કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (35) સૂરહ: હૂદ
اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰىهُ ؕ— قُلْ اِنِ افْتَرَیْتُهٗ فَعَلَیَّ اِجْرَامِیْ وَاَنَا بَرِیْٓءٌ مِّمَّا تُجْرِمُوْنَ ۟۠
नूह की जाति के लोगों के कुफ़्र का कारण यह है कि वे दावा करते हैं कि यह धर्म, जिसे नूह़ अलैहिस्लाम लेकर आए हैं, उसे उन्होंने अल्लाह पर गढ़ लिया है। आप (ऐ रसूल) उनसे कह दीजिए : यदि मैंने इसे गढ़ लिया है, तो मेरे गुनाह की सज़ा केवल मेरे ऊपर होगी। और मैं तुम्हारे झुठलाने के गुनाह में से कुछ भी नहीं उठाऊँगा। क्योंकि मैं उससे निर्दोष हूँ।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• عفة الداعية إلى الله وأنه يرجو منه الثواب وحده.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाले का आत्म संयम व सदाचार और यह कि वह केवल अल्लाह से बदले की उम्मीद रखता है।

• حرمة طرد فقراء المؤمنين، ووجوب إكرامهم واحترامهم.
• ग़रीब मोमिनों को धुतकारना हराम है तथा उनका आदर-सम्मान ज़रूरी है।

• استئثار الله تعالى وحده بعلم الغيب.
• ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान अकेले अल्लाह सर्वशक्तिमान का एकाधिकार है।

• مشروعية جدال الكفار ومناظرتهم.
• काफिरों से तर्क-वितर्क और बहस करना वैध है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (35) સૂરહ: હૂદ
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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