Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Translations’ Index


Translation of the meanings Surah: At-Tahrīm   Ayah:

सूरा अत्-तह़रीम

Purposes of the Surah:
الدعوة إلى إقامة البيوت على تعظيم حدود الله وتقديم مرضاته وحده.
घरों को अल्लाह की सीमाओं का सम्मान करने और केवल उसी की प्रसन्नता को प्राथमिकता देने पर स्थापित करने का आह्वान।

یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ لِمَ تُحَرِّمُ مَاۤ اَحَلَّ اللّٰهُ لَكَ ۚ— تَبْتَغِیْ مَرْضَاتَ اَزْوَاجِكَ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
ऐ रसूल! आप अपनी दासी मारिया से सहवास को क्यों हराम ठहराते हैं, जिसे अल्लाह ने आपके लिए हलाल किया है, आप इससे अपनी पत्नियों को खुश करना चाहते हैं, क्योंकि वे आपके मारिया के पास जाने को अप्रिय समझती हैं?! अल्लाह आपको माफ़ करने वाला, आप पर दया करने वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
قَدْ فَرَضَ اللّٰهُ لَكُمْ تَحِلَّةَ اَیْمَانِكُمْ ۚ— وَاللّٰهُ مَوْلٰىكُمْ ۚ— وَهُوَ الْعَلِیْمُ الْحَكِیْمُ ۟
अल्लाह ने तुम्हारे लिए कफ़्फ़ारा के द्वारा अपनी क़समों को हलाल करना धर्म संगत बना दिया है, यदि तुम कोई चीज़ उनसे बेहतर पाओ या उस क़सम को तोड़ दो। अल्लाह तुम्हारा सहायक है। तथा वह तुम्हारी स्थितियों एवं हितों के बारे में सबसे अच्छा जानता है, अपनी शरीयत और तक़दीर (निर्णय) में हिकमत वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَاِذْ اَسَرَّ النَّبِیُّ اِلٰی بَعْضِ اَزْوَاجِهٖ حَدِیْثًا ۚ— فَلَمَّا نَبَّاَتْ بِهٖ وَاَظْهَرَهُ اللّٰهُ عَلَیْهِ عَرَّفَ بَعْضَهٗ وَاَعْرَضَ عَنْ بَعْضٍ ۚ— فَلَمَّا نَبَّاَهَا بِهٖ قَالَتْ مَنْ اَنْۢبَاَكَ هٰذَا ؕ— قَالَ نَبَّاَنِیَ الْعَلِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟
तथा उस समय को याद करें, जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी पत्नी हफ़सा रज़ियल्लाहु अन्हा को विशेष रूप से एक बात बताई, जिसमें यह बात शामिल थी कि आप अपनी दासी मारिया के निकट नहीं जाएँगे। फिर जब हफ़सा रज़ियल्लाहु अन्हा ने आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा को यह बात बता दी और अल्लाह ने अपने नबी को उनके रहस्य के प्रकट हो जाने के बारे में बता दिया, तो आपने हफ़सा रज़ियल्लाहु अन्हा को डाँटा और उनसे उनकी बताई हुई कुछ बातों का उल्लेख किया और कुछ से खामोशी बरती। तो ह़फ़सा रज़ियल्लाहु अन्हा ने आपसे पूछा : आप को यह बात किसने बताई? तो आपने फरमाया : मुझे उसने बताया है, जो हर चीज़ को जानने वाला और हर गुप्त चीज़ की ख़बर रखने वाला है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنْ تَتُوْبَاۤ اِلَی اللّٰهِ فَقَدْ صَغَتْ قُلُوْبُكُمَا ۚ— وَاِنْ تَظٰهَرَا عَلَیْهِ فَاِنَّ اللّٰهَ هُوَ مَوْلٰىهُ وَجِبْرِیْلُ وَصَالِحُ الْمُؤْمِنِیْنَ ۚ— وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ بَعْدَ ذٰلِكَ ظَهِیْرٌ ۟
