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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari * - Translations’ Index

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Translation of the meanings Surah: Al-Ahzāb   Ayah:
تَحِیَّتُهُمْ یَوْمَ یَلْقَوْنَهٗ سَلٰمٌ ۖۚ— وَّاَعَدَّ لَهُمْ اَجْرًا كَرِیْمًا ۟
जिस दिन वे अपने पालनहार से मिलेंगे, उनका अभिवादन सलाम होगा। और उसने उनके लिए सम्मानजनका प्रतिफल तैयार कर रखा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ اِنَّاۤ اَرْسَلْنٰكَ شَاهِدًا وَّمُبَشِّرًا وَّنَذِیْرًا ۟ۙ
ऐ नबी! हमने आपको गवाही[31] देने वाला, शुभ सूचना देने वाला[32] और डराने वाला[33] बनाकर भेजा है।
31. अर्थात लोगों को अल्लाह का उपदेश पहुँचाने की गवाही देने वाला। (देखिए : सूरतुल-बक़रा, आयत : 143, तथा सूरतुन-निसा, आयत : 41) 32. अल्लाह की दया तथा स्वर्ग का, आज्ञाकारियों के लिए। 33. अल्लाह की यातना तथा नरक से, अवज्ञाकारीयों के लिए।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَّدَاعِیًا اِلَی اللّٰهِ بِاِذْنِهٖ وَسِرَاجًا مُّنِیْرًا ۟
तथा अल्लाह की अनुमति से उसकी ओर बुलाने वाला और एक प्रकाशमान दीप (बनाकर भेजा है)।[34]
34. इस आयत में यह संकेत है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) दिव्य प्रदीप के समान पूरे मानव विश्व को सत्य के प्रकाश से, जो एकेश्वरवाद तथा एक अल्लाह की इबादत है, प्रकाशित करने के लिए आए हैं। और यही आपकी विशेषता है कि आप किसी जाति या देश अथवा वर्ण-वर्ग के लिए नहीं आए हैं। और अब प्रलय तक सत्य का प्रकाश आप ही के अनुसरण से प्राप्त हो सकता है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِیْنَ بِاَنَّ لَهُمْ مِّنَ اللّٰهِ فَضْلًا كَبِیْرًا ۟
तथा आप ईमान वालों को शुभ सूचना दे दें कि उनके लिए अल्लाह की ओर से बड़ा अनुग्रह है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَلَا تُطِعِ الْكٰفِرِیْنَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ وَدَعْ اَذٰىهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَی اللّٰهِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ وَكِیْلًا ۟
तथा आप काफ़िरों और मुनाफ़िकों की बात न मानें, तथा उनके कष्ट पहुँचाने की परवाह न करें, और अल्लाह ही पर भरोसा रखें, तथा अल्लाह काम बनाने के लिए काफ़ी है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا نَكَحْتُمُ الْمُؤْمِنٰتِ ثُمَّ طَلَّقْتُمُوْهُنَّ مِنْ قَبْلِ اَنْ تَمَسُّوْهُنَّ فَمَا لَكُمْ عَلَیْهِنَّ مِنْ عِدَّةٍ تَعْتَدُّوْنَهَا ۚ— فَمَتِّعُوْهُنَّ وَسَرِّحُوْهُنَّ سَرَاحًا جَمِیْلًا ۟
ऐ ईमान वालो! जब तुम ईमान वाली स्त्रियों से विवाह करो, फिर उन्हें हाथ लगाने से पहले ही तलाक़ दे दो, तो तुम्हारे लिए उनपर कोई इद्दत[35] नहीं, जिसकी तुम गिनती करो। अतः तुम उन्हें कुछ सामान दे दो और उन्हें भलाई के साथ विदा कर दो।
35. अर्थात तलाक़ के पश्चात की निर्धारित प्रतीक्षा अवधि, जिसके भीतर दूसरे से विवाह करने की अनुमति नहीं है।
Arabic explanations of the Qur’an:
یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ اِنَّاۤ اَحْلَلْنَا لَكَ اَزْوَاجَكَ الّٰتِیْۤ اٰتَیْتَ اُجُوْرَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ یَمِیْنُكَ مِمَّاۤ اَفَآءَ اللّٰهُ عَلَیْكَ وَبَنٰتِ عَمِّكَ وَبَنٰتِ عَمّٰتِكَ وَبَنٰتِ خَالِكَ وَبَنٰتِ خٰلٰتِكَ الّٰتِیْ هَاجَرْنَ مَعَكَ ؗ— وَامْرَاَةً مُّؤْمِنَةً اِنْ وَّهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِیِّ اِنْ اَرَادَ النَّبِیُّ اَنْ یَّسْتَنْكِحَهَا ۗ— خَالِصَةً لَّكَ مِنْ دُوْنِ الْمُؤْمِنِیْنَ ؕ— قَدْ عَلِمْنَا مَا فَرَضْنَا عَلَیْهِمْ فِیْۤ اَزْوَاجِهِمْ وَمَا مَلَكَتْ اَیْمَانُهُمْ لِكَیْلَا یَكُوْنَ عَلَیْكَ حَرَجٌ ؕ— وَكَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا ۟
ऐ नबी! निःसंदेह हमने आपके लिए आपकी वे पत्नियाँ हलाल (वैध) कर दी हैं, जिन्हें आपने उनका महर चुका दिया है, तथा वे लौंडियाँ (भी) जो आपके स्वामित्व में हैं, उन लौंडियों में से जो अल्लाह ने ग़नीमत के धन से आपको[36] प्रदान की हैं। तथा आपके चाचा की बेटियाँ, आपकी फूफियों की बेटियाँ, आपके मामा की बेटियाँ और आपकी मौसियों की बेटियाँ, जिन्होंने आपके साथ हिजरत की है। तथा वह ईमान वाली महिला भी, जो स्वयं को नबी के लिए दान कर दे, यदि नबी उससे विवाह करना चाहे। यह विशेष रूप से आपके लिए है, अन्य ईमान वालों के लिए नहीं। निश्चय ही हम जानते हैं जो कुछ हमने उनपर उनकी पत्नियों तथा उनके स्वामित्व में आई हुई दासियों के संबंध[37] में फ़र्ज़ किया है; ताकि तुमपर कोई तंगी न रहे। और अल्लाह बहुत क्षमा करने वाला, अत्यंत दयालु है।
36. अर्थात वह दासियाँ जो युद्ध में आप के हाथ आई हों। 37. अर्थात यह कि चार पत्नियों से अधिक न रखो तथा महर और विवाह के समय दो साक्षी बनाना और दासियों के लिए चार का प्रतिबंध न होना एवं सबका भरण-पोषण और सबके साथ अच्छा व्यवहार करना इत्यादि।
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Translation of the meanings Surah: Al-Ahzāb
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Translated by Azizul Haq Al-Omari

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