કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (54) સૂરહ: અન્ નિસા
اَمْ یَحْسُدُوْنَ النَّاسَ عَلٰی مَاۤ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ ۚ— فَقَدْ اٰتَیْنَاۤ اٰلَ اِبْرٰهِیْمَ الْكِتٰبَ وَالْحِكْمَةَ وَاٰتَیْنٰهُمْ مُّلْكًا عَظِیْمًا ۟
बल्कि वे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके साथियों से इस बिना पर ईर्ष्या करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें, नुबुव्वत (ईश्दूतत्व), ईमान और धरती में सत्ता प्रदान किया है। तो ये लोग उनसे ईर्ष्या क्यों करते हैं, जबकि हमने इससे पहले भी इबराहीम अलैहिस्सलाम के वंशज को आसमानी किताब प्रदान किया और किताब के अलावा भी उनकी ओर वह्य की, तथा उन्हें लोगों पर विशाल राज्य प्रदान किया!?
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• من أعظم أسباب كفر أهل الكتاب حسدهم المؤمنين على ما أنعم الله به عليهم من النبوة والتمكين في الأرض.
• अह्ले किताब के कुफ़्र का एक सबसे बड़ा कारण, उनका मोमिनों से इस बात पर ईर्ष्या करना है कि अल्लाह ने उन्हें नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) और ज़मीन में अधिपत्य प्रदान किया है।

• الأمر بمكارم الأخلاق من المحافظة على الأمانات، والحكم بالعدل.
• उत्तम शिष्टाचार का आदेश जैसे- अमानतों का संरक्षण और न्याय के साथ निर्णय करना।

• وجوب طاعة ولاة الأمر ما لم يأمروا بمعصية، والرجوع عند التنازع إلى حكم الله ورسوله صلى الله عليه وسلم تحقيقًا لمعنى الإيمان.
• शासकों के आज्ञापलन की अनिवार्यता जब तक कि वे अवज्ञा का आदेश न दें। तथा मतभेद की स्थिति में अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के फैसले की ओर लौटना, ताकि ईमान का अर्थ परिपूर्ण हो सके।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (54) સૂરહ: અન્ નિસા
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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