए हैं। ताकि लोग नसीहत और सदुपदेश प्राप्त करें। लेकिन मनुष्य - विशेष रूप से एक काफ़िर - की ओर से जो चीज़ सबसे ज़्यादा सामने आती है, वह ना-हक़ (सच्चाई के बिना) झगड़ना (बहस करना) है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا مَنَعَ النَّاسَ اَنْ یُّؤْمِنُوْۤا اِذْ جَآءَهُمُ الْهُدٰی وَیَسْتَغْفِرُوْا رَبَّهُمْ اِلَّاۤ اَنْ تَاْتِیَهُمْ سُنَّةُ الْاَوَّلِیْنَ اَوْ یَاْتِیَهُمُ الْعَذَابُ قُبُلًا ۟
हठी काफिरों और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने पालनहार की ओर से जो कुछ लेकर आए थे उसपर ईमान लाने के बीच, तथा उनके और उनके अपने गुनाहों से तौबा करने के बीच (प्रमाणों के) स्पष्टीकरण का अभाव बाधक नहीं बना। क्योंकि क़ुरआन में उनके लिए उदाहरण दिए गए थे, और उनके पास स्पष्ट तर्क आए थे। बल्कि उनके लिए रुकावट केवल उनकी यह - हठपूर्ण - माँग बन गई कि उनपर पिछले समुदायों वाला अज़ाब लाया जाए, तथा वे उस अज़ाब को अपनी आँखों से देख लें जिसका उनसे वादा किया गया था।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَا نُرْسِلُ الْمُرْسَلِیْنَ اِلَّا مُبَشِّرِیْنَ وَمُنْذِرِیْنَ ۚ— وَیُجَادِلُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِالْبَاطِلِ لِیُدْحِضُوْا بِهِ الْحَقَّ وَاتَّخَذُوْۤا اٰیٰتِیْ وَمَاۤ اُنْذِرُوْا هُزُوًا ۟
और हम अपने जो भी रसूल भेजते हैं, उन्हें ईमान और आज्ञाकारिता के लोगों को शुभ सूचना देने वाले, तथा कुफ्र और अवज्ञा करने वालों को डराने वाले बनाकर भेजते हैं। और उनका लोगों के दिलों पर कोई अधिकार (ज़ोर) नहीं होता कि उन्हें मार्गदर्शन स्वीकारने पर उभार सकें। और जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया है, वे अपने सामने प्रमाणों के स्पष्ट हो जाने के बावजूद भी रसूलों के साथ झगड़ा (बहस) करते हैं; ताकि वे अपने असत्य के द्वारा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाले सत्य को निराकृत कर दें। तथा उन्होंने क़ुरआन को और उस चीज़ को जिससे उन्हें डराया गया था, हँसी और मज़ाक बना लिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ ذُكِّرَ بِاٰیٰتِ رَبِّهٖ فَاَعْرَضَ عَنْهَا وَنَسِیَ مَا قَدَّمَتْ یَدٰهُ ؕ— اِنَّا جَعَلْنَا عَلٰی قُلُوْبِهِمْ اَكِنَّةً اَنْ یَّفْقَهُوْهُ وَفِیْۤ اٰذَانِهِمْ وَقْرًا ؕ— وَاِنْ تَدْعُهُمْ اِلَی الْهُدٰی فَلَنْ یَّهْتَدُوْۤا اِذًا اَبَدًا ۟
और कोई भी उससे बढ़कर अत्याचारी नहीं हो सकता, जिसे उसके पालनहार की आयतों द्वारा समझाया जाए, लेकिन वह उसमें पाई जाने वाली अज़ाब की धमकी की परवाह न करे और उससे नसीहत प्राप्त करने से मुँह मोड़ ले। तथा उसने अपने सांसारिक जीवन में जो कुफ़्र और पाप करके आगे बढ़ाए हैं, उन्हें भूल जाए और उनसे तौबा न करे। निश्चय हमने ऐसे लोगों के दिलों पर पर्दे डाल दिए हैं, जो उन्हें क़ुरआन समझने से रोक रहे हैं, और उनके कानों में बहरापन डाल दिया है, जिसके कारण वे उसे स्वीकार करने के लिए नहीं सुनते हैं। यदि तुम उन्हें ईमान की ओर बुलाओ, तो जब तक उनके दिलों पर पर्दे और उनके कानों में बहरापन है, तुम्हारे बुलावे का कदापि उत्तर नहीं देंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَرَبُّكَ الْغَفُوْرُ ذُو الرَّحْمَةِ ؕ— لَوْ یُؤَاخِذُهُمْ بِمَا كَسَبُوْا لَعَجَّلَ لَهُمُ الْعَذَابَ ؕ— بَلْ لَّهُمْ مَّوْعِدٌ لَّنْ یَّجِدُوْا مِنْ دُوْنِهٖ مَوْىِٕلًا ۟
और ऐसा न हो कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आपको झुठलाने वालों को जल्दी यातना देने की आकांक्षा करें, अल्लाह तआला ने आपसे फरमाया : और (ऐ रसूल!) आपका पालनहार अपने तौबा करने वाले बंदो के पापों को क्षमा करने वाला, तथा ऐसी दया वाला है, जो हर चीज़ को शामिल है। और उसकी दया में से यह भी है कि वह अवज्ञाकारियों को ढील देता है, ताकि वे उसके समक्ष तौबा कर लें। यदि अल्लाह इन मुँह मोड़ने वालों को सज़ा देता, तो इसी सांसारिक जीवन में उन्हें जल्दी सज़ा दे देता। परंतु वह सहनशील और दयालु है। उनसे यातना को टाल रखा है, ताकि वे तौबा कर लें। बल्कि उनके लिए एक विशिष्ट स्थान और समय है, जिनमें उन्हें उनके कुफ्र एवं मुँह मोड़ने की सज़ा दी जाएगी, यदि उन्होंने तौबा नहीं की। उसके सिवा, उन्हें बचने का कोई ऐसा स्थान नहीं मिलेगा, जहाँ वे शरण ले सकें।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَتِلْكَ الْقُرٰۤی اَهْلَكْنٰهُمْ لَمَّا ظَلَمُوْا وَجَعَلْنَا لِمَهْلِكِهِمْ مَّوْعِدًا ۟۠
तथा वे काफ़िर बस्तियाँ, जो तुम्हारे आस-पास ही आबाद थीं, जैसे हूद, सालेह और शुऐब अलैहिस्सलाम की जातियों की बस्तियाँ, हमने उन्हें विनष्ट कर दिया, जब उन्होंने कुफ़्र और गुनाहों के द्वारा खुद पर अत्याचार किया, और हमने उनके विनाश का एक विशिष्ट समय निर्धारित कर रखा था।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذْ قَالَ مُوْسٰی لِفَتٰىهُ لَاۤ اَبْرَحُ حَتّٰۤی اَبْلُغَ مَجْمَعَ الْبَحْرَیْنِ اَوْ اَمْضِیَ حُقُبًا ۟
और (ऐ रसूल) वह समय याद करें, जब मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने सेवक यूशा बिन नून से कहा : मैं लगातार चलता ही रहूँगा, यहाँ तक कि दो सागरों के संगम पर पहुँच जाऊँ या लंबे समय तक चलता ही रहूँ, यहाँ तक कि सदाचारी बंदे से मिलकर उससे कुछ ज्ञान अर्जित कर लूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَمَّا بَلَغَا مَجْمَعَ بَیْنِهِمَا نَسِیَا حُوْتَهُمَا فَاتَّخَذَ سَبِیْلَهٗ فِی الْبَحْرِ سَرَبًا ۟
फिर वे दोनों चल पड़े और जब वे दो सागरों के संगम पर पहुँचे, तो वे अपनी वह मछली भूल गए, जिसे उन्होंने अपने लिए भोजन के रूप में लिया था। चुनाँचे अल्लाह ने मछली को जीवित कर दिया और उसने समुद्र में सुरंग की तरह रास्ता बना लिया, उसके साथ पानी मिलता नहीं था।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• عظمة القرآن وجلالته وعمومه؛ لأن فيه كل طريق موصل إلى العلوم النافعة، والسعادة الأبدية، وكل طريق يعصم من الشر.
• क़ुरआन की महानता, महिमा और सर्व सामान्यता; क्योंकि उसमें लाभदायक ज्ञान और शाश्वत सुख की ओर ले जाने वाला हर रास्ता, तथा बुराई से बचाने वाला प्रत्येक मार्ग है।

