وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان


وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: سورەتی الشوری   ئایه‌تی:

सूरा अश़्-शूरा

لە مەبەستەکانی سورەتەکە:
بيان كمال تشريع الله، ووجوب متابعته، والتحذير من مخالفته.
अल्लाह के विधान की पूर्णता और उसका पालन करने की अनिवार्यता का वर्णन, तथा उसका उल्लंघन करने पर चेतावनी।

حٰمٓ ۟ۚ
1-2 - {हा, मीम। ऐन, सीन, क़ाफ़।} सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
عٓسٓقٓ ۟
1-2 - {हा, मीम। ऐन, सीन, क़ाफ़।} सूरतुल-बक़रा की शुरुआत में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
كَذٰلِكَ یُوْحِیْۤ اِلَیْكَ وَاِلَی الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِكَ ۙ— اللّٰهُ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟
इसी वह़्य की तरह, ऐ मुहम्मद! आपकी ओर और आपसे पहले के नबियों की ओर, वह अल्लाह वह़्य करता है, जो अपने दुश्मनों से बदला लेने में बड़ा शक्तिशाली और अपने प्रबंधन और रचना में हिकमत वाला है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— وَهُوَ الْعَلِیُّ الْعَظِیْمُ ۟
जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, उन सब का रचयिता, स्वामी और प्रबंध करने वाला अकेला अल्लाह है। वह अपने अस्तित्व, महिमा और प्रभुत्व के साथ सर्वोच्च और अपने अस्तित्व में महान है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
تَكَادُ السَّمٰوٰتُ یَتَفَطَّرْنَ مِنْ فَوْقِهِنَّ وَالْمَلٰٓىِٕكَةُ یُسَبِّحُوْنَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَیَسْتَغْفِرُوْنَ لِمَنْ فِی الْاَرْضِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ اللّٰهَ هُوَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمُ ۟
अल्लाह की महानता के कारण निकट है कि आकाश अपनी विशालता और ऊँचाई के बावजूद धरती के ऊपर से फट पड़ें। तथा फ़रिश्ते अपने पालनहार की पवित्रता का वर्णन करते हैं और विनम्रता एवं सम्मान में उसकी प्रशंसा करते हुए, उसकी महिमा का गान करते हैं। तथा वे अल्लाह से धरती वालों के लिए क्षमा याचना करते हैं। सुन लो, निश्चय अल्लाह ही अपने तौबा करने वाले बंदों के पापों को क्षमा करने वाला, उनपर दया करने वाला है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالَّذِیْنَ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ اللّٰهُ حَفِیْظٌ عَلَیْهِمْ ۖؗ— وَمَاۤ اَنْتَ عَلَیْهِمْ بِوَكِیْلٍ ۟
जिन लोगों ने अल्लाह के अलावा मूर्तियों को अपना संरक्षक बना लिया है, जिनकी वे अल्लाह को छोड़कर पूजा करते हैं, अल्लाह उनपर निगरानी रखे हुए है; उनके कार्यों को रिकॉर्ड कर रहा है और उन्हें उनका बदला देगा। आपको (ऐ रसूल!) उनके कार्यों को संरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। इसलिए आपसे उनके कार्यों के बारे में हरगिज़ नहीं पूछा जाएगा। आपका काम तो केवल पहुँचा देना है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَكَذٰلِكَ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ قُرْاٰنًا عَرَبِیًّا لِّتُنْذِرَ اُمَّ الْقُرٰی وَمَنْ حَوْلَهَا وَتُنْذِرَ یَوْمَ الْجَمْعِ لَا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— فَرِیْقٌ فِی الْجَنَّةِ وَفَرِیْقٌ فِی السَّعِیْرِ ۟
जिस तरह हमने (ऐ रसूल!) आपसे पहले के नबियों की ओर वह़्य की थी, उसी तरह आपकी ओर अरबी भाषा में क़ुरआन की वह़्य की है, ताकि आप मक्का तथा उसके आस-पास के लोगों को, फिर सभी लोगों को सावधान करें और लोगों को क़ियामत के दिन से डराएँ, जिस दिन अल्लाह अगले-पिछले सभी लोगों को एक ही स्थान पर हिसाब तथा बदले के लिए इकट्ठा करेगा, उस दिन के आने के बारे में कोई संदेह नहीं है। उस दिन लोग दो समूहों में विभाजित होंगे : एक समूह जन्नत में जाएगा, जो कि ईमान वाले होंगे और एक समूह जहन्नम में जाएगा, जो कि काफ़िर लोग होंगे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلَوْ شَآءَ اللّٰهُ لَجَعَلَهُمْ اُمَّةً وَّاحِدَةً وَّلٰكِنْ یُّدْخِلُ مَنْ یَّشَآءُ فِیْ رَحْمَتِهٖ ؕ— وَالظّٰلِمُوْنَ مَا لَهُمْ مِّنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟
अगर अल्लाह उन्हें इस्लाम धर्म पर चलने वाला एक ही समुदाय बनाना चाहता, तो उन्हें इस्लाम पर क़ायम रहने वाला एक ही समुदाय बना देता और उन सभी को जन्नत में दाख़िल कर देता। लेकिन उसकी हिकमत की अपेक्षा यह हुई कि वह जिसे चाहे इस्लाम में प्रवेश दे और जन्नत में दाख़िल करे। जो लोग कुफ़्र और पाप के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वाले हैं, उनका कोई संरक्षक न होगा, जो उनकी रक्षा कर सके और न कोई मददगार होगा, जो उन्हें अल्लाह की यातना से बचा सके।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَمِ اتَّخَذُوْا مِنْ دُوْنِهٖۤ اَوْلِیَآءَ ۚ— فَاللّٰهُ هُوَ الْوَلِیُّ وَهُوَ یُحْیِ الْمَوْتٰی ؗ— وَهُوَ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟۠
बल्कि इन मुश्रिकों ने अल्लाह के अलावा (दूसरे) संरक्षक बना लिए हैं, जिनसे वे दोस्ती रखते हैं। हालाँकि अल्लाह ही सच्चा संरक्षक है। क्योंकि उसके सिवा कोई और लाभ या हानि नहीं पहुँचा सकता है। वही मृतकों को पुनर्जीवित करके हिसाब और बदले के लिए उठाएगा। उस महिमावान को कोई चीज़ विवश नहीं कर सकती।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا اخْتَلَفْتُمْ فِیْهِ مِنْ شَیْءٍ فَحُكْمُهٗۤ اِلَی اللّٰهِ ؕ— ذٰلِكُمُ اللّٰهُ رَبِّیْ عَلَیْهِ تَوَكَّلْتُ ۖۗ— وَاِلَیْهِ اُنِیْبُ ۟
तुम (ऐ लोगो!) अपने धर्म के मूल सिद्धांतों या उसकी शाखाओं में से जिस चीज़ के बारे में भी मतभेद करो, उसका निर्णय अल्लाह की ओर है। चुनाँचे उसके बारे में अल्लाह की किताब या उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत की ओर लौटा जाएगा। यह जो इन गुणों से विशिष्ट है, वही मेरा पालनहार है, उसी पर मैंने अपने सभी मामलों में भरोसा किया है और उसी की ओर मैं तौबा के साथ लौटता हूँ।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• عظمة الله ظاهرة في كل شيء.
• अल्लाह की महानता हर चीज में स्पष्ट है।

