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وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - وەرگێڕاوی هیندی بۆ پوختەی تەفسیری قورئانی پیرۆز * - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان


وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: البقرة   ئایه‌تی:
مَا نَنْسَخْ مِنْ اٰیَةٍ اَوْ نُنْسِهَا نَاْتِ بِخَیْرٍ مِّنْهَاۤ اَوْ مِثْلِهَا ؕ— اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
अल्लाह तआला बयान कर रहा है कि जब वह क़ुरआन की किसी आयत के ह़ुक्म को उठा देता (समाप्त कर देता) है, या उसके शब्द को ख़त्म कर देता है और लोग उसे भूल जाते हैं, तो अल्लाह उसके स्थान पर ऐसी आयत ले आता है, जो तत्काल और भविष्य में उससे अधिक फायदेमंद होती है, अथवा उसके समान होती है, और यह सब कुछ अल्लाह के ज्ञान और उसकी ह़िकमत के मुताबिक़ होता है। और - ऐ नबी! - आप जानते हैं कि अल्लाह हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है। चुनाँचे वह जो चाहता है, करता है, और जो चाहता है, आदेश देता है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَلَمْ تَعْلَمْ اَنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟
निःसंदेह (ऐ नबी!) आप जानते हैं कि अल्लाह ही आसमानों और ज़मीन का मालिक है, वह जो चाहता है, हुक्म देता है। वह अपने बंदों को जिस चीज़ का चाहता है, आदेश देता है और जिस चीज़ से चाहता है, उन्हें मना कर देता है। तथा वह शरीयत में से जो चाहता है, स्थिर कर देता है और जो चाहता है, निरस्त कर देता है। अल्लाह के बाद, तुम्हारे मामलों को संभालने के लिए तुम्हारे पास कोई संरक्षक नहीं, और न ही तुम्हें नुकसान से बचाने के लिए कोई सहायक है। बल्कि अल्लाह ही इन सब का संरक्षक है और ऐसा करने में सक्षम है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَمْ تُرِیْدُوْنَ اَنْ تَسْـَٔلُوْا رَسُوْلَكُمْ كَمَا سُىِٕلَ مُوْسٰی مِنْ قَبْلُ ؕ— وَمَنْ یَّتَبَدَّلِ الْكُفْرَ بِالْاِیْمَانِ فَقَدْ ضَلَّ سَوَآءَ السَّبِیْلِ ۟
(ऐ ईमान वालो!) तुम्हें यह शोभा नहीं देता कि तुम अपने रसूल से - आपत्ति और ढिठाई के तौर पर - प्रश्न करो, जिस तरह कि मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोगों ने इससे पहले अपने नबी (मूसा) से किया था। जैसे कि उन्होंने कहा था : (النساء: 153) {أَرِنَا اللَّهَ جَهْرَةً} ''हमें अल्लाह को खुल्लम खुल्ला दिखा दो।'' (सूरतुन्-निसा : 153) और जो व्यक्ति ईमान के बदले कुफ़्र को अपना ले, तो निश्चय वह मध्यम मार्ग से भटक गया जो कि सीधा मार्ग है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَدَّ كَثِیْرٌ مِّنْ اَهْلِ الْكِتٰبِ لَوْ یَرُدُّوْنَكُمْ مِّنْ بَعْدِ اِیْمَانِكُمْ كُفَّارًا ۖۚ— حَسَدًا مِّنْ عِنْدِ اَنْفُسِهِمْ مِّنْ بَعْدِ مَا تَبَیَّنَ لَهُمُ الْحَقُّ ۚ— فَاعْفُوْا وَاصْفَحُوْا حَتّٰی یَاْتِیَ اللّٰهُ بِاَمْرِهٖ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟
यहूदियों और ईसाइयों में से बहुत-से लोग चाहते हैं कि तुम्हें तुम्हारे ईमान के बाद वापस काफ़िर बना दें, जैसे तुम (पहले) मूर्तियों की पूजा किया करते थे। ऐसा वे उस ईर्ष्या के कारण कर रहे हैं, जो उनके दिलों में है। यह कामना वे उसके बाद कर रहे हैं जब उनके लिए स्पष्ट हो चुका है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो कुछ लाए हैं, वह अल्लाह की ओर से सत्य है। अतः (ऐ ईमान वालो!) उनके कार्यों को क्षमा करो, और उनकी अज्ञानता और उनकी आत्मा की बुराई को नज़रअंदाज़ करो, यहाँ तक कि उनके बारे में अल्लाह का आदेश आ जाए - और अब अल्लाह का यह आदेश और निर्णय आ चुका है। इसलिए काफ़िर को इस्लाम स्वीकारने या जिज़या देने या लड़ाई करने के बीच चयन करने का विकल्प दिया जाता है - निःसंदेह अल्लाह हर चीज़ पर सर्वशक्तिमान है। इसलिए वे अल्लाह को विवश नहीं कर सकते।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ ؕ— وَمَا تُقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ مِّنْ خَیْرٍ تَجِدُوْهُ عِنْدَ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِیْرٌ ۟