• من حكمة الله ورحمته أن تقييضه المبطلين المجادلين الحق بالباطل من أعظم الأسباب إلى وضوح الحق، وتبيُّن الباطل وفساده.
• यह अल्लाह की हिकमत और दया में से है कि उसका असत्य के साथ सत्य से वाद-विवाद करने वाले असत्यवादियों को उत्पन्न करना, सत्य की स्पष्टता तथा असत्य और उसकी खराबियों को स्पष्ट करने के सबसे बड़े कारणों में से है।

• في الآيات من التخويف لمن ترك الحق بعد علمه أن يحال بينه وبين الحق، ولا يتمكن منه بعد ذلك، ما هو أعظم مُرَهِّب وزاجر عن ذلك.
• इन आयतों में, सत्य को जानने के बावजूद उसे त्याग कर देने वाले को इस बात से डराया गया है कि उसके और सत्य के बीच बाधा न खड़ी कर दी जाए और उसके बाद वह सत्य को प्राप्त करने में सक्षम न हो सके, जो ऐसा करने से सबसे बड़ा निरोधक और भयभीत करने वाला है।

• فضيلة العلم والرحلة في طلبه، واغتنام لقاء الفضلاء والعلماء وإن بعدت أقطارهم.
• ज्ञान की श्रेष्ठता और उसे प्राप्त करने के लिए यात्रा का महत्व, तथा गुणी लोगों और विद्वानों की मुलाक़ात से लाभ उठाना, भले ही उनके देश दूर हों।

• الحوت يطلق على السمكة الصغيرة والكبيرة ولم يرد في القرآن لفظ السمك، وإنما ورد الحوت والنون واللحم الطري.
• 'ह़ूत' शब्द छोटी और बड़ी दोनों तरह की मछली के लिए आता है। दरअसल, क़ुरआन में 'समक' शब्द नहीं आया है, बल्कि 'ह़ूत', 'नून' और 'लहम तरी' (नरम मांस) शब्द आए हैं।