• دعاء الملائكة لأهل الإيمان بالخير.
• फ़रिश्ते ईमान वालों के लिए भलाई की दुआ करते हैं।

• القرآن والسُنَّة مرجعان للمؤمنين في شؤونهم كلها، وبخاصة عند الاختلاف.
• क़ुरआन और सुन्नत मोमिनों के लिए उनके सभी मामलों में दो संदर्भ हैं, खासकर जब कोई मतभेद पैदा हो जाए।

• الاقتصار على إنذار أهل مكة ومن حولها؛ لأنهم مقصودون بالرد عليهم لإنكارهم رسالته صلى الله عليه وسلم وهو رسول للناس كافة كما قال تعالى: ﴿وَمَآ أَرسَلنُّكَ إلَّا كافةً لِّلنَّاس...﴾، (سبأ: 28).
• मक्का और उसके आस-पास के लोगों के लिए चेतावनी को इसलिए सीमित किया गया है; क्योंकि यहाँ उद्देश्य उन्हीं को जवाब देना है। क्योंकि उन्होंने ही आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के रसूल (संदेशवाहक) होने का इनकार किया था। हालाँकि आप समस्त लोगों के लिए रसलू बनाकर भेजे गए हैं, जैसा कि अल्लाह तआला ने फरमाया : {...وَمَآ أَرسَلنُّكَ إلَّا كافةً لِّلنَّاس} "हमने आपको समस्त लोगों के लिए रसूल बनाकर भेजा है।" (सूरत सबा : 28).

فَاطِرُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— جَعَلَ لَكُمْ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ اَزْوَاجًا وَّمِنَ الْاَنْعَامِ اَزْوَاجًا ۚ— یَذْرَؤُكُمْ فِیْهِ ؕ— لَیْسَ كَمِثْلِهٖ شَیْءٌ ۚ— وَهُوَ السَّمِیْعُ الْبَصِیْرُ ۟
अल्लाह ही आकाशों तथा धरती का बिना किसी पूर्व उदाहरण के रचयिता है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी अपनी सहजाति से जोड़े बनाए, और तुम्हारे लिए ऊँट, गाय और बकरी के भी जोड़े बनाए। ताकि तुम्हारे लिए उनका प्रजनन होता रहे। उसने तुम्हारे लिए जो जोड़े बनाए हैं उनके मिलाप से वह तुम्हें पैदा करता (तुम्हारी नस्ल बढ़ाता) है, तथा उसने तुम्हारे लिए जो चौपाए बनाए हैं उनके मांस और दूध से तुम्हारे जीवन यापन का प्रबंध करता है। उसकी मख़्लूक़ात में से कोई भी उसके समान नहीं है। तथा वह अपने बंदों की बातों को सुनने वाला, उनके कामों को देखने वाला है। इनमें से कोई चीज़ उससे नहीं छूटती है। और वह उन्हें उनके कर्मों का बदला देगा; यदि अच्छा है तो अच्छा बदला और यदि बुरा है तो बुरा बदला।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
لَهٗ مَقَالِیْدُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ۚ— یَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ یَّشَآءُ وَیَقْدِرُ ؕ— اِنَّهٗ بِكُلِّ شَیْءٍ عَلِیْمٌ ۟
आकाशों तथा धरती के ख़ज़ानों की कुंजियाँ केवल उसी के पास हैं। वह अपने बंदों में से जिसके लिए चाहता है, उसकी आजीविका को विस्तृत कर देता है; उसके परीक्षण के लिए कि वह आभार व्यक्त करता है या अकृतज्ञ हो जाता है? और जिसकी चाहता है, आजीविका तंग कर देता है; उसे आज़माने के लिए कि वह धैर्य रखता है या अल्लाह की नियति पर क्रोध प्रकट करता है? निःसंदेह वह हर चीज़ का जानने वाला है। उससे अपने बंदों के हितों की कोई चीज़ छिपी नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
شَرَعَ لَكُمْ مِّنَ الدِّیْنِ مَا وَصّٰی بِهٖ نُوْحًا وَّالَّذِیْۤ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ وَمَا وَصَّیْنَا بِهٖۤ اِبْرٰهِیْمَ وَمُوْسٰی وَعِیْسٰۤی اَنْ اَقِیْمُوا الدِّیْنَ وَلَا تَتَفَرَّقُوْا فِیْهِ ؕ— كَبُرَ عَلَی الْمُشْرِكِیْنَ مَا تَدْعُوْهُمْ اِلَیْهِ ؕ— اَللّٰهُ یَجْتَبِیْۤ اِلَیْهِ مَنْ یَّشَآءُ وَیَهْدِیْۤ اِلَیْهِ مَنْ یُّنِیْبُ ۟ؕ
