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ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه‌ى هندى کتاب مختصر در تفسير قرآن كريم * - لیست ترجمه ها


ترجمهٔ معانی سوره: اعراف   آیه:
فَاِذَا جَآءَتْهُمُ الْحَسَنَةُ قَالُوْا لَنَا هٰذِهٖ ۚ— وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَیِّئَةٌ یَّطَّیَّرُوْا بِمُوْسٰی وَمَنْ مَّعَهٗ ؕ— اَلَاۤ اِنَّمَا طٰٓىِٕرُهُمْ عِنْدَ اللّٰهِ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
जब फ़िरऔन की जाति पर उर्वरता, अच्छे फलों और सस्ते दामों के रूप में सुखद स्थिति आती, तो वे कहते : हमें यह इसलिए दिया गया क्योंकि हम इसके हक़दार हैं और यह हमारे ही लिए विशिष्ट है। और अगर उनपर अकाल, सूखे, बीमारियों की अधिकता तथा अन्य विपत्तियों के रूप में कोई मुसीबत आती, तो वे मूसा अलैहिस्सलाम और उनके साथ मौजूद बनी इसराईल से अपशकुन लेते। जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें इस तरह की जो भी चीज़ पहुँचती है, वह केवल अल्लाह की नियति (तक़दीर) के अनुसार पहुँचती है। इससे उनका और मूसा अलैहिस्सलाम का कोई लेना देना नहीं है, सिवाय मूसा अलैहिस्सलाम के उनपर बद्-दुआ करने के। लेकिन उनमें से अधिकतर लोग नहीं जानते, इसलिए वे इसे अल्लाह के अलावा किसी और से संबद्ध करते हैं।
تفسیرهای عربی:
وَقَالُوْا مَهْمَا تَاْتِنَا بِهٖ مِنْ اٰیَةٍ لِّتَسْحَرَنَا بِهَا ۙ— فَمَا نَحْنُ لَكَ بِمُؤْمِنِیْنَ ۟
फ़िरऔन की जाति ने मूसा अलैहिस्सलाम से, सत्य से दुश्मनी के कारण कहा : तुम हमारे पास जो निशानी भी ले आओ, और हमें हमारे धर्म से फेरने के लिए उसे ग़लत साबित करने और अपने धर्म की सच्चाई सिद्ध करने के लिए जो भी तर्क और प्रमाण ले आओ, हम तुमपर कभी विश्वास नहीं करेंगे।
تفسیرهای عربی:
فَاَرْسَلْنَا عَلَیْهِمُ الطُّوْفَانَ وَالْجَرَادَ وَالْقُمَّلَ وَالضَّفَادِعَ وَالدَّمَ اٰیٰتٍ مُّفَصَّلٰتٍ ۫— فَاسْتَكْبَرُوْا وَكَانُوْا قَوْمًا مُّجْرِمِیْنَ ۟
अंततः हमने उनके झुठलाने और हठ पर सज़ा के रूप में उनपर बहुत सारा पानी भेजा, जिसने उनकी फसलों और फलों को डुबो दिया। और हमने उन पर टिड्डियाँ भेजीं, जो उनकी फसलें खा गईं। और हमने उनपर जुएँ भेजीं, जो खेतियों को लग जाती हैं या इनसान के बाल में रहकर उसे कष्ट देती हैं, और हमने उन पर मेंढक भेजे, जो उनके बर्तनों में भर गए, उनके खाने-पीने की चीज़ों को खराब कर दिए और उनकी नींदें उड़ा दीं। और हमने उनपर रक्त भेजा, जिससे उनके कुएँ और उनकी नहरें रक्तमय हो गईं। हमने ये सब अलग-अलग और स्पष्ट निशानियाँ भेजीं, जो एक के बाद एक आती रहीं। परंतु ये सारी सज़ाएँ आने के बावजूद वे अल्लाह पर ईमान लाने और मूसा अलैहिस्सलाम के लाए हुए संदेश को मानने से अभिमान करते रहे। और वे ऐसे लोग थे जो पाप किया करते थे, वे न असत्य दूर रहते थे और न सत्य की राह पकड़ते थे।
تفسیرهای عربی:
وَلَمَّا وَقَعَ عَلَیْهِمُ الرِّجْزُ قَالُوْا یٰمُوْسَی ادْعُ لَنَا رَبَّكَ بِمَا عَهِدَ عِنْدَكَ ۚ— لَىِٕنْ كَشَفْتَ عَنَّا الرِّجْزَ لَنُؤْمِنَنَّ لَكَ وَلَنُرْسِلَنَّ مَعَكَ بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ۚ
और जब उनपर ये सारी यातनाएँ आ पड़ीं, तो वे मूसा अलैहिस्सलाम के पास पहुँचे और कहने लगे : ऐ मूसा! तुम अपने पालनहार से, उस नुबुव्वत के हवाले से जो उसने तुम्हें प्रदान की है और उसके हवाले से जो उसने तौबा के द्वारा यातना दूर करने का तुमहें वचन दिया है, हमारे लिए दुआ करो कि हमारे ऊपर आई हुई यातना को हमसे दूर कर दे। अगर तुमने हमसे यह यातना दूर कर दी, तो अवश्य ही हम तुमपर ईमान ले आएँगे और बनी इसराईल को आज़ाद करके तुम्हारे साथ भेज देंगे।
تفسیرهای عربی:
فَلَمَّا كَشَفْنَا عَنْهُمُ الرِّجْزَ اِلٰۤی اَجَلٍ هُمْ بٰلِغُوْهُ اِذَا هُمْ یَنْكُثُوْنَ ۟
फिर जब हम उन्हें सागर में डुबोकर विनष्ट करने से पहले, एक निश्चित अवधि के लिए उनसे यातना को दूर कर देते, तो अचानक वे मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लाने और बनी इसराईल को भेजने का अपना किया हुआ वादा तोड़ देत। चुनाँचे वे अपने कुफ़्र ही पर क़ायम रहते और बनी इसराईल को मूसा अलैहिस्सलाम के साथ भेजने से मुकर जाते।
تفسیرهای عربی:
فَانْتَقَمْنَا مِنْهُمْ فَاَغْرَقْنٰهُمْ فِی الْیَمِّ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟
फिर जब उनके विनाश का निश्चित समय आ गया, तो हमने उन्हें समुद्र में डुबोकर उनपर अपनी सज़ा उतार दी, क्योंकि उन्होंने अल्लाह की निशानियों को झुठलाया और उनसे इंगति होने वाले उस सत्य से उपेक्षा किया था, जिसमें कोई संदेह नहीं।
تفسیرهای عربی:
وَاَوْرَثْنَا الْقَوْمَ الَّذِیْنَ كَانُوْا یُسْتَضْعَفُوْنَ مَشَارِقَ الْاَرْضِ وَمَغَارِبَهَا الَّتِیْ بٰرَكْنَا فِیْهَا ؕ— وَتَمَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ الْحُسْنٰی عَلٰی بَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۙ۬— بِمَا صَبَرُوْا ؕ— وَدَمَّرْنَا مَا كَانَ یَصْنَعُ فِرْعَوْنُ وَقَوْمُهٗ وَمَا كَانُوْا یَعْرِشُوْنَ ۟
हमने बनी इसराईल को, जिन्हें फिरऔन और उसकी जाति के लोग कमज़ोर समझ रहे थे, धरती के पूर्व और पश्चिम के भूभागों का वारिस बना दिया। इस धरती से अभिप्राय शाम के देश (लेवंत) हैं, ये वे देश हैं जिनमें अल्लाह ने उनकी फसलों और फलों को पूरी तरह से पैदा करके बरकत रखी है। और इस प्रकार (ऐ नबी!) आपके पालनहार की सर्वश्रेष्ठ बात पूरी हो गई। वह बात अल्लाह सर्वशक्तिमान के इस कथन में उल्लिखित है : {وَنُرِيدُ أَن نَّمُنَّ عَلَى الَّذِينَ اسْتُضْعِفُوا فِي الْأَرْضِ وَنَجْعَلَهُمْ أَئِمَّةً وَنَجْعَلَهُمُ الْوَارِثِينَ} (القصص: ٥) ''हम चाहते हैं कि उन लोगों पर उपकार करें, जो धरती में कमज़ोर समझ लिए गए थे और उन्हें 'इमाम' बना दें और उन्हें वारिस बना दें।'' (सूरतुल-क़सस : 5)। अतः अल्लाह ने उन्हें फ़िरऔन और उसकी जाति की ओर से पहुँचने वाले कष्ट पर धैर्य के कारण धरती में प्रभुत्व प्रदान कर दिया। तथा हमने फ़िरऔन के बनाए हुए खेतों तथा घरों और उनके द्वारा निर्मित महलों को ध्वस्त कर दिया।
تفسیرهای عربی:
از فواید آیات این صفحه:
• الخير والشر والحسنات والسيئات كلها بقضاء الله وقدره، لا يخرج منها شيء عن ذلك.
• अच्छा और बुरा तथा नेकियाँ और बुराइयाँ सब अल्लाह के निर्णय और उसकी तक़दीर (नियति) के अनुसार होती हैं। इनमें से कोई भी चीज़ उससे बाहर नहीं हो सकती।