فَلَمَّا جَاوَزَا قَالَ لِفَتٰىهُ اٰتِنَا غَدَآءَنَا ؗ— لَقَدْ لَقِیْنَا مِنْ سَفَرِنَا هٰذَا نَصَبًا ۟
जब वे दोनों उस स्थान से आगे बढ़ गए, तो मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने सेवक से कहा : हमें दोपहर का खाना लाओ, हम इस यात्रा से बहुत थक गए हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ اَرَءَیْتَ اِذْ اَوَیْنَاۤ اِلَی الصَّخْرَةِ فَاِنِّیْ نَسِیْتُ الْحُوْتَ ؗ— وَمَاۤ اَنْسٰىنِیْهُ اِلَّا الشَّیْطٰنُ اَنْ اَذْكُرَهٗ ۚ— وَاتَّخَذَ سَبِیْلَهٗ فِی الْبَحْرِ ۖۗ— عَجَبًا ۟
युवक ने कहा : क्या आपने देखा कि जब हम चट्टान के पास ठहरे थे तब क्या हुआ था?! वास्तव में, मैं आपसे मछली की बात का उल्लेख करना भूल गया था। और मुझे आपसे उसका उल्लेख करना शैतान ही ने भुलाया था। हुआ यह कि मछली ज़िंदा हो गई और उसने आश्चर्यजनक रूप से समुद्र में अपना रास्ता बना लिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ ذٰلِكَ مَا كُنَّا نَبْغِ ۖۗ— فَارْتَدَّا عَلٰۤی اٰثَارِهِمَا قَصَصًا ۟ۙ
मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने सेवक से कहा : यह वही है, जो हम चाहते थे। यही तो उस नेक बंदे के स्थान की निशानी है। फिर वे दोनों अपने पैरों के निशान देखते हुए वापस हुए; ताकि राह न भटकें, यहाँ तक कि चट्टान के पास पहुँच गए और वहाँ से मछली के प्रवेश की जगह तक पहुँचे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَوَجَدَا عَبْدًا مِّنْ عِبَادِنَاۤ اٰتَیْنٰهُ رَحْمَةً مِّنْ عِنْدِنَا وَعَلَّمْنٰهُ مِنْ لَّدُنَّا عِلْمًا ۟
जब वे दोनों मछली गुम होने के स्थान पर पहुँचे, तो हमारे एक सदाचारी बंदे को पाया (जो कि ख़ज़िर अलैहिस्सलाम थे)। हमने उसे अपने पास से दया प्रदान की थी और उसे अपनी ओर से ऐसा ज्ञान सिखाया था, जिसे लोग नहीं जानते थे। और यह कहानी उसी ज्ञान पर आधारित है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ لَهٗ مُوْسٰی هَلْ اَتَّبِعُكَ عَلٰۤی اَنْ تُعَلِّمَنِ مِمَّا عُلِّمْتَ رُشْدًا ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे विनम्रता के साथ कहा : क्या मैं इस (शर्त) पर आपका अनुसरण करूँ कि अल्लाह ने आपको जो ज्ञान सिखाया है, जो सच्चाई के लिए एक मार्गदर्शक है, उसमें से कुछ मुझे सिखा दें?
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِیْعَ مَعِیَ صَبْرًا ۟
ख़ज़िर अलैहिस्सलाम ने कहा : तुम मेरे ज्ञान में से जो कुछ देखोगे, उसपर हरगिज़ धैर्य नहीं रख सकोगे, क्योंकि वह तुम्हारे पास मौजूद ज्ञान से मेल नहीं खाएगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَكَیْفَ تَصْبِرُ عَلٰی مَا لَمْ تُحِطْ بِهٖ خُبْرًا ۟
और तुम उन कामों को देखकर कैसे धैर्य रख सकते हो, जिनके बारे में तुम्हें नहीं पता कि उसमें क्या सही है; क्योंकि तुम उनके बारे में अपने ज्ञान की मात्रा के अनुसार फ़ैसला करोगे?!
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ سَتَجِدُنِیْۤ اِنْ شَآءَ اللّٰهُ صَابِرًا وَّلَاۤ اَعْصِیْ لَكَ اَمْرًا ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : अगर अल्लाह ने चाहा, तो आप मुझे, मेरे द्वारा देखे गए अपने कार्यों पर धैर्य रखने वाला, आपकी आज्ञाकारिता के लिए प्रतिबद्ध पाएँगे। आप मुझे जो आदेश देंगे, मैं उसकी अवज्ञा नहीं करूँगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ فَاِنِ اتَّبَعْتَنِیْ فَلَا تَسْـَٔلْنِیْ عَنْ شَیْءٍ حَتّٰۤی اُحْدِثَ لَكَ مِنْهُ ذِكْرًا ۟۠
ख़ज़िर ने मूसा से कहा : यदि आप मेरा अनुसरण करते हैं, तो मुझसे उस चीज़ के बारे में मत पूछें, जो आप मुझे करते हुए देखते हैं, यहाँ तक कि मैं खुद ही उसकी वजह बताना शुरू कर दूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَانْطَلَقَا ۫— حَتّٰۤی اِذَا رَكِبَا فِی السَّفِیْنَةِ خَرَقَهَا ؕ— قَالَ اَخَرَقْتَهَا لِتُغْرِقَ اَهْلَهَا ۚ— لَقَدْ جِئْتَ شَیْـًٔا اِمْرًا ۟
जब वे दोनों इस बात पर सहमत हो गए, तो समुद्र के तट की ओर चल पड़े, यहाँ तक कि एक नौका मिली, और वे दोनों ख़ज़िर के सम्मान में किराए के बिना ही उसमें सवार हो गए। लेकिन ख़ज़िर ने नौका का एक तख़्ता उखाड़कर उसे फाड़ दिया। मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : क्या आपने उस नौका को फाड़ दिया, जिसके लोगों ने हमें बिना किसी किराए के सवार किया, ताकि आप उसके सवारों को डुबो दें?! निश्चित रूप से आपने एक गंभीर काम किया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ اَلَمْ اَقُلْ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِیْعَ مَعِیَ صَبْرًا ۟
ख़ज़िर ने मूसा से कहा : क्या मैंने नहीं कहा था : तुम जो कुछ मुझसे देखोगे, उसपर मेरे साथ हरगिज़ धैर्य नहीं रख सकोगे?!
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ لَا تُؤَاخِذْنِیْ بِمَا نَسِیْتُ وَلَا تُرْهِقْنِیْ مِنْ اَمْرِیْ عُسْرًا ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने ख़ज़िर से कहा : मेरे भूलवश आपकी प्रतिज्ञा छोड़ने के कारण आप मेरी पकड़ न करें और अपनी संगत के मामले में मुझे तंगी में न डालें और सख़्ती न करें।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَانْطَلَقَا ۫— حَتّٰۤی اِذَا لَقِیَا غُلٰمًا فَقَتَلَهٗ ۙ— قَالَ اَقَتَلْتَ نَفْسًا زَكِیَّةً بِغَیْرِ نَفْسٍ ؕ— لَقَدْ جِئْتَ شَیْـًٔا نُّكْرًا ۟
फिर नाव से उतरने के बाद, वे दोनो तट पर चलने लगे। तो उन्होंने एक बच्चे को, जो अभी बालिग नहीं हुआ था, अन्य बच्चों के साथ खेलते देखा। तो ख़ज़िर ने उसे मार डाला। इसपर मूसा अलैहिस्सलाम ने उनसे कहा : क्या आपने एक पवित्र (निर्दोष) जान को जो बालिग नहीं हुई थी, बिना किसी अपराध के क़त्ल कर दिया?! आपने एक बहुत ही बुरा काम किया है!
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• استحباب كون خادم الإنسان ذكيًّا فطنًا كَيِّسًا ليتم له أمره الذي يريده.
• किसी व्यक्ति का सेवक (नौकर) बुद्धिमान, होशियार और चालाक होना चाहिए, ताकि वह उसके उस काम को पूरा कर सके, जो वह चाहता है।