उसने तुम्हारे लिए उसी तरह का धर्म निर्धारित किया है, जिसका प्रचार करने और जिसपर चलने का आदेश हमने नूह को दिया था, और जिसकी वह़्य हमने (ऐ रसूल!) आपकी ओर की है। तथा तुम्हारे लिए उसी तरह का धर्म निर्धारित किया है, जिसका प्रचार करने और जिसपर चलने का आदेश हमने इबराहीम, मूसा और ईसा को दिया था। उसका सार यह है कि : तुम (इस) धर्म को क़ायम करो और उसके विषय में अलग-अलग समूहों में बँटना छोड़ दो। आप बहुदेववादियों को जिस एकेश्वरवाद तथा अल्लाह के अलावा की इबादत को छोड़ने की ओर बुला रहे हैं, वह उनपर बहुत भारी और कठिन है। अल्लाह अपने बंदों में से जिसे चाहता है, चुन लेता है और उसे अपनी उपासना और आज्ञाकारिता का सामर्थ्य प्रदान करता है। तथा अल्लाह उनमें से उसी का अपनी ओर मार्गदर्शन करता है, जो अपने गुनाहों से तौबा करके उसकी ओर लौटता है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا تَفَرَّقُوْۤا اِلَّا مِنْ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْیًا بَیْنَهُمْ ؕ— وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَّبِّكَ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی لَّقُضِیَ بَیْنَهُمْ ؕ— وَاِنَّ الَّذِیْنَ اُوْرِثُوا الْكِتٰبَ مِنْ بَعْدِهِمْ لَفِیْ شَكٍّ مِّنْهُ مُرِیْبٍ ۟
काफ़िरों और मुश्रिकों ने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईशदूतत्व के द्वारा अपने ऊपर तर्क स्थापित होने के पश्चात ही विभेद किया। और उनका यह विभेद भी केवल सरकशी और अत्याचार के कारण था। अगर अल्लाह के ज्ञान में यह बात पहले से न होती कि वह अपने ज्ञान में निर्दिष्ट एक अवधि यानी क़ियामत के दिन तक उनसे यातना को विलंबित रखेगा, तो अल्लाह अवश्य उनके बीच निर्णय कर देता और उनके अल्लाह का इनकार करने तथा उसके रसूलों को झुठलाने के कारण, उन्हें इसी दुनिया में यातना देता। इन बहुदेववादियों के बाद तथा अपने पूर्वजों के बाद जो यहूदी तौरात के और जो ईसाई इंजील के वारिस हुए, वे इस क़ुरआन के बारे में, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं, संदेह में पड़े हुए हैं और उसे झुठला रहे हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَلِذٰلِكَ فَادْعُ ۚ— وَاسْتَقِمْ كَمَاۤ اُمِرْتَ ۚ— وَلَا تَتَّبِعْ اَهْوَآءَهُمْ ۚ— وَقُلْ اٰمَنْتُ بِمَاۤ اَنْزَلَ اللّٰهُ مِنْ كِتٰبٍ ۚ— وَاُمِرْتُ لِاَعْدِلَ بَیْنَكُمْ ؕ— اَللّٰهُ رَبُّنَا وَرَبُّكُمْ ؕ— لَنَاۤ اَعْمَالُنَا وَلَكُمْ اَعْمَالُكُمْ ؕ— لَا حُجَّةَ بَیْنَنَا وَبَیْنَكُمْ ؕ— اَللّٰهُ یَجْمَعُ بَیْنَنَا ۚ— وَاِلَیْهِ الْمَصِیْرُ ۟ؕ
आप इसी सीधे धर्म की ओर बुलाते रहें और अल्लाह के आदेश के अनुसार उस पर जमे रहें, तथा उनकी झूठी इच्छाओं का पालन न करें। उनके साथ बहस करते समय कह दें : मैं अल्लाह पर तथा उन सभी पुस्तकों पर ईमान लाया, जो अल्लाह ने अपने रसूलों पर उतारी हैं। अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं तुम्हारे बीच न्याय के साथ निर्णय करूँ। अल्लाह ही, जिसकी मैं उपासना करता हूँ, हमारा और तुम सब का पालनहार है। हमारे लिए हमारे कर्म हैं, अच्छे हों या बुरे और तुम्हारे लिए तुम्हारे कर्म हैं, अच्छे हों या बुरे। तर्क स्पष्ट हो जाने और सीधा मार्ग प्रकट होने के बाद हमारे और आपके बीच कोई झगड़ा नहीं है। अल्लाह हम सभी लोगों को एकत्र करेगा और क़ियामत के दिन उसी की ओर लौटकर जाना है। फिर वह हम में से हर एक को वह प्रतिफल देगा, जिसका वह हक़दार है। उस समय यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा, तथा कौन सत्य पर चलने वाला है और कौन असत्य पर।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• دين الأنبياء في أصوله دين واحد.
• मूल सिद्धांतों में सभी नबियों का धर्म एक ही है।