नमाज़ को उसके अरकान, वाजिबात और सुन्नतों के साथ पूर्ण रूप से अदा करो, और अपने धनों की ज़कात निकालकर उसके हक़दारों को दो। तुम अपने जीवन काल में जो भी नेक काम करोगे और उसे अपनी मृत्यु से पहले अपने लिए एक कोष के रूप में आगे भेजोगे; क़ियामत के दिन तुम अपने रब के पास उसका सवाब पाओगे। वह तुम्हें उसका प्रतिफल प्रदान करेगा। निःसंदेह अल्लाह, जो कुछ तुम करते हो, उसे ख़ूब देखने वाला है। इसलिए वह हर एक को उसके काम का प्रतिफल देगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَقَالُوْا لَنْ یَّدْخُلَ الْجَنَّةَ اِلَّا مَنْ كَانَ هُوْدًا اَوْ نَصٰرٰی ؕ— تِلْكَ اَمَانِیُّهُمْ ؕ— قُلْ هَاتُوْا بُرْهَانَكُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟
यहूदियों और ईसाइयों में से हर संप्रदाय ने कहा : जन्नत उन्हीं के लिए विशिष्ट है। यहूदियों ने कहा : उसमें केवल वही प्रवेश करेगा, जो यहूदी है। तथा ईसाइयों ने कहा : उसमें केवल वही प्रवेश करेगा, जो ईसाई है। ये उनकी झूठी इच्छाएँ और उनके भ्रष्ट भ्रम हैं। (ऐ नबी!) आप उनका खंडन करते हुए कह दीजिए : तुम जो कुछ दावा करते हो उसपर अपना तर्क प्रस्तुत करो, यदि वास्तव में तुम अपने दावे में सच्चे हो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
بَلٰی ۗ— مَنْ اَسْلَمَ وَجْهَهٗ لِلّٰهِ وَهُوَ مُحْسِنٌ فَلَهٗۤ اَجْرُهٗ عِنْدَ رَبِّهٖ ۪— وَلَا خَوْفٌ عَلَیْهِمْ وَلَا هُمْ یَحْزَنُوْنَ ۟۠
केवल वही व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेगा, जो निष्ठा के साथ अपने आप को अल्लाह के अधीन कर दे, तथा वह - अपनी निष्ठा के साथ-साथ - रसूल के लाए हुए तरीक़े का अनुसरण करके अच्छी तरह से इबादत करने वाला है। चुनाँचे ऐसा ही व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेगा, चाहे वह किसी भी संप्रदाय से हो। तथा उसके लिए उसका बदला उसके पालनहार के पास है। आख़िरत में उन्हें न कोई भय होगा और न ही वे दुनिया में न मिलने वाली वस्तुओं पर दुखी होंगे। ज्ञात हो कि ये ऐसी विशेषताएँ हैं, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आने के बाद, केवल मोमिनों ही में पाई जा सकती हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• أن الأمر كله لله، فيبدل ما يشاء من أحكامه وشرائعه، ويبقي ما يشاء منها، وكل ذلك بعلمه وحكمته.
• सारा मामला अल्लाह के हाथ में हैं। अतः वह अपने नियमों और विधानों में से जिसे चाहता है, बदल देता और उनमें से जिसे चाहता है, बाक़ी रखता है, तथा यह सब उसके ज्ञान और हिकमत के अनुसार होता है।

• حَسَدُ كثيرٍ من أهل الكتاب هذه الأمة، لما خصَّها الله من الإيمان واتباع الرسول، حتى تمنوا رجوعها إلى الكفر كما كانت.
• बहुत-से अह्ले किताब का इस उम्मत से ईर्ष्या करना; क्योंकि अल्लाह ने उसे ईमान और रसूल के अनुसरण के साथ विशिष्ट किया है, यहाँ तक कि उन्होंने उनके फिर से कुफ़्र की ओर लौटने की कामना कर डाली।

 
وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: البقرة
پێڕستی سوره‌ته‌كان ژمارەی پەڕە
 
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