• أن المعونة تنزل على العبد على حسب قيامه بالمأمور به، وأن الموافق لأمر الله يُعان ما لا يُعان غيره.
• बंदे पर अल्लाह की मदद उसके अल्लाह के आदेशों का पालन करने के अनुरूप ही उतरती है, तथा अल्लाह के आदेश के अनुसार चलने वाले की जो सहायता की जाती है, वह किसी अन्य की नहीं की जाती।

• التأدب مع المعلم، وخطاب المتعلم إياه ألطف خطاب.
• शिक्षक के साथ शीलता एवं शिष्टता का व्यवहार करना, और शिक्षार्थी का उसे सबसे विनम्र शब्दों से संबोधित करना।

• النسيان لا يقتضي المؤاخذة، ولا يدخل تحت التكليف، ولا يتعلق به حكم.
• भूल-चूक पर जवाबदेही नहीं बनती, तथा वह शरई दायित्व के अंतर्गत नहीं आती और न ही उससे कोई शरई हुक्म संबंधित होता है।

• تعلم العالم الفاضل للعلم الذي لم يَتَمَهَّر فيه ممن مهر فيه، وإن كان دونه في العلم بدرجات كثيرة.
• एक उत्कृष्ट ज्ञानी व्यक्ति का वह ज्ञान, जिसमें वह दक्ष नहीं है, ऐसे व्यक्ति से सीखना, जो उसमें दक्ष है, भले ही वह ज्ञान में उससे कई दर्जा नीचे हो।

• إضافة العلم وغيره من الفضائل لله تعالى، والإقرار بذلك، وشكر الله عليها.
• ज्ञान तथा उसके अलावा अन्य गुणों को सर्वशक्तिमान अल्लाह से संबंधित करना, उन्हें स्वीकार करना और उनके लिए अल्लाह का आभारी होना।

