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21 : 32

وَلَنُذِیْقَنَّهُمْ مِّنَ الْعَذَابِ الْاَدْنٰی دُوْنَ الْعَذَابِ الْاَكْبَرِ لَعَلَّهُمْ یَرْجِعُوْنَ ۟

निश्चय हम इन झुठलाने वालों और अपने पालनहार की आज्ञा की अवहेलना करने वालों को, अगर वे तौबा न करें, तो आख़िरत में उनके लिए जो सबसे बड़ी यातना तैयार की गई है, उससे पहले इस दुनिया ही में कठिनाइयों और विपत्तियों का स्वाद अवश्य चखाएँगे, ताकि वे अपने पालनहार के आज्ञापालन की ओर लौट आएँ। info
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22 : 32

وَمَنْ اَظْلَمُ مِمَّنْ ذُكِّرَ بِاٰیٰتِ رَبِّهٖ ثُمَّ اَعْرَضَ عَنْهَا ؕ— اِنَّا مِنَ الْمُجْرِمِیْنَ مُنْتَقِمُوْنَ ۟۠

और उससे बड़ा अत्याचारी कोई नहीं है, जिसे अल्लाह की आयतों के साथ उपदेश दिया गया, परंतु उसने उनसे उपदेश ग्रहण नहीं किया और उनकी परवाह किए बिना उनसे मुँह मोड़ लिया। निश्चय हम इन अपराधियों से (जो कुफ़्र और पाप करने वाले तथा अल्लाह की आयतों से मुँह फेरने वाले हैं) अनिवार्य रूप से बदला लेने वाले हैं। info
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23 : 32

وَلَقَدْ اٰتَیْنَا مُوْسَی الْكِتٰبَ فَلَا تَكُنْ فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْ لِّقَآىِٕهٖ وَجَعَلْنٰهُ هُدًی لِّبَنِیْۤ اِسْرَآءِیْلَ ۟ۚ

और हमने मूसा को तौरात प्रदान की। तो (ऐ रसूल) आप इसरा और मेराज की रात मूसा से मिलने के बारे में किसी संदेह में न रहें। और हमने मूसा पर उतारी गई पुस्तक को बनी इसराईल के लिए गुमराही से मार्गदर्शक बनाया है। info
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24 : 32

وَجَعَلْنَا مِنْهُمْ اَىِٕمَّةً یَّهْدُوْنَ بِاَمْرِنَا لَمَّا صَبَرُوْا ؕ۫— وَكَانُوْا بِاٰیٰتِنَا یُوْقِنُوْنَ ۟

और हमने इसराईल की संतान में से कुछ अग्रणी (इमाम) बनाए, जिनका लोग सत्य के मामले में अनुसरण करते थे। वे सत्य का रास्ता दिखाते थे; क्योंकि हमने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी और उसके लिए उन्हें सशक्त किया। उन्हें यह स्थान इस कारण मिला कि उन्होंने अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने, तथा अल्लाह के धर्म की ओर आमंत्रित करने के मार्ग में आने वाली तकलीफ़ पर धैर्य से काम लिया। तथा वे अपने रसूल पर उतरने वाली अल्लाह की आयतों पर दृढ़ता से विश्वास करते थे। info
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25 : 32

اِنَّ رَبَّكَ هُوَ یَفْصِلُ بَیْنَهُمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ فِیْمَا كَانُوْا فِیْهِ یَخْتَلِفُوْنَ ۟

निश्चय (ऐ रसूल) आपका पालनहार ही क़ियामत के दिन उनके बीच उस मामले में फैसला करेगा, जिसमें वे दुनिया में मतभेद किया करते थे। चुनाँचे वह स्पष्ट कर देगा कि कौन सत्यवादी है और कौन असत्यवादी और हर एक को वह बदला देगा जिसका वह हक़दार है। info
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26 : 32

اَوَلَمْ یَهْدِ لَهُمْ كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنَ الْقُرُوْنِ یَمْشُوْنَ فِیْ مَسٰكِنِهِمْ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ ؕ— اَفَلَا یَسْمَعُوْنَ ۟