तुम दोनों को तौबा करना चाहिए। क्योंकि तुम दोनों के दिल उस चीज़ को पसंद करने की तरफ़ झुक गए हैं, जो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नापसंद है यानी अपनी दासी से दूर रहना और उसे अपने ऊपर हराम कर लेना। और अगर तुम दोनों आपके ख़िलाफ भड़काने पर अटल रहोगी, तो खुद अल्लाह आपका संरक्षक और सहायक है। और इसी तरह जिबरील और नेक ईमान वाले आपके संरक्षक और सहायक हैं। तथा अल्लाह की मदद के बाद फ़रिश्ते आपके सहायक तथा आपको कष्ट देने वालों के विरुद्ध आपके मददगार हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
عَسٰی رَبُّهٗۤ اِنْ طَلَّقَكُنَّ اَنْ یُّبْدِلَهٗۤ اَزْوَاجًا خَیْرًا مِّنْكُنَّ مُسْلِمٰتٍ مُّؤْمِنٰتٍ قٰنِتٰتٍ تٰٓىِٕبٰتٍ عٰبِدٰتٍ سٰٓىِٕحٰتٍ ثَیِّبٰتٍ وَّاَبْكَارًا ۟
यदि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम तुम्हें तलाक़ दे दें, तो बहुत संभावित है कि उनका पालनहार उन्हें तुमसे बेहतर पत्नियाँ प्रदान कर दे, जो उसके आदेश को मानने वाली हों, उसपर तथा उसके रसूल पर ईमान रखने वाली हों, अल्लाह का आज्ञापालन करने वाली हों, अपने गुनाहों से तौबा करने वाली हों, अपने पालनहार की इबादत करने वाली हों, रोज़ा रखने वाली हों, जिनमें से कुछ पहले से शादीशुदा तथा कुछ कुँवारियाँ हों। लेकिन नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें तलाक नहीं दी।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا قُوْۤا اَنْفُسَكُمْ وَاَهْلِیْكُمْ نَارًا وَّقُوْدُهَا النَّاسُ وَالْحِجَارَةُ عَلَیْهَا مَلٰٓىِٕكَةٌ غِلَاظٌ شِدَادٌ لَّا یَعْصُوْنَ اللّٰهَ مَاۤ اَمَرَهُمْ وَیَفْعَلُوْنَ مَا یُؤْمَرُوْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! अपने लिए और अपने घर वालों के लिए उस भयानक आग से बचाव एवं सुरक्षा अपनाओ, जिसे मनुष्यों के द्वारा और पत्थर के ज़रिए जलाया जाएगा। इस आग पर ऐसे फ़रिश्ते नियुक्त हैं, जो उसमें प्रवेश करने वालों पर कठोर हैं और बलशाली हैं। यदि अल्लाह उन्हें कोई आदेश देता है, तो वे उसके आदेश की अवहेलना नहीं करते हैं तथा वे बिना सुस्ती और देरी के वही करते हैं जो वह उन्हें आदेश देता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَا تَعْتَذِرُوا الْیَوْمَ ؕ— اِنَّمَا تُجْزَوْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟۠
क़ियामत के दिन काफ़िरों से कहा जाएगा : ऐ अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वालो, आज तुम अपने कुफ़्र और पापों के लिए बहाने मत बनाओ। क्योंकि तुम्हारे बहाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा। बल्कि, आज के दिन तुम्हें केवल अल्लाह के साथ कुफ़्र करने एवं उसके रसूलों को झुठलाने का बदला दिया जाएगा, जो तुम दुनिया में किया करते थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• مشروعية الكَفَّارة عن اليمين.
• क़सम का कफ़्फ़ारा देने की वैधता।

• بيان منزلة النبي صلى الله عليه وسلم عند ربه ودفاعه عنه.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपने पालनहार के निकट स्थिति तथा उसका आपकी रक्षा करने का वर्णन।

