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32 : 52

اَمْ تَاْمُرُهُمْ اَحْلَامُهُمْ بِهٰذَاۤ اَمْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُوْنَ ۟ۚ

बल्कि, क्या उनकी बुद्धियाँ उन्हें यह कहने का आदेश देती हैं कि वह एक काहिन और एक पागल हैं?! चुनाँचे वे (आपके अंदर) ऐसी बातें जमा करते हैं, जो एक व्यक्ति के अंदर जमा नहीं हो सकतीं। बल्कि, दरअसल वे ऐसे लोग हैं जो सीमाओं को पार करने वाले हैं। इसलिए वे शरीयत या तर्क की ओर वापस नहीं आते हैं। info
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33 : 52

اَمْ یَقُوْلُوْنَ تَقَوَّلَهٗ ۚ— بَلْ لَّا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۚ

क्या वे कहते हैं कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस क़ुरआन को अपनी ओर से गढ़ लिया है और उनकी ओर उसकी वह़्य (प्रकाशना) नहीं की गई है?! आपने उसे अपनी ओर से नहीं गढ़ा। बल्कि ये क़ुरआन पर ईमान लाने से अभिमान करते हैं। इसलिए वे कहते हैं : मुहम्मद ने इसे गढ़ लिया है। info
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34 : 52

فَلْیَاْتُوْا بِحَدِیْثٍ مِّثْلِهٖۤ اِنْ كَانُوْا صٰدِقِیْنَ ۟ؕ

तो वे इस क़ुरआन जैसी एक बात ही ले आएँ, भले ही वह गढ़ी गई हो, यदि वे अपने इस दावे में सच्चे हैं कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसे अपनी ओर से गढ़ लिया है। info
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35 : 52

اَمْ خُلِقُوْا مِنْ غَیْرِ شَیْءٍ اَمْ هُمُ الْخٰلِقُوْنَ ۟ؕ

क्या वे बिना किसी पैदा करने वाले के पैदा हो गए हैं?! या वे अपने आपको ख़ुद पैदा करने वाले है?! सृष्टिकर्ता के बिना सृष्टि का अस्तित्व संभव नहीं है, तथा कोई सृष्टि कोई चीज़ पैदा नहीं कर सकती। फिर वे अपने सृष्टिकर्ता की पूजा क्यों नहीं करते?! info
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36 : 52

اَمْ خَلَقُوا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ ۚ— بَلْ لَّا یُوْقِنُوْنَ ۟ؕ

या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया है?! बल्कि उन्हें यक़ीन नहीं है कि अल्लाह ही उनका पैदा करने वाला है। क्योंकि अगर उन्हें इसका यक़ीन होता, तो वे अवश्य अल्लाह को एक मानते और उसके रसूल पर ईमान लाते। info
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37 : 52

اَمْ عِنْدَهُمْ خَزَآىِٕنُ رَبِّكَ اَمْ هُمُ الْمُصَۜیْطِرُوْنَ ۟ؕ

या क्या उनके पास आपके पालनहार की रोज़ी के खज़ाने हैं, जो वे जिसे चाहें उसे प्रदान करें, या (उनके पास) नुबुव्वत के खज़ाने हैं, जो वे जिसे चाहें प्रदान करें और जिसे चाहें उससे वंचित कर दें?! या वही सत्तावादी हैं जो अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं ?! info
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38 : 52

اَمْ لَهُمْ سُلَّمٌ یَّسْتَمِعُوْنَ فِیْهِ ۚ— فَلْیَاْتِ مُسْتَمِعُهُمْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟ؕ

क्या उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसके साथ आकाश पर चढ़कर वे उसमें अल्लाह की वह़्य (प्रकाशना) को सुनते हैं जो वह़्य करता है कि वे सत्य पर हैं?! तो उनमें से जिसने वह वह़्य सुनी है, वह कोई स्पष्ट प्रमाण लाए, जो तुम्हारी इस बात में पुष्टि करे जो तुम दावा करते हो कि तुम सत्य पर हो। info
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39 : 52

اَمْ لَهُ الْبَنٰتُ وَلَكُمُ الْبَنُوْنَ ۟ؕ

या उस पवित्र अल्लाह के लिए बेटियाँ हैं, जिन्हें तुम (अपने लिए) नापसंद करते हो, और तुम्हारे लिए बेटे हैं, जिन्हें तुम पसंद करते हो?! info
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40 : 52

اَمْ تَسْـَٔلُهُمْ اَجْرًا فَهُمْ مِّنْ مَّغْرَمٍ مُّثْقَلُوْنَ ۟ؕ

या क्या (ऐ रसूल!) आप उनसे उन्हें अपने पालनहार का संदेश पहुँचाने पर पारिश्रमिक माँगते हैं?! जिसके कारण उनपर इतना बोझ पड़ जाता है कि वे वहन नहीं कर सकते। info
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41 : 52

