Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: As-Sajdah   Ayah:

सूरा अस्-सज्दा

Purposes of the Surah:
بيان حقيقة الخلق وأحوال الإنسان في الدنيا والآخرة.
सृष्टि की वास्तविकता तथा दुनिया और आख़िरत में मनुष्य की स्थितियों का वर्णन।

الٓمّٓ ۟ۚ
(अलिफ़, लाम, मीम) सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
Arabic explanations of the Qur’an:
تَنْزِیْلُ الْكِتٰبِ لَا رَیْبَ فِیْهِ مِنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ
यह क़ुरआन, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं, आपपर सर्व संसार के पालनहार की ओर से उतारा गया है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ۚ— بَلْ هُوَ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّاۤ اَتٰىهُمْ مِّنْ نَّذِیْرٍ مِّنْ قَبْلِكَ لَعَلَّهُمْ یَهْتَدُوْنَ ۟
ये काफ़िर लोग कहते हैं : मुहम्मद ने इसे अपने पालनहार पर गढ़ लिया है। मामला ऐसा नहीं है जैसा उन्होंने कहा है। बल्कि वह सत्य है, जिसमें कोई संदेह नहीं है, वह (ऐ रसूल) आपके ऊपर आपके पालनहार की ओर से उतारा गया है, ताकि आप उन लोगों को डराएँ, जिनके पास आपसे पहले कोई रसूल नहीं आया, जो उन्हें अल्लाह की यातना से डराता। ताकि वे सत्य के मार्ग पर जाएँ, और उसका पालन करें और उसके अनुसार कार्य करें।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَللّٰهُ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ ؕ— مَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِهٖ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا شَفِیْعٍ ؕ— اَفَلَا تَتَذَكَّرُوْنَ ۟
अल्लाह वह है, जिसने आकाशों की रचना, धरती की रचना और उन दोनों के बीच की सभी चीज़ों की रचना छः दिनों में की। जबकि वह पलक झपकने से कम समय में भी उन्हें पैदा करने में सक्षम है। फिर वह अपनी महिमा के योग्य अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। (ऐ लोगो!) उसके सिवा तुम्हारा कोई संरक्षक नहीं है, जो तुम्हारे मामले का प्रभार ले, और न कोई सिफ़ारिशी है, जो तुम्हारे पालनहार के पास तुम्हारे लिए सिफ़ारिश करे। तो क्या तुम सोच-विचार नहीं करते, और उस अल्लाह की इबादत करते, जिसने तुम्हें पैदा किया और उसके साथ उसके अलावा की इबादत न करते?!
Arabic explanations of the Qur’an:
یُدَبِّرُ الْاَمْرَ مِنَ السَّمَآءِ اِلَی الْاَرْضِ ثُمَّ یَعْرُجُ اِلَیْهِ فِیْ یَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهٗۤ اَلْفَ سَنَةٍ مِّمَّا تَعُدُّوْنَ ۟
सर्वशक्तिमान अल्लाह आकाशों और धरती के सभी प्राणियों के मामले का प्रबंध करता है, फिर वह मामला उसकी ओर एक ऐसे दिन में ऊपर जाता है, जो दुनिया के तुम्हारे हिसाब के अनुसार एक हज़ार दिन के बराबर है।
Arabic explanations of the Qur’an:
ذٰلِكَ عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟ۙ
वह (अल्लाह) जो इन सब का प्रबंधन करता है, वही जानने वाला है जो कुछ अनुपस्थित है और जो कुछ मौजूद है। आकाशों और धरती की कोई चीज़ उससे छिपी नहीं है। (वह) प्रभुत्वशाली है, जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, जो अपने दुश्मनों से बदला लेता है, (और) अपने मोमिन बंदों पर दया करने वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
الَّذِیْۤ اَحْسَنَ كُلَّ شَیْءٍ خَلَقَهٗ وَبَدَاَ خَلْقَ الْاِنْسَانِ مِنْ طِیْنٍ ۟ۚ
जिसने अपनी पैदा की हुई हर चीज़ को अच्छा बनाया और किसी पूर्व उदाहरण के बिना आदम की रचना की शुरुआत मिट्टी से की।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ جَعَلَ نَسْلَهٗ مِنْ سُلٰلَةٍ مِّنْ مَّآءٍ مَّهِیْنٍ ۟ۚ
फिर उसके बाद उसकी संतान को उस पानी से पैदा किया, जो उसके शरीर से निकला, जिससे वीर्य निकला।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ سَوّٰىهُ وَنَفَخَ فِیْهِ مِنْ رُّوْحِهٖ وَجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَ ؕ— قَلِیْلًا مَّا تَشْكُرُوْنَ ۟
फिर ठीक-ठाक करके इनसान की रचना पूरी की और प्राण फूँकने के कार्य पर नियुक्त फ़रिश्ते को आदेश देकर उसके अंदर अपना प्राण फूँक दिया। और उसने (ऐ लोगो) तुम्हें सुनने के लिए कान दिए, और देखने के लिए आँखें दीं, और समझने के लिए दिल दिए। तुम इन नेमतों का बहुत ही कम शुक्रिया अदा करते हो, जो अल्लाह ने तुम्हें दी हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَقَالُوْۤا ءَاِذَا ضَلَلْنَا فِی الْاَرْضِ ءَاِنَّا لَفِیْ خَلْقٍ جَدِیْدٍ ؕ۬— بَلْ هُمْ بِلِقَآءِ رَبِّهِمْ كٰفِرُوْنَ ۟
और मरणोपरांत दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले बहुदेववादियों ने कहा : जब हम मर जाएँगे और धरती में गायब हो जाएँगे, और हमारे शरीर मिट्टी हो जाएँगे, तो क्या हम नए सिरे से जीवित करके उठाए जाएँगे?! यह बात समझ से परे है। बल्कि वास्तव में वे मरणोपरांत दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले हैं और इस पर विश्वास नहीं करते।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ یَتَوَفّٰىكُمْ مَّلَكُ الْمَوْتِ الَّذِیْ وُكِّلَ بِكُمْ ثُمَّ اِلٰی رَبِّكُمْ تُرْجَعُوْنَ ۟۠
(ऐ रसूल) मरणोपरांत दोबारा जीवित होकर उठने का इनकार करने वाले इन बहुदेववादियों से कह दें : तुम्हें मौत का फरिश्ता मौत देगा, जिसे अल्लाह ने तुम्हारे प्राण निकालने के लिए अधिकृत किया है। फिर क़ियामत के दिन तुम अकेले हमारे ही पास हिसाब और बदला के लिए लौटाए जाओगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• الحكمة من بعثة الرسل أن يهدوا أقوامهم إلى الصراط المستقيم.
• रसूलों के भेजे जाने का उद्देश्य यह है कि वे अपने लोगों को सीधा मार्ग दिखाएँ।