• أهمية وحدة الكلمة، وخطر الاختلاف فيها.
• एकता का महत्व और विभेद का खतरा।

• من مقومات نجاح الدعوة إلى الله: صحة المبدأ، والاستقامة عليه، والبعد عن اتباع الأهواء، والعدل، والتركيز على المشترك، وترك الجدال العقيم، والتذكير بالمصير المشترك.
• अल्लाह की ओर बुलाने के कार्य की सफलता के कुछ आवश्यक तत्व ये हैं : सिद्धांत की परिशुद्धता, उसपर मज़बूती से क़ायम रहना, इच्छाओं का अनुसरण करने से दूर रहना, न्याय, समान हित पर ध्यान केंद्रित करना, निरर्थक बहस को त्याग कर देना और समान गंतव्य की याददिहानी।

وَالَّذِیْنَ یُحَآجُّوْنَ فِی اللّٰهِ مِنْ بَعْدِ مَا اسْتُجِیْبَ لَهٗ حُجَّتُهُمْ دَاحِضَةٌ عِنْدَ رَبِّهِمْ وَعَلَیْهِمْ غَضَبٌ وَّلَهُمْ عَذَابٌ شَدِیْدٌ ۟
और जो लोग मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाले इस धर्म के बारे में झूठे तर्कों के साथ बहस करते हैं जबकि लोगों ने उसे स्वीकार कर लिया है, इन बहस करने वालों का तर्क उनके पालनहार के निकट और मोमिनों के निकट व्यर्थ है, उसका कोई प्रभाव नहीं है। तथा उनके कुफ़्र करने और सत्य का इनकार करने के कारण, उनपर अल्लाह का क्रोध है। और उनके लिए कठोर यातना है, जो क़ियामत के दिन उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَللّٰهُ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ وَالْمِیْزَانَ ؕ— وَمَا یُدْرِیْكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ قَرِیْبٌ ۟
अल्लाह ही है, जिसने सत्य के साथ क़ुरआन उतारा है, जिसमें कोई संदेह नहीं है। और न्याय उतारा है, ताकि लोगों के बीच इनसाफ़ के साथ निर्णय करे। संभव है कि वह क़ियामत, जिसे ये लोग झुठला रहे हैं, निकट ही हो। और यह सर्वज्ञात है कि हर आने वाली चीज़ निकट ही होती है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
یَسْتَعْجِلُ بِهَا الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِهَا ۚ— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا مُشْفِقُوْنَ مِنْهَا ۙ— وَیَعْلَمُوْنَ اَنَّهَا الْحَقُّ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ الَّذِیْنَ یُمَارُوْنَ فِی السَّاعَةِ لَفِیْ ضَلٰلٍۢ بَعِیْدٍ ۟
जो लोग क़ियामत के दिन पर विश्वास नहीं रखते, वे लोग उसकी जल्दी मचाते हैं। क्योंकि वे हिसाब, इनाम और सज़ा पर यक़ीन नहीं रखते। किंतु जो लोग अल्लाह पर ईमान रखते हैं, वे उससे भयभीत रहते हैं; क्योंकि वे उसमें अपने परिणाम से डरते हैं। तथा वे निश्चित रूप से जानते हैं कि वह ऐसा सत्य है जिसमें कोई संदेह नहीं। सुन लो, निश्चय जो लोग क़ियामत के बारे में बहस और झगड़ा करते हैं, तथा उसके आने के बारे में संदेह पैदा करते हैं, वे सच्चाई से बहुत दूर हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَللّٰهُ لَطِیْفٌ بِعِبَادِهٖ یَرْزُقُ مَنْ یَّشَآءُ ۚ— وَهُوَ الْقَوِیُّ الْعَزِیْزُ ۟۠
अल्लाह अपने बंदों के प्रति दयालु है। वह जिसे चाहता है रोज़ी देता है, चुनाँचे उसकी रोज़ी में विस्तार कर देता है, तथा वह जिसके लिए चाहता है, अपनी हिकमत और दया की अपेक्षाओं के अनुसार, उसकी रोज़ी को तंग कर देता है। वह ऐसा शक्तिशाली है जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता, ऐसा प्रभुत्वशाली है जो अपने दुश्मनों से बदला लेता है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
مَنْ كَانَ یُرِیْدُ حَرْثَ الْاٰخِرَةِ نَزِدْ لَهٗ فِیْ حَرْثِهٖ ۚ— وَمَنْ كَانَ یُرِیْدُ حَرْثَ الدُّنْیَا نُؤْتِهٖ مِنْهَا ۙ— وَمَا لَهٗ فِی الْاٰخِرَةِ مِنْ نَّصِیْبٍ ۟
जो कोई आख़िरत का प्रतिफल चाहता है और उसके लिए उसका कार्य करता है, हम उसके लिए उसके प्रतिफल को कई गुना बढ़ा देते हैं, क्योंकि नेकी का बदला दस गुना से सात सौ गुना तक, बल्कि उससे भी अधिक गुना तक मिलता है। तथा जो केवल दुनिया चाहता है, हम उसे दुनिया में उसका नियत भाग प्रदान कर देते हैं और उसके दुनिया को (आख़िरत पर) तरजीह देने के कारण उसके लिए आख़िरत में कोई भाग नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَمْ لَهُمْ شُرَكٰٓؤُا شَرَعُوْا لَهُمْ مِّنَ الدِّیْنِ مَا لَمْ یَاْذَنْ بِهِ اللّٰهُ ؕ— وَلَوْلَا كَلِمَةُ الْفَصْلِ لَقُضِیَ بَیْنَهُمْ ؕ— وَاِنَّ الظّٰلِمِیْنَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
क्या इन मुश्रिकों के अल्लाह के अलावा कुछ अन्य पूज्य हैं, जिन्होंने उनके लिए धर्म के ऐसे प्रावधान निर्धारित किए हैं, जिन्हें निर्धारित करने की अनुमति अल्लाह ने उन्हें नहीं दी है, जैसे अल्लाह का साझी बनाना, उसकी हलाल की हुई चीज़ को हराम करना और उसकी हराम की हुई चीज़ को हलाल कर लेना? अगर अल्लाह ने इन विभेद करने वालों के बीच निर्णय के लिए एक निश्चित समय निर्धारित न कर दिया होता और यह कि उस समय तक उनके मामले को विलंबित कर देगा, तो अवश्य उनके बीच निर्णय कर दिया जता। निःसंदेह अल्लाह के साथ शिर्क और गुनाहों के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वालों के लिए दर्दनाक यातना है, जो क़ियामत के दिन उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
تَرَی الظّٰلِمِیْنَ مُشْفِقِیْنَ مِمَّا كَسَبُوْا وَهُوَ وَاقِعٌ بِهِمْ ؕ— وَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ فِیْ رَوْضٰتِ الْجَنّٰتِ ۚ— لَهُمْ مَّا یَشَآءُوْنَ عِنْدَ رَبِّهِمْ ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَضْلُ الْكَبِیْرُ ۟
(ऐ रसूल!) आप शिर्क और अवज्ञाओं के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को देखेंगे कि वे अपने किए हुए पाप के कारण, सज़ा से डर रहे होंगे, हालाँकि वह सज़ा उनपर अवश्य आकर रहेगी। अतः तौबा किए बिना मात्र डर अनुभव करना, उन्हें कोई लाभ नहीं देगा। परंतु जो लोग अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, उनका हाल इनके विपरीत होगा; चुनाँचे वे जन्नतों के बागों में आनंद ले रहे होंगे। उनके लिए उनके पालनहार के पास कभी न समाप्त होने वाली अनेक प्रकार की वो नेमतें होंगी, जिनकी वे इच्छा करेंगे। यही वह महान अनुग्रह है, जिसकी बराबरी कोई (अन्य) अनुग्रह नहीं कर सकता।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• خوف المؤمن من أهوال يوم القيامة يعين على الاستعداد لها.
• क़ियामत की भयावहता से मोमिन का भय, उसके लिए तैयारी करने में मदद करता है।

• لطف الله بعباده حيث يوسع الرزق على من يكون خيرًا له، ويضيّق على من يكون التضييق خيرًا له.
• अल्लाह की अपने बंदों पर दया कि वह उस व्यक्ति की रोज़ी को विस्तृत कर देता है, जिसके हक़ में रोज़ी का विस्तार अच्छा होता है, तथा उस व्यक्ति की रोज़ी तंग कर देता है, जिसके हक़ में रोज़ी तंग करना अच्छा होता है।