اَمْ عِنْدَهُمُ الْغَیْبُ فَهُمْ یَكْتُبُوْنَ ۟ؕ

या क्या उनके पास ग़ैब (परोक्ष) का ज्ञान है। इसलिए वे जिन ग़ैब की बातों से अवगत होते हैं, उन्हें लोगों के लिए लिखते हैं, फिर उनमें से जो चाहते हैं, उन्हें बताते हैं?! info
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42 : 52

اَمْ یُرِیْدُوْنَ كَیْدًا ؕ— فَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا هُمُ الْمَكِیْدُوْنَ ۟ؕ

या ये झुठलाने वाले आपके तथा आपके धर्म के साथ कोई चाल चलना चाहते हैं?! तो आप अल्लाह पर भरोसा रखें। क्योंकि जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल का इनकार किया, वही लोग चाल की चपेट में आने वाले हैं, न कि आप। info
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43 : 52

اَمْ لَهُمْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟

या उनका अल्लाह के सिवा कोई सच्चा पूज्य है?! अल्लाह उस साझी से पाक एवं पवित्र है, जिसे वे उसके साथ संबंधित करते हैं। उपर्युक्त सभी बातें कभी घटित नहीं हुईं और किसी भी स्थिति में उनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। info
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44 : 52

وَاِنْ یَّرَوْا كِسْفًا مِّنَ السَّمَآءِ سَاقِطًا یَّقُوْلُوْا سَحَابٌ مَّرْكُوْمٌ ۟

और अगर वे आसमान से कोई टुकड़ा गिरता हुआ देख लें, तो उसके बारे में कहेंगे : यह एक बादल है जो हमेशा की तरह परत पर परत है। इसलिए वे सीख ग्रहण नहीं करते और न ईमान लाते हैं। info
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45 : 52

فَذَرْهُمْ حَتّٰی یُلٰقُوْا یَوْمَهُمُ الَّذِیْ فِیْهِ یُصْعَقُوْنَ ۟ۙ

अतः (ऐ रसूल!) आप उन्हें उनके हठ और इनकार में छोड़ दें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन से जा मिलें, जिसमें उन्हें यातना दी जाएगी और वह क़ियामत का दिन है। info
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46 : 52

یَوْمَ لَا یُغْنِیْ عَنْهُمْ كَیْدُهُمْ شَیْـًٔا وَّلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟ؕ

जिस दिन उनकी चाल उन्हें थोड़ा या ज़्यादा कुछ भी फ़ायदा न देगी, और न उन्हें यातना से बचाकर उनकी मदद की जाएगी। info
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47 : 52

وَاِنَّ لِلَّذِیْنَ ظَلَمُوْا عَذَابًا دُوْنَ ذٰلِكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟

और निश्चय जिन लोगों ने शिर्क और गुनाह के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार किया, उनके लिए आख़िरत की यातना से पहले भी एक यातना है; दुनिया में क़त्ल और क़ैद की यातना और बरज़ख़ में क़ब्र की यातना। लेकिन उनमें से अधिकतर लोग यह नहीं जानते हैं। इसलिए वे अपने कुफ़्र पर जमे रहते हैं। info
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48 : 52

وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَاِنَّكَ بِاَعْیُنِنَا وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِیْنَ تَقُوْمُ ۟ۙ

और (ऐ रसूल!) आप अपने रब का निर्णय और उसका शरई आदेश आने तक सब्र करें। आप हमारी निगाहों के सामने और हमारी सुरक्षा में हैं। तथा जब आप नींद से जागें, तो अपने रब की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें। info
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49 : 52

وَمِنَ الَّیْلِ فَسَبِّحْهُ وَاِدْبَارَ النُّجُوْمِ ۟۠

और रात की कुछ घड़ियों में भी उसकी पवित्रता बयान करें और उसके लिए नमाज़ पढ़ें, तथा जब प्रातःकाल की सफ़ेदी के कारण सितारे फीके पड़कर ओझल हो जाएँ, तो फ़ज्र की नमाज़ पढ़ें। info
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អំពី​អត្ថប្រយោជន៍​នៃវាក្យខណ្ឌទាំងនេះនៅលើទំព័រនេះ:
• الطغيان سبب من أسباب الضلال.
• सरकशी, पथभ्रष्ट होने के कारणों में से एक है। info

• أهمية الجدال العقلي في إثبات حقائق الدين.
• धर्म के तथ्यों को सिद्ध करने में बौद्धिक तर्क-वितर्क (बहस) का महत्व। info

• ثبوت عذاب البَرْزَخ.
• बरज़ख की यातना का साबित होना। info