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77 : 56

اِنَّهٗ لَقُرْاٰنٌ كَرِیْمٌ ۟ۙ

निश्चय (ऐ लोगो!) तुम्हारे सामने पढ़ा जाने वाला यह क़ुरआन, एक सम्मानित एवं प्रतिष्ठित क़ुरआन है। क्योंकि इसमें महान लाभ निहित हैं। info
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78 : 56

فِیْ كِتٰبٍ مَّكْنُوْنٍ ۟ۙ

एक ऐसी किताब में अंकित है, जो लोगों की निगाहों से सुरक्षित है। और वह 'लौहे महफ़ूज़' है। info
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79 : 56

لَّا یَمَسُّهٗۤ اِلَّا الْمُطَهَّرُوْنَ ۟ؕ

उसे केवल वे फरिशते छूते हैं, जो गुनाहों और दोषों से पवित्र किए गए हैं। info
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80 : 56

تَنْزِیْلٌ مِّنْ رَّبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟

यह सारी सृष्टि के पालनहार की ओर से उसके नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारा गया है। info
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81 : 56

اَفَبِهٰذَا الْحَدِیْثِ اَنْتُمْ مُّدْهِنُوْنَ ۟ۙ

तो फिर क्या (ऐ मुश्रिको!) तुम इस वाणी को झुठलाने वाले हो, उसकी पुष्टि करने वाले नहीं हो?! info
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82 : 56

وَتَجْعَلُوْنَ رِزْقَكُمْ اَنَّكُمْ تُكَذِّبُوْنَ ۟

और तुम अल्लाह की दी हुई नेमतों पर उसका शुक्र इस तरह अदा करते हो कि उन्हें झुठला देते हो। इसलिए बारिश का श्रेय नक्षत्र को देते हो और कहते हो : हमपर अमुक और अमुक नक्षत्र के कारण बारिश हुई?! info
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83 : 56

فَلَوْلَاۤ اِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُوْمَ ۟ۙ

फिर क्यों नहीं जब रूह (आत्मा) गले को पहुँचती है। info
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84 : 56

وَاَنْتُمْ حِیْنَىِٕذٍ تَنْظُرُوْنَ ۟ۙ

और उस समय तुम अपने सामने मरने वाले को देख रहे होते हो। info
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85 : 56

وَنَحْنُ اَقْرَبُ اِلَیْهِ مِنْكُمْ وَلٰكِنْ لَّا تُبْصِرُوْنَ ۟

और हम अपने ज्ञान और सामर्थ्य से और अपने फ़रिश्तों के माध्यम से, तुम्हारे मरने वाले के तुमसे अधिक निकट होते हैं, लेकिन तुम इन फ़रिश्तों को नहीं देखते। info
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86 : 56

فَلَوْلَاۤ اِنْ كُنْتُمْ غَیْرَ مَدِیْنِیْنَ ۟ۙ

फिर क्यों नहीं (यदि तुम, अपने दावे के अनुसार, अपने कर्मों का बदला दिए जाने के लिए उठाए जाने वाले नहीं हो) info
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87 : 56

تَرْجِعُوْنَهَاۤ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

इस आत्मा को वापस ले आते, जो तुम्हारे मरने वाले के शरीर से निकली है, यदि तुम सच्चे हो?! हालाँकि तुम ऐसा नहीं कर सकते। info
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88 : 56

فَاَمَّاۤ اِنْ كَانَ مِنَ الْمُقَرَّبِیْنَ ۟ۙ

फिर अगर वह मरने वाला व्यक्ति अच्छे कामों में पहल करने वालों में से है। info
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89 : 56

فَرَوْحٌ وَّرَیْحَانٌ ۙ۬— وَّجَنَّتُ نَعِیْمٍ ۟

तो उसके लिए ऐसा आराम जिसके बाद कोई थकान नहीं, उत्तम रोज़ी और दया है, तथा उसके लिए ऐसी जन्नत है, जिसमें वह अपनी मनचाही चीज़ों का आनंद लेगा। info
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90 : 56

وَاَمَّاۤ اِنْ كَانَ مِنْ اَصْحٰبِ الْیَمِیْنِ ۟ۙ

90-91 - और अगर वह मृतक दाहिने हाथ वालों में से है, तो उनकी चिंता न करें। क्योंकि उनके लिए सुरक्षा और शांति है। info
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91 : 56

فَسَلٰمٌ لَّكَ مِنْ اَصْحٰبِ الْیَمِیْنِ ۟

90-91 - और अगर वह मृतक दाहिने हाथ वालों में से है, तो उनकी चिंता न करें। क्योंकि उनके लिए सुरक्षा और शांति है। info
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92 : 56

وَاَمَّاۤ اِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِیْنَ الضَّآلِّیْنَ ۟ۙ

और अगर वह मृतक अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए धर्म को झुठलाने वालों और सीधे मार्ग से भटके हुए लोगों में से है। info
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93 : 56

فَنُزُلٌ مِّنْ حَمِیْمٍ ۟ۙ

तो उसका आतिथ्य जिसके साथ उसका स्वागत किया जाएगा, अत्यंत गर्म पानी है। info
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94 : 56

وَّتَصْلِیَةُ جَحِیْمٍ ۟

और उसे जहन्नम की आग में जलना है। info
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95 : 56

اِنَّ هٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْیَقِیْنِ ۟ۚ

निःसंदेह यह जो हमने (ऐ रसूल!) आपके सामने बयान किया है, यही निश्चित सत्य है, जो निर्विवाद एवं संदेह रहित है। info
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96 : 56

فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِیْمِ ۟۠

अतः आप अपने महान रब के नाम की पवित्रता का गुणगान कीजिए तथा उसे हर प्रकार के दोषों और त्रुटियों से पाक ठहराईये। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• شدة سكرات الموت وعجز الإنسان عن دفعها.
• प्राण निकलते समय की पीड़ा की गंभीरता और इनसान का उसे टालने में असमर्थ होना। info

• الأصل أن البشر لا يرون الملائكة إلا إن أراد الله لحكمة.
• मूल सिद्धांत यह है कि मनुष्य फ़रिश्तों को नहीं देखते, सिवाय इसके कि अल्लाह किसी हिकमत के तहत दिखाना चाहे। info

• أسماء الله (الأول، الآخر، الظاهر، الباطن) تقتضي تعظيم الله ومراقبته في الأعمال الظاهرة والباطنة.
• अल्लाह के नामों (अव्वल, आख़िर, ज़ाहिर तथा बातिन) की अपेक्षा यह है कि अल्लाह का सम्मान किया जाए और खुले तथा छिपे सभी कामों में उसके निरीक्षण का ध्यान रखा जाए। info