Traducción de los significados del Sagrado Corán - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Índice de traducciones


Traducción de significados Versículo: (149) Capítulo: Sura Al-‘Imrán
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تُطِیْعُوا الَّذِیْنَ كَفَرُوْا یَرُدُّوْكُمْ عَلٰۤی اَعْقَابِكُمْ فَتَنْقَلِبُوْا خٰسِرِیْنَ ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! यदि तुम यहूदियों, ईसाइयों और बहुदेववादियों में से काफिरों के सीधे रास्ते से हटाने वाले आदेशों को मानने लगो गे, तो वे तुम्हें तुम्हारे ईमान लाने के बाद तुम्हारी पुरानी अवस्था अर्थात कुफ्र की ओर लौटा देंगे, फिर तुम दुनिया एवं आख़िरत का घाटा उठाने वाले बन जाओगे।
Las Exégesis Árabes:
Beneficios de los versículos de esta página:
• التحذير من طاعة الكفار والسير في أهوائهم، فعاقبة ذلك الخسران في الدنيا والآخرة.
• काफिरों का पालन करने और उनकी आकांक्षाओं के पीछे चलने से सावधान करना। क्योंकि इसका परिणाम दुनिया एवं आख़िरत का घाटा है।

• إلقاء الرعب في قلوب أعداء الله صورةٌ من صور نصر الله لأوليائه المؤمنين.
• अल्लाह के दुश्मनों के दिलों में भय डालना, अल्लाह की अपने मोमिन दोस्तों की सहायता का एक रूप है।

• من أعظم أسباب الهزيمة في المعركة التعلق بالدنيا والطمع في مغانمها، ومخالفة أمر قائد الجيش.
• युद्ध में हार के सबसे बड़े कारणों में से, दुनिया के प्रति लगाव तथा उसके धन में लालच और सेना के कमांडर के आदेश का उल्लंघन करना है।

• من دلائل فضل الصحابة أن الله يعقب بالمغفرة بعد ذكر خطئهم.
• सहाबा की श्रेष्ठता के प्रमाणों में से एक यह है कि अल्लाह उनकी त्रुटि का उल्लेख करने के बाद क्षमा का भी उल्लेख करता है।

 
Traducción de significados Versículo: (149) Capítulo: Sura Al-‘Imrán
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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