Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Indice Traduzioni


Traduzione dei significati Versetto: (24) Sura: Al-Isrâ’
وَاخْفِضْ لَهُمَا جَنَاحَ الذُّلِّ مِنَ الرَّحْمَةِ وَقُلْ رَّبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّیٰنِیْ صَغِیْرًا ۟ؕ
और उनके प्रति दया-भाव और विनति के साथ विनम्रता अपनाओ और (दुआ करते हुए) कहो : ऐ मेरे पालनहार! तू उन दोनों पर दया कर, क्योंकि उन्होंने बचपन में मेरा पालन-पोषण किया है।
Esegesi in lingua araba:
Alcuni insegnamenti da trarre da questi versi sono:
• ينبغي للإنسان أن يفعل ما يقدر عليه من الخير وينوي فعل ما لم يقدر عليه؛ ليُثاب على ذلك.
• इनसान को चाहिए कि जो अच्छा कार्य करने में वह सक्षम है, उसे करे, और जिसे करने में वह असमर्थ है, उसकी नीयत रखे, ताकि उसे उसका भी सवाब मिले।

• أن النعم في الدنيا لا ينبغي أن يُسْتَدل بها على رضا الله تعالى؛ لأنها قد تحصل لغير المؤمن، وتكون عاقبته المصير إلى عذاب الله.
• दुनिया में प्राप्त नेमतों को अल्लाह की प्रसन्नता का प्रमाण नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक अविश्वासी (ग़ैर-मोमिन) को भी प्राप्त हो सकती है, लेकिन उसका परिणाम अल्लाह का अज़ाब होता है।

• الإحسان إلى الوالدين فرض لازم واجب، وقد قرن الله شكرهما بشكره لعظيم فضلهما.
• माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार आवश्यक, अनिवार्य और ज़रूरी है। उन दोनों के महान प्रतिष्ठा को दर्शाने के लिए, अल्लाह तआला ने उनका शुक्रिया अदा करने का उल्लेख अपना शुक्रिया अदा करने के आदेश के साथ किया है।

• يحرّم الإسلام التبذير، والتبذير إنفاق المال في غير حقه.
• इस्लाम ने अपव्यय को हराम (निषिद्ध) घोषित किया है और अपव्यय का मतलब है धन को अनुचित (बेजा) खर्च करना।

 
Traduzione dei significati Versetto: (24) Sura: Al-Isrâ’
Indice delle Sure Numero di pagina
 
Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Indice Traduzioni

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Chiudi