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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari * - Translations’ Index

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Translation of the meanings Surah: Ar-Ra‘d   Ayah:
لَهٗ دَعْوَةُ الْحَقِّ ؕ— وَالَّذِیْنَ یَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَجِیْبُوْنَ لَهُمْ بِشَیْءٍ اِلَّا كَبَاسِطِ كَفَّیْهِ اِلَی الْمَآءِ لِیَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَالِغِهٖ ؕ— وَمَا دُعَآءُ الْكٰفِرِیْنَ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ ۟
उसी को पुकारना सत्य है। और जिनको वे उसके सिवा पुकारते हैं, वे उनकी प्रार्थना कुछ भी स्वीकार नहीं करते, परंतु उस व्यक्ति की तरह जो अपनी दोनों हथेलियाँ पानी की ओर फैलाने वाला है, ताकि वह उसके मुँह तक पहुँच जाए, हालाँकि वह उस तक हरगिज़ पहुँचने वाला नहीं। और काफ़िरों की पुकार पूर्णतः व्यर्थ (निष्फल) है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلِلّٰهِ یَسْجُدُ مَنْ فِی السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۟
और आकाशों तथा धरती में जो भी है, अल्लाह ही को सजदा कर रहा है, स्वेच्छा से या अनिच्छा से और उनकी परछाइयाँ[6] भी सुबह और शाम।[7]
6. अर्थात सब उसके स्वभाविक नियम के अधीन हैं। 7. यहाँ सजदा करना चाहिए।
Arabic explanations of the Qur’an:
قُلْ مَنْ رَّبُّ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— قُلِ اللّٰهُ ؕ— قُلْ اَفَاتَّخَذْتُمْ مِّنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ لَا یَمْلِكُوْنَ لِاَنْفُسِهِمْ نَفْعًا وَّلَا ضَرًّا ؕ— قُلْ هَلْ یَسْتَوِی الْاَعْمٰی وَالْبَصِیْرُ ۙ۬— اَمْ هَلْ تَسْتَوِی الظُّلُمٰتُ وَالنُّوْرُ ۚ۬— اَمْ جَعَلُوْا لِلّٰهِ شُرَكَآءَ خَلَقُوْا كَخَلْقِهٖ فَتَشَابَهَ الْخَلْقُ عَلَیْهِمْ ؕ— قُلِ اللّٰهُ خَالِقُ كُلِّ شَیْءٍ وَّهُوَ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ ۟
उनसे पूछो : आकाशों तथा धरती का पालनहार कौन है? कह दो : अल्लाह। कहो : फिर क्या तुमने अल्लाह के सिवा उन्हें सहायक बना रखे हैं, जो अपने लिए न किसी लाभ का अधिकार रखते हैं और न किसी हानि का? उनसे कहो : क्या अंधा और देखने वाला बराबर होते हैं? या क्या अँधेरे और प्रकाश बराबर होते हैं?[8] या उन्होंने अल्लाह के लिए कुछ साझी बना लिए हैं, जिन्होंने उसके पैदा करने की तरह पैदा किया है, अतः पैदा करने का मामला उनपर उलझ गया है? आप कह दें : अल्लाह ही प्रत्येक चीज़ को पैदा करने वाला है[9] और वही अकेला, अत्यंत प्रभुत्वशाली है।
8. अँधेरे से अभिप्राय कुफ़्र के अँधेरे, तथा प्रकाश से अभिप्राय ईमान का प्रकाश है। 9. आयत का भावार्थ यह है कि जिसने इस विश्व की प्रत्येक वस्तु की उत्पत्ति की है, वही वास्तविक पूज्य है। और जो स्वयं उत्पत्ति हो वह पूज्य नहीं हो सकता। इस तथ्य को क़ुरआन पाक की और भी कई आयतों में प्रस्तुत किया गया है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اَنْزَلَ مِنَ السَّمَآءِ مَآءً فَسَالَتْ اَوْدِیَةٌ بِقَدَرِهَا فَاحْتَمَلَ السَّیْلُ زَبَدًا رَّابِیًا ؕ— وَمِمَّا یُوْقِدُوْنَ عَلَیْهِ فِی النَّارِ ابْتِغَآءَ حِلْیَةٍ اَوْ مَتَاعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهٗ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْحَقَّ وَالْبَاطِلَ ؕ۬— فَاَمَّا الزَّبَدُ فَیَذْهَبُ جُفَآءً ۚ— وَاَمَّا مَا یَنْفَعُ النَّاسَ فَیَمْكُثُ فِی الْاَرْضِ ؕ— كَذٰلِكَ یَضْرِبُ اللّٰهُ الْاَمْثَالَ ۟ؕ
उसने आकाश से कुछ पानी उतारा, तो कई नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर (पानी के) रेले ने उभरा हुआ झाग उठा लिया। और जिस चीज़ को वे कोई आभूषण अथवा सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, उससे भी ऐसा ही झाग उभरता है। इसी प्रकार, अल्लाह सत्य तथा असत्य का उदाहरण प्रस्तुत करता है। फिर जो झाग है, वह सूखकर नष्ट हो जाता है और जो चीज़ लोगों को लाभ पहुँचाती है, वह धरती में रह जाती है। इसी प्रकार, अल्लाह उदाहरण प्रस्तुत करता है।[10]
10. इस उदाहरण में सत्य और असत्य के बीच संघर्ष को दिखाया गया है कि वह़्य द्वारा जो सत्य उतारा गया है, वह वर्षा के समान है। और जो उससे लाभ प्राप्त करते हैं, वह नालों के समान हैं। और सत्य के विरोधी सैलाब के झाग के समान हैं, जो कुछ देर के लिए उभरता है फिर विलय है जाता है। दूसरे उदाहरण में सत्य को सोने और चाँदी के समान बताया गया है जिसे पिघलाने से मैल उभरती है, फिर मैल उड़ती है। इसी प्रकार असत्य विलय हो जाता है और केवल सत्य रह जाता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
لِلَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمُ الْحُسْنٰی ؔؕ— وَالَّذِیْنَ لَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهٗ لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِی الْاَرْضِ جَمِیْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لَافْتَدَوْا بِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ سُوْٓءُ الْحِسَابِ ۙ۬— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمِهَادُ ۟۠
जिन लोगों ने अपने पालनहार की बात स्वीकार कर ली, उन्हीं के लिए भलाई है। और जिन्होंने उसकी बात स्वीकार न की, यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं और उसके साथ उतना और भी हो, तो वे अवश्य उसे (अल्लाह के दंड से) छुड़ौती में दे दें। यही लोग हैं जिनके लिए बुरा हिसाब है तथा उनका ठिकाना नरक है और वह बुरा ठिकाना है।
Arabic explanations of the Qur’an:
 
Translation of the meanings Surah: Ar-Ra‘d
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Translated by Azizul Haq Al-Omari

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