Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Indice Traduzioni


Traduzione dei significati Versetto: (34) Sura: Al ‘Imrân
ذُرِّیَّةً بَعْضُهَا مِنْ بَعْضٍ ؕ— وَاللّٰهُ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۚ
ये पूर्वोक्त नबीगण और उनकी संतानें जो उनके मार्ग का अनुसरण करने वाली हैं, वे एक ऐसा वंश हैं जो अल्लाह की तौह़ीद (एकेश्वरवाद) और अच्छे कर्म करने में एक दूसरे से संबंधित हैं, वे एक दूसरे से अच्छे स्वभाव और गुणों के वारिस होते हैं। और अल्लाह अपने बंदों की बातें सुनने वाला, उनके कार्यों को जानने वाला है; इसीलिए वह उनमें से जिसे चाहता है, पसंद कर लेता है और जिसे चाहता है, चुन लेता है।
Esegesi in lingua araba:
Alcuni insegnamenti da trarre da questi versi sono:
• عظم مقام الله وشدة عقوبته تجعل العاقل على حذر من مخالفة أمره تعالى.
• अल्लाह के पद की महानता और उसकी यातना की गंभीरता एक बुद्धिमान व्यक्ति को उसके आदेश का उल्लंघन करने से सावधान रखती है।

• برهان المحبة الحقة لله ولرسوله باتباع الشرع أمرًا ونهيًا، وأما دعوى المحبة بلا اتباع فلا تنفع صاحبها.
• अल्लाह और उसके रसूल से सच्चे प्रेम का प्रमाण शरीयत के आदेश और निषेध का अनुपालन करना है। जहाँ तक अनुपालन के बिना प्रेम के दावे की बात है, तो इससे आदमी को कोई लाभ नहीं होगा।

• أن الله تعالى يختار من يشاء من عباده ويصطفيهم للنبوة والعبادة بحكمته ورحمته، وقد يخصهم بآيات خارقة للعادة.
• अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, अपनी हिकमत और दया से नुबुव्वत और इबादत के लिए पसंद कर लेता और चुन लेता है। तथा कभी-कभी उन्हें कुछ ख़ारिक़-ए-'आदात निशानियों (करामतों) के साथ विशिष्ट कर देता है।

 
Traduzione dei significati Versetto: (34) Sura: Al ‘Imrân
Indice delle Sure Numero di pagina
 
Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - Indice Traduzioni

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

Chiudi