કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - ભાષાંતરોની અનુક્રમણિકા


શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (4) સૂરહ: અલ્ મુમતહિનહ
قَدْ كَانَتْ لَكُمْ اُسْوَةٌ حَسَنَةٌ فِیْۤ اِبْرٰهِیْمَ وَالَّذِیْنَ مَعَهٗ ۚ— اِذْ قَالُوْا لِقَوْمِهِمْ اِنَّا بُرَءٰٓؤُا مِنْكُمْ وَمِمَّا تَعْبُدُوْنَ مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؗ— كَفَرْنَا بِكُمْ وَبَدَا بَیْنَنَا وَبَیْنَكُمُ الْعَدَاوَةُ وَالْبَغْضَآءُ اَبَدًا حَتّٰی تُؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ وَحْدَهٗۤ اِلَّا قَوْلَ اِبْرٰهِیْمَ لِاَبِیْهِ لَاَسْتَغْفِرَنَّ لَكَ وَمَاۤ اَمْلِكُ لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ شَیْءٍ ؕ— رَبَّنَا عَلَیْكَ تَوَكَّلْنَا وَاِلَیْكَ اَنَبْنَا وَاِلَیْكَ الْمَصِیْرُ ۟
तुम्हारे लिए (ऐ मोमिनो!) इबराहीम अलैहिस्सलाम और उन मोमिनों में जो उनके साथ थे, एक अच्छा आदर्श है, जब उन्होंने अपनी काफ़िर जाति से कहा : हम तुमसे तथा उन मूर्तियों से बरी हैं, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो। हम उस धर्म को नहीं मानते, जिसपर तुम चल रहे हो, तथा हमारे और तुम्हारे बीच हमेशा के लिए शत्रुता और घृणा प्रकट हो चुकी है, यहाँ तक कि तुम अकेले अल्लाह पर ईमान ले आओ और किसी को उसका साझी न बनाओ। अतः तुम्हें भी चाहिए कि उनकी तरह अपनी काफ़िर जाति से बरी होने का ऐलान कर दो। परंतु इबराहीम अलैहिस्सलाम की इस बात को छोड़कर, जो उन्होंने अपने पिता से कही थी कि : मैं अवश्य अल्लाह से तुम्हारे लिए क्षमा याचना करूँगा। तो तुम इसमें उनका पालन न करो। क्योंकि यह बात उन्होंने अपने पिता से निराश होने से पहले कही थी। अतः किसी मोमिन के लिए जायज़ नहीं है कि वह किसी मुश्रिक के लिए क्षमा माँगे। और मैं तुम्हारा अल्लाह की यातना से कुछ भी बचाव नहीं कर सकता। ऐ हमारे पालनहार! हमने अपने सभी मामलों में केवल तुझी पर भरोसा किया है, और हम तेरी ही ओर तौबा करते हुए लौटे हैं, और तेरी ही ओर क़ियामत के दिन सबको लौटकर आना है।
અરબી તફસીરો:
આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• تسريب أخبار أهل الإسلام إلى الكفار كبيرة من الكبائر.
• काफ़िरों को मुसलमानों की गुप्त सूचनाएँ लीक करना एक बड़ा पाप है।

• عداوة الكفار عداوة مُتَأصِّلة لا تؤثر فيها موالاتهم.
• काफ़िरों की दुश्मनी एक अंतर्निहित दुश्मनी है, जिसे उनसे दोस्ती प्रभावित नहीं करती है।

• استغفار إبراهيم لأبيه لوعده له بذلك، فلما نهاه الله عن ذلك لموته على الكفر ترك الاستغفار له.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने पिता के लिए क्षमा इसलिए माँगी थी, क्योंकि उन्होंने अपने पिता से इसका वादा किया था। फिर जब उसकी कुफ़्र पर मृत्यु के कारण अल्लाह ने उन्हें इससे मना कर दिया, तो उन्होंने उसके लिए माफी मांगना छोड़ दिया।

 
શબ્દોનું ભાષાંતર આયત: (4) સૂરહ: અલ્ મુમતહિનહ
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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