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કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અન્ નિસા   આયત:
وَلَوْ اَنَّا كَتَبْنَا عَلَیْهِمْ اَنِ اقْتُلُوْۤا اَنْفُسَكُمْ اَوِ اخْرُجُوْا مِنْ دِیَارِكُمْ مَّا فَعَلُوْهُ اِلَّا قَلِیْلٌ مِّنْهُمْ ؕ— وَلَوْ اَنَّهُمْ فَعَلُوْا مَا یُوْعَظُوْنَ بِهٖ لَكَانَ خَیْرًا لَّهُمْ وَاَشَدَّ تَثْبِیْتًا ۟ۙ
66-68 - यदि हमने उनपर एक-दूसरे को क़त्ल करना या अपने घरों से निकल जाना अनिवार्य किया होता, तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा कोई हमारे आदेश को नहीं मानता। अतः उन्हें अल्लाह का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने उन्हें ऐसे कार्य के लिए बाध्य नहीं किया, जो उनके लिए कठिन हो। और यदि उन्होंने अल्लाह की आज्ञाकारिता की होती जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है, तो यह अवहेलना करने से बेहतर होता और उनके ईमान के लिए अधिक दृढ़ता का कारण होता। तथा हम उन्हें अपनी ओर से बड़ा बदला देते और उन्हें अल्लाह एवं उसकी जन्नत तक ले जाने वाले रास्ते पर चलने का सामर्थ्य प्रदान करते।
અરબી તફસીરો:
وَّاِذًا لَّاٰتَیْنٰهُمْ مِّنْ لَّدُنَّاۤ اَجْرًا عَظِیْمًا ۟ۙ
66-68 - यदि हमने उनपर एक-दूसरे को क़त्ल करना या अपने घरों से निकल जाना अनिवार्य किया होता, तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा कोई हमारे आदेश को नहीं मानता। अतः उन्हें अल्लाह का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने उन्हें ऐसे कार्य के लिए बाध्य नहीं किया, जो उनके लिए कठिन हो। और यदि उन्होंने अल्लाह की आज्ञाकारिता की होती जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है, तो यह अवहेलना करने से बेहतर होता और उनके ईमान के लिए अधिक दृढ़ता का कारण होता। तथा हम उन्हें अपनी ओर से बड़ा बदला देते और उन्हें अल्लाह एवं उसकी जन्नत तक ले जाने वाले रास्ते पर चलने का सामर्थ्य प्रदान करते।
અરબી તફસીરો:
وَّلَهَدَیْنٰهُمْ صِرَاطًا مُّسْتَقِیْمًا ۟
66-68 - यदि हमने उनपर एक-दूसरे को क़त्ल करना या अपने घरों से निकल जाना अनिवार्य किया होता, तो उनमें से थोड़े लोगों के सिवा कोई हमारे आदेश को नहीं मानता। अतः उन्हें अल्लाह का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने उन्हें ऐसे कार्य के लिए बाध्य नहीं किया, जो उनके लिए कठिन हो। और यदि उन्होंने अल्लाह की आज्ञाकारिता की होती जिसकी उन्हें नसीहत की जाती है, तो यह अवहेलना करने से बेहतर होता और उनके ईमान के लिए अधिक दृढ़ता का कारण होता। तथा हम उन्हें अपनी ओर से बड़ा बदला देते और उन्हें अल्लाह एवं उसकी जन्नत तक ले जाने वाले रास्ते पर चलने का सामर्थ्य प्रदान करते।
અરબી તફસીરો:
وَمَنْ یُّطِعِ اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ فَاُولٰٓىِٕكَ مَعَ الَّذِیْنَ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ مِّنَ النَّبِیّٖنَ وَالصِّدِّیْقِیْنَ وَالشُّهَدَآءِ وَالصّٰلِحِیْنَ ۚ— وَحَسُنَ اُولٰٓىِٕكَ رَفِیْقًا ۟ؕ
जो व्यक्ति अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करेगा, वह उन लोगों के साथ होगा, जिन्हें अल्लाह ने जन्नत में प्रवेश के पुरस्कार से सम्मानित किया है, अर्थात नबी, और सिद्दीक़ (सत्यवादी) लोग जिन्होंने रसूलों के लाए हुए धर्म को पूरी तरह से सत्य जाना और उसके अनुसार कार्य किया, और शहीद लोग जो अल्लाह के रास्ते में क़त्ल किए गए, और सदाचारी लोग जिनके परोक्ष एवं प्रत्यक्ष विशुद्ध हैं, तो परिणाम स्वरूप उनके कार्य भी विशुद्ध हैं। ये लोग जन्नत के क्या ही अच्छे साथी हैं!
અરબી તફસીરો:
ذٰلِكَ الْفَضْلُ مِنَ اللّٰهِ ؕ— وَكَفٰی بِاللّٰهِ عَلِیْمًا ۟۠
यह उक्त सवाब अल्लाह की ओर से उसके बंदों पर अनुग्रह एवं कृपा है और अल्लाह काफ़ी है उनकी स्थितियों को जानने वाला, और वह हर एक को उसके कार्य का बदला देगा।
