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Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción India - Azizul-Haqq Al-Umary * - Índice de traducciones

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Traducción de significados Capítulo: Al-Maaida   Versículo:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ تَعَالَوْا اِلٰی مَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ وَاِلَی الرَّسُوْلِ قَالُوْا حَسْبُنَا مَا وَجَدْنَا عَلَیْهِ اٰبَآءَنَا ؕ— اَوَلَوْ كَانَ اٰبَآؤُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ شَیْـًٔا وَّلَا یَهْتَدُوْنَ ۟
और जब उनसे कहा जाता है : आओ उसकी ओर जो अल्लाह ने उतारा है और रसूल की ओर, तो कहते हैं : हमें वही काफ़ी है, जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है। क्या अगरचे उनके बाप-दादा कुछ भी न जानते हों और न मार्गदर्शन पाते हों।
Las Exégesis Árabes:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا عَلَیْكُمْ اَنْفُسَكُمْ ۚ— لَا یَضُرُّكُمْ مَّنْ ضَلَّ اِذَا اهْتَدَیْتُمْ ؕ— اِلَی اللّٰهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِیْعًا فَیُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! तुमपर अपनी चिंता अनिवार्य है। तुम्हें वह व्यक्ति हानि नहीं पहुँचाएगा, जो गुमराह हो गया, जब तुम मार्गदर्शन पा चुके। अल्लाह ही की ओर तुम सबको लौटकर जाना है। फिर वह तुम्हें बताएगा, जो कुछ तुम किया करते थे।[71]
71. आयत का भावार्थ यह है कि यदि लोग कुपथ हो जाएँ, तो उनका कुपथ होना तुम्हारे लिए तर्क (दलील) नहीं हो सकता कि जब सभी कुपथ हो रहे हैं तो हम अकेले क्या करें? प्रत्येक व्यक्ति पर स्वयं अपना दायित्व है, दूसरों का दायित्व उस पर नहीं है। अतः पूरा संसार कुपथ हो जाए, तब भी तुम सत्य पर स्थित रहो।
Las Exégesis Árabes:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا شَهَادَةُ بَیْنِكُمْ اِذَا حَضَرَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ حِیْنَ الْوَصِیَّةِ اثْنٰنِ ذَوَا عَدْلٍ مِّنْكُمْ اَوْ اٰخَرٰنِ مِنْ غَیْرِكُمْ اِنْ اَنْتُمْ ضَرَبْتُمْ فِی الْاَرْضِ فَاَصَابَتْكُمْ مُّصِیْبَةُ الْمَوْتِ ؕ— تَحْبِسُوْنَهُمَا مِنْ بَعْدِ الصَّلٰوةِ فَیُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ اِنِ ارْتَبْتُمْ لَا نَشْتَرِیْ بِهٖ ثَمَنًا وَّلَوْ كَانَ ذَا قُرْبٰی ۙ— وَلَا نَكْتُمُ شَهَادَةَ ۙ— اللّٰهِ اِنَّاۤ اِذًا لَّمِنَ الْاٰثِمِیْنَ ۟
ऐ ईमान वालो! जब तुममें से किसी की मृत्यु आ पहुँचे, तो वसिय्यत[72] के समय तुम्हारे बीच गवाही (के लिए) तुममें से दो न्यायप्रिय व्यक्ति हों या तुम्हारे ग़ैरों में से दूसरे दो व्यक्ति हों, यदि तुम धरती में यात्रा कर रहे हो, फिर तुम्हें मरण की आपदा आ पहुँचे। तुम उन दोनों को नमाज़ के बाद रोक लोगे, यदि तुम्हें (उनपर) संदेह हो। फिर वे दोनों अल्लाह की क़सम खाएँगे कि हम उसके साथ कोई मूल्य नहीं लेंगे, यद्यपि वह निकट का संबंधी हो और न हम अल्लाह की गवाही छिपाएँगे, निःसंदेह हम उस समय निश्चय पापियों में से होंगे।
72. वसिय्यत का अर्थ है, उत्तरदान, मरणासन्न आदेश।
Las Exégesis Árabes:
فَاِنْ عُثِرَ عَلٰۤی اَنَّهُمَا اسْتَحَقَّاۤ اِثْمًا فَاٰخَرٰنِ یَقُوْمٰنِ مَقَامَهُمَا مِنَ الَّذِیْنَ اسْتَحَقَّ عَلَیْهِمُ الْاَوْلَیٰنِ فَیُقْسِمٰنِ بِاللّٰهِ لَشَهَادَتُنَاۤ اَحَقُّ مِنْ شَهَادَتِهِمَا وَمَا اعْتَدَیْنَاۤ ۖؗ— اِنَّاۤ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِیْنَ ۟
फिर यदि पता चले कि निःसंदेह वे दोनों (गवाह) किसी पाप के पात्र हुए हैं, तो उन दोनों के स्थान पर, दो अन्य गवाह खड़े हों, उनमें से जिनका हक़ दबाया गया है, जो (मरे हुए व्यक्ति के) अधिक निकट हों। फिर वे दोनों अल्लाह की क़समें खाएँ कि हमारी गवाही उन दोनों की गवाही से अधिक सच्ची है और हमने कोई ज़्यादती नहीं की। निःसंदेह हम उस समय निश्चय अत्याचारियों में से होंगे।
Las Exégesis Árabes:
ذٰلِكَ اَدْنٰۤی اَنْ یَّاْتُوْا بِالشَّهَادَةِ عَلٰی وَجْهِهَاۤ اَوْ یَخَافُوْۤا اَنْ تُرَدَّ اَیْمَانٌ بَعْدَ اَیْمَانِهِمْ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاسْمَعُوْا ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْفٰسِقِیْنَ ۟۠
यह अधिक निकट है कि वे गवाही को उसके (वास्तविक) तरीक़े पर दें, अथवा इस बात से डरें कि (उनकी) क़समें उन (संबंधियों) की क़समों के बाद रद्द कर दी जाएँगी तथा अल्लाह से डरो और सुनो और अल्लाह अवज्ञाकारियों को मार्गदर्शन प्रदान नहीं करता।[73]
73. आयत 106 से 108 तक में वसिय्यत तथा उसके साक्ष्य का नियम बताया जा रहा है कि दो विश्वस्त व्यक्तियों को साक्षी बनाया जाए, और यदि मुसलमान न मिलें तो ग़ैर मुस्लिम भी साक्षी हो सकते हैं। साक्षियों को शपथ के साथ साक्ष्य देना चाहिए। विवाद की दशा में दोनों पक्ष अपने-अपने साक्षी लाएँ, जो इनकार करे उसपर शपथ है।
Las Exégesis Árabes:
 
Traducción de significados Capítulo: Al-Maaida
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Traducida por Aziz ul-Haqq al-Umri.

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