કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (55) સૂરહ: અલ્ કહફ
وَمَا مَنَعَ النَّاسَ اَنْ یُّؤْمِنُوْۤا اِذْ جَآءَهُمُ الْهُدٰی وَیَسْتَغْفِرُوْا رَبَّهُمْ اِلَّاۤ اَنْ تَاْتِیَهُمْ سُنَّةُ الْاَوَّلِیْنَ اَوْ یَاْتِیَهُمُ الْعَذَابُ قُبُلًا ۟
हठी काफिरों और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने पालनहार की ओर से जो कुछ लेकर आए थे उसपर ईमान लाने के बीच, तथा उनके और उनके अपने गुनाहों से तौबा करने के बीच (प्रमाणों के) स्पष्टीकरण का अभाव बाधक नहीं बना। क्योंकि क़ुरआन में उनके लिए उदाहरण दिए गए थे, और उनके पास स्पष्ट तर्क आए थे। बल्कि उनके लिए रुकावट केवल उनकी यह - हठपूर्ण - माँग बन गई कि उनपर पिछले समुदायों वाला अज़ाब लाया जाए, तथा वे उस अज़ाब को अपनी आँखों से देख लें जिसका उनसे वादा किया गया था।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• عظمة القرآن وجلالته وعمومه؛ لأن فيه كل طريق موصل إلى العلوم النافعة، والسعادة الأبدية، وكل طريق يعصم من الشر.
• क़ुरआन की महानता, महिमा और सर्व सामान्यता; क्योंकि उसमें लाभदायक ज्ञान और शाश्वत सुख की ओर ले जाने वाला हर रास्ता, तथा बुराई से बचाने वाला प्रत्येक मार्ग है।

• من حكمة الله ورحمته أن تقييضه المبطلين المجادلين الحق بالباطل من أعظم الأسباب إلى وضوح الحق، وتبيُّن الباطل وفساده.
• यह अल्लाह की हिकमत और दया में से है कि उसका असत्य के साथ सत्य से वाद-विवाद करने वाले असत्यवादियों को उत्पन्न करना, सत्य की स्पष्टता तथा असत्य और उसकी खराबियों को स्पष्ट करने के सबसे बड़े कारणों में से है।

• في الآيات من التخويف لمن ترك الحق بعد علمه أن يحال بينه وبين الحق، ولا يتمكن منه بعد ذلك، ما هو أعظم مُرَهِّب وزاجر عن ذلك.
• इन आयतों में, सत्य को जानने के बावजूद उसे त्याग कर देने वाले को इस बात से डराया गया है कि उसके और सत्य के बीच बाधा न खड़ी कर दी जाए और उसके बाद वह सत्य को प्राप्त करने में सक्षम न हो सके, जो ऐसा करने से सबसे बड़ा निरोधक और भयभीत करने वाला है।

• فضيلة العلم والرحلة في طلبه، واغتنام لقاء الفضلاء والعلماء وإن بعدت أقطارهم.
• ज्ञान की श्रेष्ठता और उसे प्राप्त करने के लिए यात्रा का महत्व, तथा गुणी लोगों और विद्वानों की मुलाक़ात से लाभ उठाना, भले ही उनके देश दूर हों।

• الحوت يطلق على السمكة الصغيرة والكبيرة ولم يرد في القرآن لفظ السمك، وإنما ورد الحوت والنون واللحم الطري.
• 'ह़ूत' शब्द छोटी और बड़ी दोनों तरह की मछली के लिए आता है। दरअसल, क़ुरआन में 'समक' शब्द नहीं आया है, बल्कि 'ह़ूत', 'नून' और 'लहम तरी' (नरम मांस) शब्द आए हैं।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (55) સૂરહ: અલ્ કહફ
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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