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Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción India - Azizul-Haqq Al-Umary * - Índice de traducciones

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Traducción de significados Capítulo: Al-Nisaa   Versículo:
اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— لَیَجْمَعَنَّكُمْ اِلٰی یَوْمِ الْقِیٰمَةِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— وَمَنْ اَصْدَقُ مِنَ اللّٰهِ حَدِیْثًا ۟۠
अल्लाह के सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं, वह तुम्हें प्रलय के दिन अवश्य एकत्र करेगा, जिसमें कोई संदेह नहीं, तथा अल्लाह से अधिक सच्ची बात वाला और कौन होगा?
Las Exégesis Árabes:
فَمَا لَكُمْ فِی الْمُنٰفِقِیْنَ فِئَتَیْنِ وَاللّٰهُ اَرْكَسَهُمْ بِمَا كَسَبُوْا ؕ— اَتُرِیْدُوْنَ اَنْ تَهْدُوْا مَنْ اَضَلَّ اللّٰهُ ؕ— وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَلَنْ تَجِدَ لَهٗ سَبِیْلًا ۟
तुम्हें क्या हो गया है कि मुनाफ़िक़ों के बारे में दो पक्ष[59] बन गए हो, जबकि अल्लाह ने उनकी करतूतों के कारण उन्हें उल्टा फेर दिया है? क्या तुम उसे सही रास्ता दिखाना चाहते हो, जिसे अल्लाह ने पथभ्रष्ट कर दिया है? और जिसे अल्लाह पथभ्रष्ट कर दे, तुम उसके लिए कदापि कोई रास्ता नहीं पाओगे।
59. मक्का वासियों में कुछ अपने स्वार्थ के लिए मौखिक मुसलमान हो गए थे, और जब युद्ध आरंभ हुआ तो उनके बारे में मुसलमानों के दो विचार हो गए। कुछ उन्हें अपना मित्र और कुछ उन्हें अपना शत्रु समझ रहे थे। अल्लाह ने यहाँ बता दिया कि वे लोग मुनाफ़िक़ हैं। जब तक मक्का से हिजरत करके मदीना में न आ जाएँ, और शत्रु ही के साथ रह जाएँ, उन्हें भी शत्रु समझा जाएगा। ये वह मुनाफ़िक़ नहीं हैं जिनकी चर्चा पहले की गई है, ये मक्का के विशेष मुनाफ़िक़ हैं, जिनसे युद्ध की स्थिति में कोई मित्रता की जा सकती थी, और न ही उनसे कोई संबंध रखा जा सकता था।
Las Exégesis Árabes:
وَدُّوْا لَوْ تَكْفُرُوْنَ كَمَا كَفَرُوْا فَتَكُوْنُوْنَ سَوَآءً فَلَا تَتَّخِذُوْا مِنْهُمْ اَوْلِیَآءَ حَتّٰی یُهَاجِرُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ ؕ— فَاِنْ تَوَلَّوْا فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَیْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ ۪— وَلَا تَتَّخِذُوْا مِنْهُمْ وَلِیًّا وَّلَا نَصِیْرًا ۟ۙ
(ऐ ईमान वालो!) वे चाहते हैं कि जिस तरह वे काफ़िर हो गए, तुम भी काफ़िर हो जाओ ताकि तुम उनके बराबर हो जाओ। अतः तुम उनमें से किसी को मित्र न बनाओ, जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें। यदि वे इससे मुँह फेरें, तो जहाँ भी पाओ, उन्हें पकड़ो और क़त्ल करो और उनमें से किसी को अपना मित्र और सहायक न बनाओ।
Las Exégesis Árabes:
اِلَّا الَّذِیْنَ یَصِلُوْنَ اِلٰی قَوْمٍ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَهُمْ مِّیْثَاقٌ اَوْ جَآءُوْكُمْ حَصِرَتْ صُدُوْرُهُمْ اَنْ یُّقَاتِلُوْكُمْ اَوْ یُقَاتِلُوْا قَوْمَهُمْ ؕ— وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَسَلَّطَهُمْ عَلَیْكُمْ فَلَقٰتَلُوْكُمْ ۚ— فَاِنِ اعْتَزَلُوْكُمْ فَلَمْ یُقَاتِلُوْكُمْ وَاَلْقَوْا اِلَیْكُمُ السَّلَمَ ۙ— فَمَا جَعَلَ اللّٰهُ لَكُمْ عَلَیْهِمْ سَبِیْلًا ۟
परंतु उनमें से जो लोग किसी ऐसी क़ौम से जा मिलें, जिनके और तुम्हारे बीच समझौता हो, या वे लोग जो तुम्हारे पास इस अवस्था में आएँ कि उनके दिल इस बात से तंग हो रहे हों कि वे तुमसे युद्ध करें अथवा (तुम्हारे साथ मिलकर) अपनी जाति से युद्ध करें। और यदि अल्लाह चाहता, तो उन्हें तुमपर हावी कर देता, फिर वे तुमसे ज़रूर युद्ध करते। अतः यदि वे तुमसे अलग रहें और तुमसे युद्ध न करें और संधि के लिए तुम्हारी ओर हाथ बढ़ाएँ, तो अल्लाह ने उनके विरुद्ध् तुम्हारे लिए (युद्ध का) कोई रास्ता नहीं बनाया[60] है।
60. अर्थात इस्लाम में युद्ध का आदेश उनके विरुद्ध दिया गया है, जो इस्लाम के विरुद्ध युद्ध कर रहे हों। अन्यथा, उनसे युद्ध करने का कोई कारण नहीं रह जाता क्योंकि मूल चीज़ शांति तथा संधि है, युद्ध और हत्या नहीं।
Las Exégesis Árabes:
سَتَجِدُوْنَ اٰخَرِیْنَ یُرِیْدُوْنَ اَنْ یَّاْمَنُوْكُمْ وَیَاْمَنُوْا قَوْمَهُمْ ؕ— كُلَّ مَا رُدُّوْۤا اِلَی الْفِتْنَةِ اُرْكِسُوْا فِیْهَا ۚ— فَاِنْ لَّمْ یَعْتَزِلُوْكُمْ وَیُلْقُوْۤا اِلَیْكُمُ السَّلَمَ وَیَكُفُّوْۤا اَیْدِیَهُمْ فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَیْثُ ثَقِفْتُمُوْهُمْ ؕ— وَاُولٰٓىِٕكُمْ جَعَلْنَا لَكُمْ عَلَیْهِمْ سُلْطٰنًا مُّبِیْنًا ۟۠
तथा तुम कुछ दूसरे लोगों को ऐसा भी पाओगे, जो चाहते हैं कि तुम्हारी ओर से निश्चिन्त रहें और अपनी क़ौम की ओर से भी निश्चिन्त रहें। परन्तु जब भी वे उपद्रव की ओर लौटाए जाते हैं, तो उसमें औंधे मुँह जा गिरते हैं। यदि वे तुमसे अलग-थलग न रहें और तुम्हारी ओर संधि का हाथ न बढ़ाएँ, और अपने हाथ न रोकें, तो तुम उन्हें पकड़ो और क़त्ल करो जहाँ कहीं भी पाओ। यही लोग हैं, जिनके विरुद्ध हमने तुम्हें स्पष्ट तर्क दिया है।
Las Exégesis Árabes:
 
Traducción de significados Capítulo: Al-Nisaa
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Traducida por Aziz ul-Haqq al-Umri.

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