અરબી તફસીરો:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا خُذُوْا حِذْرَكُمْ فَانْفِرُوْا ثُبَاتٍ اَوِ انْفِرُوْا جَمِیْعًا ۟
ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अपने दुश्मनों से, उनसे जंग करने पर सहायक कारणों को अपनाकर, सावधान रहो। अतः उनकी ओर एक के बाद एक गुट बनाकर निकलो, या सब के सब इकट्ठे होकर निकल पड़ो। यह सब इस तथ्य के अधीन है कि किस चीज़ में तुम्हारा हित और किसी चीज़ में तुम्हारे दुश्मनों का पराजय है।
અરબી તફસીરો:
وَاِنَّ مِنْكُمْ لَمَنْ لَّیُبَطِّئَنَّ ۚ— فَاِنْ اَصَابَتْكُمْ مُّصِیْبَةٌ قَالَ قَدْ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَیَّ اِذْ لَمْ اَكُنْ مَّعَهُمْ شَهِیْدًا ۟
(ऐ मुसलमानो!) तुम्हारे अंदर कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी कायरता के कारण तुम्हारे दुश्मनों से लड़ाई के लिए निकलने से पीछे रहते हैं और दूसरों को भी पीछे रखते (रोकते) हैं। ये मुनाफ़िक़ और कमज़ोर ईमान वाले लोग हैं। फिर यदि तुम शहीद हो जाओ या तुम्हें पराजय का सामना करना पड़े, तो उनमें से एक अपनी सुरक्षा पर हर्षित होकर कहता है : अल्लाह ने मुझपर कृपा की है, इसलिए मैं उनके साथ लड़ाई में शामिल नहीं हुआ, नहीं तो मेरी भी वही हालत होती, जो इनकी हुई।
અરબી તફસીરો:
وَلَىِٕنْ اَصَابَكُمْ فَضْلٌ مِّنَ اللّٰهِ لَیَقُوْلَنَّ كَاَنْ لَّمْ تَكُنْ بَیْنَكُمْ وَبَیْنَهٗ مَوَدَّةٌ یّٰلَیْتَنِیْ كُنْتُ مَعَهُمْ فَاَفُوْزَ فَوْزًا عَظِیْمًا ۟
और यदि तुम्हें - ऐ मुसलमानो! - विजय अथवा माले ग़नीमत के रूप में अल्लाह का अनुग्रह प्राप्त हो जाए, तो जिहाद से पीछे रहने वाला यही व्यक्ति अवश्य इस तरह कहेगा मानो वह तुममें से है ही नहीं और तुम्हारे और उसके बीच कोई प्यार और साहचर्य नहीं था कि काश! मैं भी उनके साथ इस युद्ध में शामिल होता, तो उनकी तरह मैं भी बड़ी सफलता प्राप्त कर लेता!
અરબી તફસીરો:
فَلْیُقَاتِلْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ الَّذِیْنَ یَشْرُوْنَ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا بِالْاٰخِرَةِ ؕ— وَمَنْ یُّقَاتِلْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ فَیُقْتَلْ اَوْ یَغْلِبْ فَسَوْفَ نُؤْتِیْهِ اَجْرًا عَظِیْمًا ۟
अतः सच्चे ईमान वाले, जो सांसारिक जीवन को उसके प्रति अरुचि प्रकट करते हुए, आख़िरत के बदले उसकी इच्छा रखते हुए बेच देते हैं, उन्हें चाहिए कि अल्लाह के रास्ते में युद्ध करें ताकि अल्लाह का धर्म सर्वोच्च हो। और जो अल्लाह के धर्म को सर्वोच्च करने के लिए अल्लाह के रास्ते में युद्ध करे, फिर वह शहीद हो जाए या दुश्मन पर विजय प्राप्त कर ले, तो अल्लाह उसे महान प्रतिफल प्रदान करेगा और वह जन्नत और अल्लाह की प्रसन्नता है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• فعل الطاعات من أهم أسباب الثبات على الدين.
• अच्छे कर्म करना धर्म पर दृढ़ता के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

• أخذ الحيطة والحذر باتخاذ جميع الأسباب المعينة على قتال العدو، لا بالقعود والتخاذل.
• चौकसी और सावधानी बरतना दुश्मन से लड़ने के लिए सहायक सभी कारणों को अपनाकर होता है, न कि बैठकर और पीछे हटकर।

• الحذر من التباطؤ عن الجهاد وتثبيط الناس عنه؛ لأن الجهاد أعظم أسباب عزة المسلمين ومنع تسلط العدو عليهم.
• जिहाद से पीछे रहने और इससे लोगों को हतोत्साहित करने से सावधान रहना चाहिए; क्योंकि जिहाद मुसलमानों के गौरव व प्रतिष्ठा और उन पर दुश्मन के वर्चस्व और प्राबल्य को रोकने का सबसे महान कारण है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર સૂરહ: અન્ નિસા
સૂરહ માટે અનુક્રમણિકા પેજ નંબર
 
કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા

તફસીર લિદ્ દિરાસતીલ્ કુરઆનિયહ કેન્દ્ર દ્વારા પ્રકાશિત.

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