قَالَ اَلَمْ اَقُلْ لَّكَ اِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِیْعَ مَعِیَ صَبْرًا ۟
ख़ज़िर ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : मैंने आपसे कहा था कि (ऐ मूसा!) आप मेरे द्वारा किए गए कार्यों को देखकर धैर्य नहीं रख पाएँगे!
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ اِنْ سَاَلْتُكَ عَنْ شَیْ بَعْدَهَا فَلَا تُصٰحِبْنِیْ ۚ— قَدْ بَلَغْتَ مِنْ لَّدُنِّیْ عُذْرًا ۟
मूसा अलैहिस्सलाम ने कहा : यदि मैं इस बार के बाद आपसे किसी चीज़ के बारे में पूछूँ, तो मुझे अलग कर दीजिएगा। निश्चय आप उस सीमा तक पहुँच चुके हैं, जहाँ आपके पास मेरा साथ छोड़ने का उचित कारण है; क्योंकि मैंने आपकी दो बार अवज्ञा की।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَانْطَلَقَا ۫— حَتّٰۤی اِذَاۤ اَتَیَاۤ اَهْلَ قَرْیَةِ ١سْتَطْعَمَاۤ اَهْلَهَا فَاَبَوْا اَنْ یُّضَیِّفُوْهُمَا فَوَجَدَا فِیْهَا جِدَارًا یُّرِیْدُ اَنْ یَّنْقَضَّ فَاَقَامَهٗ ؕ— قَالَ لَوْ شِئْتَ لَتَّخَذْتَ عَلَیْهِ اَجْرًا ۟
फिर दोनों चल पड़े, यहाँ तक कि जब वे एक गाँव वालों के पास आए, उसके रहने वालों से भोजन माँगा, तो गाँव वालों ने दोनों को भोजन कराने और उनकी मेहमानी का हक़ अदा करने से इनकार कर दिया। इसी बीच दोनों को गाँव में एक दीवार मिली, जो झुकी हुई थी और गिरने ही वाली थी। ख़ज़िर ने उसे बराबर करके सीधा कर दिया। इसपर मूसा अलैहिस्सलाम ने ख़ज़िर से कहा : यदि आप इसकी मरम्मत के लिए कुछ मज़दूरी लेना चाहते, तो ज़रूर ले लेते, जिसकी हमें उनके हमारी मेज़बानी करने से इनकार करने के बाद आवश्यकता भी थी।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ هٰذَا فِرَاقُ بَیْنِیْ وَبَیْنِكَ ۚ— سَاُنَبِّئُكَ بِتَاْوِیْلِ مَا لَمْ تَسْتَطِعْ عَّلَیْهِ صَبْرًا ۟
ख़ज़िर ने मूसा अलैहिस्सलाम से कहा : दीवार सीधी करने पर मेरे पारिश्रमिक न लेने पर यह आपत्ति आपके और मेरे बीच जुदाई का बिंदु है। अब मैं आपको उसकी वास्तविकता बताऊँगा, जो मुझे करते हुए देख आप धैर्य नहीं रख सके।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمَّا السَّفِیْنَةُ فَكَانَتْ لِمَسٰكِیْنَ یَعْمَلُوْنَ فِی الْبَحْرِ فَاَرَدْتُّ اَنْ اَعِیْبَهَا وَكَانَ وَرَآءَهُمْ مَّلِكٌ یَّاْخُذُ كُلَّ سَفِیْنَةٍ غَصْبًا ۟
जहाँ तक नाव की बात है, जिसे फाड़ देने पर आपने मेरा विरोध किया था, तो उसके मालिक कुछ कमज़ोर लोग थे, जो सागर में उसपर काम करते थे और वे उसकी रक्षा करने में असमर्थ थे। इसलिए मैंने सोचा कि उसे फाड़कर ऐबदार बना दूँ; ताकि एक राजा जो उनके आगे था उसपर क़ब्ज़ा न कर ले, जो हर अच्छी नाव को उसके मालिकों से ज़बरदस्ती छीन लेता था, तथा हर ऐबदार (खराब) नाव को छोड़ देता था।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَمَّا الْغُلٰمُ فَكَانَ اَبَوٰهُ مُؤْمِنَیْنِ فَخَشِیْنَاۤ اَنْ یُّرْهِقَهُمَا طُغْیَانًا وَّكُفْرًا ۟ۚ
और रहा वह बालक, जिसकी हत्या करने पर आपने मेरा खंडन किया था, तो उसके माता-पिता ईमान वाले थे और वह (बालक) अल्लाह के ज्ञान में काफ़िर था। इसलिए हमें डर था कि कहीं वह बड़ा होने के बाद अपने माता-पिता को अल्लाह के साथ कुफ़्र और सरकशी के लिए न प्रेरित करे, क्योंकि माता-पिता को अपने बच्चे से असीम प्रेम होने के साथ-साथ उन्हें उसकी आवश्यकता भी होती है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاَرَدْنَاۤ اَنْ یُّبْدِلَهُمَا رَبُّهُمَا خَیْرًا مِّنْهُ زَكٰوةً وَّاَقْرَبَ رُحْمًا ۟
