કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (43) સૂરહ: અઝ્ ઝુમર
اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ شُفَعَآءَ ؕ— قُلْ اَوَلَوْ كَانُوْا لَا یَمْلِكُوْنَ شَیْـًٔا وَّلَا یَعْقِلُوْنَ ۟
इन मुश्रिकों ने अपने कुछ बुतों को अपना सिफ़ारिशी बना लिया है और अल्लाह के स्थान पर उन्हीं से लाभ की उम्मीद लगाए बैठे हैं। ऐ रसूल! आप कह दें: क्या तुम इनको सिफ़ारिशी बनाकर ही रहोगे, यद्यपि वे अपने लिए और तुम्हारे लिए किसी चीज़ के मालिक न हों, और न ही कुछ समझ सकते हों? ये तो चेतना से खाली जड़ पदार्थ हैं, जो न बोलते हैं, न सुनते है, न देखते हैं, न लाभ दे सकते हैं और न क्षति पहुँचा सकते हैं।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• النوم والاستيقاظ درسان يوميان للتعريف بالموت والبعث.
• सोना और जागना, मरने और जीवित होकर उठने के दो पाठ हैं, जिनसे हर व्यक्ति प्रति दिन गुज़रता है।

• إذا ذُكِر الله وحده عند الكفار أصابهم ضيق وهمّ؛ لأنهم يتذكرون ما أمر به وما نهى عنه وهم معرضون عن هذا كله.
• जब काफ़िरों के सामने केवल अल्लाह का ज़िक्र आता है, तो उनके दिल संकीर्ण होने लगते हैं और वे शोकाकुल हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें अल्लाह के आदेशों एवं उसके निषेधों की याद आ जाती है, जबकि वे उनसे मुँह मोड़े हुए हैं।

• يتمنى الكافر يوم القيامة افتداء نفسه بكل ما يملك مع بخله به في الدنيا، ولن يُقْبل منه.
• काफ़िर इस दुनिया में अपनी कंजूसी के बावजूद, क़ियामत के दिन अपने पास मौजूद सारी चीज़ें देकर खुद को यातना से बचाने की इच्छा करेगा, लेकिन यह उससे स्वीकार नहीं किया जाएगा।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (43) સૂરહ: અઝ્ ઝુમર
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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