કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: યાસિન   આયત:

सूरा यासीन

સૂરતના હેતુઓ માંથી:
إثبات الرسالة والبعث ودلائلهما.
रिसालत (पैगंबरी) और मरणोपरांत पुनर्जीवन को साबित करना और उनके प्रमाण प्रस्तुत करना।

یٰسٓ ۟ۚ
(या, सीन) सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इन प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
અરબી તફસીરો:
وَالْقُرْاٰنِ الْحَكِیْمِ ۟ۙ
अल्लाह क़ुरआन की क़सम खा रहा है, जिसकी आयतें सुदृढ़ बनाई गई हैं और जिसके न आगे से असत्य आ सकता है, न उसके पीछे से।
અરબી તફસીરો:
اِنَّكَ لَمِنَ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
निःसंदेह (ऐ रसूल) आप उन रसूलों में से हैं, जिन्हें अल्लाह ने अपने बंदों की ओर भेजा; ताकि वे उन्हें अल्लाह के एकेश्वरवाद (यानी उसे एकमात्र पूज्य मानने) और अकेले उसी की इबादत करने का आदेश दें।
અરબી તફસીરો:
عَلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟ؕ
आप सीधे रास्ते और संतुलित शरीयत पर क़ायम हैं। तथा यह सीधा रास्ता और संतुलित शरीयत आपके उस प्रभुत्वशाली पालनहार की ओर से उतारी गई है, जिसपर कोई हावी नहीं हो सकता, वह अपने मोमिन बंदों पर बेहद दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
تَنْزِیْلَ الْعَزِیْزِ الرَّحِیْمِ ۟ۙ
आप सीधे रास्ते और संतुलित शरीयत पर क़ायम हैं। तथा यह सीधा रास्ता और संतुलित शरीयत आपके उस प्रभुत्वशाली पालनहार की ओर से उतारी गई है, जिसपर कोई हावी नहीं हो सकता, वह अपने मोमिन बंदों पर बेहद दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
لِتُنْذِرَ قَوْمًا مَّاۤ اُنْذِرَ اٰبَآؤُهُمْ فَهُمْ غٰفِلُوْنَ ۟
हमने यह क़ुरआन आपकी ओर इसलिए उतारा है, ताकि आप एक ऐसी जाति अर्थात अरब के लोगों को डराएँ और सचेत करें, जिनके पास कोई रसूल डराने के लिए नहीं आया था। इसलिए वे ईमान और एकेश्वरवाद से बेपरवाह (अनभिज्ञ) हैं। यही बात हर उस समुदाय पर लागू होती है, जिसको सचेत करने का सिलसिला बंद हो गया हो, उसे याद-दहानी कराने के लिए रसूलों की आवश्यकता होती है।
અરબી તફસીરો:
لَقَدْ حَقَّ الْقَوْلُ عَلٰۤی اَكْثَرِهِمْ فَهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
इनमें से अधिकतर लोगों के लिए अल्लाह की यातना अनिवार्य हो चुकी है, क्योंकि इनके पास अल्लाह की ओर से उसके रसूल के माध्यम से सत्य पहुँच गया, परंतु वे उसपर ईमान नहीं लाए और अपने कुफ़्र पर बने रहे। अतः अब वे अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान नहीं लाएँगे और वह इनके पास जो सत्य लेकर आए, उसपर अमल नहीं करेंगे।
અરબી તફસીરો:
اِنَّا جَعَلْنَا فِیْۤ اَعْنَاقِهِمْ اَغْلٰلًا فَهِیَ اِلَی الْاَذْقَانِ فَهُمْ مُّقْمَحُوْنَ ۟
इस मामले में, इन लोगों का उदाहरण उन लोगों जैसा है, जिनकी गर्दनों में तौक़ पड़े हों और उनके हाथ उनकी गर्दनों के साथ उनकी ठुड्डियों के नीचे बंधे हों, जिसके कारण वे अपने सिर आकाश की ओर उठाए रखने पर मजबूर हों और उन्हें नीचे झुकाने में असमर्थ हों। तो ऐसे ही ये लोग अल्लाह पर ईमान लाने से बंधे हुए हैं। चुनाँचे वे न उसका आज्ञापालन करते हैं और न उसके लिए अपने सिर झुकाते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَجَعَلْنَا مِنْ بَیْنِ اَیْدِیْهِمْ سَدًّا وَّمِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَاَغْشَیْنٰهُمْ فَهُمْ لَا یُبْصِرُوْنَ ۟
और हमने उनके सामने, सत्य से रोकने वाली एक रुकावट और उनके पीछे एक रुकावट खड़ी कर दी है। इस तरह हमने उनकी आँखों को सत्य देखने से ढाँप दिया है। अतः वे ऐसी दृष्टि से नहीं देखते हैं जिससे वे लाभान्वित हो सकें। उनके साथ ऐसा तब हुआ जब कुफ़्र पर उनका आग्रह और हठ दिखाई दिया।
અરબી તફસીરો:
وَسَوَآءٌ عَلَیْهِمْ ءَاَنْذَرْتَهُمْ اَمْ لَمْ تُنْذِرْهُمْ لَا یُؤْمِنُوْنَ ۟
इन सत्य के विरोधी काफिरों के निकट बराबर है कि (ऐ मुहम्मद) आप उन्हें डराएँ या न डराएँ। क्योंकि वे उसपर ईमान नहीं लाएँगे, जो आप अल्लाह की ओर से लेकर आए हैं।
અરબી તફસીરો:
اِنَّمَا تُنْذِرُ مَنِ اتَّبَعَ الذِّكْرَ وَخَشِیَ الرَّحْمٰنَ بِالْغَیْبِ ۚ— فَبَشِّرْهُ بِمَغْفِرَةٍ وَّاَجْرٍ كَرِیْمٍ ۟
निश्चित रूप से आपके डराने से वास्तव में वही व्यक्ति लाभान्वित होता है, जो इस क़ुरआन पर विश्वास रखता है और जो कुछ इसमें आया है, उसका अनुसरण करता है, और अपने पालनहार से एकांत में डरता है, जहाँ अल्लाह अलावा कोई और उसे नहीं देख रहा होता है। तो इन गुणों वाले व्यक्ति को यह शुभ सूचना दे दीजिए कि अल्लाह उसके पापों को मिटा देगा और उसे क्षमा कर देगा तथा उसे एक महान बदला प्रदान करेगा, जो आख़िरत में उसकी प्रतीक्षा कर रहा है और वह जन्नत में प्रवेश है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّا نَحْنُ نُحْیِ الْمَوْتٰی وَنَكْتُبُ مَا قَدَّمُوْا وَاٰثَارَهُمْ ؔؕ— وَكُلَّ شَیْءٍ اَحْصَیْنٰهُ فِیْۤ اِمَامٍ مُّبِیْنٍ ۟۠
हम क़ियामत के दिन मरे हुए लोगों को हिसाब के लिए जीवित करके उठाएँगे, और उन्होंने इस दुनिया के जीवन में जो कुछ अच्छे और बुरे कर्म करके आगे बढ़ाए, हम उन्हें लिख रहें हैं। इसी तरह हम उनकी मृत्यु के बाद उनके बाकी रहने वाले निशान को भी लिख रहे हैं, चाहे वह अच्छा हो, जैसे कि निरंतर बाकी रहने वाला सदक़ा (दान), या बुरा हो, जैसे कि कुफ़्र। और हमने हर चीज़ को एक स्पष्ट किताब अर्थात 'लौहे महफ़ूज़' में संरक्षित कर रखा है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• العناد مانع من الهداية إلى الحق.
• हठ इनसान को सत्य को स्वीकारने से रोकता है।

