કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (29) સૂરહ: અઝ્ ઝુમર
ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا رَّجُلًا فِیْهِ شُرَكَآءُ مُتَشٰكِسُوْنَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِّرَجُلٍ ؕ— هَلْ یَسْتَوِیٰنِ مَثَلًا ؕ— اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ ۚ— بَلْ اَكْثَرُهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟
अल्लाह ने बहुदेववादी और एकेश्वरवादी का उदाहरण दिया है। एक व्यक्ति ऐसा है, जो परस्पर विरोधी भागीदारों के स्वामित्व में है; यदि वह उनमें से किसी एक को प्रसन्न करता है, तो किसी दूसरे को क्रोधित कर देता है। इस तरह वह हैरानी और उथल-पुथल में रहता है। जबकि दूसरा व्यक्ति एक ही आदमी के लिए विशिष्ट है। वही अकेला इसका मालिक है और यह उसकी मंशा को जानता है। इसलिए वह निश्चिंत और उसका मन शांत रहता है। ये दोनों व्यक्ति बराबर नहीं हो सकते। हर प्रकार की प्रशंसा अल्लाह के लिए है। लेकिन उनमें से अधिकांश नहीं जानते हैं। इसलिए वे अल्लाह के साथ उसके अलावा को साझी ठहराते हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• أهل الإيمان والتقوى هم الذين يخشعون لسماع القرآن، وأهل المعاصي والخذلان هم الذين لا ينتفعون به.
• ईमान और तक़्वा वाले ही वे लोग हैं, जो क़ुरआन सुनकर विनम्र हो जाते हैं, जबकि गुनाहगार और विफल लोग उससे लाभ नहीं उठाते हैं।

• التكذيب بما جاءت به الرسل سبب نزول العذاب إما في الدنيا أو الآخرة أو فيهما معًا.
• रसूलों के लाए हुए संदेश को झुठलाना, इस दुनिया में, या आख़िरत में, या दोनों में यातना के उतरने का कारण है।

• لم يترك القرآن شيئًا من أمر الدنيا والآخرة إلا بيَّنه، إما إجمالًا أو تفصيلًا، وضرب له الأمثال.
• क़ुरआन ने दुनिया और आख़िरत संबंधी किसी भी चीज़ को सार रूप से या विस्तार से स्पष्ट किए बिना नहीं छोड़ा, तथा उसके लिए उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (29) સૂરહ: અઝ્ ઝુમર
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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