इसलिए हमने चाहा कि अल्लाह उन दोनों को उसके बदले में एक ऐसा बालक प्रदान करे, जो धार्मिकता, भलाई और पाप से बचने के मामले में उससे बेहतर हो और अपने माता-पिता के प्रति दया-भाव में उससे अधिक निकट हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَمَّا الْجِدَارُ فَكَانَ لِغُلٰمَیْنِ یَتِیْمَیْنِ فِی الْمَدِیْنَةِ وَكَانَ تَحْتَهٗ كَنْزٌ لَّهُمَا وَكَانَ اَبُوْهُمَا صَالِحًا ۚ— فَاَرَادَ رَبُّكَ اَنْ یَّبْلُغَاۤ اَشُدَّهُمَا وَیَسْتَخْرِجَا كَنْزَهُمَا ۖۗ— رَحْمَةً مِّنْ رَّبِّكَ ۚ— وَمَا فَعَلْتُهٗ عَنْ اَمْرِیْ ؕ— ذٰلِكَ تَاْوِیْلُ مَا لَمْ تَسْطِعْ عَّلَیْهِ صَبْرًا ۟ؕ۠
और रही बात उस दीवार की, जिसकी मैंने मरम्मत की थी तथा आपने उसकी मरम्मत करने पर मेरा विरोध किया था, वह उस नगर के दो बालकों की थी, जिसमें हम आए थे : उनके पिता की मृत्यु हो चुकी थी और दीवार के नीचे उन दोनों के लिए धन गाड़ा हुआ था और इन दोनों बालकों का पिता नेक था। इसलिए (हे मूसा!) आपके पालनहार ने चाहा कि वे दोनों वयस्कता तक पहुँचें और बड़े हो जाएँ और दीवार के नीचे से अपने गड़े हुए धन को निकालें; क्योंकि यदि दीवार अभी गिर जाती, तो उनका धन प्रकट हो जाता और क्षति से ग्रस्त हो जाता। दरअसल, यह उपाय आपके पालनहार की ओर से उन दोनों पर एक दया थी। मैंने इसे अपने विवेक से नहीं किया था। यह है असल वास्तविकता उन घटनाओं की, जिनपर आप धैर्य नहीं रख सके।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَسْـَٔلُوْنَكَ عَنْ ذِی الْقَرْنَیْنِ ؕ— قُلْ سَاَتْلُوْا عَلَیْكُمْ مِّنْهُ ذِكْرًا ۟ؕ
और (ऐ रसूल!) अनेकेश्वरवादी तथा यहूदी आपको परखने के लिए आपसे ज़ुल-क़रनैन के समाचार के बारे में पूछते हैं। आप कह दें : मैं तुम्हें उसके वृत्तांत का एक भाग अवश्य सुनाऊँगा, जिससे तुम शिक्षा ग्रहण कर सको और नसीहत हासिल कर सको।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• وجوب التأني والتثبت وعدم المبادرة إلى الحكم على الشيء.
● किसी चीज़ के बारे में कोई राय क़ायम करने से पहले उसके बारे में सोच-विचार और छानबीन कर लेना ज़रूरी है।

• أن الأمور تجري أحكامها على ظاهرها، وتُعَلق بها الأحكام الدنيوية في الأموال والدماء وغيرها.
● सारे मामलों का हुक्म उनके ज़ाहिर के आधार पर लागू होता है और ज़ाहिर के आधार पर ही धन एवं रक्त से संबंधित सारे सांसारिक अहकाम जारी होते हैं।

• يُدْفَع الشر الكبير بارتكاب الشر الصغير، ويُرَاعَى أكبر المصلحتين بتفويت أدناهما.
● छोटी बुराई करके बड़ी बुराई को टाला जाएगा और दो हितों में से छोटे हित की उपेक्षा करके बड़े हित की रक्षा की जाएगी।

• ينبغي للصاحب ألا يفارق صاحبه ويترك صحبته حتى يُعْتِبَه ويُعْذِر منه.
● एक साथी को चाहिए कि अपने साथी को उस समय तक अलग न करे और उसका साथ न छोड़े, जब तक उसकी भर्त्सना के कारण को समाप्त कर उसे आश्वस्त न कर दे और उसकी आशंकाओं को दूर न कर दे।

• استعمال الأدب مع الله تعالى في الألفاظ بنسبة الخير إليه وعدم نسبة الشر إليه .
● अल्लाह तआला के लिए शब्दों का प्रयोग करने में शिष्टाचार से काम लेते हुए भलाई की निसबत उसकी ओर की जाएगी और बुराई की निसबत उसकी ओर नहीं की जाएगी।

• أن العبد الصالح يحفظه الله في نفسه وفي ذريته.
● नेक बंदे के साथ अल्लाह का मामला यह रहता है कि वह ख़ुद उसकी और उसकी संतान की रक्षा करता है।