• خطر إيثار الدنيا على الآخرة.
• दुनिया को आख़िरत पर तरजीह देने का खतरा।

ذٰلِكَ الَّذِیْ یُبَشِّرُ اللّٰهُ عِبَادَهُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ؕ— قُلْ لَّاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ اَجْرًا اِلَّا الْمَوَدَّةَ فِی الْقُرْبٰی ؕ— وَمَنْ یَّقْتَرِفْ حَسَنَةً نَّزِدْ لَهٗ فِیْهَا حُسْنًا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ شَكُوْرٌ ۟
यही वह बड़ी शुभ सूचना है, जो अल्लाह अपने रसूल के हाथों उन लोगों को देता है, जो अल्लाह तथा उसके रसूलों पर ईमान लाए और अच्छे कर्म किए। (ऐ रसूल!) आप कह दें : मैं सत्य पहुँचाने पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता, सिवाय एक बदले के, जिसका लाभ भी तुम्हें ही होगा, वह यह कि तुम अपने बीच मेरी रिश्तेदारी के कारण मुझसे मोहब्बत करो। जो भी नेकी कमाएगा, हम उसे उसका बदला बढ़ाकर देंगे; एक नेकी उसके दस गुना कर दी जाती है। निश्चय अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों के पापों को क्षमा करने वाला और उनके उन अच्छे कार्यों का गुण-ग्राहक है जो वे अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए करते हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَمْ یَقُوْلُوْنَ افْتَرٰی عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا ۚ— فَاِنْ یَّشَاِ اللّٰهُ یَخْتِمْ عَلٰی قَلْبِكَ ؕ— وَیَمْحُ اللّٰهُ الْبَاطِلَ وَیُحِقُّ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ ؕ— اِنَّهٗ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟
मुश्रिकों का यह दावा था कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस क़ुरआन को अपनी ओर से बनाकर अल्लाह के साथ संबद्ध कर दिया है। इसलिए अल्लाह उनका खंडन करते हुए कहता है : यदि आपके दिल में झूठ गढ़ने का ख़याल भी आया होता, तो मैं आपके दिल पर मुहर लगा देता और गढ़े हुए झूठ को मिटाकर सत्य को संरक्षित कर देता। जब इस तरह की कोई बात नहीं हुई, तो इससे पता चला कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी इस बात में सच्चे हैं कि यह क़ुरआन आप पर आपके पालनहार की ओर से वह़्य के माध्यम से अवतिरत हुआ है। निश्चय वह अपने बंदों के दिलों की बातों को ख़ूब जानने वाला है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَهُوَ الَّذِیْ یَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَیَعْفُوْا عَنِ السَّیِّاٰتِ وَیَعْلَمُ مَا تَفْعَلُوْنَ ۟ۙ
वही अल्लाह है, जो अपने बंदों की कुफ़्र और गुनाहों से तौबा को क़बूल करता है, यदि वे उसके सामने तौबा करते हैं और उनके किए हुए दुष्कर्मों को क्षमा कर देता है। तथा तुम जो कुछ भी करते हो, वह उसे जानता है। तुम्हारे कार्यों में से कुछ भी उससे छिपा नहीं है और वह तुम्हें उनका बदला देगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَیَسْتَجِیْبُ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَیَزِیْدُهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖ ؕ— وَالْكٰفِرُوْنَ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِیْدٌ ۟
और वह उन लोगों की दुआ क़बूल करता है, जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए और सत्कर्म किए। और अपने अनुग्रह से उन्हें वे सारी चीज़ें भी प्रदान करता है, जो उन्होंने नहीं माँगी थीं। जबकि अल्लाह और उसके रसूलों का इनकार करने वालों के लिए कठोर यातना है, जो क़ियामत के दिन उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلَوْ بَسَطَ اللّٰهُ الرِّزْقَ لِعِبَادِهٖ لَبَغَوْا فِی الْاَرْضِ وَلٰكِنْ یُّنَزِّلُ بِقَدَرٍ مَّا یَشَآءُ ؕ— اِنَّهٗ بِعِبَادِهٖ خَبِیْرٌ بَصِیْرٌ ۟
यदि अल्लाह अपने सभी बंदों की आजीविका में विस्तार कर देता, तो वे धरती में अत्याचार और सरकशी करने लगते। लेकिन अल्लाह जिस मात्रा में चाहता है, विस्तृत या संकीर्ण रोज़ी उतारता है। निःसंदेह वह अपने बंदों की परिस्थितियों की खबर रखने वाला और उन्हें अच्छी तरह देखने वाला है। अतः वह हिकमत के अनुसार देता और हिकमत ही के अनुसार रोकता भी है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَهُوَ الَّذِیْ یُنَزِّلُ الْغَیْثَ مِنْ بَعْدِ مَا قَنَطُوْا وَیَنْشُرُ رَحْمَتَهٗ ؕ— وَهُوَ الْوَلِیُّ الْحَمِیْدُ ۟
और वही है, जो अपने बंदों पर बारिश का पानी उतारता है, जबकि वे उसके उतरने से निराश हो चुके होते हैं। तथा इस बारिश को फैला देता है, तो धरती अंकुरित हो जाती है। वही अपने बंदों के मामलों का प्रभारी, हर हाल में स्तुत्य है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمِنْ اٰیٰتِهٖ خَلْقُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ وَمَا بَثَّ فِیْهِمَا مِنْ دَآبَّةٍ ؕ— وَهُوَ عَلٰی جَمْعِهِمْ اِذَا یَشَآءُ قَدِیْرٌ ۟۠
अल्लाह की शक्ति और एकता (एकेश्वरवाद) को दर्शाने वाली निशानियों में से आकाशों और धरती का पैदा करना, तथा वे विचित्र प्राणी हैं, जो उसने उन दोनों में फैला रखे हैं। तथा वह जब चाहे, उन्हें हश्र (महा-प्रलय) और बदले के लिए इकट्ठा करने में सक्षम है। ऐसा करना उसे विवश नहीं कर सकता, जिस तरह कि उन्हें पहली बार पैदा करना उसे विवश नहीं किया।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَاۤ اَصَابَكُمْ مِّنْ مُّصِیْبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ اَیْدِیْكُمْ وَیَعْفُوْا عَنْ كَثِیْرٍ ۟ؕ
तथा (ऐ लोगो!) तुम्हें तुम्हारी जानों या तुम्हारे धनों में जो भी विपत्ति पहुँचती है, वह तुम्हारे हाथों के कमाए हुए गुनाहों के कारण (पहुँचती) है। हालाँकि अल्लाह उनमें से बहुत-से गुनाह माफ़ कर देता है। इसलिए उनपर तुम्हारी पकड़ नहीं करता।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَاۤ اَنْتُمْ بِمُعْجِزِیْنَ فِی الْاَرْضِ ۖۚ— وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا نَصِیْرٍ ۟
यदि अल्लाह तुम्हें दंडित करना चाहे, तो तुम भागकर अपने पालनहार से बचने में सक्षम नहीं हो सकते। तथा अल्लाह के सिवा तुम्हारा कोई संरक्षक नहीं है, जो तुम्हारे कामों का प्रभार ले सके और न ही कोई सहायक है, जो तुमसे यातना को टाल सके, अगर वह तुम्हें यातना देना चाहे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• الداعي إلى الله لا يبتغي الأجر عند الناس.
• अल्लाह की ओर बुलाने वाला, लोगों से प्रतिफल नहीं माँगता।

• التوسيع في الرزق والتضييق فيه خاضع لحكمة إلهية قد تخفى على كثير من الناس.
• आजीविका में विस्तार और संकीर्णता अल्लाह की हिकमत के अधीन है, जो बहुत-से लोगों के लिए रहस्य हो सकता है।

• الذنوب والمعاصي من أسباب المصائب.
• पाप और अवज्ञा विपत्तियों के कारणों में से हैं।