• العمل بالقرآن وخشية الله من أسباب دخول الجنة.
• क़ुरआन पर अमल करना और अल्लाह से डरना, जन्नत में प्रवेश करने के कारणों में से हैं।

• فضل الولد الصالح والصدقة الجارية وما شابههما على العبد المؤمن.
• नेक संतान और जारी रहने वाले दान तथा इन जैसी चीज़ों का मोमिन बंदे के लिए लाभ।

وَاضْرِبْ لَهُمْ مَّثَلًا اَصْحٰبَ الْقَرْیَةِ ۘ— اِذْ جَآءَهَا الْمُرْسَلُوْنَ ۟ۚ
और (ऐ रसूल) आप इन झुठलाने वालों और सत्य को अस्वीकार कर देने वालों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें, जो उनके लिए एक सबक़ हो। और वह बस्ती वालों की कहानी है, जब उनके रसूल उनके पास आए थे।
અરબી તફસીરો:
اِذْ اَرْسَلْنَاۤ اِلَیْهِمُ اثْنَیْنِ فَكَذَّبُوْهُمَا فَعَزَّزْنَا بِثَالِثٍ فَقَالُوْۤا اِنَّاۤ اِلَیْكُمْ مُّرْسَلُوْنَ ۟
जब हमने पहले उनकी ओर दो रसूल भेजे, ताकि वे उन्हें अल्लाह की तौहीद और उसकी इबादत की ओर बुलाएँ। परन्तु जब उन्होंने उन दोनों रसूलों को झुठला दिया, तो हमने तीसरा रसूल भेजकर उन दोनों को शक्ति प्रदान की। तीनों रसूलों ने बस्ती वालों से कहा : निःसंदेह - हम तीनों - तुम्हारी ओर रसूल बनाकर भेजे गए हैं, ताकि हम तुम्हें अल्लाह को एक मानने और उसकी शरीयत का पालन करने की ओर बुलाएँ।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْا مَاۤ اَنْتُمْ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ۙ— وَمَاۤ اَنْزَلَ الرَّحْمٰنُ مِنْ شَیْءٍ ۙ— اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا تَكْذِبُوْنَ ۟
बस्ती के लोगों ने रसूलों से कहा : तुम हमारे जैसे मनुष्य ही तो हो। इसलिए तुम्हें हमपर कोई विशेषता प्राप्त नहीं है। और 'रहमान' (अत्यंत दयावान्) ने तुमपर कोई वह़्य नहीं उतारी है। तुम अपने इस दावे में केवल अल्लाह पर झूठ बोल रहे हो।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْا رَبُّنَا یَعْلَمُ اِنَّاۤ اِلَیْكُمْ لَمُرْسَلُوْنَ ۟
तीनों रसूलों ने गाँव के लोगों के इनकार के जवाब में कहा : हमारा पालनहार जानता है कि हम निश्चय ही उसकी ओर से - ऐ गाँव के लोगो - तुम्हारी तरफ़ रसूल बनाकर भेजे गए हैं। और यह हमारे लिए एक पर्याप्त तर्क है।
અરબી તફસીરો:
وَمَا عَلَیْنَاۤ اِلَّا الْبَلٰغُ الْمُبِیْنُ ۟
और हमारा दायित्य केवल इतना है कि उसने हमें जो संदेश पहुँचाने का आदेश दिया है, उसे स्पष्ट तौर पर पहुँचा दें। और हम तुम्हारी हिदायत के मालिक नहीं हैं।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْۤا اِنَّا تَطَیَّرْنَا بِكُمْ ۚ— لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهُوْا لَنَرْجُمَنَّكُمْ وَلَیَمَسَّنَّكُمْ مِّنَّا عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
गाँव के लोगों ने रसूलों से कहा : हम तुम्हें अशुभ (मनहूस) समझते हैं। यदि तुम हमें एकेश्वरवाद की ओर बुलाने से बाज़ नहीं आए, तो हम तुम्हें निश्चित रूप से पत्थर मारकर मौत की सज़ा देंगे। तथा तुम्हें अवश्य हमारी ओर से दर्दनाक पीड़ा पहुँचेगी।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْا طَآىِٕرُكُمْ مَّعَكُمْ ؕ— اَىِٕنْ ذُكِّرْتُمْ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُوْنَ ۟
रसूलों ने उनके जवाब में कहा : तुम्हारे अल्लाह के साथ कुफ़्र करने तथा उसके रसूलों का पालन न करने के कारण, तुम्हारा अपशकुन तुम्हारे ही साथ चिपका हुआ है। यदि हम तुम्हें अल्लाह की याद दिलाएँ, तो तुम अपशकुन लेते हो? बल्कि तुम कुफ़्र और पाप करने में सीमा पार कर जाने वाले लोग हो।
અરબી તફસીરો:
وَجَآءَ مِنْ اَقْصَا الْمَدِیْنَةِ رَجُلٌ یَّسْعٰی ؗ— قَالَ یٰقَوْمِ اتَّبِعُوا الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۙ
बस्ती के एक दूर स्थान से एक व्यक्ति अपनी जाति के रसूलों को झुठलाने तथा उन्हें हत्या और कष्ट पहुँचाने की धमकी देने के भय से दौड़ता हुआ आया और कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! ये रसूलगण जो संदेश लेकर आए हैं, उसका पालन करो।
અરબી તફસીરો:
اتَّبِعُوْا مَنْ لَّا یَسْـَٔلُكُمْ اَجْرًا وَّهُمْ مُّهْتَدُوْنَ ۟
(ऐ मेरी जाति के लोगो) तुम उनका अनुसरण करो, जो तुमसे संदेश पहुँचाने का कोई बदला नहीं माँगते तथा वे अल्लाह की ओर से उसकी वह़्य पहुँचाने में सीधे मार्ग पर हैं। इसलिए जो कोई भी इस तरह का है, वह अनुसरण करने योग्य है।
અરબી તફસીરો:
وَمَا لِیَ لَاۤ اَعْبُدُ الَّذِیْ فَطَرَنِیْ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟
तथा उस शुभचिंतक ने कहा : मुझे उस अल्लाह की इबादत से कौन-सी चीज़ रोकती है, जिसने मुझे पैदा किया है?! और तुम्हें अपने उस पालनहार की उपासना से कौन-सी चीज़ रोकती है, जिसने तुम्हें पैदा किया है, जबकि तुम सब पुनर्जीवित कर बदले के लिए अकेले उसी की ओर लौटाए जाओगे?!
અરબી તફસીરો:
ءَاَتَّخِذُ مِنْ دُوْنِهٖۤ اٰلِهَةً اِنْ یُّرِدْنِ الرَّحْمٰنُ بِضُرٍّ لَّا تُغْنِ عَنِّیْ شَفَاعَتُهُمْ شَیْـًٔا وَّلَا یُنْقِذُوْنِ ۟ۚ
क्या मैं उस अल्लाह को छोड़कर जिसने मुझे पैदा किया है, दूसरे असत्य पूज्य बना लूँ?! यदि 'रहमान' (अत्यंत दयावान् अल्लाह) मुझे कोई हानि पहुँचाना चाहे, तो इन पूज्यों की सिफ़ारिश मुझे कोई लाभ नहीं पहुँचा सकती। चुनाँचे वे मेरे लिए किसी लाभ या हानि के मालिक नहीं हैं। और न तो वे मुझे उस बुराई से बचा सकते हैं, जो अल्लाह मुझे पहुँचाना चाहे, यदि मैं कुफ़्र की हालत में मर जाऊँ।
અરબી તફસીરો:
اِنِّیْۤ اِذًا لَّفِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
यदि मैंने उन्हें अल्लाह के सिवा पूज्य बना लिया, तो निश्चय ही मैं एक स्पष्ट गलती में पड़ गया; क्योंकि मैंने उसकी पूजा की, जो पूजा के योग्य नहीं है और उसकी इबादत करना छोड़ दिया, जो उसका योग्य है।
અરબી તફસીરો:
اِنِّیْۤ اٰمَنْتُ بِرَبِّكُمْ فَاسْمَعُوْنِ ۟ؕ
निःसंदेह (ऐ मेरी जाति के लोगो) मैं अपने तथा तुम्हारे पालनहार पर ईमान ले आया। अतः मेरी बात सुनो। मुझे उस क़त्ल की परवाह नहीं है, जिसकी तुम मुझे धमकी दे रहे हो। फिर क्या था, उसकी जाति ने उसे मार डाला। तो अल्लाह ने उसे जन्नत में दाखिल कर दिया।
અરબી તફસીરો:
قِیْلَ ادْخُلِ الْجَنَّةَ ؕ— قَالَ یٰلَیْتَ قَوْمِیْ یَعْلَمُوْنَ ۟ۙ
26 - 27 - उसकी शहादत के बाद उसके सम्मान में कहा गया : जन्नत में प्रवेश कर जा। चुनाँचे जब वह उसमें प्रवेश किया और उसकी नेमतों को देखा, तो कामना करते हुए कहा : काश! मेरी जाति के लोग, जिन्होंने मुझे झुठलाया और मेरी हत्या कर दी, यह जान लेते कि मेरे पापों को क्षमा कर दिया गया और मेरे पालनहार ने मुझे सम्मान प्रदान किया; ताकि वे भी मेरी तरह ईमान ले आएँ और मेरे प्रतिफल की तरह प्रतिफल प्राप्त करें।
અરબી તફસીરો:
بِمَا غَفَرَ لِیْ رَبِّیْ وَجَعَلَنِیْ مِنَ الْمُكْرَمِیْنَ ۟
26 - 27 - उसकी शहादत के बाद उसके सम्मान में कहा गया : जन्नत में प्रवेश कर जा। चुनाँचे जब वह उसमें प्रवेश किया और उसकी नेमतों को देखा, तो कामना करते हुए कहा : काश! मेरी जाति के लोग, जिन्होंने मुझे झुठलाया और मेरी हत्या कर दी, यह जान लेते कि मेरे पापों को क्षमा कर दिया गया और मेरे पालनहार ने मुझे सम्मान प्रदान किया; ताकि वे भी मेरी तरह ईमान ले आएँ और मेरे प्रतिफल की तरह प्रतिफल प्राप्त करें।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• أهمية القصص في الدعوة إلى الله.
• अल्लाह की ओर बुलाने में कहानियों का महत्व।