اِنَّا مَكَّنَّا لَهٗ فِی الْاَرْضِ وَاٰتَیْنٰهُ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ سَبَبًا ۟ۙ
हमने उसे धरती में प्रभुत्व प्रदान किया, तथा हमने उसे उसकी ज़रूरत से जुड़ी हर चीज़ का रास्ता दिया, जिससे वह अपने लक्ष्य तक पहुँच सके।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاَتْبَعَ سَبَبًا ۟
हमने उसे अपने उद्देश्य तक पहुँचने के लिए जो साधन एवं तरीक़े प्रदान किए थे, उसने उन्हें अपनाया और पश्चिम की ओर चल पड़ा।
Arabic explanations of the Qur’an:
حَتّٰۤی اِذَا بَلَغَ مَغْرِبَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَغْرُبُ فِیْ عَیْنٍ حَمِئَةٍ وَّوَجَدَ عِنْدَهَا قَوْمًا ؕ۬— قُلْنَا یٰذَا الْقَرْنَیْنِ اِمَّاۤ اَنْ تُعَذِّبَ وَاِمَّاۤ اَنْ تَتَّخِذَ فِیْهِمْ حُسْنًا ۟
तथा वह पृथ्वी पर चलता रहा, यहाँ तक कि जब सूर्यास्त की दिशा से (आँख की दृष्टि में) पृथ्वी के अंत तक पहुँच गया, तो उसने सूर्य को देखा, मानो कि वह एक काले कीचड़ वाले गर्म जलस्रोत में ड़ूब रहा है। तथा उसने सूर्यास्त के स्थान के पास अल्लाह पर विश्वास न रखने वाली एक जाति को पाया। हमने उसे एक विकल्प के रूप में कहा : ऐ ज़ुल-क़रनैन! या तो तुम इन लोगों को क़त्ल करके या किसी अन्य चीज़ के साथ यातना दो, और या तो तुम उनके साथ अच्छा व्यवहार करो।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ اَمَّا مَنْ ظَلَمَ فَسَوْفَ نُعَذِّبُهٗ ثُمَّ یُرَدُّ اِلٰی رَبِّهٖ فَیُعَذِّبُهٗ عَذَابًا نُّكْرًا ۟
ज़ुल-क़रनैन ने कहा : जो कोई हमारी ओर से एक अल्लाह की इबादत के लिए बुलाने के बाद भी अल्लाह के साथ साझी ठहराएगा और उसपर अटल रहेगा, तो हम उसे दुनिया में क़त्ल का दंड देंगे, फिर वह क़ियामत के दिन अपने पालनहार की ओर लौटाया जाएगा, तो वह उसे भयानक सज़ा देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَمَّا مَنْ اٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَلَهٗ جَزَآءَ ١لْحُسْنٰی ۚ— وَسَنَقُوْلُ لَهٗ مِنْ اَمْرِنَا یُسْرًا ۟ؕ
किंतु, उनमें से जो ईमान लाएगा तथा अच्छे कर्म करेगा, उसके लिए जन्नत है। यह उसके पालनहार की ओर से उसके ईमान तथा अच्छे कर्म का प्रतिफल है। तथा हम उसे अपने कामों में से सहज और सरल का आदेश देंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ اَتْبَعَ سَبَبًا ۟
फिर वह सूर्योदय की दिशा की ओर रुख करते हुए अपने पहले मार्ग को छोड़ दूसरे रास्ते पर चल पड़ा।
Arabic explanations of the Qur’an:
حَتّٰۤی اِذَا بَلَغَ مَطْلِعَ الشَّمْسِ وَجَدَهَا تَطْلُعُ عَلٰی قَوْمٍ لَّمْ نَجْعَلْ لَّهُمْ مِّنْ دُوْنِهَا سِتْرًا ۟ۙ
और वह चलता रहा, यहाँ तक कि जब वह (आँख की दृष्टि में) सूरज उगने की दिशा में पहुँच गया, तो उसने सूरज को ऐसे लोगों पर उगता हुआ पाया, जिनके लिए हमने सूर्य के ताप से बचने की कोई ओट, जैसे घर और पेड़ों की छाया नहीं बनाई थी।
Arabic explanations of the Qur’an:
كَذٰلِكَ ؕ— وَقَدْ اَحَطْنَا بِمَا لَدَیْهِ خُبْرًا ۟
ज़ुल-क़रनैन का मामला ऐसा ही था, तथा हमारे ज्ञान ने उसकी शक्ति और अधिकार के विवरण को घेर रखा था।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ اَتْبَعَ سَبَبًا ۟
फिर उसने पूर्व और पश्चिम के बीच पहले दो मार्गों के अलावा एक अन्य मार्ग अपनाया।
Arabic explanations of the Qur’an:
حَتّٰۤی اِذَا بَلَغَ بَیْنَ السَّدَّیْنِ وَجَدَ مِنْ دُوْنِهِمَا قَوْمًا ۙ— لَّا یَكَادُوْنَ یَفْقَهُوْنَ قَوْلًا ۟
और वह चलता रहा, यहाँ तक कि दो पर्वतों के बीच एक दर्रे तक पहुँचा, तो दोनों के उस पार एक ऐसी जाति को पाया, जो मुश्किल से किसी और की बात समझ पाती थी।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالُوْا یٰذَا الْقَرْنَیْنِ اِنَّ یَاْجُوْجَ وَمَاْجُوْجَ مُفْسِدُوْنَ فِی الْاَرْضِ فَهَلْ نَجْعَلُ لَكَ خَرْجًا عَلٰۤی اَنْ تَجْعَلَ بَیْنَنَا وَبَیْنَهُمْ سَدًّا ۟
उन लोगों ने कहा : ऐ ज़ुल-क़रनैन! याजूज और माजूज (इससे अभिप्राय दो बड़े मानव समुदाय थे।) हत्या आदि के द्वारा इस भूभाग में उत्पात मचाते रहते हैं। तो क्या हम आपको कुछ धन प्रदान करें कि आप हमारे और उनके बीच एक अवरोध निर्मित कर देंॽ
Arabic explanations of the Qur’an:
قَالَ مَا مَكَّنِّیْ فِیْهِ رَبِّیْ خَیْرٌ فَاَعِیْنُوْنِیْ بِقُوَّةٍ اَجْعَلْ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَهُمْ رَدْمًا ۟ۙ
ज़ुल-क़रनैन ने कहा : मेरे पालनहार ने मुझे जो शक्ति एवं सत्ता प्रदान की है, वह मेरे लिए उससे बेहतर है जो तुम मुझे धन दे रहे हो। अतः तुम मानवबल और उपकरणों के द्वारा मेरी सहायता करो, मैं तुम्हारे और उनके बीच एक अवरोध बना दूँगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
اٰتُوْنِیْ زُبَرَ الْحَدِیْدِ ؕ— حَتّٰۤی اِذَا سَاوٰی بَیْنَ الصَّدَفَیْنِ قَالَ انْفُخُوْا ؕ— حَتّٰۤی اِذَا جَعَلَهٗ نَارًا ۙ— قَالَ اٰتُوْنِیْۤ اُفْرِغْ عَلَیْهِ قِطْرًا ۟ؕ
तुम लोहे के टुकड़े ले आओ। चुनाँचे वे लोहे के टुकड़े ले आए, तो वह उनके साथ दोनों पहाड़ों के बीच दीवार बनाना शुरू कर दिया, यहाँ तक कि जब उसने दीवार को दोनों पर्वतों के बराबर कर दिया, तो उसने श्रमिकों से कहा : इन टुकड़ों पर आग दहकाओ। यहाँ तक कि जब लोहे के टुकड़े लाल हो गए, तो उसने कहा : ताँबा ले आओ कि मैं उसे इसपर उंडेल दूँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَمَا اسْطَاعُوْۤا اَنْ یَّظْهَرُوْهُ وَمَا اسْتَطَاعُوْا لَهٗ نَقْبًا ۟
फिर याजूज और माजूज उसकी ऊँचाई के कारण उसपर चढ़ नहीं सके और उसकी मज़बूती के कारण उसमें नीचे से सेंध भी नहीं लगा सके।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• أن ذا القرنين أحد الملوك المؤمنين الذين ملكوا الدنيا وسيطروا على أهلها، فقد آتاه الله ملكًا واسعًا، ومنحه حكمة وهيبة وعلمًا نافعًا.
● ज़ुल-क़रनैन उन मोमिन शासकों में से एक है, जिन्होंने दुनिया पर राज किया और दुनिया वालों पर हुकूमत की। अल्लाह ने उसे एक विशाल राज्य प्रदान किया था तथा उसे हिकमत, प्रताप और उपयोगी ज्ञान प्रदान किया था।

