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Terjemahan makna Alquran Alkarim - Terjemahan Berbahasa India - Azizul Haq Al-Umari * - Daftar isi terjemahan

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Terjemahan makna Surah: Al-An'ām   Ayah:
وَمَا لَكُمْ اَلَّا تَاْكُلُوْا مِمَّا ذُكِرَ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ وَقَدْ فَصَّلَ لَكُمْ مَّا حَرَّمَ عَلَیْكُمْ اِلَّا مَا اضْطُرِرْتُمْ اِلَیْهِ ؕ— وَاِنَّ كَثِیْرًا لَّیُضِلُّوْنَ بِاَهْوَآىِٕهِمْ بِغَیْرِ عِلْمٍ ؕ— اِنَّ رَبَّكَ هُوَ اَعْلَمُ بِالْمُعْتَدِیْنَ ۟
और तुम्हें क्या है कि तुम उसमें से न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया[75] है, हालाँकि निःसंदेह उसने तुम्हारे लिए वे चीज़ें खोलकर बयान कर दी हैं, जो उसने तुमपर हराम की हैं, परंतु जिसकी ओर तुम विवश कर दिए जाओ।[76] और निःसंदेह बहुत-से लोग बिना किसी जानकारी के, अपनी इच्छाओं के द्वारा (लोगों को) पथभ्रष्ट करते हैं। निःसंदेह आपका पालनहार ही हद से बढ़ने वालों को अधिक जानने वाला है।
75. अर्थात उन पशुओं को खाने में कोई हर्ज नहीं, जो मुसलसानों की दुकानों में मिलते हैं। क्योंकि कोई मुसलमान अल्लाह का नाम लिए बिना वध नहीं करता। और यदि शंका हो, तो खाते समय 'बिस्मिल्लाह' कह ले। जैसा कि ह़दीस शरीफ़ में आया है। (देखिए : बुख़ारी : 5507) 76. अर्थात उस वर्जित को प्राण रक्षा के लिए खाना उचित है।
Tafsir berbahasa Arab:
وَذَرُوْا ظَاهِرَ الْاِثْمِ وَبَاطِنَهٗ ؕ— اِنَّ الَّذِیْنَ یَكْسِبُوْنَ الْاِثْمَ سَیُجْزَوْنَ بِمَا كَانُوْا یَقْتَرِفُوْنَ ۟
तथा (ऐ लोगो!) खुले पाप छोड़ दो और उसके छिपे को भी। निःसंदेह जो लोग पाप कमाते हैं, वे शीघ्र ही उसका बदला दिए जाएँगे जो वे किया करते थे।
Tafsir berbahasa Arab:
وَلَا تَاْكُلُوْا مِمَّا لَمْ یُذْكَرِ اسْمُ اللّٰهِ عَلَیْهِ وَاِنَّهٗ لَفِسْقٌ ؕ— وَاِنَّ الشَّیٰطِیْنَ لَیُوْحُوْنَ اِلٰۤی اَوْلِیٰٓـِٕهِمْ لِیُجَادِلُوْكُمْ ۚ— وَاِنْ اَطَعْتُمُوْهُمْ اِنَّكُمْ لَمُشْرِكُوْنَ ۟۠
तथा उसमें से न खाओ, जिसपर अल्लाह का नाम न लिया गया हो, तथा निःसंदेह यह (खाना) सर्वथा अवज्ञा है। तथा निःसंदेह शैतान अपने मित्रों के मन में संशय डालते रहते हैं, ताकि वे तुमसे झगड़ा करें।[77] और यदि तुमने उनका कहा मान लिया, तो निःसंदेह तुम निश्चय बहुदेववादी हो।
77. अर्थात यह कहे कि जिसे अल्लाह ने मारा हो, उसे नहीं खाते। और जिसे तुमने वध किया हो उसे खाते हो? (इब्ने कसीर)
Tafsir berbahasa Arab:
اَوَمَنْ كَانَ مَیْتًا فَاَحْیَیْنٰهُ وَجَعَلْنَا لَهٗ نُوْرًا یَّمْشِیْ بِهٖ فِی النَّاسِ كَمَنْ مَّثَلُهٗ فِی الظُّلُمٰتِ لَیْسَ بِخَارِجٍ مِّنْهَا ؕ— كَذٰلِكَ زُیِّنَ لِلْكٰفِرِیْنَ مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟
क्या वह व्यक्ति जो मृत था, फिर हमने उसे जीवित किया तथा उसके लिए ऐसा प्रकाश बना दिया, जिसके साथ वह लोगों में चलता-फिरता है, उस व्यक्ति की तरह है जिसका हाल यह है कि वह अँधेरों में है, उनसे कदापि निकलने वाला नहीं?[78] इसी प्रकार काफ़िरों के लिए वे कार्य सुंदर बना दिए गए, जो वे किया करते थे।
78. इस आयत में ईमान की उपमा जीवन से तथा ज्ञान की प्रकाश से, और अविश्वास की मरण तथा अज्ञानता की उपमा अंधकारों से दी गई है।
Tafsir berbahasa Arab:
وَكَذٰلِكَ جَعَلْنَا فِیْ كُلِّ قَرْیَةٍ اَكٰبِرَ مُجْرِمِیْهَا لِیَمْكُرُوْا فِیْهَا ؕ— وَمَا یَمْكُرُوْنَ اِلَّا بِاَنْفُسِهِمْ وَمَا یَشْعُرُوْنَ ۟
और इसी प्रकार हमने प्रत्येक बस्ती में सबसे बड़े उसके अपराधियों को बना दिया, ताकि वे उसमें चालें चलें।[79] हालाँकि वे अपने ही विरुद्ध चालें चलते है, परंतु वे नहीं समझते।
79. भावार्थ यह है कि जब किसी नगर में कोई सत्य का प्रचारक खड़ा होता है, तो वहाँ के प्रमुखों को यह भय होता है कि हमारा अधिकार समाप्त हो जाएगा। इसलिए वे सत्य के विरोधी बन जाते हैं। और उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगते हैं। मक्का के प्रमुखों ने भी यही नीति अपना रखी थी।
Tafsir berbahasa Arab:
وَاِذَا جَآءَتْهُمْ اٰیَةٌ قَالُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ حَتّٰی نُؤْتٰی مِثْلَ مَاۤ اُوْتِیَ رُسُلُ اللّٰهِ ؔۘؕ— اَللّٰهُ اَعْلَمُ حَیْثُ یَجْعَلُ رِسَالَتَهٗ ؕ— سَیُصِیْبُ الَّذِیْنَ اَجْرَمُوْا صَغَارٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعَذَابٌ شَدِیْدٌۢ بِمَا كَانُوْا یَمْكُرُوْنَ ۟
और जब उनके पास कोई निशानी आती है, तो कहते हैं कि हम कदापि ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि हमें उस जैसा दिया जाए, जो अल्लाह के रसूलों को दिया गया। अल्लाह अधिक जानने वाला है जहाँ वह अपनी पैग़ंबरी रखता है। शीघ्र ही उन लोगों को जिन्होंने अपराध किए, अल्लाह के पास बड़े अपमान तथा कड़ी यातना का सामना करना पड़ेगा, इस कारण कि वे चालबाज़ी (छल) किया करते थे।
Tafsir berbahasa Arab:
 
Terjemahan makna Surah: Al-An'ām
Daftar surah Nomor Halaman
 
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Diterjemahkan oleh Azizul Haq Al-Umari.

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