• الطيرة والتشاؤم من أعمال الكفر.
• नहूसत और अपशकुन लेना कुफ़्र के कार्यों में से हैें।

• النصح لأهل الحق واجب .
• सत्यवादियों के लिए शुभचिंता अनिवार्य है।

• حب الخير للناس صفة من صفات أهل الإيمان.
• लोगों का भला चाहना ईमान वालों की एक विशेषता है।

وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلٰی قَوْمِهٖ مِنْ بَعْدِهٖ مِنْ جُنْدٍ مِّنَ السَّمَآءِ وَمَا كُنَّا مُنْزِلِیْنَ ۟
हमने उसकी जाति के लोगों को विनष्ट करने के लिए, जिन्होंने उसे झुठला दिया और उसे मार डाला, आसमान से फ़रिश्तों की कोई सेना नहीं उतारी, तथा जब हम किसी जाति का पूर्ण विनाश करना चाहते हैं तो फ़रिश्तों को नहीं उतारते हैं। क्योंकि उनका मामला हमारे निकट इससे कहीं आसान होता है। सो हमने यह नियत किया कि उनका विनाश आसमान से एक तेज़ आवाज़ के द्वारा हो, यातना के फ़रिश्तों को उतारकर नहीं।
અરબી તફસીરો:
اِنْ كَانَتْ اِلَّا صَیْحَةً وَّاحِدَةً فَاِذَا هُمْ خٰمِدُوْنَ ۟
उसकी जाति के विनाश की कहानी बस इतनी थी कि हमने उनपर एक तेज़ आवाज़ (चिंघाड़) भेजी। फिर एकाएक वे निष्प्राण होकर गिर गए, उनमें से कोई भी नहीं बचा। उनका उदाहरण एक आग की तरह है, जो जल रही थी, फिर अचानक बुझ गई और उसका कोई निशान नहीं बचा।
અરબી તફસીરો:
یٰحَسْرَةً عَلَی الْعِبَادِ ۣۚ— مَا یَاْتِیْهِمْ مِّنْ رَّسُوْلٍ اِلَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟
हाय क़ियामत के दिन झुठलाने वाले बंदों का पछतावा और अफ़सोस जब वे अपनी आँखों से यातना को देख लेंगे। ऐसा इसलिए होगा कि दुनिया में उनके पास अल्लाह की ओर से जो भी रसूल आता, वे उसका मज़ाक उड़ाते और उपहास किया करते थे। अतः क़ियामत के दिन उनका अंजाम पछतावा और अफ़सोस होगा, उस कोताही पर जो उन्होंने अल्लाह के हक़ में की थी।
અરબી તફસીરો:
اَلَمْ یَرَوْا كَمْ اَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ اَنَّهُمْ اِلَیْهِمْ لَا یَرْجِعُوْنَ ۟
क्या इन रसूलों को झुठलाने वाले और उनका उपहास करने वाले लोगों ने अपने से पूर्व समुदायों से शिक्षा ग्रहण नहीं किया? क्योंकि वे मर चुके हैं और फिर से दुनिया में कभी नहीं लौटेंगे, बल्कि उन कामों की ओर जा चुके हैं, जो उन्होंने (दुनिया में) करके आगे बढ़ाए थे और अल्लाह उन्हें उनका बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ كُلٌّ لَّمَّا جَمِیْعٌ لَّدَیْنَا مُحْضَرُوْنَ ۟۠
और सभी समुदाय, बिना किसी अपवाद के, क़ियामत के दिन उठाए जाने के बाद हमारे सामने उपस्थित किए जाएँगे, ताकि हम उन्हें उनके कर्मों का बदला दें।
અરબી તફસીરો:
وَاٰیَةٌ لَّهُمُ الْاَرْضُ الْمَیْتَةُ ۖۚ— اَحْیَیْنٰهَا وَاَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ یَاْكُلُوْنَ ۟
मरणोपरांत पुनर्जीवन का इनकार करने वालों के लिए पुनर्जीवन के सत्य होने की एक निशानी : यह सूखी, बंजर भूमि है, जिसपर हमने आसमान से बारिश बरसाया, फिर हमने उसमें पौधों की क़िस्मों को उगाया और लोगों के खाने के लिए अनाज की क़िस्मों को बाहर निकाला। अतः जिस (अल्लाह) ने बारिश बरसाकर और पौधे निकालकर इस धरती को फिर से जीवित कर दिया, वह मृतकों को पुनर्जीवित करने और उन्हें उठाने में सक्षम है।
અરબી તફસીરો:
وَجَعَلْنَا فِیْهَا جَنّٰتٍ مِّنْ نَّخِیْلٍ وَّاَعْنَابٍ وَّفَجَّرْنَا فِیْهَا مِنَ الْعُیُوْنِ ۟ۙ
और इस भूमि में, जिसपर हमने बारिश बरसाया, खजूर और अंगूर के बाग बना दिए और उनकी सिंचाई के लिए उनमें पानी के स्रोत जारी कर दिए।
અરબી તફસીરો:
لِیَاْكُلُوْا مِنْ ثَمَرِهٖ ۙ— وَمَا عَمِلَتْهُ اَیْدِیْهِمْ ؕ— اَفَلَا یَشْكُرُوْنَ ۟
ताकि लोग उन बाग़ों के फल खाएँ, जो अल्लाह ने उन्हें प्रदान किया है और जिसमें उनका कोई प्रयत्न शामिल नहीं हैं। तो क्या वे केवल अल्लाह की इबादत करके और उसके रसूलों पर ईमान लाकर, इन नेमतों पर अल्लाह के लिए आभार प्रकट नहीं करते?!
અરબી તફસીરો:
سُبْحٰنَ الَّذِیْ خَلَقَ الْاَزْوَاجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنْۢبِتُ الْاَرْضُ وَمِنْ اَنْفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
पवित्र एवं उच्च है वह अल्लाह, जिसने पौधों और पेड़ों के विभिन्न प्रकार और जातियों को बनाए, और स्वयं मनुष्यों में से नर और मादा बनाए, तथा जल एवं थल आदि में अल्लाह के अन्य प्राणियों के भी विभिन्न प्रकार बनाए, जिन्हें लोग नहीं जानते।
અરબી તફસીરો:
وَاٰیَةٌ لَّهُمُ الَّیْلُ ۖۚ— نَسْلَخُ مِنْهُ النَّهَارَ فَاِذَا هُمْ مُّظْلِمُوْنَ ۟ۙ
और लोगों के लिए अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) की एक निशानी यह है कि हम दिन के जाने और रात के आने के साथ प्रकाश को समाप्त कर देते हैं जिस समय हम उससे दिन को खींच लेते हैं और दिन के जाने के बाद हम अंधेरा ले आते हैं। फिर एकाएक लोग अंधकार में प्रवेश कर जाते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَالشَّمْسُ تَجْرِیْ لِمُسْتَقَرٍّ لَّهَا ؕ— ذٰلِكَ تَقْدِیْرُ الْعَزِیْزِ الْعَلِیْمِ ۟ؕ
और उनके लिए अल्लाह के एकेश्वरवाद की एक निशानी यह सूरज है, जो एक नियत ठिकाने की ओर चला जा रहा है, जिसका अनुमान केवल अल्लाह को पता है, वह उससे आगे नहीं बढ़ सकता। यह निर्धारण उस प्रभुत्वशाली अल्लाह का निर्धारण है, जिसपर किसी का ज़ोर (आधिपत्य) नहीं चलता। वह सब कुछ जानने वाला है, जिससे उसके प्राणियों के मामले से संबंधित कोई भी चीज़ छिपी नहीं है।
અરબી તફસીરો:
وَالْقَمَرَ قَدَّرْنٰهُ مَنَازِلَ حَتّٰی عَادَ كَالْعُرْجُوْنِ الْقَدِیْمِ ۟
और उनके लिए अल्लाह की तौहीद को दर्शाने वाली एक निशानी यह चाँद है, जिसकी हमने हर रात की मंज़िलें निर्धारित कर दी हैं। शुरू में वह छोटा होता है। फिर धीरे-धीरे बड़ा होता है। फिर छोटा होना शुरू होता है यहाँ तक कि खजूर की टेढ़ी, पतली, पीली और पुरानी टहनी की तरह हो जाता है।
અરબી તફસીરો:
لَا الشَّمْسُ یَنْۢبَغِیْ لَهَاۤ اَنْ تُدْرِكَ الْقَمَرَ وَلَا الَّیْلُ سَابِقُ النَّهَارِ ؕ— وَكُلٌّ فِیْ فَلَكٍ یَّسْبَحُوْنَ ۟
सूरज, चाँद, रात और दिन की निशानियाँ अल्लाह की ओर से निर्धारित हैं। इसलिए वे अपने लिए निर्धारित स्थान से आगे नहीं बढ़ सकते। चुनाँचे सूरज के लिए यह संभव नहीं है कि वह चाँद को पकड़ ले और उसके पथ को बदल दे या उसके प्रकाश को समाप्त कर दे। तथा रात के लिए (भी) संभव नहीं है कि वह दिन से आगे बढ़ जाए और उसका समय समाप्त होने से पहले ही आ जाए। इन सभी नियंत्रित रचनाओं तथा अन्य ग्रहों और आकाशगंगाओं के अपने-अपने रास्ते हैं, जिन्हें अल्लाह ने निर्धारित किया है और वही उनका संरक्षण करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• ما أهون الخلق على الله إذا عصوه، وما أكرمهم عليه إن أطاعوه.
• यदि लोग अल्लाह की अवज्ञा करें, तो वे उसके निकट कितने तुच्छ हो जाते हैं! और अगर वे उसकी आज्ञा का पालन करें, तो उसके निकट वे कितने सम्मानित हो जाते हैं!

• من الأدلة على البعث إحياء الأرض الهامدة بالنبات الأخضر، وإخراج الحَبِّ منه.
• मरणोपरांत दोबारा उठाए जाने के प्रमाणों में से एक हरे पौधे के द्वारा मृत भूमि को जीवित करना और उससे अनाज निकालना है।

• من أدلة التوحيد: خلق المخلوقات في السماء والأرض وتسييرها بقدر.
• तौहीद (एकेश्वरवाद) के प्रमाणों में से एक प्रमाण : आकाश तथा धरती में प्राणियों की रचना करना और एक निर्धारित अनुमान के अनुसार उन्हें चलाना है।

