Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Indice Traduzioni


Traduzione dei significati Versetto: (18) Sura: Al-Anbiyâ’
بَلْ نَقْذِفُ بِالْحَقِّ عَلَی الْبَاطِلِ فَیَدْمَغُهٗ فَاِذَا هُوَ زَاهِقٌ ؕ— وَلَكُمُ الْوَیْلُ مِمَّا تَصِفُوْنَ ۟
बल्कि हम उस सत्य को, जिसकी हम अपने रसूल की ओर वह़्य करते हैं, कुफ़्र वालों के असत्य पर फेंक मारते हैं, तो वह उसे खंडित कर देता है। फिर एकाएक उनका असत्य नष्ट-भ्रष्ट होने वाला होता है। और (ऐ अल्लाह के पत्नी और पुत्र बनाने का दावा करने वालो!) तुम्हारे लिए विनाश है, क्योंकि तुम अल्लाह को ऐसी चीज़ के साथ विशेषित करते हो, जो उसके लिए योग्य नहीं है।
Esegesi in lingua araba:
Alcuni insegnamenti da trarre da questi versi sono:
• الظلم سبب في الهلاك على مستوى الأفراد والجماعات.
• अत्याचार, व्यक्तियों और समूहों के स्तर पर विनाश का एक कारण है।

• ما خلق الله شيئًا عبثًا؛ لأنه سبحانه مُنَزَّه عن العبث.
• अल्लाह ने कुछ भी व्यर्थ नहीं बनाया; क्योंकि वह महिमावान व्यर्थता से पाक है।

• غلبة الحق، ودحر الباطل سُنَّة إلهية.
• सत्य का प्रभुत्व और असत्य को परास्त करना, एक ईश्वरीय नियम है।

• إبطال عقيدة الشرك بدليل التَّمَانُع.
• शिर्क के अक़ीदे का दलील -ए- तमानु (एक तर्कसंगत प्रमाण) द्वारा खंडन। (जिसका मतलब यह है कि यदि इस ब्रह्मांड में एक से अधिक पूज्य होते, तो वे एक-दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप करते और ब्रह्मांड का संतुलन बिगड़ जाता। चूँकि हम इस ब्रह्मांड में कोई असंतुलन या दोष नहीं देखते, तो इसका आवश्यक अर्थ यह हुआ कि इस ब्रह्मांड में केवल एक ही पूज्य है।

 
Traduzione dei significati Versetto: (18) Sura: Al-Anbiyâ’
Indice delle Sure Numero di pagina
 
Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Indice Traduzioni

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Chiudi