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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari * - Translations’ Index

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Translation of the meanings Surah: An-Nisā’   Ayah:
لَا خَیْرَ فِیْ كَثِیْرٍ مِّنْ نَّجْوٰىهُمْ اِلَّا مَنْ اَمَرَ بِصَدَقَةٍ اَوْ مَعْرُوْفٍ اَوْ اِصْلَاحٍ بَیْنَ النَّاسِ ؕ— وَمَنْ یَّفْعَلْ ذٰلِكَ ابْتِغَآءَ مَرْضَاتِ اللّٰهِ فَسَوْفَ نُؤْتِیْهِ اَجْرًا عَظِیْمًا ۟
उनकी अधिकतर कानाफूसियों में कोई भलाई नहीं होती, परन्तु जो दान या नेकी या लोगों के बीच संधि कराने का आदेश दे (तो इसमें भलाई है), और जो कोई ऐसे कर्म अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए करेगा, हम जल्द ही उसे बहुत बड़ा बदला प्रदान करेंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَنْ یُّشَاقِقِ الرَّسُوْلَ مِنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُ الْهُدٰی وَیَتَّبِعْ غَیْرَ سَبِیْلِ الْمُؤْمِنِیْنَ نُوَلِّهٖ مَا تَوَلّٰی وَنُصْلِهٖ جَهَنَّمَ ؕ— وَسَآءَتْ مَصِیْرًا ۟۠
तथा जो व्यक्ति अपने सामने मार्गदर्शन स्पष्ट हो जाने के बाद रसूल का विरोध करे और ईमान वालों[76] के मार्ग के अलावा (किसी दूसरे मार्ग) पर चले, हम उसे उधर ही फेर देंगे[77], जिधर वह (स्वयं) फिर गया है और उसे नरक में झोंक देंगे। और वह बहुत बुरा ठिकाना है।
76. ईमान वालों से अभिप्राय नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सह़ाबा (साथी) हैं। 77. विद्वानों ने लिखा है कि यह आयत भी उसी मुनाफ़िक़ से संबंधित है। क्योंकि जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसके विरुद्ध दंड का निर्णय कर दिया, तो वह भागकर मक्का के मिश्रणवादियों से मिल गया। (तफ़्सीरे क़ुर्तुबी) फिर भी इस आयत का आदेश सर्वसामान्य है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنَّ اللّٰهَ لَا یَغْفِرُ اَنْ یُّشْرَكَ بِهٖ وَیَغْفِرُ مَا دُوْنَ ذٰلِكَ لِمَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَمَنْ یُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلٰلًا بَعِیْدًا ۟
निःसंदेह अल्लाह अपने साथ साझी ठहराए जाने को क्षमा[78] नहीं करेगा और इससे कमतर पाप जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा। तथा जो अल्लाह का साझी बनाता है, वह यक़ीनन भटककर बहुत दूर जा पड़ा।
78. अर्थात शिर्क (मिश्रणवाद) अक्षम्य पाप है।
Arabic explanations of the Qur’an:
اِنْ یَّدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖۤ اِلَّاۤ اِنٰثًا ۚ— وَاِنْ یَّدْعُوْنَ اِلَّا شَیْطٰنًا مَّرِیْدًا ۟ۙ
ये (बहुदेववादी), अल्लाह को छोड़कर मात्र देवियों को पुकारते हैं और वास्तव में ये केवल उद्दंड शैतान को पुकारते हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
لَّعَنَهُ اللّٰهُ ۘ— وَقَالَ لَاَتَّخِذَنَّ مِنْ عِبَادِكَ نَصِیْبًا مَّفْرُوْضًا ۟ۙ
जिसे अल्लाह ने धिक्कार दिया है। तथा उसने कहा था कि मैं तेरे बंदों में से एक निश्चित हिस्सा अवश्य लेकर रहूँगा।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَّلَاُضِلَّنَّهُمْ وَلَاُمَنِّیَنَّهُمْ وَلَاٰمُرَنَّهُمْ فَلَیُبَتِّكُنَّ اٰذَانَ الْاَنْعَامِ وَلَاٰمُرَنَّهُمْ فَلَیُغَیِّرُنَّ خَلْقَ اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ یَّتَّخِذِ الشَّیْطٰنَ وَلِیًّا مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ فَقَدْ خَسِرَ خُسْرَانًا مُّبِیْنًا ۟ؕ
और मैं उन्हें अवश्य पथभ्रष्ट करूँगा, और उन्हें अवश्य आशाएँ दिलाऊँगा और उन्हें अवश्य आदेश दूँगा तो वे पशुओं के कान चीरेंगे तथा निश्चय उन्हें आदेश दूँगा, तो वे अवश्य अल्लाह की रचना में परिवर्तन[79] करेंगे। तथा जो अल्लाह को छोड़कर शैतान को अपना मित्र बना ले, वह निश्चय खुले घाटे में पड़ गया।
79. इसके बहुत से अर्थ हो सकते हैं। जैसे गोदना, गुदवाना, स्त्री का पुरुष का आचरण और स्वभाव बनाना, इसी प्रकार पुरुष का स्त्री का आचरण तथा रूप धारण करना आदि।
Arabic explanations of the Qur’an:
یَعِدُهُمْ وَیُمَنِّیْهِمْ ؕ— وَمَا یَعِدُهُمُ الشَّیْطٰنُ اِلَّا غُرُوْرًا ۟
वह (शैतान) उनसे वादे करता है और उन्हें आशाएँ दिलाता है। (परंतु) शैतान उनसे जो वादे करता है, वे धोखे के सिवा कुछ नहीं हैं।
Arabic explanations of the Qur’an:
اُولٰٓىِٕكَ مَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؗ— وَلَا یَجِدُوْنَ عَنْهَا مَحِیْصًا ۟
वही लोग है जिनका ठिकाना जहन्नम है और वे उससे भागने का कोई रास्ता नहीं पाएंगे।
Arabic explanations of the Qur’an:
 
Translation of the meanings Surah: An-Nisā’
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Translated by Azizul Haq Al-Omari

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