وَاٰیَةٌ لَّهُمْ اَنَّا حَمَلْنَا ذُرِّیَّتَهُمْ فِی الْفُلْكِ الْمَشْحُوْنِ ۟ۙ
इसी प्रकार अल्लाह के एक होने और उसके अपने बंदों पर कृपा करने की एक निशानी यह है कि हमने नूह के समय में आदम के वंश में से तूफ़ान (बाढ़) से बचे हुए लोगों को अल्लाह के प्राणियों से भरी हुई नाव में सवार किया। क्योंकि अल्लाह ने उसमें हर वर्ग से एक-एक जोड़ा सवार किया था।
અરબી તફસીરો:
وَخَلَقْنَا لَهُمْ مِّنْ مِّثْلِهٖ مَا یَرْكَبُوْنَ ۟
और उनके लिए अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) और उसके अपने बंदों पर कृपा करने की एक निशानी यह है कि हमने उनके लिए नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती जैसी बहुत-सी सवारियाँ बनाईं।
અરબી તફસીરો:
وَاِنْ نَّشَاْ نُغْرِقْهُمْ فَلَا صَرِیْخَ لَهُمْ وَلَا هُمْ یُنْقَذُوْنَ ۟ۙ
अगर हम उन्हें डुबोना चाहें, तो डुबो दें। अगर हम उन्हें डुबोना चाहें, तो कोई फ़र्याद को पहुँचने वाला न होगा जो उनकी मदद कर सके, और न कोई बचावकर्ता होगा जो उन्हें बचा सके, यदि वे हमारे आदेश और हमारे फैसले से डूब जाएँ।
અરબી તફસીરો:
اِلَّا رَحْمَةً مِّنَّا وَمَتَاعًا اِلٰی حِیْنٍ ۟
सिवाय इसके कि हम उनपर दया करते हुए उन्हें डूबने से बचा लेते हैं और उन्हें एक निश्चित अवधि तक लाभ उठाने के लिए लौटा देते हैं, जिससे वे आगे नहीं बढ़ सकते। शायद कि वे शिक्षा ग्रहण करें और ईमान ले आएँ।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمُ اتَّقُوْا مَا بَیْنَ اَیْدِیْكُمْ وَمَا خَلْفَكُمْ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟
और जब ईमान से मुँह फेरने वाले इन बहुदेववादियों से कहा जाता है : जिस आख़िरत के मामले और उसकी कठिनाइयों से तुम्हारा सामना होने वाला है उससे सावधान हो जाओ, तथा पीठ फेरकर जाने वाली दुनिया से भी सावधान रहो, इस आशा में कि अल्लाह तुम्हें अपनी दया प्रदान करे; तो वे इसका अनुपालन नहीं करते हैं, बल्कि उसकी परवाह न करते हुए उससे मुँह फेर लेते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَمَا تَاْتِیْهِمْ مِّنْ اٰیَةٍ مِّنْ اٰیٰتِ رَبِّهِمْ اِلَّا كَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِیْنَ ۟
और जब भी इन द्वेष रखने वाले मुश्रिकों के पास अल्लाह के एकेश्वरवाद और उसके एकमात्र इबादत का हक़दार होने को दर्शाने वाली अल्लाह की आयतें आती थीं, तो वे उनसे उपदेश ग्रहण करने के बजाय उनसे मुँह फेर लेते थे।
અરબી તફસીરો:
وَاِذَا قِیْلَ لَهُمْ اَنْفِقُوْا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللّٰهُ ۙ— قَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنُطْعِمُ مَنْ لَّوْ یَشَآءُ اللّٰهُ اَطْعَمَهٗۤ ۖۗ— اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا فِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟
और जब इन द्वेष रखने वालों से कहा जाता है : अल्लाह ने तुम्हें जो धन दिया है, उससे ग़रीबों और निर्धनों की मदद करो, तो वे इसका खंडन करते हुए ईमान वालों को जवाब देते हैं : क्या हम उसे खिलाएँ, जिसे यदि अल्लाह खिलाना चाहता, तो अवश्य खिला देता?! अतः हम उसकी इच्छा का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। तुम तो (ऐ ईमान वालो!) स्पष्ट गलती पर और सच्चाई से बहुत दूर हो।
અરબી તફસીરો:
وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
मरणोपरांत पुनः उठाए जाने का इनकार करने वाले काफ़िर उसे झुठलाते हुए और उसे खारिज करते हुए कहते हैं : (ऐ ईमान वालो!) अगर तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि यह घटित होकर ही रहेगा, तो बतलाओ कि यह पुनर्जीवन (प्रलय) कब होगा?!
અરબી તફસીરો:
مَا یَنْظُرُوْنَ اِلَّا صَیْحَةً وَّاحِدَةً تَاْخُذُهُمْ وَهُمْ یَخِصِّمُوْنَ ۟
मरणोपरांत पुनः उठाए जाने को झुठलाने वाले उसे ख़ारिज कर देने वाले ये लोग, केवल प्रथम बार सूर में फूँक मारे जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब सूर में फूँक मारी जाएगी, तो यह चिंघाड़ उन्हें एकाएक पकड़ लेगी, जबकि वे अपनी सांसारिक व्यस्तताओं जैसे कि खरीदने, बेचने, पानी देने, चराने और अन्य सांसारिक कार्यों में व्यस्त होंगे।
અરબી તફસીરો:
فَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ تَوْصِیَةً وَّلَاۤ اِلٰۤی اَهْلِهِمْ یَرْجِعُوْنَ ۟۠
जब यह चिंघाडृ एकाएक उन्हें आ लेगी, तो न वे एक-दूसरे को वसीयत कर सकेंगे और न ही अपने घरों और परिवारों की ओर लौट सकेंगे, बल्कि वे अपनी इन्हीं व्यस्तताओं की हालत में मर जाएँगे।
અરબી તફસીરો:
وَنُفِخَ فِی الصُّوْرِ فَاِذَا هُمْ مِّنَ الْاَجْدَاثِ اِلٰی رَبِّهِمْ یَنْسِلُوْنَ ۟
तथा पुनर्जीवन के लिए सूर (नरसिंघा) में दूसरी फूँक मारी जाएगी, तो एकाएक वे सब अपनी क़ब्रों से निकलकर हिसाब और बदले के लिए अपने पालनहार की ओर तेज़ी से चल पड़ेंगे।
અરબી તફસીરો:
قَالُوْا یٰوَیْلَنَا مَنْ بَعَثَنَا مِنْ مَّرْقَدِنَا ۣٚۘ— هٰذَا مَا وَعَدَ الرَّحْمٰنُ وَصَدَقَ الْمُرْسَلُوْنَ ۟
मरणोपरांत पुनः उठाए जाने को झुठलाने वाले ये काफ़िर पछतावा प्रकट करते हुए कहेंगे : हाय हमारा नुक़सान! किसने हमें हमारी क़ब्रों से उठा दिया?! तो उन्हें उनके प्रश्न का उत्तर दिया जाएगा : यह वही है, जिसका अल्लाह ने वादा किया था। क्योंकि इसे अवश्य ही घटित होना था। और रसूलों ने इसके बारे में अल्लाह की ओर से जो कुछ पहुँचाया था, वह सच्चा था।
અરબી તફસીરો:
اِنْ كَانَتْ اِلَّا صَیْحَةً وَّاحِدَةً فَاِذَا هُمْ جَمِیْعٌ لَّدَیْنَا مُحْضَرُوْنَ ۟
पुनर्जीवित होकर क़ब्रों से उठने का मामला तो केवल सूर में दूसरी बार फूँक मारने का प्रभाव होगा। फिर क्या देखेंगे कि सभी प्राणियों को क़ियामत के दिन हिसाब के लिए हमारे पास उपस्थित कर दिया गया होगा।
અરબી તફસીરો:
فَالْیَوْمَ لَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَیْـًٔا وَّلَا تُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ۟
उस दिन न्यायपूर्वक फैसला होगा। अतः (ऐ बंदो!) तुमपर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाएगा कि तुम्हारे गुनाहों को बढ़ा दिया जाए या तुम्हारी नेकियों को घटा दिया जाए। बल्कि तुम्हें उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम दुनिया के जीवन में किया करते थे।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من أساليب تربية الله لعباده أنه جعل بين أيديهم الآيات التي يستدلون بها على ما ينفعهم في دينهم ودنياهم.
• अल्लाह का अपने बंदों को प्रशिक्षण देने का एक तरीक़ा यह है कि उसने उनके सामने ऐसी निशानियाँ रख दी हैं, जिनसे वे उन बातों का पता चला सकते हैं, जो उनके लिए उनके दीन एवं दुनिया में लाभदायक हैं।

