કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (42) સૂરહ: ફુસ્સિલત
لَّا یَاْتِیْهِ الْبَاطِلُ مِنْ بَیْنِ یَدَیْهِ وَلَا مِنْ خَلْفِهٖ ؕ— تَنْزِیْلٌ مِّنْ حَكِیْمٍ حَمِیْدٍ ۟
असत्य न उसके आगे से आ सकता है और न उसके पीछे से। न कमी-बेशी के रूप में, न शाब्दिक या आर्थिक बदलाव के रूप में। यह उस अल्लाह की तरफ़ से उतरा है, जो रचना, निर्णय एवं शरीयत में हिकमत वाला है, हर हाल में प्रशंसित है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• حَفِظ الله القرآن من التبديل والتحريف، وتَكَفَّل سبحانه بهذا الحفظ، بخلاف الكتب السابقة له.
• अल्लाह ने क़ुरआन को बदलाव तथा तहरीफ़ (विकृति) से बचा रखा है। उसने पिछली पुस्तकों के विपरीत इसकी हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी ले रखी है।

• قطع الحجة على مشركي العرب بنزول القرآن بلغتهم.
• अरब के मुश्रिकों की भाषा ही में क़ुरआन उतारकर अल्लाह ने उनके हीले-बहाने के रास्तों को बंद कर दिया है।

• نفي الظلم عن الله، وإثبات العدل له.
• इस बात का प्रमाण कि अल्लाह किसी पर अत्याचार नहीं करता और सबके बीच न्याय करता है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (42) સૂરહ: ફુસ્સિલત
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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