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ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه‌ى هندى - عزیزالحق العمری * - لیست ترجمه ها

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ترجمهٔ معانی آیه: (34) سوره: نساء
اَلرِّجَالُ قَوّٰمُوْنَ عَلَی النِّسَآءِ بِمَا فَضَّلَ اللّٰهُ بَعْضَهُمْ عَلٰی بَعْضٍ وَّبِمَاۤ اَنْفَقُوْا مِنْ اَمْوَالِهِمْ ؕ— فَالصّٰلِحٰتُ قٰنِتٰتٌ حٰفِظٰتٌ لِّلْغَیْبِ بِمَا حَفِظَ اللّٰهُ ؕ— وَالّٰتِیْ تَخَافُوْنَ نُشُوْزَهُنَّ فَعِظُوْهُنَّ وَاهْجُرُوْهُنَّ فِی الْمَضَاجِعِ وَاضْرِبُوْهُنَّ ۚ— فَاِنْ اَطَعْنَكُمْ فَلَا تَبْغُوْا عَلَیْهِنَّ سَبِیْلًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِیًّا كَبِیْرًا ۟
पुरुष स्त्रियों के संरक्षक[29] हैं, इस कारण कि अल्लाह ने उनमें से कुछ को कुछ पर फ़ज़ीलत दी है तथा इस कारण कि पुरुषों ने अपना धन ख़र्च किया है। अतः अच्छी औरतें आज्ञाकारी होती हैं तथा अपने पतियों की अनुपस्थिति में अल्लाह के संरक्षण में उनके अधिकारों की रक्षा करती हैं। फिर तुम्हें जिन औरतों की अवज्ञा का डर हो, उन्हें समझाओ और सोने के स्थानों में उनसे अलग रहो तथा उन्हें मारो। फिर यदि वे तुम्हारी बात मानें, तो उनके विरुद्ध कोई रास्ता न ढूँढो। निःसंदेह अल्लाह सर्वोच्च, सबसे बड़ा है।
29. आयत का भावार्थ यह है कि पारिवारिक जीवन के प्रबंध के लिए एक प्रबंधक होना आवश्यक है। और इस प्रबंध तथा व्यवस्था का भार पुरुष पर रखा गया है। जो कोई विशेषता नहीं, बल्कि एक भार है। इसका यह अर्थ नहीं कि जन्म से पुरुष की स्त्री पर कोई विशेषता है। प्रथम आयत में यह आदेश दिया गया है कि यदि पत्नी, पति की अनुगामी न हो, तो वह उसे समझाए। परंतु यदि दोष पुरुष का हो, तो दोनों के बीच मध्यस्थता द्वारा संधि कराने की प्रेरणा दी गई है।
تفسیرهای عربی:
 
ترجمهٔ معانی آیه: (34) سوره: نساء
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ترجمه‌ى عزیزالحق العمری.

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