• ثبوت صفة الاستواء لله من غير تشبيه ولا تمثيل.
• बिना उपमा या उदाहरण के अल्लाह के लिए 'इस्तिवा' की विशेषता साबित करना

• استبعاد المشركين للبعث مع وضوح الأدلة عليه.
• स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद मुश्रिकों का मरणोपरांत दोबारा जीवित होने को ख़ारिज कर देना।

وَلَوْ تَرٰۤی اِذِ الْمُجْرِمُوْنَ نَاكِسُوْا رُءُوْسِهِمْ عِنْدَ رَبِّهِمْ ؕ— رَبَّنَاۤ اَبْصَرْنَا وَسَمِعْنَا فَارْجِعْنَا نَعْمَلْ صَالِحًا اِنَّا مُوْقِنُوْنَ ۟
क़ियामत के दिन अपराधी अपमानित दिखाई देंगे, मरणोपरांत दोबारा जीवित होने का इनकार करने के कारण अपने सिर झुकाए हुए होंगे और शर्म महसूस करेंगे और कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! जिस पुनर्जीवन को हम झुठलाते थे, उसे हमने देख लिया, और रसूल तेरे पास से जो कुछ लाए थे, उसकी सच्चाई सुन ली। इसलिए अब हमें सांसारिक जीवन में वापस लौटा दे कि हम ऐसे अच्छे कार्य करें, जो तुझे हमसे प्रसन्न कर दें। अब हमें मरणोपरांत पुनर्जीवन और रसूलों की लाई हुई बातों की सच्चाई का विश्वास हो गया। अगर आप अपराधियों को उस स्थिति में देखेंगे, तो आपको एक भयानक मामला (भयावह स्थिति) दिखाई देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَوْ شِئْنَا لَاٰتَیْنَا كُلَّ نَفْسٍ هُدٰىهَا وَلٰكِنْ حَقَّ الْقَوْلُ مِنِّیْ لَاَمْلَـَٔنَّ جَهَنَّمَ مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِیْنَ ۟
और अगर हम हर व्यक्ति को मार्गदर्शन देना चाहते तो निश्चित रूप से हम उसे इसपर आमादा कर देते। लेकिन मेरी ओर से हिकमत और न्याय के तौर पर यह बात अनिवार्य हो चुकी है कि : मैं क़ियामत के दिन जिन्न और मानव जाति में से कुफ़्र की राह पर चलने वालों से जहन्नम को अवश्य भर दूँगा, क्योंकि उन्होंने ईमान और धर्म-परायणनता के रास्ते को छोड़कर कुफ़्र और गुमराही का रास्ता चुन लिया।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَذُوْقُوْا بِمَا نَسِیْتُمْ لِقَآءَ یَوْمِكُمْ هٰذَا ۚ— اِنَّا نَسِیْنٰكُمْ وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْخُلْدِ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
क़ियामत के दिन उन्हें डाँटते और फटकारते हुए कहा जाएगा : (अब) अपने हिसाब के लिए क़ियामत के दिन अल्लाह से मिलने से सांसारिक जीवन में अपनी लापरवाही के कारण यातना का स्वाद चखो। हमने तुम्हें यातना में छोड़ दिया है, उससे जो तुम पीड़ा झेल रहे हो उसकी हमें कोई परवाह नहीं है। तथा दुनिया में तुम जो पाप किया करते थे, उसके कारण आग की निरंतर यातना चखो, जो कभी समाप्त नहीं होगी।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّمَا یُؤْمِنُ بِاٰیٰتِنَا الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِّرُوْا بِهَا خَرُّوْا سُجَّدًا وَّسَبَّحُوْا بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَهُمْ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ ۟
हमारे रसूल पर उतारी गई हमारी आयतों पर, वही लोग ईमान लाते हैं, जिन्हें जब उनके द्वारा उपदेश दिया जाता है, तो अल्लाह की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का गान करते हुए सजदे में गिर जाते हैं, और वे किसी भी हाल में अल्लाह की इबादत करने या उसके आगे सजदा करने से अभिमान नहीं करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