• من واجب الملك أو الحاكم أن يقوم بحماية الخلق في حفظ ديارهم، وإصلاح ثغورهم من أموالهم.
● राजा या शासक का कर्तव्य है कि वह जनता के धन से उनके घरों और उनकी सरहदों की रक्षा कर उनकी संपूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करे।

• أهل الصلاح والإخلاص يحرصون على إنجاز الأعمال ابتغاء وجه الله.
● सदाचारी और निष्ठावान लोग अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए कार्यों को पूरा करने के इच्छुक होते हैं।

قَالَ هٰذَا رَحْمَةٌ مِّنْ رَّبِّیْ ۚ— فَاِذَا جَآءَ وَعْدُ رَبِّیْ جَعَلَهٗ دَكَّآءَ ۚ— وَكَانَ وَعْدُ رَبِّیْ حَقًّا ۟ؕ
ज़ुल-क़रनैन ने कहा : यह बाँध मेरे रब की ओर से एक दया है, जो याजूज और माजूज को धरती में उपद्रव मचाने से रोकने का काम करेगा। फिर जब वह समय आ जाएगा, जिसे अल्लाह ने क़ियामत से पहले उनके निकलने के लिए निर्धारित कर रखा है, तो अल्लाह उसे ध्वस्त कर देगा। तथा उसे ध्वस्त करके ज़मीन के बराबर करने और याजूज एवं माजूज के निकलने से संबंधित अल्लाह का वादा अटल है, जिसका उल्लंघन नहीं हो सकता।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَتَرَكْنَا بَعْضَهُمْ یَوْمَىِٕذٍ یَّمُوْجُ فِیْ بَعْضٍ وَّنُفِخَ فِی الصُّوْرِ فَجَمَعْنٰهُمْ جَمْعًا ۟ۙ
और हम अंतिम काल में लोगों को इस अवस्था में छोड़ देंगे कि वे एक-दूसरे से मौजों की तरह परस्पर गुत्थम-गुत्था हो जाएँगे और “सूर” फूँक दिया जाएगा, तो हम सभी प्राणियों को हिसाब और बदले के लिए इकट्ठा कर लेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَّعَرَضْنَا جَهَنَّمَ یَوْمَىِٕذٍ لِّلْكٰفِرِیْنَ عَرْضَا ۟ۙ
और (उस दिन) हम काफ़िरों के लिए जहन्नम को स्पष्ट रूप से प्रकट कर देंगे, ताकि वे उसे अपनी आँखों से देख लें।
Arabic explanations of the Qur’an:
١لَّذِیْنَ كَانَتْ اَعْیُنُهُمْ فِیْ غِطَآءٍ عَنْ ذِكْرِیْ وَكَانُوْا لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ سَمْعًا ۟۠
हम उसे उन काफ़िरों के लिए प्रकट करेंगे, जो संसार में अल्लाह के स्मरण से अंधे थे, क्योंकि उनकी आँखों पर अल्लाह की याद से रोकने वाला पर्दा पड़ा था और वे अल्लाह की आयतों को इस तरह सुनने में सक्षम नहीं थे कि उन्हें स्वीकार कर लें।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَفَحَسِبَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنْ یَّتَّخِذُوْا عِبَادِیْ مِنْ دُوْنِیْۤ اَوْلِیَآءَ ؕ— اِنَّاۤ اَعْتَدْنَا جَهَنَّمَ لِلْكٰفِرِیْنَ نُزُلًا ۟
क्या अल्लाह पर विश्वास न रखने वालों ने समझ रखा है कि वे मुझे छोड़कर मेरे बंदों; फ़रिश्तों, रसूलों और शैतानों को पूज्य बना लेंगे?! निःसंदेह हमने जहन्नम को विश्वास न रखने वालों के लिए ठिकाने के रूप में तैयार कर रखा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ هَلْ نُنَبِّئُكُمْ بِالْاَخْسَرِیْنَ اَعْمَالًا ۟ؕ
(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : क्या हम (ऐ लोगो!) तुम्हें उन लोगों के बारे में बताएँ जो अपने कर्म की दृष्टि से सबसे अधिक घाटा उठाने वाले हैंॽ
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَّذِیْنَ ضَلَّ سَعْیُهُمْ فِی الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَهُمْ یَحْسَبُوْنَ اَنَّهُمْ یُحْسِنُوْنَ صُنْعًا ۟
वे लोग जो क़ियामत के दिन यह देखेंगे कि वे दुनिया में जो प्रयास कर रहे थे, वह बेकार हो गया। जबकि वे समझते हैं कि वे अच्छी कोशिश कर रहे हैं और वे अपने कर्मों से लाभान्वित होंगे, हालाँकि वास्तविकता इसके विपरीत है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اُولٰٓىِٕكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاٰیٰتِ رَبِّهِمْ وَلِقَآىِٕهٖ فَحَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ فَلَا نُقِیْمُ لَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ وَزْنًا ۟
यही वे लोग हैं, जिन्होंने अपने पालनहार की उन आयतों का इनकार किया, जो उसके एकेश्वरवाद को दर्शाती हैं और उससे मिलने का इनकार किया। अतः उनके इस इनकार के कारण उनके सारे कर्म बेकार हो गए। इसलिए, क़ियामत के दिन अल्लाह के निकट उनका कोई मान नहीं होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
ذٰلِكَ جَزَآؤُهُمْ جَهَنَّمُ بِمَا كَفَرُوْا وَاتَّخَذُوْۤا اٰیٰتِیْ وَرُسُلِیْ هُزُوًا ۟
वह बदला जो उनके लिए तैयार किया गया है, जहन्नम है। क्योंकि उन्होंने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया, तथा मेरी उतारी हुई आयतों और मेरे रसूलों का उपहास किया।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ كَانَتْ لَهُمْ جَنّٰتُ الْفِرْدَوْسِ نُزُلًا ۟ۙ
निश्चय जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कर्म किए, उन्हें उनके सम्मान स्वरूप जन्नत का सर्वोच्च स्थान प्राप्त होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
خٰلِدِیْنَ فِیْهَا لَا یَبْغُوْنَ عَنْهَا حِوَلًا ۟
जिसमें वे सदैव रहेंगे, वहाँ से स्थानांतरित होना नहीं चाहेंगे, क्योंकि उसके बराबर का कोई प्रतिफल नहीं होगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ لَّوْ كَانَ الْبَحْرُ مِدَادًا لِّكَلِمٰتِ رَبِّیْ لَنَفِدَ الْبَحْرُ قَبْلَ اَنْ تَنْفَدَ كَلِمٰتُ رَبِّیْ وَلَوْ جِئْنَا بِمِثْلِهٖ مَدَدًا ۟
(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : मेरे पालनहार की बातें बहुत ज़्यादा हैं। अतः यदि उन्हें लिखने के लिए समुद्र स्याही बन जाए, तो पवित्र अल्लाह की बातें समाप्त होने से पहले ही समुद्र का पानी समाप्त हो जाएगा। बल्कि यदि हम और भी समुद्र ले आएँ, तो वे भी समाप्त हो जाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ اِنَّمَاۤ اَنَا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ یُوْحٰۤی اِلَیَّ اَنَّمَاۤ اِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— فَمَنْ كَانَ یَرْجُوْا لِقَآءَ رَبِّهٖ فَلْیَعْمَلْ عَمَلًا صَالِحًا وَّلَا یُشْرِكْ بِعِبَادَةِ رَبِّهٖۤ اَحَدًا ۟۠
(ऐ रसूल!) आप कह दीजिए : मैं तो तुम्हारे ही जैसा एक मनुष्य हूँ। मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) की जाती है कि तुम्हारा वास्तविक पूज्य बस एक ही है, उसका कोई साझी नहीं और वह अल्लाह है। अतः जो अपने रब से मिलने का भय रखता हो, वह अपने पालनहार के प्रति निष्ठावान होकर उसकी शरीयत के अनुसार कार्य करे और अपने पालनहार की उपासना में किसी को साझी न बनाए।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• إثبات البعث والحشر بجمع الجن والإنس في ساحات القيامة بالنفخة الثانية في الصور.
• “सूर” में दूसरी बार फूँक मारे जाने पर जिन्न और इनसान को जीवित करके क़ियामत के मैदान में एकत्र करने का सबूत।

• أن أشد الناس خسارة يوم القيامة هم الذين ضل سعيهم في الدنيا، وهم يظنون أنهم يحسنون صنعًا في عبادة من سوى الله.
• क़ियामत के दिन सबसे अधिक घाटा उठाने वाले लोग वे होंगे, जिनके दुनिया के सारे प्रयास व्यर्थ हो जाएँगे। हालाँकि वे यह समझते थे कि वे अल्लाह के अलावा की उपासना करके अच्छा काम कर रहे हैं।

• لا يمكن حصر كلمات الله تعالى وعلمه وحكمته وأسراره، ولو كانت البحار والمحيطات وأمثالها دون تحديد حبرًا يكتب به.
• अल्लाह की बातों, उसके ज्ञान, उसकी हिकमत और उसके रहस्यों के सभी पहलुओं को समेटना और महसूर करना संभव नहीं है, अगरचे समुद्रों, महासागरों और बिना निर्दिष्ट किए इसी तरह की चीज़ों को लिखने के लिए स्याही बना लिया जाए।

 
Translation of the meanings Surah: Al-Kahf
Surahs’ Index Page Number
 
Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Translations’ Index

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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