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7 : 54

خُشَّعًا اَبْصَارُهُمْ یَخْرُجُوْنَ مِنَ الْاَجْدَاثِ كَاَنَّهُمْ جَرَادٌ مُّنْتَشِرٌ ۟ۙ

उनकी निगाहें झुकी होंगी। वे क़ब्रों से निकलकर हिसाब के स्थान की ओर ऐसे भाग रहे होंगे, जैसे बिखरी हुई टिड्डियाँ हों। info
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8 : 54

مُّهْطِعِیْنَ اِلَی الدَّاعِ ؕ— یَقُوْلُ الْكٰفِرُوْنَ هٰذَا یَوْمٌ عَسِرٌ ۟

वे हिसाब के स्थान की ओर बुलाने वाले की तरफ़ तेज़ी से भाग रहे होंगे। काफ़िर लोग कहेंगे : यह बहुत कठिन दिन है; उस दिन की गंभीरता और भयावहता के कारण। info
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9 : 54

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ فَكَذَّبُوْا عَبْدَنَا وَقَالُوْا مَجْنُوْنٌ وَّازْدُجِرَ ۟

(ऐ रसूल!) आपके आह्वान को झुठलाने वाले इन लोगों से पहले नूह अलैहिस्सलाम की जाति ने भी झुठलाया। जब हमने अपने बंदे नूह अलैहिस्सलाम को उनकी ओर भेजा, तो उन्होंने उन्हें झुठला दिया और उनके बारे में कहा कि वह पागल हैं। तथा उन्हें बुरा-भला और अपशब्द कहते हुए झिड़क दिया और धमकियाँ दीं अगर वह उन्हें अल्लाह की ओर बुलाने से बाज़ नहीं आए। info
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10 : 54

فَدَعَا رَبَّهٗۤ اَنِّیْ مَغْلُوْبٌ فَانْتَصِرْ ۟

तो नूह अलैहिस्सलाम ने अपने पालनहार से प्रार्थना करते हुए कहा : मेरी जाति के लोग मुझपर हावी हो गए और मेरे आह्वान को स्वीकार नहीं किए। अतः तू उनपर सज़ा उतारकर मेरा बदला ले। info
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11 : 54

فَفَتَحْنَاۤ اَبْوَابَ السَّمَآءِ بِمَآءٍ مُّنْهَمِرٍ ۟ؗۖ

तो हमने निरंतर बरसने वाले पानी (मूसलाधार बारिश) के साथ आकाश के द्वार खोल दिए। info
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12 : 54

وَّفَجَّرْنَا الْاَرْضَ عُیُوْنًا فَالْتَقَی الْمَآءُ عَلٰۤی اَمْرٍ قَدْ قُدِرَ ۟ۚ

तथा हमने धरती को फाड़ दिया, तो वह ऐसे सोते बन गई, जिनसे पानी निकल रहा था। चुनाँचे आकाश से उतरने वाला पानी धरती से निकलने वाले पानी के साथ, अल्लाह के अनादिकाल में नियत किए हुए कार्य के लिए मिल गया, और सब को डुबो दिया, सिवाय उन लोगों के जिन्हें अल्लाह ने बचा लिया। info
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13 : 54

وَحَمَلْنٰهُ عَلٰی ذَاتِ اَلْوَاحٍ وَّدُسُرٍ ۟ۙ

और हमने नूह (अलैहिस्सलाम) को तख़्तों और कीलों वाली नाव पर सवार कर दिया और उन्हें तथा उनके साथियों को डूबने से बचा लिया। info
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14 : 54

تَجْرِیْ بِاَعْیُنِنَا جَزَآءً لِّمَنْ كَانَ كُفِرَ ۟

यह नाव हमारी दृष्टि और संरक्षण में पानी की परस्पर थपेड़े मारने वाली लहरों के बीच चल रही थी। यह नूह का बदला लेने के तौर पर था, जिन्हें उनकी जाति के लोगों ने झुठला दिया था और वह अल्लाह की ओर से उनके पास जो कुछ लाए थे, उसका इनकार कर दिया था। info
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15 : 54

وَلَقَدْ تَّرَكْنٰهَاۤ اٰیَةً فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟

और हमने इस सज़ा को, जिसके साथ हमने उन्हें दंडित किया था, एक सीख और उपदेश बनाकर छोड़ा। तो क्या है कोई उपदेश ग्रहण करने वाला, जो इससे उपदेश ग्रहण करे?! info
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16 : 54

فَكَیْفَ كَانَ عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

फिर झुठलाने वालों के लिए मेरी यातना कैसी थी?! तथा मेरी यह चेतावनी कैसी थी कि मैं उन्हें नष्ट कर दूंगा?! info
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17 : 54