• الله تعالى مكَّن العباد، وأعطاهم من القوة ما يقدرون به على فعل الأمر واجتناب النهي، فإذا تركوا ما أمروا به، كان ذلك اختيارًا منهم.
• अल्लाह तआला ने बंदों को सक्षम बनाया है और उन्हें वह शक्ति प्रदान की है, जिससे वे आदेश का पालन कर सकते और निषेध से बच सकते हैं। फिर यदि उन्होंने उस चीज़ को छोड़ दिया जिसका उन्हें आदेश दिया गया था, तो यह उनका चुनाव और उनकी पसंद है।

اِنَّ اَصْحٰبَ الْجَنَّةِ الْیَوْمَ فِیْ شُغُلٍ فٰكِهُوْنَ ۟ۚ
क़ियामत के दिन जन्नत वाले चिरस्थायी नेमत और महान सफलता को देखकर दूसरों के बारे में सोचने से बेपरवाह होंगे। चुनाँचे वे खुशी-खुशी उसका आनंद लेने में मगन होंगे।
અરબી તફસીરો:
هُمْ وَاَزْوَاجُهُمْ فِیْ ظِلٰلٍ عَلَی الْاَرَآىِٕكِ مُتَّكِـُٔوْنَ ۟ۚ
वे और उनकी पत्नियाँ जन्नत की विस्तृत छाया में मस्नदों पर बैठकर आनंद उठा रहे होंगे।
અરબી તફસીરો:
لَهُمْ فِیْهَا فَاكِهَةٌ وَّلَهُمْ مَّا یَدَّعُوْنَ ۟ۚ
उनके लिए इस जन्नत में अंगूर, अंजीर और अनार जैसे स्वादिष्ट फलों के अनेक प्रकार होंगे। तथा उनके लिए वह सारी आनंद की चीजें और तरह-तरह की नेमतें होंगी, जिनकी वे इच्छा करेंगे। चुनाँचे वे जो कुछ भी माँगेंगे, वह उनके लिए उपस्थित होगा।
અરબી તફસીરો:
سَلٰمٌ ۫— قَوْلًا مِّنْ رَّبٍّ رَّحِیْمٍ ۟
और इन सारी नेमतों से बढ़कर उन्हें सलाम प्राप्त होगा। यह उस पालनहार की ओर से कहा जाएगा, जो उनपर अत्यंत दया करने वाला है। चुनाँचे जब वह उन्हें सलाम कहेगा, तो उन्हें हर तरह से सुरक्षा प्राप्त होगी और उन्हें वह अभिवादन (सलाम) प्राप्त होगा, जिससे बढ़कर कोई अभिवादन नहीं।
અરબી તફસીરો:
وَامْتَازُوا الْیَوْمَ اَیُّهَا الْمُجْرِمُوْنَ ۟
और क़ियामत के दिन मुश्रिकों से कहा जाएगा : तुम मोमिनों से अलग हो जाओ। क्योंकि उनके लिए तुम्हारे साथ रहना उचित नहीं है; इसलिए कि तुम्हारा बदला उनके बदले से अलग और तुम्हारी विशेषताएँ उनकी विशेषताओं के विपरीत हैं।
અરબી તફસીરો:
اَلَمْ اَعْهَدْ اِلَیْكُمْ یٰبَنِیْۤ اٰدَمَ اَنْ لَّا تَعْبُدُوا الشَّیْطٰنَ ۚ— اِنَّهٗ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
क्या मैंने तुम्हें अपने रसूलों की ज़बानी ताकीद नहीं की थी और तुम्हें आदेश नहीं दिया था और तुमसे कहा नहीं था कि : ऐ आदम की संतान! तरह-तरह के कुफ़्र और गुनाह करके शैतान का पालन न करो। निश्चय ही शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है। अतः एक समझदार व्यक्ति अपने उस दुश्मन का आज्ञापालन कैसे कर सकता है, जिसकी दुश्मनी उसके लिए जगजाहिर है?!
અરબી તફસીરો:
وَّاَنِ اعْبُدُوْنِیْ ؔؕ— هٰذَا صِرَاطٌ مُّسْتَقِیْمٌ ۟
और (ऐ आदम की संतान!) मैंने तुम्हें आदेश दिया है कि अकेले मेरी ही इबादत करो और किसी वस्तु को मेरा साझी न बनाओ। क्योंकि अकेले मेरी इबादत और मेरी आज्ञाकारिता ही सीधा रास्ता है, जो मेरी प्रसन्नता और जन्नत में प्रवेश की ओर ले जाता है। लेकिन मैंने तुम्हें जिस चीज़ की ताकीद की थी और तुम्हें जिसका आदेश दिया था, तुमने उसका अनुपालन नहीं किया।
અરબી તફસીરો:
وَلَقَدْ اَضَلَّ مِنْكُمْ جِبِلًّا كَثِیْرًا ؕ— اَفَلَمْ تَكُوْنُوْا تَعْقِلُوْنَ ۟
और शैतान ने तुममें से बहुत-से लोगों को गुमराह कर दिया। तो क्या तुम्हारे पास विवेक नहीं था, जो तुम्हें अपने पालनहार की आज्ञा का पालन करने और केवल उसी महिमावान की उपासना करने का आदेश देता और तुम्हें उस शैतान की बात मानने से सावधान करता जो तुम्हारा खुला दुश्मन है?!
અરબી તફસીરો:
