Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: At-Taghābun   Ayah:

सूरा अत्-तग़ाबुन

Purposes of the Surah:
التحذير مما تحصل به الندامة والغبن يوم القيامة.
उस चीज़ से सावधान करना, जिसके कारण क़ियामत के दिन पछतावा तथा नुक़सान और घाटे का सामना होगा।

یُسَبِّحُ لِلّٰهِ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ۚ— لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ ؗ— وَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
आकाशों और धरती में मौजूद सभी प्राणी अल्लाह के हर प्रकार की कमी और अपूर्णता के गुणों से पवित्र होने का वर्णन करते हैं, जो उसकी महिमा के योग्य नहीं हैं। केवल उसी की बादशाहत है, इसलिए उसके सिवा कोई दूसरा बादशाह नहीं है, और उसी के लिए अच्छी प्रशंसा है, तथा वह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है, कोई चीज़ उसे विवश नहीं कर सकती।
Arabic explanations of the Qur’an:
هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ فَمِنْكُمْ كَافِرٌ وَّمِنْكُمْ مُّؤْمِنٌ ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
वही है, जिसने (ऐ लोगो!) तुम्हें पैदा किया। फिर तुममें से कोई उसके साथ कुफ़्र करने वाला है और उसका ठिकाना जहन्नम है, तथा तुममें से कोई उसपर ईमान रखने वाला है और उसका ठिकाना जन्नत है। और तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसे खूब जानने वाला है, उससे तुम्हारा कोई काम छिपा नहीं है और वह तुम्हें उसका बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِالْحَقِّ وَصَوَّرَكُمْ فَاَحْسَنَ صُوَرَكُمْ ۚ— وَاِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟
उसने आकाशों और धरती को सत्य के साथ पैदा किया, उन्हें व्यर्थ नहीं बनाया। तथा उसने (ऐ लोगो!) तुम्हारे रूप बनाए, तो अपने उपकार और अनुग्रह से तुम्हारे रूप अच्छे बनाए। हालाँकि, यदि वह चाहता, तो उन्हें बदसूरत बना देता। और क़ियामत के दिन केवल उसी की ओर लौटकर जाना है। फिर वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा। यदि अच्छा काम है, तो अच्छा बदला और यदि बुरा है, तो बुरा।
Arabic explanations of the Qur’an:
یَعْلَمُ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَیَعْلَمُ مَا تُسِرُّوْنَ وَمَا تُعْلِنُوْنَ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟
वह जानता है जो कुछ आकाशों में है और वह जानता है जो कुछ धरती में है, तथा वह जानता है जो काम तुम छिपाकर करते और वह जानता है जो काम तुम खुल्लम-खुल्ला करते हो। और अल्लाह दिलों के अंदर छिपी भलाई या बुराई को भी जानता है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَلَمْ یَاْتِكُمْ نَبَؤُا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَبْلُ ؗ— فَذَاقُوْا وَبَالَ اَمْرِهِمْ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
क्या तुम्हारे पास (ऐ मुश्रिको) पिछली झुठलाने वाली जातियों, जैसे नूह अलैहिस्सलाम की जाति तथा आद और समूद इत्यादि की खबर नहीं पहुँची है, जिन्होंने इस दुनिया में अपने कुफ़्र की सज़ा का स्वाद चखा और आख़िरत में उनके लिए एक दर्दनाक यातना है?! क्यों नहीं, तुम्हारे पास उनकी खबर आ चुकी है। अतः उनके परिणाम से नसीहत प्राप्त करो और अल्लाह के सामने तौबा कर लो, इससे पहले कि तुम्हारे साथ भी वही कुछ हो, जो उनके साथ हुआ था।
Arabic explanations of the Qur’an:
ذٰلِكَ بِاَنَّهٗ كَانَتْ تَّاْتِیْهِمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَیِّنٰتِ فَقَالُوْۤا اَبَشَرٌ یَّهْدُوْنَنَا ؗ— فَكَفَرُوْا وَتَوَلَّوْا وَّاسْتَغْنَی اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ غَنِیٌّ حَمِیْدٌ ۟
यह यातना उन्हें इस कारण पहुँची कि उनके रसूल उनके पास अल्लाह की ओर से स्पष्ट प्रमाणों और प्रत्यक्ष तर्कों के साथ आते थे, तो उन्होंने रसूल के मानव जाति से होने का खंडन करते हुए कहा : क्या मनुष्य हमें सत्य का मार्गदर्शन करेंगे?!इस तरह उन्होंने इनकार किया और उनपर ईमान लाने से उपेक्षा किया। लेकिन उन्होंने अल्लाह को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। और अल्लाह ने उनके ईमान और आज्ञाकारिता की परवाह न की, क्योंकि उनकी आज्ञाकारिता उसे किसी चीज़ में बढ़ाती नहीं है। और अल्लाह बेनियाज़ है, अपने बंदों का ज़रूरतमंद नहीं है, अपनी बातों और कार्यों में प्रशंसनीय है।
Arabic explanations of the Qur’an:
زَعَمَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اَنْ لَّنْ یُّبْعَثُوْا ؕ— قُلْ بَلٰی وَرَبِّیْ لَتُبْعَثُنَّ ثُمَّ لَتُنَبَّؤُنَّ بِمَا عَمِلْتُمْ ؕ— وَذٰلِكَ عَلَی اللّٰهِ یَسِیْرٌ ۟
अल्लाह का इनकार करने वालों ने समझ रखा है कि अल्लाह उनकी मृत्यु के बाद उन्हें जीवित करके नहीं उठाएगा। (ऐ रसूल) आप इन पुनर्जीवन का इनकार करने वालों से कह दें : क्यों नहीं, मेरे पालनहार की क़सम, निश्चय तुम क़ियामत के दिन ज़रूर उठाए जाओगे। फिर निश्चय तुम दुनिया में किए हुए कर्मो से अवगत कराए जाओगे। और यह पुनर्जीवित करके उठाना अल्लाह के लिए आसान है। क्योंकि उसने तुम्हें पहली बार पैदा किया है, अतः वह मौत के बाद तुम्हें हिसाब और बदले के लिए पुनः जीवित करके उठाने की भी शक्ति रखता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَالنُّوْرِ الَّذِیْۤ اَنْزَلْنَا ؕ— وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ خَبِیْرٌ ۟
तो तुम (ऐ लोगो) अल्लाह पर ईमान ले आओ और उसके रसूल पर ईमान ले आओ, और उस क़ुरआन पर ईमान ले आओ जिसे हमने अपने रसूल पर उतारा है। और अल्लाह तुम्हारे कार्यों से अवगत है। उससे तुम्हारा कोई काम छिपा नहीं है। और वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
یَوْمَ یَجْمَعُكُمْ لِیَوْمِ الْجَمْعِ ذٰلِكَ یَوْمُ التَّغَابُنِ ؕ— وَمَنْ یُّؤْمِنْ بِاللّٰهِ وَیَعْمَلْ صَالِحًا یُّكَفِّرْ عَنْهُ سَیِّاٰتِهٖ وَیُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًا ؕ— ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟
और (ऐ रसूल!) उस दिन को याद करें, जिस दिन अल्लाह तुम्हें क़ियामत के दिन एकत्रित करेगा, ताकि तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला दे। जिस दिन काफ़िरों की हानि और उनका घाटा सामने आ जाएगा। क्योंकि ईमान वाले जन्नत के अंदर जहन्नमियों के घरों के वारिस बनेंगे, और जहन्नमी जहन्नम के अंदर जन्नतियों के ठिकानों के वारिस होंगे। और जो अल्लाह पर ईमान लाएगा और अच्छे कार्य करेगा, अल्लाह उसकी बुराइयों को मिटा देगा और ऐसी जन्नतों में दाख़िल करेगा, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बह रही होंगी। वे वहाँ हमेशा रहेंगे। न वे कभी वहाँ से निकलेंगे और न कभी उनसे उसकी नेमतें बाधित होंगी। यह जो उन्होंने प्राप्त किया, वही महान सफलता है, जिसकी बराबरी कोई अन्य सफलता नहीं कर सकती।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• من قضاء الله انقسام الناس إلى أشقياء وسعداء.
• अल्लाह के फैसले में से है कि लोग सौभाग्यशाली और दुर्भाग्यशाली में विभाजित हैं।