تَتَجَافٰی جُنُوْبُهُمْ عَنِ الْمَضَاجِعِ یَدْعُوْنَ رَبَّهُمْ خَوْفًا وَّطَمَعًا ؗ— وَّمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟
उनके पहलू उनके उन बिस्तरों से अलग रहते हैं, जहाँ वे सोते समय हुआ करते हैं। वे उन्हें छोड़ देते हैं और अल्लाह की ओर ध्यान केंद्रित कर लेते हैं। वे अल्लाह को अपनी नमाज़ में तथा अन्य हालतों में, उसकी यातना के भय से और उसकी दया के लालच में पुकारते हैं। और हमने उन्हें जो धन दिए हैं, उन्हें अल्लाह के मार्ग में खर्च करते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَلَا تَعْلَمُ نَفْسٌ مَّاۤ اُخْفِیَ لَهُمْ مِّنْ قُرَّةِ اَعْیُنٍ ۚ— جَزَآءً بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
कोई व्यक्ति यह नहीं जानता कि अल्लाह ने उनके लिए, उन नेक कामों के बदले के रूप में, जो वे दुनिया में किया करते थे, उनकी आँखों की ठंढक के लिए क्या कुछ तैयार कर रखा है। क्योंकि यह इतना बड़ा बदला है कि अल्लाह के सिवा कोई भी उसे अपने ज्ञान के घेरे में नहीं ला सकता।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَفَمَنْ كَانَ مُؤْمِنًا كَمَنْ كَانَ فَاسِقًا ؔؕ— لَا یَسْتَوٗنَ ۟
जो व्यक्ति अल्लाह पर ईमान रखता है, उसके आदेशों का पालन करता है, उसके निषेधों से बचता है, वह उस व्यक्ति की तरह नहीं है जो उसकी आज्ञाकारिता से बाहर है। अल्लाह के यहाँ बदले में दोनों समूह बराबर नहीं हो सकते।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَمَّا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فَلَهُمْ جَنّٰتُ الْمَاْوٰی ؗ— نُزُلًا بِمَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
जहाँ तक उन लोगों की बात है, जो अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, तो उनके लिए तैयार किया गया उनका बदला, ऐसे बाग़ हैं, जिसमें वे अल्लाह की ओर से प्राप्त सम्मान के साथ रहेंगे। यह उनके उन नेक कामों का बदला है, जो वे दुनिया में किया करते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَمَّا الَّذِیْنَ فَسَقُوْا فَمَاْوٰىهُمُ النَّارُ ؕ— كُلَّمَاۤ اَرَادُوْۤا اَنْ یَّخْرُجُوْا مِنْهَاۤ اُعِیْدُوْا فِیْهَا وَقِیْلَ لَهُمْ ذُوْقُوْا عَذَابَ النَّارِ الَّذِیْ كُنْتُمْ بِهٖ تُكَذِّبُوْنَ ۟
और जहाँ तक उन लोगों की बात है, जो कुफ़्र और गुनाहों में पड़कर अल्लाह के आज्ञापालन से निकल गए, तो उनका ठिकाना, जो क़ियामत के दिन उनके लिए तैयार किया गया है, जहन्नम है, जिसमें वे हमेशा रहेंगे। जब भी वे उससे बाहर निकलना चाहेंगे, उसी में लौटा दिए जाएँगे। और उन्हें फटकारते हुए कहा जाएगा : उस आग की यातना चखो, जिसे तुम दुनिया में झुठलाया करते थे, जब तुम्हारे रसूल तुम्हें उससे डराया करते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• إيمان الكفار يوم القيامة لا ينفعهم؛ لأنها دار جزاء لا دار عمل.
• क़ियामत के दिन काफ़िरों का ईमान लाना उन्हें कोई लाभ नहीं देगा। क्योंकि वह बदले का घर है, अमल का घर नहीं।