وَمِنْ اٰیٰتِهِ الْجَوَارِ فِی الْبَحْرِ كَالْاَعْلَامِ ۟ؕ
अल्लाह की शक्ति और एकता (एकेश्वरवाद) को दर्शाने वाली निशानियों में से समुद्र में चलने वाली कश्तियाँ (जहाज़) भी हैं, जो अपनी ऊँचाई में पहाड़ों की तरह हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنْ یَّشَاْ یُسْكِنِ الرِّیْحَ فَیَظْلَلْنَ رَوَاكِدَ عَلٰی ظَهْرِهٖ ؕ— اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ۟ۙ
अगर अल्लाह उन कश्तियों को चलाने वाली हवाओं को रोकना चाहे, तो उन्हें रोक दे। फिर वे कश्तियाँ समुद्र में स्थिर रहें,अपनी जगह से हिल न सकें। निःसंदेह उपर्युक्त कश्तियों के निर्माण और हवाओं के नियंत्रित करने में अल्लाह की शक्ति की स्पष्ट निशानियाँ हैं, हर ऐसे व्यक्ति के लिए, जो परीक्षण और विपत्तियों पर बड़ा धैर्य रखने वाला, अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करने वाला है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَوْ یُوْبِقْهُنَّ بِمَا كَسَبُوْا وَیَعْفُ عَنْ كَثِیْرٍ ۟ۙ
या अगर अल्लाह सर्वशक्तिमान उन कश्तियों (जहाजों) को उन पर तूफ़ानी हवा भेजकर नष्ट करना चाहे, तो उन्हें लोगों के किए हुए गुनाहों के कारण विनष्ट कर दे। जबकि अल्लाह अपने बंदों के बहुत-से गुनाहों को माफ़ कर देता है। इसलिए उन्हें उनपर सज़ा नहीं देता है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَّیَعْلَمَ الَّذِیْنَ یُجَادِلُوْنَ فِیْۤ اٰیٰتِنَا ؕ— مَا لَهُمْ مِّنْ مَّحِیْصٍ ۟
ताकि तूफ़ानी हवा भेजकर उन कश्तियों को विनष्ट करते समय, वे लोग जो अल्लाह की आयतों के बारे में उन्हें असत्य साबित करने के लिए झगड़ते हैं, इस बात को जान लें कि उनके पास विनाश से बचने का कोई उपाय नहीं है। अतः वे केवल अल्लाह को पुकारें और उसके अलावा को छोड़ दें।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَمَاۤ اُوْتِیْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَمَتَاعُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ۚ— وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ خَیْرٌ وَّاَبْقٰی لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَلٰی رَبِّهِمْ یَتَوَكَّلُوْنَ ۟ۚ
तुम्हें (ऐ लोगो!) जो भी धन, या पद, या संतान आदि दिया गया है, वह सांसारिक जीवन की सुख-सामग्री है, जो अस्थायी एवं समाप्त होने वाली है। हमेशा रहने वाली नेमत तो जन्नत की नेमत है, जिसे अल्लाह ने उन लोगों के लिए तैयार किया है, जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए, तथा वे अपने सभी मामलों में केवल अपने पालनहार ही पर भरोसा रखते हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالَّذِیْنَ یَجْتَنِبُوْنَ كَبٰٓىِٕرَ الْاِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ وَاِذَا مَا غَضِبُوْا هُمْ یَغْفِرُوْنَ ۟ۚ
जो लोग बड़े-बड़े पापों और घृणित कामों से दूर रहते हैं, और जब वे किसी ऐसे व्यक्ति पर क्रोधित होते हैं, जिसने उन्हें अपने वचन या कर्म से ठेस पहुँचाई है, तो वे उसकी ग़लती को क्षमा कर देते हैं और उसे उसपर दंडित नहीं करते हैं। यह क्षमादान उनकी ओर से कृपा के तौर पर होता है, जब उसमें कोई भलाई और हित हो।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالَّذِیْنَ اسْتَجَابُوْا لِرَبِّهِمْ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ ۪— وَاَمْرُهُمْ شُوْرٰی بَیْنَهُمْ ۪— وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟ۚ
और जिन लोगों ने अपने रब की बात मानी; उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई चीज़ों को छोड़कर, और संपूर्ण तरीके से नमाज़ अदा की, तथा जो लोग अपने संबंधित मामलों में आपस में परामर्श करते हैं, और हमने जो कुछ उन्हें प्रदान किया है, उसमें से अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए खर्च करते हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالَّذِیْنَ اِذَاۤ اَصَابَهُمُ الْبَغْیُ هُمْ یَنْتَصِرُوْنَ ۟
और वे लोग कि जब उनपर अत्याचार होता है, तो आत्म-सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए बदला लेते हैं, यदि अत्याचार करने वाला व्यक्ति क्षमा के योग्य नहीं है। और यह बदला लेना उचित है, खासकर अगर क्षमा करने में कोई हित नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَجَزٰٓؤُا سَیِّئَةٍ سَیِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۚ— فَمَنْ عَفَا وَاَصْلَحَ فَاَجْرُهٗ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الظّٰلِمِیْنَ ۟
जो व्यक्ति अपना हक़ (बदला) लेना चाहे, उसे इसका अधिकार है। लेकिन वह ज़्यादती के बराबर ही होना चाहिए, उससे अधिक नहीं। तथा जो व्यक्ति बुरा व्यवहार करने वाले को क्षमा कर दे औैर उसके दुर्व्यवहार पर उसकी पकड़ न करे तथा अपने और अपने भाई के बीच सुधार कर ले, तो उसका प्रतिफल अल्लाह के पास है। निश्चय वह अत्याचार करने वालों को पसंद नहीं करता, जो लोगों पर उनकी जान, या उनके धन, या उनके सम्मान (सतीत्व) के मामले में अत्याचार करते हैं। बल्कि वह उनसे घृणा करता है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلَمَنِ انْتَصَرَ بَعْدَ ظُلْمِهٖ فَاُولٰٓىِٕكَ مَا عَلَیْهِمْ مِّنْ سَبِیْلٍ ۟ؕ
जो व्यक्ति अपने ऊपर होने वाले अत्याचार का बदला लेता है, तो ऐसे लोगों पर अपना हक़ लेने के लिए कोई दोष नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّمَا السَّبِیْلُ عَلَی الَّذِیْنَ یَظْلِمُوْنَ النَّاسَ وَیَبْغُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟
बल्कि पकड़ और सज़ा के पात्र वे लोग हैं, जो लोगों पर अत्याचार करते हैं और धरती पर पाप करते हैं। ऐसे लोगों के लिए आख़िरत में दर्दनाक यातना है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَلَمَنْ صَبَرَ وَغَفَرَ اِنَّ ذٰلِكَ لَمِنْ عَزْمِ الْاُمُوْرِ ۟۠
जो व्यक्ति किसी के द्वारा कष्ट दिए जाने पर धैर्य से काम लेता है और उसे माफ़ कर देता है, तो निश्चय वह धैर्य उसके लिए और समाज के लिए अच्छा होता है; और वह एक सराहनीय कार्य है। इसका सौभाग्य केवल उसी को प्राप्त होता है, जो महान भाग्य वाला है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ وَّلِیٍّ مِّنْ بَعْدِهٖ ؕ— وَتَرَی الظّٰلِمِیْنَ لَمَّا رَاَوُا الْعَذَابَ یَقُوْلُوْنَ هَلْ اِلٰی مَرَدٍّ مِّنْ سَبِیْلٍ ۟ۚ
अल्लाह जिसे मार्गदर्शन करने से हाथ खींच ले और उसे सत्य मार्ग से पथभ्रष्ट कर दे, तो उसके बाद उसके मामले को संभालने के लिए उसका कोई संरक्षक नहीं है। तथा तुम कुफ़्र और अवज्ञाओं के द्वारा अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को देखोगे कि जब वे क़ियामत के दिन यातना को अपनी आँखों से देख लेंगे, तो कामना करते हुए कहेंगे : क्या दुनिया में वापसी का कोई रास्ता है कि हम अल्लाह के सामने तौबा कर सकें?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• الصبر والشكر سببان للتوفيق للاعتبار بآيات الله.
• धैर्य और धन्यवाद (सब्र एवं शुक्र), अल्लाह की निशानियों से शिक्षा ग्रहण करने की तौफ़ीक़ के दो कारण हैं।