• من الوسائل المعينة على العمل الصالح تذكر خسارة الناس يوم القيامة.
• अच्छे काम में सहायक साधनों में से एक क़ियामत के दिन लोगों के नुकसान व घाटे को याद करना है।

وَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَكَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَاۤ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ النَّارِ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟۠
और जिन लोगों ने अल्लाह का इनकार किया और हमारी उन आयतों को झुठलाया, जिन्हें हमने अपने रसूल पर उतारा है, वही लोग जहन्नमी हैं, जो उसमें हमेशा रहने वाले हैं। और उनका ठिकाना बहुत बुरा ठिकाना है।
Arabic explanations of the Qur’an:
مَاۤ اَصَابَ مِنْ مُّصِیْبَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ یُّؤْمِنْ بِاللّٰهِ یَهْدِ قَلْبَهٗ ؕ— وَاللّٰهُ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
किसी को उसकी जान, या उसके धन, या उसकी संतान में जो भी विपत्ति पहुँचती है, वह अल्लाह के निर्णय और उसकी नियति के अनुसार होती है। और जो अल्लाह, उसके निर्णय और उसकी नियति पर ईमान लाएगा, अल्लाह उसके दिल को अपने आदेश के आगे समर्पण करने तथा अपने निर्णय से संतुष्ट होने की तौफ़ीक़ प्रदान करेगा। और अल्लाह हर वस्तु को भली-भाँति जानता है। उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاَطِیْعُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوا الرَّسُوْلَ ۚ— فَاِنْ تَوَلَّیْتُمْ فَاِنَّمَا عَلٰی رَسُوْلِنَا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
तथा अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो। फिर यदि तुम उसके रसूल के लाए हुए संदेश से मुँह फेर लो, तो इस विमुखता का पाप तुम पर होगा। और हमारे रसूल का दायित्व केवल उस संदेश को पहुँचा देना है, जिसे पहुँचाने का हमने उन्हें आदेश दिया गया है। और उन्होंने वह संदेश तुम्हें पहुँचा भी दिया है, जिसे पहुँचाने का उन्हें आदेश दिया गया था।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— وَعَلَی اللّٰهِ فَلْیَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ۟
अल्लाह ही सत्य पूज्य है। उसके सिवा कोई सत्य पूज्य (सच्चा माबूद) नहीं। और केवल अल्लाह ही पर, ईमान वालों को अपने सभी मामलों में भरोसा करना चाहिए।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّ مِنْ اَزْوَاجِكُمْ وَاَوْلَادِكُمْ عَدُوًّا لَّكُمْ فَاحْذَرُوْهُمْ ۚ— وَاِنْ تَعْفُوْا وَتَصْفَحُوْا وَتَغْفِرُوْا فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! निश्चय तुम्हारी पत्नियों और तुम्हारी संतान में से कुछ तुम्हारे दुश्मन हैं; क्योंकि वे तुम्हें अल्लाह के ज़िक्र और उसके मार्ग में जिहाद से गाफ़िल कर देते हैं और तुम्हें हतोत्साहित करते हैं। अतः सावधान रहो कि कहीं वे तुम्हें प्रभावित न कर दें। और यदि तुम उनकी गलतियों को माफ़ कर दो, उन्हें नज़रअंदाज़ कर दो और उनपर पर्दा डाल दो, तो अल्लाह तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा और तुम पर दया करेगा। और जैसा काम होता है, वैसा ही फल मिलता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّمَاۤ اَمْوَالُكُمْ وَاَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ؕ— وَاللّٰهُ عِنْدَهٗۤ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟
निश्चय तुम्हारे धन तथा तुम्हारी संतान तुम्हारे लिए परीक्षा और आज़माइश हैं। क्योंकि वे तुम्हें हराम कमाई करने और अल्लाह के आज्ञापालन को छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। और अल्लाह के पास उसके लिए एक महान प्रतिफल है, जो संतान की आज्ञाकारिता पर तथा धन में व्यस्तता पर अल्लाह की आज्ञाकारिता को प्राथमिकता दे।और वह बड़ा प्रतिफल जन्नत है।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاتَّقُوا اللّٰهَ مَا اسْتَطَعْتُمْ وَاسْمَعُوْا وَاَطِیْعُوْا وَاَنْفِقُوْا خَیْرًا لِّاَنْفُسِكُمْ ؕ— وَمَنْ یُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟
अतः अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर, डरते रहो, जितना तुम उसका आज्ञापालन करने में सक्षम हो। तथा अल्लाह एवं उसके रसूल की बात सुनो और उनका पालन करो और अल्लाह के दिए हुए धन को भलाई के रास्तों में खर्च करो। और जिसे अल्लाह उसके दिल की लालच (कंजूसी) से सुरक्षित रखे, दरअसल वही लोग अपनी मनोकांक्षा की पूर्ति में सफल होने वाले और उस चीज़ से मुक्ति पाने वाले हैं, जिससे वे डरते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنْ تُقْرِضُوا اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا یُّضٰعِفْهُ لَكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ شَكُوْرٌ حَلِیْمٌ ۟ۙ
अगर तुम अल्लाह को अच्छा ऋण दोगे, इस प्रकार कि उसके रास्ते में अपना धन खर्च करोगे, तो वह एक नेकी को दस से सात सौ गुना, बल्कि बहुत अधिक गुना करके तुम्हारे प्रतिफल को बढ़ा देगा और तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा। अल्लाह बहुत गुणग्राही है, वह थोड़े से काम के लिए बहुत अधिक प्रतिफल देता है। अत्यंत सहनशील है, सज़ा देने में जल्दी नहीं करता।
Arabic explanations of the Qur’an:
عٰلِمُ الْغَیْبِ وَالشَّهَادَةِ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠
अलाह महिमावान गायब (अनुपस्थित) और हाज़िर (मौजूद) सभी चीज़ों को जानता है। उनमें से कोई चीज़ भी उससे छिपी नहीं है। वह प्रभुत्वशाली है, जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता। वह अपनी रचना, विधान और तक़दीर (निर्णय) में हिकमत वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• مهمة الرسل التبليغ عن الله، وأما الهداية فهي بيد الله.
• रसूलों का काम अल्लाह का संदेश पहुँचा देना है। रही बात राह पर लाने की तो वह अल्लाह के हाथ में है।

• الإيمان بالقدر سبب للطمأنينة والهداية.
• तक़दीर पर ईमान संतुष्टि और मार्गदर्शन का एक कारण है।

• التكليف في حدود المقدور للمكلَّف.
• बंदे पर केवल उतनी ही ज़िम्मेदारी डाली गई है जो उसके सामर्थ्य की सीमा के भीतर है।

• مضاعفة الثواب للمنفق في سبيل الله.
• अल्लाह के मार्ग में खर्च करने वाले के लिए सवाब को कई गुना कर दिया जाता है।

 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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