هٰذِهٖ جَهَنَّمُ الَّتِیْ كُنْتُمْ تُوْعَدُوْنَ ۟
यही वह जहन्नम है, जिसका तुम दुनिया में अपने कुफ़्र पर वादा किए जाते थे। यह उस समय तुमसे अदृश्य था, लेकिन आज तुम उसे अपनी आँखों से देख रहे हो।
અરબી તફસીરો:
اِصْلَوْهَا الْیَوْمَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُوْنَ ۟
आज उसमें प्रवेश कर जाओ और उसकी तपिश का सामना करो, क्योंकि तुम सांसारिक जीवन में अल्लाह का इनकार किया करते थे।
અરબી તફસીરો:
اَلْیَوْمَ نَخْتِمُ عَلٰۤی اَفْوَاهِهِمْ وَتُكَلِّمُنَاۤ اَیْدِیْهِمْ وَتَشْهَدُ اَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوْا یَكْسِبُوْنَ ۟
आज हम उनके मुँहों पर मुहर लगा देंगे तो वे गूँगे हो जाएँगे, वे जिस कुफ़्र और पापों में पड़े हुए थे उसके इनकार के लिए मुँह खोल नहीं सकेंगे। उनके हाथ हमसे बात करेंगे कि उनसे दुनिया में क्या कुछ काम हुआ था और उनके पैर उन पापों की गवाही देंगे जो वे किया करते थे और उनकी ओर चलकर जाया करते थे।
અરબી તફસીરો:
وَلَوْ نَشَآءُ لَطَمَسْنَا عَلٰۤی اَعْیُنِهِمْ فَاسْتَبَقُوا الصِّرَاطَ فَاَنّٰی یُبْصِرُوْنَ ۟
और अगर हम उनकी आँखों के प्रकाश को खत्म करना चाहें, तो निश्चय उसे खत्म कर दें और वे देख न सकें। फिर वे तेज़ी से रास्ते की ओर दौड़ें, ताकि उसे पार करके जन्नत तक पहुँच जाएँ। परंतु उसे पार करना उनके लिए असंभव है, जबकि उनकी दृष्टि चली गई।
અરબી તફસીરો:
وَلَوْ نَشَآءُ لَمَسَخْنٰهُمْ عَلٰی مَكَانَتِهِمْ فَمَا اسْتَطَاعُوْا مُضِیًّا وَّلَا یَرْجِعُوْنَ ۟۠
और अगर हम उनकी रचना को बदलना और उन्हें उनके पैरों पर बैठाना चाहें, तो हम उनकी रचना को बदल दें और उन्हें उनके पैरों पर बैठा दें। फिर वे अपनी जगह से हट न सकें। न तो वे आगे जा सकेंं और न पीछे लौट सकें।
અરબી તફસીરો:
وَمَنْ نُّعَمِّرْهُ نُنَكِّسْهُ فِی الْخَلْقِ ؕ— اَفَلَا یَعْقِلُوْنَ ۟
और हम जिस व्यक्ति की आयु को लंबी करके उसके जीवन में विस्तार कर देते हैं, उसे कमज़ोरी की अवस्था की ओर लौटा देते हैं। तो क्या वे अपनी बुद्धि से नहीं सोचते और इतनी सी बात नहीं समझ पाते कि यह घर अनश्वरता और हमेशा रहने का घर नहीं है, बल्कि बाकी रहने वाला घर तो आख़िरत का घर है।
અરબી તફસીરો:
وَمَا عَلَّمْنٰهُ الشِّعْرَ وَمَا یَنْۢبَغِیْ لَهٗ ؕ— اِنْ هُوَ اِلَّا ذِكْرٌ وَّقُرْاٰنٌ مُّبِیْنٌ ۟ۙ
हमने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को शे'र (काव्य) नहीं सिखाया और यह उनके लिए शोभनीय भी नहीं है; क्योंकि यह उनके स्वभाव में नहीं है और न तो उनकी प्रकृति इसकी अपेक्षा करती है। फिर तुम्हारा यह दावा करना कैसे सही हो सकता है कि वह शायर (कवि) हैं। हमने उन्हें जो सिखाया है, वह उन लोगों के लिए सर्वथा उपदेश और स्पष्ट क़ुरआन है जो उसपर चिंतन करने वाले हैं।
અરબી તફસીરો:
لِّیُنْذِرَ مَنْ كَانَ حَیًّا وَّیَحِقَّ الْقَوْلُ عَلَی الْكٰفِرِیْنَ ۟
ताकि वह उसे डराए जिसका दिल जीवित और अंतर्दृष्टि प्रबुद्ध हो। क्योंकि ऐसा ही व्यक्ति उस (क़ुरआन) से लाभान्वित होता है, तथा काफ़िरों पर यातना सिद्ध हो जाए। क्योंकि क़ुरआन के उतरने और उसका निमंत्रण उनके पास पहुँचने से उनपर तर्क स्थापित हो गया। अतः उनके पास कोई बहाना न रहा, जिसे वे पेश कर सकें।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• في يوم القيامة يتجلى لأهل الإيمان من رحمة ربهم ما لا يخطر على بالهم.
• क़ियामत के दिन ईमान वालों पर उनके पालनहार की ऐसी दया प्रकट होगी, जो उनकी कल्पना में भी नहीं आई होगी।

