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Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari * - Translations’ Index

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Translation of the meanings Surah: Al-A‘rāf   Ayah:
قَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ اسْتَكْبَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَنُخْرِجَنَّكَ یٰشُعَیْبُ وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مَعَكَ مِنْ قَرْیَتِنَاۤ اَوْ لَتَعُوْدُنَّ فِیْ مِلَّتِنَا ؕ— قَالَ اَوَلَوْ كُنَّا كٰرِهِیْنَ ۟ۚ
उसकी जाति के उन प्रमुखों ने कहा जो बड़े बने हुए थे कि ऐ शुऐब! हम तुझे तथा उन लोगों को जो तेरे साथ ईमान लाए हैं, अपने नगर से अवश्य ही निकाल देंगे, या हर हाल में तुम हमारे धर्म में वापस आओगे। (शुऐब ने) कहा : क्या अगरचे हम नापसंद करने वाले हों?
Arabic explanations of the Qur’an:
قَدِ افْتَرَیْنَا عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا اِنْ عُدْنَا فِیْ مِلَّتِكُمْ بَعْدَ اِذْ نَجّٰىنَا اللّٰهُ مِنْهَا ؕ— وَمَا یَكُوْنُ لَنَاۤ اَنْ نَّعُوْدَ فِیْهَاۤ اِلَّاۤ اَنْ یَّشَآءَ اللّٰهُ رَبُّنَا ؕ— وَسِعَ رَبُّنَا كُلَّ شَیْءٍ عِلْمًا ؕ— عَلَی اللّٰهِ تَوَكَّلْنَا ؕ— رَبَّنَا افْتَحْ بَیْنَنَا وَبَیْنَ قَوْمِنَا بِالْحَقِّ وَاَنْتَ خَیْرُ الْفٰتِحِیْنَ ۟
निश्चय हमने अल्लाह पर झूठ गढ़ा यदि हम तुम्हारे धर्म में फिर आ जाएँ, इसके बाद कि अल्लाह ने हमें उससे बचा लिया। और हमारे लिए संभव नहीं कि हम उसमें फिर आ जाएँ, परंतु यह कि हमारा पालनहार अल्लाह ही ऐसा चाहे। हमारा पालनहार प्रत्येक वस्तु को अपने ज्ञान के घेरे में लिए हुए है। हमने अल्लाह ही पर भरोसा किया। ऐ हमारे पालनहार! हमारे और हमारी जाति के बीच न्याय के साथ निर्णय कर दे। और तू सब निर्णय करने वालों से बेहतर है।
Arabic explanations of the Qur’an:
وَقَالَ الْمَلَاُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَوْمِهٖ لَىِٕنِ اتَّبَعْتُمْ شُعَیْبًا اِنَّكُمْ اِذًا لَّخٰسِرُوْنَ ۟
तथा उसकी जाति के काफ़िर प्रमुखों ने कहा कि यदि तुम शुऐब के पीछे चले, तो निःसंदेह तुम उस समय अवश्य घाटा उठाने वाले हो।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَاَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَاَصْبَحُوْا فِیْ دَارِهِمْ جٰثِمِیْنَ ۟
तो उन्हें भूकंप ने पकड़ लिया, तो वे अपने घरों में औंधे पड़े रह गए।
Arabic explanations of the Qur’an:
الَّذِیْنَ كَذَّبُوْا شُعَیْبًا كَاَنْ لَّمْ یَغْنَوْا فِیْهَا ۛۚ— اَلَّذِیْنَ كَذَّبُوْا شُعَیْبًا كَانُوْا هُمُ الْخٰسِرِیْنَ ۟
जिन लोगों ने शुऐब को झुठलाया (वे ऐसे हो गए कि) मानो कभी वे उन (घरों) में बसे ही न थे। जिन लोगों ने शुऐब को झुठलाया, वही लोग घाटा उठाने वाले थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
فَتَوَلّٰی عَنْهُمْ وَقَالَ یٰقَوْمِ لَقَدْ اَبْلَغْتُكُمْ رِسٰلٰتِ رَبِّیْ وَنَصَحْتُ لَكُمْ ۚ— فَكَیْفَ اٰسٰی عَلٰی قَوْمٍ كٰفِرِیْنَ ۟۠
तो शुऐब उनसे विमुख हो गए और कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! मैंने तुम्हें अपने पालनहार के संदेश पहुँचा दिए, तथा मैं तुम्हारा हितकारी रहा। तो फिर मैं काफ़िर जाति (के विनाश) पर कैसे शोक करूँ?
Arabic explanations of the Qur’an:
وَمَاۤ اَرْسَلْنَا فِیْ قَرْیَةٍ مِّنْ نَّبِیٍّ اِلَّاۤ اَخَذْنَاۤ اَهْلَهَا بِالْبَاْسَآءِ وَالضَّرَّآءِ لَعَلَّهُمْ یَضَّرَّعُوْنَ ۟
तथा हमने जिस बस्ती में भी कोई नबी भेजा, तो उसके वासियों को तंगी और कष्ट से ग्रस्त कर दिया ताकि वे गिड़गिड़ाएँ।[37]
37. आयत का भावार्थ यह है कि सभी नबी अपनी जाति में पैदा हुए। सब अकेले धर्म का प्रचार करने के लिए आए। और सबका उपदेश एक था कि अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। सबने सत्कर्म की प्रेर्णा दी, और कुकर्म के दुष्परिणाम से सावधान किया। सबका साथ निर्धनों तथा निर्बलों ने दिया। प्रमुखों और बड़ों ने उनका विरोध किया। नबियों का विरोध भी उन्हें धमकी तथा दुःख देकर किया गया। और सबका परिणाम भी एक प्रकार हुआ, अर्थात उनको अल्लाह की यातना ने घेर लिया। और यही सदा इस संसार में अल्लाह का नियम रहा है।
Arabic explanations of the Qur’an:
ثُمَّ بَدَّلْنَا مَكَانَ السَّیِّئَةِ الْحَسَنَةَ حَتّٰی عَفَوْا وَّقَالُوْا قَدْ مَسَّ اٰبَآءَنَا الضَّرَّآءُ وَالسَّرَّآءُ فَاَخَذْنٰهُمْ بَغْتَةً وَّهُمْ لَا یَشْعُرُوْنَ ۟
फिर हमने उस खराब स्थिति को अच्छी स्थिति में बदल दिया, यहाँ तक कि वे (संख्या और धन में) बहुत बढ़ गए और उन्होंने कहा यह दुख और सुख हमारे बाप-दादा को भी पहुँचा था। तो हमने उन्हें अचानक इस हाल में पकड़ लिया कि वे सोचते न थे।
Arabic explanations of the Qur’an:
 
Translation of the meanings Surah: Al-A‘rāf
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Translated by Azizul Haq Al-Omari

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