Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Indice Traduzioni


Traduzione dei significati Versetto: (40) Sura: Al-Mu’minûn
قَالَ عَمَّا قَلِیْلٍ لَّیُصْبِحُنَّ نٰدِمِیْنَ ۟ۚ
तो अल्लाह ने उनका उत्तर यह कहकर दिया : थोड़े समय के बाद, आपके लाए हुए संदेश को झुठलाने वाले ये लोग, अपने झुठलाने के रवैये पर पछताएँगे।
Esegesi in lingua araba:
Alcuni insegnamenti da trarre da questi versi sono:
• وجوب حمد الله على النعم.
• नेमतों पर अल्लाह की प्रशंसा करना ज़रूरी है।

• الترف في الدنيا من أسباب الغفلة أو الاستكبار عن الحق.
• दुनिया में विलासिता लापरवाही या सत्य से अभिमान के कारणों में से है।

• عاقبة الكافر الندامة والخسران.
• काफ़िर का परिणाम पछतावा और घाटा है।

• الظلم سبب في البعد عن رحمة الله.
• अत्याचार,अल्लाह की रहमत से दूरी का एक कारण है।

 
Traduzione dei significati Versetto: (40) Sura: Al-Mu’minûn
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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