• مكانة الشورى في الإسلام عظيمة.
• इस्लाम में शूरा (परस्पर परामर्श) का स्थान बहुत महान है।

• جواز مؤاخذة الظالم بمثل ظلمه، والعفو خير من ذلك.
• ज़ालिम को उसके ज़ुल्म के समान सज़ा देना जायज़ है, परंतु क्षमा कर देना उससे बेहतर है।

وَتَرٰىهُمْ یُعْرَضُوْنَ عَلَیْهَا خٰشِعِیْنَ مِنَ الذُّلِّ یَنْظُرُوْنَ مِنْ طَرْفٍ خَفِیٍّ ؕ— وَقَالَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنَّ الْخٰسِرِیْنَ الَّذِیْنَ خَسِرُوْۤا اَنْفُسَهُمْ وَاَهْلِیْهِمْ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ ؕ— اَلَاۤ اِنَّ الظّٰلِمِیْنَ فِیْ عَذَابٍ مُّقِیْمٍ ۟
(ऐ रसूल!) आप इन अत्याचारियों को देखेंगे कि जब वे जहन्नम के सामने इस दशा में लाए जाएँगे कि वे अपमानित और तिरस्कृत होंगे, तो वे जहन्नम से अपने डर की तीव्रता से लोगों को चुपके से देखेंगे। उस समय अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान रखने वाले कहेंगे : वास्तव में घाटा उठाने वाले वही लोग हैं, जिन्होंने क़ियामत के दिन, अल्लाह की यातना का सामना करने के कारण, अपने आपको और अपने परिवार को घाटे में डाल दिया। सुन लो, कुफ़्र एवं अवज्ञाओं के द्वारा अपने ऊपर ज़ुल्म करने वाले लोग स्थायी यातना में होंगे, जो कभी समाप्त न होगी।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا كَانَ لَهُمْ مِّنْ اَوْلِیَآءَ یَنْصُرُوْنَهُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— وَمَنْ یُّضْلِلِ اللّٰهُ فَمَا لَهٗ مِنْ سَبِیْلٍ ۟ؕ
और उनके लिए संरक्षक भी नहीं होंगे, जो क़ियामत के दिन उन्हें अल्लाह की यातना से बचाने के लिए उनकी मदद कर सकें। तथा जिसे अल्लाह सत्य से हटाकर गुमराह कर दे, तो फिर उसके पास सच्चाई की ओर मार्गदर्शन करने के लिए हरगिज़ कोई रास्ता नहीं है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِسْتَجِیْبُوْا لِرَبِّكُمْ مِّنْ قَبْلِ اَنْ یَّاْتِیَ یَوْمٌ لَّا مَرَدَّ لَهٗ مِنَ اللّٰهِ ؕ— مَا لَكُمْ مِّنْ مَّلْجَاٍ یَّوْمَىِٕذٍ وَّمَا لَكُمْ مِّنْ نَّكِیْرٍ ۟
(ऐ लोगो!) अपने पालनहार की बात मान लो, इस प्रकार कि उसके आदेशों क पालन करने और उसके निषेधों से बचने में जल्दी करो और टालमटोल को छोड़ दो, इससे पहले कि क़ियामत का दिन आ जाए, जिसके आ जाने पर उसे कोई टाल नहीं सकता। उस दिन तुम्हारे पास कोई शरण स्थल न होगा, जहाँ तुम शरण ले सको और तुम दुनिया में अपने किए हुए गुनाहों का इनकार भी नहीं कर सकोगे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَاِنْ اَعْرَضُوْا فَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ عَلَیْهِمْ حَفِیْظًا ؕ— اِنْ عَلَیْكَ اِلَّا الْبَلٰغُ ؕ— وَاِنَّاۤ اِذَاۤ اَذَقْنَا الْاِنْسَانَ مِنَّا رَحْمَةً فَرِحَ بِهَا ۚ— وَاِنْ تُصِبْهُمْ سَیِّئَةٌ بِمَا قَدَّمَتْ اَیْدِیْهِمْ فَاِنَّ الْاِنْسَانَ كَفُوْرٌ ۟
फिर यदि वे आपके दिए हुए आदेशों से मुँह फेर लें, तो हमने (ऐ रसूल!) आपको उनके ऊपर संरक्षक बनाकर नहीं भेजा है कि आप उनके कार्यों को संरक्षित करें। आपका कर्तव्य तो केवल उस चीज़ को पहुँचा देना है, जिसे पहुँचाने का आपको आदेश दिया गया है और उनका हिसाब अल्लाह के हवाले है। जब हम इनसान को अपनी ओर से समृद्धि और स्वास्थ्य आदि के रूप में दया का स्वाद चखाते हैं, तो वह खुशी से झूम उठता है। लेकिन अगर लोगों को उनके गुनाहों के कारण किसी विपत्ति का सामना होता है, तो उनका स्वभाव अल्लाह की नेमतों की कृतघ्नता तथा उनके प्रति आभार न व्यक्त करना और अल्लाह ने अपनी हिकमत के तहत जो कुछ नियत किया है उसपर असंतोष प्रकट करना होता है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
لِلّٰهِ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— یَخْلُقُ مَا یَشَآءُ ؕ— یَهَبُ لِمَنْ یَّشَآءُ اِنَاثًا وَّیَهَبُ لِمَنْ یَّشَآءُ الذُّكُوْرَ ۟ۙ
49-50 - आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है। वह जो चाहे, पुरुष या महिला या इसके अलावा, पैदा करता है। वह जिसे चाहता है बेटियाँ देता है और बेटों से वंचित रखता है। तथा जिसे चाहता है बेटे देता है और बेटियों से वंचित रखता है। या जिसे चाहता है, बेटे और बेटियाँ दोनों एक साथ देता है। तथा जिसे चाहता है बाँझ बना देता है कि उसकी कोई संतान नहीं होती। निश्चय ही वह जानता है जो कुछ हो चुका और जो कुछ भविष्य में होगा। यह उसके पूर्ण ज्ञान और पूर्ण हिकमत का पता देता है। उससे कुछ भी छिपा नहीं है और न ही वह किसी चीज़ में असमर्थ है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اَوْ یُزَوِّجُهُمْ ذُكْرَانًا وَّاِنَاثًا ۚ— وَیَجْعَلُ مَنْ یَّشَآءُ عَقِیْمًا ؕ— اِنَّهٗ عَلِیْمٌ قَدِیْرٌ ۟
49-50 - आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है। वह जो चाहे, पुरुष या महिला या इसके अलावा, पैदा करता है। वह जिसे चाहता है बेटियाँ देता है और बेटों से वंचित कर देता है। तथा वह जिसे चाहता है बेटे देता है और बेटियों से वंचित कर देता है। या जिसे वह चाहता है बेटे और बेटियाँ दोनों एक साथ देता है। तथा जिसे वह चाहता है बाँझ बना देता है कि उसकी कोई संतान नहीं होती। निश्चय ही वह जानता है जो कुछ हो चुका और जो कुछ भविष्य में होगा। यह उसके ज्ञान की पूर्णता और उसकी हिकमत की पूर्णता से है। उससे कुछ भी छिपा नहीं है और न ही कोई चीज़ उसे अक्षम कर सकती है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا كَانَ لِبَشَرٍ اَنْ یُّكَلِّمَهُ اللّٰهُ اِلَّا وَحْیًا اَوْ مِنْ وَّرَآئِ حِجَابٍ اَوْ یُرْسِلَ رَسُوْلًا فَیُوْحِیَ بِاِذْنِهٖ مَا یَشَآءُ ؕ— اِنَّهٗ عَلِیٌّ حَكِیْمٌ ۟
किसी इनसान के लिए उचित नहीं है कि अल्लाह उससे बात करे, सिवाय इसके कि वह़्य द्वारा उसके दिल में कोई बात डाल दे, या उससे ऐसे बात करे कि वह अल्लाह की बात तो सुनता हो लेकिन उसे देखता न हो, या उसकी ओर दूत के रूप में किसी फ़रिश्ते को भेजे, जैसे जिबरील अलैहिस्सलाम, और वह अल्लाह की अनुमति से मानव दूत (रसूल) की ओर उस चीज़ की वह़्य करे, जो अल्लाह उसकी ओर वह़्य करना चाहता है। निःसंदेह वह महिमावान (अल्लाह) अपने अस्तित्व एवं गुणों में सर्वोच्च, तथा अपनी रचना, नियति और शरीयत में हिकमत वाला है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• وجوب المسارعة إلى امتثال أوامر الله واجتناب نواهيه.
• अल्लाह के आदेशों का पालन करने और उसके निषेधों से बचने में जल्दी करना ज़रूरी है।

