કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (5) સૂરહ: અલ્ હુજુરાત
وَلَوْ اَنَّهُمْ صَبَرُوْا حَتّٰی تَخْرُجَ اِلَیْهِمْ لَكَانَ خَیْرًا لَّهُمْ ؕ— وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟
और यदि ये लोग जो (ऐ रसूल!) आपको आपकी पत्नियों के कमरों के बाहर से पुकारते हैं, धैर्य रखते और आपको न पुकारते यहाँ तक कि आप उनके पास निकल कर आते, फिर वे धीमी आवाज़ में आपसे बात करते; तो यह उनके लिए आपको बाहर से पुकारने की तुलना में बेहतर होता; क्योंकि इसमें आदर और सम्मान पाया जाता है। तथा अल्लाह उनमें से तथा उनके अलावा लोगों में से तौबा करने वालों के पापों को माफ़ करने वाला है और उन्हें उनकी अज्ञानता के कारण क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• وجوب التثبت من صحة الأخبار، خاصة التي ينقلها من يُتَّهم بالفسق.
• समाचारों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने की अनिवार्यता, विशेष रूप से उन समाचारों की, जिन्हें पहुँचाने वाला दुराचार से आरोपित हो।

• وجوب الإصلاح بين من يتقاتل من المسلمين، ومشروعية قتال الطائفة التي تصر على الاعتداء وترفض الصلح.
• आपस में लड़ने वाले मुसलमानों के बीच सुलह कराने की अनिवार्यता, और उस समूह से लड़ने की वैधता जो ज़्यादती करने पर अडिग है और सुलह को अस्वीकार करती है।

• من حقوق الأخوة الإيمانية: الصلح بين المتنازعين والبعد عما يجرح المشاعر من السخرية والعيب والتنابز بالألقاب.
• ईमानी भाईचारे के अधिकारों में : विवाद करने वालों के बीच सुलह कराना, भावनाओं को आहत करने वाली चीजों जैसे कि मज़ाक़ उड़ाने, दोष लगाने और बुरे उपनामों से पुकारने से दूर रहना, है।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (5) સૂરહ: અલ્ હુજુરાત
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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