• من كرم المصطفى صلى الله عليه وسلم مع زوجاته أنه كان لا يستقصي في العتاب فكان يعرض عن بعض الأخطاء إبقاءً للمودة.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपनी पत्नियों के साथ उदारता का एक प्रतीक यह है कि आप किसी व्यवहार पर निंदा करते समय एक-एक ग़लती का उल्लेख नहीं करते थे। बल्कि स्नेह को बनाए रखने के लिए कुछ ग़लतियों को नज़र अंदाज़ कर देते थे।

• مسؤولية المؤمن عن نفسه وعن أهله.
• मोमिन की अपने और अपने परिवार के प्रति ज़िम्मेदारी।

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا تُوْبُوْۤا اِلَی اللّٰهِ تَوْبَةً نَّصُوْحًا ؕ— عَسٰی رَبُّكُمْ اَنْ یُّكَفِّرَ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَیُدْخِلَكُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۙ— یَوْمَ لَا یُخْزِی اللّٰهُ النَّبِیَّ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَهٗ ۚ— نُوْرُهُمْ یَسْعٰی بَیْنَ اَیْدِیْهِمْ وَبِاَیْمَانِهِمْ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَاۤ اَتْمِمْ لَنَا نُوْرَنَا وَاغْفِرْ لَنَا ۚ— اِنَّكَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने वालो और उसकी शरीयत पर अमल करने वालो! तुम अल्लाह के सामने अपने गुनाहों से सच्ची तौबा करो। आशा है कि तुम्हारा पालनहार तुम्हारे गुनाहों को मिटा दे और तुम्हें क़ियामत के दिन ऐसी जन्नतों में दाख़िल करे, जिनके महलों के नीचे से नहरें बहती हैं। जिस दिन अल्लाह नबी को तथा उनके साथ ईमान लाने वालों को जहन्नम में दाखिल करके अपमानित नहीं करेगा। उनका प्रकाश सिरात पर उनके आगे तथा उनके दाएँ चल रहा होगा। वे कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार, हमारे लिए हमारे प्रकाश को पूर्ण कर दे, ताकि हम जन्नत में दाखिल हो सकें। और मुनाफ़िकों के जैसे न हो जाएँ, जिनका प्रकाश सिरात पर बुझ जाएगा। तथा हमारे गुनाह माफ़ कर दे। निःसंदेह तू हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है। इसलिए हमारे प्रकाश को पूरा करने और हमारे पापों को नजरअंदाज करने से विवश नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ جَاهِدِ الْكُفَّارَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ وَاغْلُظْ عَلَیْهِمْ ؕ— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟
ऐ रसूल, काफ़िरों से तलवार के द्वारा तथा मुनाफ़िकों से ज़बान के द्वारा और हदें (शरई दंड) क़ायम करके जिहाद करें। और उनपर सख़्ती करें, ताकि वे आपका भय महसूस करें। और उनका ठिकाना, जहाँ वे क़ियामत के दिन शरण लेंगे, जहन्नम है, और उनका वह ठिकाना बहुत बुरा ठिकाना है, जहाँ वे लौटकर जाएँगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوا امْرَاَتَ نُوْحٍ وَّامْرَاَتَ لُوْطٍ ؕ— كَانَتَا تَحْتَ عَبْدَیْنِ مِنْ عِبَادِنَا صَالِحَیْنِ فَخَانَتٰهُمَا فَلَمْ یُغْنِیَا عَنْهُمَا مِنَ اللّٰهِ شَیْـًٔا وَّقِیْلَ ادْخُلَا النَّارَ مَعَ الدّٰخِلِیْنَ ۟