• خطر الغفلة عن لقاء الله يوم القيامة.
• क़ियामत के दिन अल्लाह से मिलने की उपेक्षा का खतरा।

• مِن هدي المؤمنين قيام الليل.
• रात में जागकर नमाज़ पढ़ना ईमान वालों का तरीक़ा है।

وَلَنُذِیْقَنَّهُمْ مِّنَ الْعَذَابِ الْاَدْنٰی دُوْنَ الْعَذَابِ الْاَكْبَرِ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟
निश्चय हम इन झुठलाने वालों और अपने पालनहार की आज्ञा की अवहेलना करने वालों को, अगर वे तौबा न करें, तो आख़िरत में उनके लिए जो सबसे बड़ी यातना तैयार की गई है, उससे पहले इस दुनिया ही में कठिनाइयों और विपत्तियों का स्वाद अवश्य चखाएँगे, ताकि वे अपने पालनहार के आज्ञापालन की ओर लौट आएँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ ذُكِّرَ بِاٰیٰتِ رَبِّهٖ ثُمَّ اَعْرَضَ عَنْهَا ؕ— اِنَّا مِنَ الْمُجْرِمِیْنَ مُنْتَقِمُوْنَ ۟۠
और उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं है, जिसे अल्लाह की आयतों के साथ उपदेश दिया गया, परंतु उसने उनसे उपदेश ग्रहण नहीं किया और उनकी परवाह किए बिना उनसे मुँह मोड़ लिया। निश्चय हम इन अपराधियों से (जो कुफ़्र और पाप करने वाले तथा अल्लाह की आयतों से मुँह फेरने वाले हैं) अनिवार्य रूप से बदला लेने वाले हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ فَلَا تَكُنْ فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْ لِّقَآىِٕهٖ وَجَعَلْنٰهُ هُدًی لِّبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ۚ
और हमने मूसा को तौरात प्रदान की। तो (ऐ रसूल) आप इसरा और मेराज की रात मूसा से मिलने के बारे में किसी संदेह में न रहें। और हमने मूसा पर उतारी गई पुस्तक को बनी इसराईल के लिए गुमराही से मार्गदर्शक बनाया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَجَعَلْنَا مِنْهُمْ اَىِٕمَّةً یَّهْدُوْنَ بِاَمْرِنَا لَمَّا صَبَرُوْا ؕ۫— وَكَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یُوْقِنُوْنَ ۟
और हमने इसराईल की संतान में से कुछ अग्रणी (इमाम) बनाए, जिनका लोग सत्य के मामले में अनुसरण करते थे। वे सत्य का रास्ता दिखाते थे; क्योंकि हमने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी और उसके लिए उन्हें सशक्त किया। उन्हें यह स्थान इस कारण मिला कि उन्होंने अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने, तथा अल्लाह के धर्म की ओर आमंत्रित करने के मार्ग में आने वाली तकलीफ़ पर धैर्य से काम लिया। तथा वे अपने रसूल पर उतरने वाली अल्लाह की आयतों पर दृढ़ता से विश्वास करते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ رَبَّكَ هُوَ یَفْصِلُ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كَانُوْا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟
निश्चय (ऐ रसूल) आपका पालनहार ही क़ियामत के दिन उनके बीच उस मामले में फैसला करेगा, जिसमें वे दुनिया में मतभेद किया करते थे। चुनाँचे वह स्पष्ट कर देगा कि कौन सत्यवादी है और कौन असत्यवादी और हर एक को वह बदला देगा जिसका वह हक़दार है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَوَلَمْ یَهْدِ لَهُمْ كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ یَمْشُوْنَ فِیْ مَسٰكِنِهِمْ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ ؕ— اَفَلَا یَسْمَعُوْنَ ۟