क्या ये लोग अंधे हो गए हैं कि उनके लिए यह स्पष्ट नहीं हुआ कि हमने इनसे पहले कितने समुदायों को विनष्ट कर दिया?! चुनाँचे अब ये उनके रहने-सहने के उन स्थानों में चल-फिर रहें हैं, जहाँ वे अपने विनाश से पहले रहते थे।लेकिन इन्होंने उनकी स्थिति से उपदेश नहीं लिया। निश्चित रूप से, उन समुदायों को, उनके कुफ़्र और पापों के कारण जिस विनाश का सामना करना पड़ा, उसमें कई पाठ हैं, जिनसे उन नबियों के सच्चे होने का सबूत मिलता है, जो उनके पास अल्लाह की ओर से आए थे। तो क्या अल्लाह की आयतों का इनकार करने वाले ये लोग स्वीकार करने और उपदेश ग्रहण करने के उद्देश्य से नहीं सुनते?! info
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27 : 32

اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا نَسُوْقُ الْمَآءَ اِلَی الْاَرْضِ الْجُرُزِ فَنُخْرِجُ بِهٖ زَرْعًا تَاْكُلُ مِنْهُ اَنْعَامُهُمْ وَاَنْفُسُهُمْ ؕ— اَفَلَا یُبْصِرُوْنَ ۟

क्या मरणोपरांत पुनर्जीवित होने का इनकार करने वाले इन लोगों ने नहीं देखा कि हम बारिश के पानी को शुष्क भूमि में भेजते हैं, जहाँ कोई पौधा नहीं होता है। फिर हम उस पानी से फसलों को उगाते हैं, जिनसे उनके ऊँट, गाय और बकरियाँ खाती हैं और वे खुद भी उनसे खाते हैं?! तो क्या वे इन बातों को नहीं देखते और इस बात का एहसास नहीं करते कि जो हस्ती बंजर भूमि को अंकुरित कर सकती है, वह मरे हुए लोगों को भी पुनर्जीवित करने में सक्षम है?! info
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28 : 32

وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْفَتْحُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

और मरणोपरांत पुनर्जीवित होने का इनकार करने वाले यातना की जल्दी मचाते हुए कहते हैं : यह निर्णय कब होगा, जिसके बारे में तुम्हारा दावा है कि वह हमारे और तुम्हारे बीच क़ियामत के दिन फैसला कर देगा, फिर हमें आग में जाना पड़ेगा और तुम्हारा ठिकाना जन्नत होगा?! info
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29 : 32

قُلْ یَوْمَ الْفَتْحِ لَا یَنْفَعُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِیْمَانُهُمْ وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟

(ऐ रसूल) उनसे कह दें : यह वादा, क़ियामत का दिन है। वही बंदों के बीच निर्णय का दिन है, जब इस दुनिया में अल्लाह का इनकार करने वालों को, क़ियामत के दिन को अपनी आँखों से देख लेने के बाद, उनका विश्वास करना कोई लाभ नहीं देगा। और न ही उन्हें मोहलत दी जाएगी कि वे अपने पालनहार से तौबा कर लें ओर उसकी ओर लौट आएँ। info
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30 : 32

فَاَعْرِضْ عَنْهُمْ وَانْتَظِرْ اِنَّهُمْ مُّنْتَظِرُوْنَ ۟۠

तो (ऐ रसूल) आप इनके अपनी पथभ्रष्टता में बने रहने के बाद इनसे मुँह फेर लें और उनके साथ जो होता है उसकी प्रतीक्षा करें। ये लोग भी उस यातना की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसका आप उनसे वादा कर रहे हैं। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• عذاب الكافر في الدنيا وسيلة لتوبته.
• दुनिया में काफ़िर की सज़ा उसकी तौबा के लिए एक साधन है। info

• ثبوت اللقاء بين نبينا صلى الله عليه وسلم وموسى عليه السلام ليلة الإسراء والمعراج.
• इसरा और मे'राज की रात, हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और मूसा अलैहिस्सलाम के बीच मुलाक़ात का सबूत। info

• الصبر واليقين صفتا أهل الإمامة في الدين.
• सब्र और यक़ीन दीन में अगुवाई करने वालों की दो विशेषताएँ हैं। info