• شأن الناس في وقت المحنة والمصائب اللجوء إلى الله بدافع نداء الإيمان الفطري.
• संकट और विपत्तियों के समय लोग ईमान की अंतर्निहित (स्वभाविक) आह्वान से प्रेरित अल्लाह का सहारा लेते हैं।

• يحسن بالمؤمن تأمل آيات الله وسننه في الخلق، والتدبر في أسبابها ونتائجها.
• मोमिन को चाहिए कि अल्लाह की निशानियों और सृष्टि के बारे में उसकी रीतियों पर विचार करे और उनके कारणों और परिणामों के बारे में चिंतन करे।

• تتلاشى قوة الأفراد والدول أمام قوة الله العظمى، والإيمان بالله هو مصدر كل قوة.
• अल्लाह की महान शक्ति के सामने व्यक्तियों और राज्यों की शक्ति लुप्त हो जाती है, और अल्लाह पर ईमान ही हर शक्ति का स्रोत है।

• يكافئ الله تعالى عباده المؤمنين الصابرين بأن يمكِّنهم في الأرض بعد استضعافهم.
• अल्लाह अपने धीरज रखने वाले मोमिन बंदों को यह बदला देता है कि उन्हें कमज़ोर समझ लिए जाने के बाद धरती में प्रभुत्व प्रदान करता है।

 
ترجمهٔ معانی سوره: اعراف
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