ترجمهٔ معانی قرآن کریم - ترجمه ى هندى * - لیست ترجمه ها

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ترجمهٔ معانی آیه: (48) سوره: سوره نساء
اِنَّ اللّٰهَ لَا یَغْفِرُ اَنْ یُّشْرَكَ بِهٖ وَیَغْفِرُ مَا دُوْنَ ذٰلِكَ لِمَنْ یَّشَآءُ ۚ— وَمَنْ یُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَقَدِ افْتَرٰۤی اِثْمًا عَظِیْمًا ۟
निःसंदेह, अल्लाह यह क्षमा नहीं करेगा कि उसका साझी बनाया जाए[39] और इसके सिवा जिसे चाहेगा, क्षमा कर देगा। और जिसने अल्लाह का साझी बनाया, उसने बहुत बड़ा पाप गढ़ लिया।
39. अर्थात पूजा, अराधना तथा अल्लाह के विशिष्ट गुणों-कर्मों में किसी वस्तु या व्यक्ति को साझी बनाना घोर अक्षम्य पाप है, जो सत्धर्म के मूलाधार एकेश्वरवाद के विरुद्ध, और अल्लाह पर मिथ्यारोप है। यहूदियों ने अपने धर्माचार्यों तथा पादरियों के विषय में यह अंधविश्वास बना लिया था कि उनकी बात को धर्म समझ कर उन्हीं का अनुपालन कर रहे थे। और मूल पुस्तकों को त्याग दिया था, क़ुरआन इसी को शिर्क कहता है, वह कहता है कि सभी पाप क्षमा किए जा सकते हैं, परंतु शिर्क के लिए क्षमा नहीं, क्योंकि इससे मूल धर्म की नींव ही हिल जाती है। और मार्गदर्शन का केंद्र ही बदल जाता है।
تفسیرهای عربی:
 
ترجمهٔ معانی آیه: (48) سوره: سوره نساء
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ترجمهٔ معانی قرآن کریم به هندی. ترجمهٔ عزیر الحق عمری.

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