• مهمة الرسول البلاغ، والنتائج بيد الله.
• रसूल का कार्य पहुँचा देना है और परिणाम अल्लाह के हाथ में है।

• هبة الذكور أو الإناث أو جمعهما معًا هو على مقتضى علم الله بما يصلح لعباده، ليس فيها مزية للذكور دون الإناث.
• बेटे या बेटियाँ या दोनों एक साथ देना, अल्लाह के इस बात के ज्ञान की अपेक्षा के अनुसार है कि उसके बंदों के लिए क्या अच्छा है। इसमें बेटों के लिए बेटियों के मुक़ाबले में कोई विशिष्टता नहीं है।

• يوحي الله تعالى إلى أنبيائه بطرق شتى؛ لِحِكَمٍ يعلمها سبحانه.
• अल्लाह सर्वशक्तिमान अपने नबियों की ओर विभिन्न तरीक़ों से वह़्य करता है, जिसकी हिकमतों को अल्लाह ही जानता है।

وَكَذٰلِكَ اَوْحَیْنَاۤ اِلَیْكَ رُوْحًا مِّنْ اَمْرِنَا ؕ— مَا كُنْتَ تَدْرِیْ مَا الْكِتٰبُ وَلَا الْاِیْمَانُ وَلٰكِنْ جَعَلْنٰهُ نُوْرًا نَّهْدِیْ بِهٖ مَنْ نَّشَآءُ مِنْ عِبَادِنَا ؕ— وَاِنَّكَ لَتَهْدِیْۤ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟ۙ
जिस तरह हमने (ऐ रसूल!) आपसे पहले के नबियों की ओर वह़्य की थी, उसी तरह हमने आपकी ओर अपने पास से एक क़ुरआन की वह़्य की है। आप उससे पहले नहीं जानते थे कि रसूलों पर उतरने वाली आसमानी किताबें क्या हैं और न आप यह जानते थे कि ईमान क्या है? लेकिन हमने इस क़ुरआन को एक प्रकाश बनाकर उतारा है, जिसके द्वारा हम अपने बंदों में से जिसे चाहते हैं, मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। निश्चय ही आप लोगों को एक सीधा मार्ग दिखाते हैं जो कि इस्लाम धर्म है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
صِرَاطِ اللّٰهِ الَّذِیْ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ ؕ— اَلَاۤ اِلَی اللّٰهِ تَصِیْرُ الْاُمُوْرُ ۟۠
उस अल्लाह का मार्ग कि जो कुछ आकाशों में हैं और जो कुछ धरती पर है, रचना, स्वामित्व और प्रबंधन में उसी का है। अनिवार्य रूप से, सभी मामले अपनी नियति और प्रबंधन में अकेले अल्लाह की ओर लौटते हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• سمي الوحي روحًا لأهمية الوحي في هداية الناس، فهو بمنزلة الروح للجسد.
• लोगों का मार्गदर्शन करने में वह़्य के महत्व के कारण वह़्य को 'रूह़' (आत्मा) कहा गया है। क्योंकि यह शरीर के लिए आत्मा के समान स्थिति में है।

• الهداية المسندة إلى الرسول صلى الله عليه وسلم هي هداية الإرشاد لا هداية التوفيق.
• रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सौंपा गया मार्गदर्शन (हिदायत) केवल सत्यमार्ग को दर्शाना है, सत्यमार्ग को ग्रहण करने का सामर्थ्य (तौफीक़) प्रदान करना नहीं है।

• ما عند المشركين من توحيد الربوبية لا ينفعهم يوم القيامة.
• मुश्रिकों के पास जो रुबूबियत का तौहीद (यानी अल्लाह को एकमात्र पालनहार स्वीकारने की मान्यता) है, वह क़ियामत के दिन उन्हें लाभ नहीं देगा।

 
وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: سورەتی الشوری
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وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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