ترجمهٔ معانی قرآن کریم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - لیست ترجمه ها


ترجمهٔ معانی آیه: (35) سوره: سوره اسراء
وَاَوْفُوا الْكَیْلَ اِذَا كِلْتُمْ وَزِنُوْا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِیْمِ ؕ— ذٰلِكَ خَیْرٌ وَّاَحْسَنُ تَاْوِیْلًا ۟
और जब दूसरे को मापकर दो, तो पूरा मापो और उसमें कमी न करो, तथा ठीक तराज़ू से तौलो, जो ज़रा भी कम तौलने वाला न हो। यह माप और वज़न को पूरा करना तुम्हारे लिए इस दुनिया और आख़िरत में बहुत बेहतर है तथा माप और वज़न में कमी करने से उत्तम परिणाम वाला है।
تفسیرهای عربی:
از فواید آیات این صفحه:
• الأدب الرفيع هو رد ذوي القربى بلطف، ووعدهم وعدًا جميلًا بالصلة عند اليسر، والاعتذار إليهم بما هو مقبول.
• उच्च शिष्टाचार यह है कि आदमी संबंधियों को (कुछ न देने की स्थिति में) विनम्रतापूर्वक वापस लौटाए और उनसे आसानी पैदा होने के समय देने का सुंदर वादा करे और उनसे ऐसी चीज़ के द्वारा क्षमा चाहे जो स्वीकार्य हो।

• الله أرحم بالأولاد من والديهم؛ فنهى الوالدين أن يقتلوا أولادهم خوفًا من الفقر والإملاق وتكفل برزق الجميع.
• अल्लाह बच्चों पर उनके माता-पिता से अधिक दयालु है। इसी कारण उसने माता-पिता को निर्धनता और गरीबी के डर से अपने बच्चों की हत्या करने से मना किया है और सभी की आजीविका की ज़िम्मेदारी ली है।

• في الآيات دليل على أن الحق في القتل للولي، فلا يُقْتَص إلا بإذنه، وإن عفا سقط القصاص.
• इन आयतों में इस बात का प्रमाण है कि 'क़िसास' लेने का अधिकार वधित व्यक्ति के अभिभावक का है। अतः उसकी अनुमति के बिना क़िसास नहीं लिया जाएगा और उसके माफ़ कर देने पर क़िसास समाप्त हो जाएगा।

• من لطف الله ورحمته باليتيم أن أمر أولياءه بحفظه وحفظ ماله وإصلاحه وتنميته حتى يبلغ أشده.
• यह अनाथ के प्रति अल्लाह की दया और कृपा है कि उसने उसके अभिभावकों को उसकी रक्षा करने तथा उसके धन को संरक्षित करने, उसका सुधार करने और उसे बढ़ाने का आदेश दिया है, यहाँ तक कि वह परिपक्व हो जाए।

 
ترجمهٔ معانی آیه: (35) سوره: سوره اسراء
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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