Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Indice Traduzioni


Traduzione dei significati Versetto: (69) Sura: An-Nisâ’
وَمَنْ یُّطِعِ اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ فَاُولٰٓىِٕكَ مَعَ الَّذِیْنَ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَیْهِمْ مِّنَ النَّبِیّٖنَ وَالصِّدِّیْقِیْنَ وَالشُّهَدَآءِ وَالصّٰلِحِیْنَ ۚ— وَحَسُنَ اُولٰٓىِٕكَ رَفِیْقًا ۟ؕ
जो व्यक्ति अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करेगा, वह उन लोगों के साथ होगा, जिन्हें अल्लाह ने जन्नत में प्रवेश के पुरस्कार से सम्मानित किया है, अर्थात नबी, और सिद्दीक़ (सत्यवादी) लोग जिन्होंने रसूलों के लाए हुए धर्म को पूरी तरह से सत्य जाना और उसके अनुसार कार्य किया, और शहीद लोग जो अल्लाह के रास्ते में क़त्ल किए गए, और सदाचारी लोग जिनके परोक्ष एवं प्रत्यक्ष विशुद्ध हैं, तो परिणाम स्वरूप उनके कार्य भी विशुद्ध हैं। ये लोग जन्नत के क्या ही अच्छे साथी हैं!
Esegesi in lingua araba:
Alcuni insegnamenti da trarre da questi versi sono:
• فعل الطاعات من أهم أسباب الثبات على الدين.
• अच्छे कर्म करना धर्म पर दृढ़ता के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है।

• أخذ الحيطة والحذر باتخاذ جميع الأسباب المعينة على قتال العدو، لا بالقعود والتخاذل.
• चौकसी और सावधानी बरतना दुश्मन से लड़ने के लिए सहायक सभी कारणों को अपनाकर होता है, न कि बैठकर और पीछे हटकर।

• الحذر من التباطؤ عن الجهاد وتثبيط الناس عنه؛ لأن الجهاد أعظم أسباب عزة المسلمين ومنع تسلط العدو عليهم.
• जिहाद से पीछे रहने और इससे लोगों को हतोत्साहित करने से सावधान रहना चाहिए; क्योंकि जिहाद मुसलमानों के गौरव व प्रतिष्ठा और उन पर दुश्मन के वर्चस्व और प्राबल्य को रोकने का सबसे महान कारण है।

 
Traduzione dei significati Versetto: (69) Sura: An-Nisâ’
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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