• أهل الجنة مسرورون بكل ما تهواه النفوس وتلذه العيون ويتمناه المتمنون.
• जन्नत वाले, हर उस चीज़ को पाकर बेहद खुश होंगे, जिसकी उनके दिल इच्छा करेंगे, और जिससे आँखों को आनंद मिलेगा तथा जिसकी कामना करने वाले कामना करेंगे।

• ذو القلب هو الذي يزكو بالقرآن، ويزداد من العلم منه والعمل.
• जीवित हृदय वाला व्यक्ति ही क़ुरआन के योग्य (उपयुक्त) होता है, और उससे उसके ज्ञान और कर्म में वृद्धि होती है।

• أعضاء الإنسان تشهد عليه يوم القيامة.
• मानव के शरीर के अंग क़ियामत के दिन उसके विरुद्ध गवाही देंगे।

اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا خَلَقْنَا لَهُمْ مِّمَّا عَمِلَتْ اَیْدِیْنَاۤ اَنْعَامًا فَهُمْ لَهَا مٰلِكُوْنَ ۟
क्या उन्होंने नहीं देखा कि हमने उनके लिए चौपाए पैदा किए हैं, तो वे उन चौपायों के मालिक बने हुए हैं; वे उनमें अपने हितों के अनुसार व्यवहार करते हैं?
અરબી તફસીરો:
وَذَلَّلْنٰهَا لَهُمْ فَمِنْهَا رَكُوْبُهُمْ وَمِنْهَا یَاْكُلُوْنَ ۟
और हमने उन मवेशियों को उनके वश में और उनके अधीन कर दिया है। अतः वे उनमें से कुछ की पीठ पर सवार होते हैं और अपना बोझ लादते हैं, तथा उनमें से कुछ (जानवरों) का वे माँस खाते हैं।
અરબી તફસીરો:
وَلَهُمْ فِیْهَا مَنَافِعُ وَمَشَارِبُ ؕ— اَفَلَا یَشْكُرُوْنَ ۟
उनके लिए उन (चौपायों) में उनकी सवारी करने और उनका माँस खाने के अलावा अन्य लाभ भी हैं; जैसे उनके ऊन, उनके रोवें, उनके बाल और उनकी क़ीमतें; चुनाँचे वे उनसे बिछौने (गद्दे) और वस्त्र बनाते हैं। तथा उनके लिए उनमें पीने की चीज़ें हैं, जैसे कि वे उनका दूध पीते हैं। तो क्या वे अल्लाह का शुक्रिया अदा नहीं करते, जिसने उन्हें ये और इनके अलावा अन्य नेमतें प्रदान की हैं।
અરબી તફસીરો:
وَاتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ اٰلِهَةً لَّعَلَّهُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟ؕ
और मुश्रिकों ने अल्लाह के अतिरिक्त अन्य पूज्य बना लिए हैं, जिनकी वे इस आशा में इबादत करते हैं कि वे (पूज्य) उनकी सहायता करें और उन्हें अल्लाह की यातना से बचाएँ।
અરબી તફસીરો:
لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَهُمْ وَهُمْ لَهُمْ جُنْدٌ مُّحْضَرُوْنَ ۟
वे असत्य पूज्य जो उन्होंने ठहरा लिए हैं, वे न स्वयं अपनी मदद कर सकते हैं और न उन लोगों की मदद कर सकते हैं, जो अल्लाह को छोड़कर उनकी पूजा करते हैं। बल्कि वे और उनकी मूर्तियाँ सब के सब यातना में उपस्थित किए जाएँगे और उनमें से हर एक दूसरे से बरी होने की घोषणा करेगा।
અરબી તફસીરો:
فَلَا یَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ— اِنَّا نَعْلَمُ مَا یُسِرُّوْنَ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ۟
अतः (ऐ रसूल!) आपको उनकी यह बात शोकग्रस्त न करे कि आप भेजे हुए रसूल नहीं हैं, या आप शायर (कवि) हैं और इस तरह के उनके अन्य मिथ्यारोप। निःसंदेह हम जानते हैं जो कुछ वे इस तरह की बातों में से छिपाते हैं और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं। इसमें से कुछ भी हमसे छिपा नहीं है, और हम उन्हें इसका बदला देंगे।
અરબી તફસીરો:
اَوَلَمْ یَرَ الْاِنْسَانُ اَنَّا خَلَقْنٰهُ مِنْ نُّطْفَةٍ فَاِذَا هُوَ خَصِیْمٌ مُّبِیْنٌ ۟
क्या उस आदमी ने, जो मरणोपरांत दोबारा जीवित किए जाने का इनकार करता है, इस बात पर सोच-विचार नहीं किया कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया है। फिर वह कई चरणों से गुज़रता हुआ पैदा हुआ और पला-बढ़ा। फिर वह बड़ा झगड़ालू और बहस करने वाला बन गया। क्या उसने इसपर विचार नहीं किया ताकि वह उसके द्वारा मरणोपरांत पुनः जीवित होने की संभावना पर तर्क ग्रहण करता।
અરબી તફસીરો:
وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَّنَسِیَ خَلْقَهٗ ؕ— قَالَ مَنْ یُّحْیِ الْعِظَامَ وَهِیَ رَمِیْمٌ ۟
