Traduzione dei Significati del Sacro Corano - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - Indice Traduzioni


Traduzione dei significati Versetto: (18) Sura: Al-Mâ’idah
وَقَالَتِ الْیَهُوْدُ وَالنَّصٰرٰی نَحْنُ اَبْنٰٓؤُا اللّٰهِ وَاَحِبَّآؤُهٗ ؕ— قُلْ فَلِمَ یُعَذِّبُكُمْ بِذُنُوْبِكُمْ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ بَشَرٌ مِّمَّنْ خَلَقَ ؕ— یَغْفِرُ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیُعَذِّبُ مَنْ یَّشَآءُ ؕ— وَلِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَیْنَهُمَا ؗ— وَاِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟
यहूदी और ईसाई दोनों ने दावा किया कि वे अल्लाह के पुत्र और उसके प्रिय हैं। (ऐ रसूल!) आप उनके जवाब में कह दें : अल्लाह तुम्हें तुम्हारे द्वारा किए गए पापों के कारण दंड क्यों देता है?! यदि तुम उसके प्रियजन होते, जैसा कि तुमने दावा किया है, तो वह तुम्हें इस दुनिया में हत्या और विरूपण के साथ तथा परलोक में आग के द्वारा दंड न देता; क्योंकि वह जिसे प्यार करता है उसे यातना नहीं देता है। बल्कि तुम भी अन्य सभी मनुष्यों की तरह मनुष्य हो। जो उनमें से अच्छा कर्म करेगा, वह उसे जन्नत का प्रतिफल देगा, और जो कोई भी बुराई करेगा, वह उसे (जहन्नम की) आग से दंडित करेगा। अल्लाह जिसे चाहता है, अपनी कृपा से क्षमा करता है और वह जिसे चाहता है, अपने न्याय से दंडित करता है। तथा आकाशों और धरती का राज्य और जो कुछ उनके बीच है उसका राज्य अल्लाह ही के लिए है। और अकेले उसी की ओर लौटकर जाना है।
Esegesi in lingua araba:
Alcuni insegnamenti da trarre da questi versi sono:
• تعذيب الله تعالى لكفرة بني إسرائيل بالمسخ وغيره يوجب إبطال دعواهم في كونهم أبناء الله وأحباءه.
• अल्लाह तआला का बनी इसराईल के काफ़िरों को विरूपण (रूप बिगाड़ने) आदि के द्वारा सज़ा देना, उनके इस दावे को अमान्य कर देता है कि वे अल्लाह के बेटे और उसके प्रिय हैं।

• التوكل على الله تعالى والثقة به سبب لاستنزال النصر.
• अल्लाह पर तवक्कुल और उसपर भरोसा करने के कारण विजय उतरती है।

• جاءت الآيات لتحذر من الأخلاق الرديئة التي كانت عند بني إسرائيل.
• ये आयतें बनी इसराईल के अंदर पाए जाने वाले बुरे आचरण से सावधान करती हैं।

• الخوف من الله سبب لنزول النعم على العبد، ومن أعظمها نعمة طاعته سبحانه.
• अल्लाह का भय बंदे पर नेमतों के उतरने का एक कारण है। और सबसे बड़ी नेमतों में से एक अल्लाह महिमावान के आज्ञापालन की नेमत है।

 
Traduzione dei significati Versetto: (18) Sura: Al-Mâ’idah
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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