Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Translations’ Index


Translation of the meanings Ayah: (15) Surah: Fātir
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اَنْتُمُ الْفُقَرَآءُ اِلَی اللّٰهِ ۚ— وَاللّٰهُ هُوَ الْغَنِیُّ الْحَمِیْدُ ۟
ऐ लोगो! तुम अपने सभी मामलों में और सभी स्थितियों में अल्लाह के ज़रूरतमंद हो। और अल्लाह बेनियाज़ है। उसे किसी भी चीज़ में तुम्हारी आवश्यकता नहीं है। वह अपने बंदो के लिए जो निर्णय लेता है, उसपर वह दुनिया एवं आखिरत में प्रशंसित है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• تسخير البحر، وتعاقب الليل والنهار، وتسخير الشمس والقمر: من نعم الله على الناس، لكن الناس تعتاد هذه النعم فتغفل عنها.
• समुद्र को वशीभूत करना, रात और दिन का आना जाना तथा सूर्य एवं चाँद को वशीभूत करना : लोगों पर अल्लाह की महान नेमतों से हैं। लेकिन लोग इन नेमतों के अभ्यस्त हो जाते हैं और उन्हें अनदेखा कर देते हैं।

• سفه عقول المشركين حين يدعون أصنامًا لا تسمع ولا تعقل.
• मुश्रिकों की मूर्खता कि वे ऐसे बुतों को पुकारते हैं, जो न सुनते हैं और न समझते हैं।

• الافتقار إلى الله صفة لازمة للبشر، والغنى صفة كمال لله.
• अल्लाह का ज़रूरतमंद होना मानव का एक आवश्यक गुण है, जबकि बेनियाज़ी अल्लाह के लिए पूर्णता का गुण है।

• تزكية النفس عائدة إلى العبد؛ فهو يحفظها إن شاء أو يضيعها.
• आत्मा को शुद्ध और पवित्र रखना बंदे पर निर्भर है। वह चाहे तो उसकी रक्षा करे या उसे विनष्ट कर दे।

 
Translation of the meanings Ayah: (15) Surah: Fātir
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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