وَلَقَدْ یَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟

और हमने क़ुरआन को याद रखने और उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया है, तो क्या कोई इसके पाठों और उपदेशों को ग्रहण करने वाला है?! info
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18 : 54

كَذَّبَتْ عَادٌ فَكَیْفَ كَانَ عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

आद' ने अपने नबी हूद अलैहिस्सलाम को झुठलाया। तो (ऐ मक्का वालो!) ग़ौर करो कि उनके लिए मेरी यातना कैसी थी?! और मेरा उनकी यातना से दूसरों लोगों को डराना कैसा था?! info
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19 : 54

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ رِیْحًا صَرْصَرًا فِیْ یَوْمِ نَحْسٍ مُّسْتَمِرٍّ ۟ۙ

हमने उनपर एक बुरे और अशुभ दिन में एक तेज़, ठंडी हवा भेजी, जिसकी नहूसत (दुर्भाग्य) उनके जहन्नम में जाने तक उनके साथ लगी रहेगी। info
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20 : 54

تَنْزِعُ النَّاسَ ۙ— كَاَنَّهُمْ اَعْجَازُ نَخْلٍ مُّنْقَعِرٍ ۟

जो लोगों को धरती से उखाड़ रही थी और उन्हें उनके सिर के बल ऐसे फेंक रही थी, जैसे कि वे जड़ से उखड़े हुए खजूर के तने हों। info
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21 : 54

فَكَیْفَ كَانَ عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

तो (ऐ मक्का के लोगो!) ग़ौर करो कि उनके लिए मेरी यातना कैसी थी?! और मेरा उनकी यातना से अन्य लोगों को सावधान करना कैसा था?! info
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22 : 54

وَلَقَدْ یَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟۠

और हमने क़ुरआन को याद रखने और उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया है, तो क्या कोई इसके पाठों और उपदेशों को ग्रहण करने वाला है?! info
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23 : 54

كَذَّبَتْ ثَمُوْدُ بِالنُّذُرِ ۟

समूद के लोगों ने उस चीज़ को झुठला दिया जिससे उनके रसूल सालेह अलैहिस्सलाम ने उन्हें डराया था। info
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24 : 54

فَقَالُوْۤا اَبَشَرًا مِّنَّا وَاحِدًا نَّتَّبِعُهٗۤ ۙ— اِنَّاۤ اِذًا لَّفِیْ ضَلٰلٍ وَّسُعُرٍ ۟

तो उन्होंने नकारते हुए कहा : क्या हम अपनी ही तरह के एक अकेले इनसान का अनुसरण करें?! अगर हमने इस स्थिति में उसका अनुसरण किया, तो हम सत्य से बहुत दूर हो जाएँगे और कष्ट में होंगे। info
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25 : 54

ءَاُلْقِیَ الذِّكْرُ عَلَیْهِ مِنْ بَیْنِنَا بَلْ هُوَ كَذَّابٌ اَشِرٌ ۟

क्या उसपर वह़्य उतारी गई है, जबकि वह एक है, और हम सभी के बीच इसके लिए केवल उसी को चुना गया है?! नहीं, बल्कि वह बहुत झूठा और अहंकारी है। info
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26 : 54

سَیَعْلَمُوْنَ غَدًا مَّنِ الْكَذَّابُ الْاَشِرُ ۟

वे क़ियामत के दिन जान लेंगे कि बहुत झूठा और अहंकारी कौन है, सालेह अलैहिस्सलाम या खुद वे? info
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27 : 54

اِنَّا مُرْسِلُوا النَّاقَةِ فِتْنَةً لَّهُمْ فَارْتَقِبْهُمْ وَاصْطَبِرْ ۟ؗ

हम चट्टान से ऊँटनी निकालने वाले हैं और उसे उनकी परीक्षा के लिए भेजने वाले हैं। अतः (ऐ सालेह!) आप प्रतीक्षा करें और देखें कि वे उसके साथ क्या करते हैं और उनके साथ क्या किया जाता है, तथा उनकी ओर से आने वाले कष्ट पर धैर्य रखें। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• مشروعية الدعاء على الكافر المصرّ على كفره.
• ऐसे काफ़िर पर बद्दुआ की वैधता, जो अपने कुफ़्र पर अडिग हो। info

• إهلاك المكذبين وإنجاء المؤمنين سُنَّة إلهية.
• झुठलाने वालों को विनष्ट करना तथा मोमिनों को बचाना अल्लाह का नियम है। info

• تيسير القرآن للحفظ وللتذكر والاتعاظ.
• क़ुरआन को याद करने, तथा उपदेश ग्रहण करने और नसीहत प्राप्त करने के लिए आसान बनाया गया है। info