अल्लाह ने उन लोगों के लिए, जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार किया (यह स्पष्ट करने के लिए कि ईमान वालों के साथ उनका संबंध किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है) अल्लाह के दो नबियों : नूह और लूत अलैहिमस्सलाम की पत्नियों का उदाहरण दिया है। वे दोनों दो नेक बंदों की पत्नियाँ थीं। किन्तु दोनों ने अपने पतियों के साथ विश्वासघात किया। क्योंकि वे दोनों अल्लाह के मार्ग से रोकती तथा अपनी जाति के काफ़िरों का समर्थन करती थीं। इसलिए उन दोनों का इन दोनों नेक बंदों की पत्नियाँ होने का कोई लाभ न हुआ। और उनसे कहा गया : जहन्नम में प्रवेश करने वाले काफ़िरों और अवज्ञाकारियों के साथ तुम दोनों (भी) उसमें प्रवेश कर जाओ।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا لِّلَّذِیْنَ اٰمَنُوا امْرَاَتَ فِرْعَوْنَ ۘ— اِذْ قَالَتْ رَبِّ ابْنِ لِیْ عِنْدَكَ بَیْتًا فِی الْجَنَّةِ وَنَجِّنِیْ مِنْ فِرْعَوْنَ وَعَمَلِهٖ وَنَجِّنِیْ مِنَ الْقَوْمِ الظّٰلِمِیْنَ ۟ۙ
और अल्लाह ने उन लोगों के लिए, जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए, यह बतलाने के लिए कि काफ़िरों के साथ उनका संबंध उन्हें कुछ नुक़सान नहीं पहुँचाएगा और उन्हें प्रभावित नहीं करेगा जब तक कि वे सत्य पर सुदृढ़ हैं, फ़िरऔन की पत्नी की स्थिति का उदाहरण प्रस्तुत किया है, जब उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! मेरे लिए अपने निकट जन्नत में एक घर बना और मुझे फ़िरऔन के अत्याचार और उसके बुरे कामों से बचा ले तथा मुझे उन लोगों से बचा ले, जो उसकी सरकशी एवं अत्याचार में उसका पालन करके अपने ऊपर अत्याचार करने वाले हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَرْیَمَ ابْنَتَ عِمْرٰنَ الَّتِیْۤ اَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِیْهِ مِنْ رُّوْحِنَا وَصَدَّقَتْ بِكَلِمٰتِ رَبِّهَا وَكُتُبِهٖ وَكَانَتْ مِنَ الْقٰنِتِیْنَ ۟۠
तथा अल्लाह ने उन लोगों के लिए, जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए, मरयम बिन्त इमरान का उदाहरण पेश किया है, जिसने खुद को व्यभिचार से सुरक्षित रखा, तो अल्लाह ने जिबरील को उसके अंदर फूँक मारने का आदेश दिया। चुनाँचे उसने अल्लाह की शक्ति के साथ बिना बाप के ईसा बिन मरयम अलैहिस्सलाम का गर्भ धारण कर लिया। तथा उसने अल्लाह के नियमों की और उसके रसूलों पर अवतरित उसकी किताबों की पुष्टि की। और वह अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से बचकर उसका आज्ञापालन करने वालों में से थी।
Arabic explanations of the Qur’an:
Benefits of the verses in this page:
• التوبة النصوح سبب لكل خير.
• सच्ची तौबा हर भलाई का कारण है।

• في اقتران جهاد العلم والحجة وجهاد السيف دلالة على أهميتهما وأنه لا غنى عن أحدهما.
• ज्ञान एवं तर्क के जिहाद तथा तलवार के जिहाद का एक साथ उल्लेख करना, उन दोनों के महत्व को इंगित करता है और यह कि उनमें से कोई भी छोड़ने योग्य नहीं है।

• القرابة بسبب أو نسب لا تنفع صاحبها يوم القيامة إذا فرّق بينهما الدين.
• किसी कारण या वंश की वजह से रिश्तेदारी इनसान को क़ियामत के दिन लाभ नहीं देगी यदि उन दोनों का धर्म अलग-अलग है।

• العفاف والبعد عن الريبة من صفات المؤمنات الصالحات.
• पाकदामनी और संदेह से दूरी नेक मोमिन स्त्रियों की विशेषताएँ हैं।

 
Translation of the meanings Surah: At-Tahrīm
Surahs’ Index Page Number
 
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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