इस काफ़िर ने सड़ी-गली हड्डियों द्वारा मरणोपरांत पुनः जीवित किए जाने के असंभव होने पर तर्क ग्रहण करके लापरवाही और अज्ञानता का सबूत दिया है। चुनाँचे वह कहने लगा : उन्हें कौन दोबारा जीवित करेगा? और स्वयं उसका अनस्तित्व से अस्तित्व में आना उससे ओझल रह गया।
અરબી તફસીરો:
قُلْ یُحْیِیْهَا الَّذِیْۤ اَنْشَاَهَاۤ اَوَّلَ مَرَّةٍ ؕ— وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِیْمُ ۟ۙ
(ऐ मुहम्मद!) आप उसका उत्तर देते हुए कह दें : इन सड़ी-गली हड्डियों को वही जीवित करेगा, जिसने उन्हें प्रथम बार पैदा किया। क्योंकि जिसने उन्हें प्रथम बार पैदा किया, वह उन्हें दोबारा जीवित करने में असमर्थ नहीं हो सकता। वह महिमावान हर प्रकार की रचना को भली-भाँति जानता है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
અરબી તફસીરો:
١لَّذِیْ جَعَلَ لَكُمْ مِّنَ الشَّجَرِ الْاَخْضَرِ نَارًا فَاِذَاۤ اَنْتُمْ مِّنْهُ تُوْقِدُوْنَ ۟
जिसने (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए नम हरे पेड़ से आग पैदा की, जिसे तुम उससे निकालते हो। फिर तुम उससे आग जलाते हो। तो जिसने दो विपरीत चीज़ों (हरे पेड़ के पानी की नमी और उसमें जलती आग) को मिला दिया, वह मृत लोगों को पुनर्जीवित करने में सक्षम है।
અરબી તફસીરો:
اَوَلَیْسَ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ بِقٰدِرٍ عَلٰۤی اَنْ یَّخْلُقَ مِثْلَهُمْ ؔؕ— بَلٰی ۗ— وَهُوَ الْخَلّٰقُ الْعَلِیْمُ ۟
क्या जिस (अल्लाह) ने इन भव्य आकाशों और विशाल धरती को पैदा किया, वह मृतकों को उन्हें मृत्यु देने के बाद पुनर्जीवित करने में सक्षम नहीं है? क्यों नही, वह ऐसा करने में अवश्य सक्षम है। वह तो सब कुछ पैदा करने वाला है, जिसने सभी प्राणियों को पेदा किया, वह उन्हें भली-भाँति जानने वाला है। अतः उनकी कोई भी चीज़ उससे छिपी नहीं है।
અરબી તફસીરો:
اِنَّمَاۤ اَمْرُهٗۤ اِذَاۤ اَرَادَ شَیْـًٔا اَنْ یَّقُوْلَ لَهٗ كُنْ فَیَكُوْنُ ۟
अल्लाह सर्वशक्तिमान का मामला तो केवल यह है कि जब वह किसी चीज़ को अस्तित्व में लाने का इरादा करता है, तो उससे कहता है 'हो जा', तो वह चीज़ जिसे वह चाहता है अस्तित्व में आ जाती है। और इसी में से उसका जीवित करने, मारने और मरणोपरांत पुनर्जीवित करके उठाने आदि का इरादा करना भी है।
અરબી તફસીરો:
فَسُبْحٰنَ الَّذِیْ بِیَدِهٖ مَلَكُوْتُ كُلِّ شَیْءٍ وَّاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟۠
अल्लाह उस विवशता से विहीन और पवित्र है, जिसकी निसबत मुश्रिक लोग उसकी ओर करते हैं। क्योंकि उसी के पास सभी चीजों का अधिकार है, वह अपनी इच्छा के अनुसार उनमें व्यवहार करता है। उसी के हाथ में हर चीज़ की चाबियाँ हैं। तथा आखिरत में तुम उसी की ओर लौटाए जाओगे, जहाँ वह तुम्हें तुम्हारे कर्मों का बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من فضل الله ونعمته على الناس تذليل الأنعام لهم، وتسخيرها لمنافعهم المختلفة.
• लोगों पर अल्लाह की कृपा और अनुग्रह में से एक मवेशियों को उनके अधीन करना और उन्हें उनके विभिन्न लाभों के लिए वशीभूति करना है।

• وفرة الأدلة العقلية على يوم القيامة وإعراض المشركين عنها.
• क़ियामत के दिन पर बौद्धिक प्रमाणों की बहुतायत और अनेकेश्वरवादियों का उनसे मुँह मोड़ना।

• من صفات الله تعالى أن علمه تعالى محيط بجميع مخلوقاته في جميع أحوالها، في جميع الأوقات، ويعلم ما تنقص الأرض من أجساد الأموات وما يبقى، ويعلم الغيب والشهادة.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान के गुणों में से एक यह है कि उसका ज्ञान उसके सभी प्राणियों को उनकी सभी स्थितियों में, हर समय घेरे हुए है। वह जानता है कि धरती मरे हुओं के शरीरों में से क्या कमी करती है और क्या बाकी रहता है, तथा वह परोक्ष और प्रत्यक्ष का ज्ञान रखता है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: યાસિન
સૂરહ માટે અનુક્રમણિકા પેજ નંબર
 
કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

બંધ કરો