क्या ये लोग अंधे हो गए हैं कि उनके लिए यह स्पष्ट नहीं हुआ कि हमने इनसे पहले कितने समुदायों को विनष्ट कर दिया?! चुनाँचे अब ये उनके रहने-सहने के उन स्थानों में चल-फिर रहें हैं, जहाँ वे अपने विनाश से पहले रहते थे।लेकिन इन्होंने उनकी स्थिति से उपदेश नहीं लिया। निश्चित रूप से, उन समुदायों को, उनके कुफ़्र और पापों के कारण जिस विनाश का सामना करना पड़ा, उसमें कई पाठ हैं, जिनसे उन नबियों के सच्चे होने का सबूत मिलता है, जो उनके पास अल्लाह की ओर से आए थे। तो क्या अल्लाह की आयतों का इनकार करने वाले ये लोग स्वीकार करने और उपदेश ग्रहण करने के उद्देश्य से नहीं सुनते?!
Arabic explanations of the Qur’an:
اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا نَسُوْقُ الْمَآءَ اِلَی الْاَرْضِ الْجُرُزِ فَنُخْرِجُ بِهٖ زَرْعًا تَاْكُلُ مِنْهُ اَنْعَامُهُمْ وَاَنْفُسُهُمْ ؕ— اَفَلَا یُبْصِرُوْنَ ۟
क्या मरणोपरांत पुनर्जीवित होने का इनकार करने वाले इन लोगों ने नहीं देखा कि हम बारिश के पानी को शुष्क भूमि में भेजते हैं, जहाँ कोई पौधा नहीं होता है। फिर हम उस पानी से फसलों को उगाते हैं, जिनसे उनके ऊँट, गाय और बकरियाँ खाती हैं और वे खुद भी उनसे खाते हैं?! तो क्या वे इन बातों को नहीं देखते और इस बात का एहसास नहीं करते कि जो हस्ती बंजर भूमि को अंकुरित कर सकती है, वह मरे हुए लोगों को भी पुनर्जीवित करने में सक्षम है?!
Arabic explanations of the Qur’an:
وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْفَتْحُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
और मरणोपरांत पुनर्जीवित होने का इनकार करने वाले यातना की जल्दी मचाते हुए कहते हैं : यह निर्णय कब होगा, जिसके बारे में तुम्हारा दावा है कि वह हमारे और तुम्हारे बीच क़ियामत के दिन फैसला कर देगा, फिर हमें आग में जाना पड़ेगा और तुम्हारा ठिकाना जन्नत होगा?!
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ یَوْمَ الْفَتْحِ لَا یَنْفَعُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِیْمَانُهُمْ وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟
(ऐ रसूल) उनसे कह दें : यह वादा, क़ियामत का दिन है। वही बंदों के बीच निर्णय का दिन है, जब इस दुनिया में अल्लाह का इनकार करने वालों को, क़ियामत के दिन को अपनी आँखों से देख लेने के बाद, उनका विश्वास करना कोई लाभ नहीं देगा। और न ही उन्हें मोहलत दी जाएगी कि वे अपने पालनहार से तौबा कर लें ओर उसकी ओर लौट आएँ।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ وَانْتَظِرْ اِنَّهُمْ مُّنْتَظِرُوْنَ ۟۠
तो (ऐ रसूल) आप इनके अपनी पथभ्रष्टता में बने रहने के बाद इनसे मुँह फेर लें और उनके साथ जो होता है उसकी प्रतीक्षा करें। ये लोग भी उस यातना की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसका आप उनसे वादा कर रहे हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• عذاب الكافر في الدنيا وسيلة لتوبته.
• दुनिया में काफ़िर की सज़ा उसकी तौबा के लिए एक साधन है।

• ثبوت اللقاء بين نبينا صلى الله عليه وسلم وموسى عليه السلام ليلة الإسراء والمعراج.
• इसरा और मे'राज की रात, हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और मूसा अलैहिस्सलाम के बीच मुलाक़ात का सबूत।

• الصبر واليقين صفتا أهل الإمامة في الدين.
• सब्र और यक़ीन दीन में अगुवाई करने वालों की दो विशेषताएँ हैं।

 
Translation of the meanings Surah: As-Sajdah
Surahs’ Index Page Number
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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