وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان


وه‌رگێڕانی ماناكان ئایه‌تی: (43) سوره‌تی: سورەتی المائدة
وَكَیْفَ یُحَكِّمُوْنَكَ وَعِنْدَهُمُ التَّوْرٰىةُ فِیْهَا حُكْمُ اللّٰهِ ثُمَّ یَتَوَلَّوْنَ مِنْ بَعْدِ ذٰلِكَ ؕ— وَمَاۤ اُولٰٓىِٕكَ بِالْمُؤْمِنِیْنَ ۟۠
इन लोगों का मामला निश्चय आश्चर्यजनक है। वे आपपर विश्वास नहीं रखते हैं, फिर भी अपने मामले का फ़ैसला कराने के लिए आपके पास इस आशा में आते हैं कि आपका फ़ैसला उनकी इच्छाओं के अनुसार हो जाए। जबकि उनके पास तौरात है, जिसपर वे ईमान रखने का दावा करते हैं, जिसमें अल्लाह का आदेश (फ़ैसला) मौजूद है। फिर वे आपके फ़ैसले से मुँह मोड़ लेते हैं, यदि वह उनकी इच्छाओं से मेल नहीं खाता है। इस तरह उन्होंने अपनी किताब में मौजूद हुक्म का इनकार किया है और आपके फ़ैसले से मुँह फेरा है। इनका यह व्यवहार ईमान वालों का व्यवहार नहीं है। इसलिए वे आपपर और आपकी लाई हुई शरीयत पर ईमान रखने वाले नहीं हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
سوودەکانی ئایەتەکان لەم پەڕەیەدا:
• تعداد بعض صفات اليهود، مثل الكذب وأكل الربا ومحبة التحاكم لغير الشرع؛ لبيان ضلالهم وللتحذير منها.
• यहूदियों की कुछ विशेषताओं को गिनवाना, जैसे झूठ बोलना, सूदखोरी करना और अल्लाह की शरीयत के अलावा से फ़ैसला कराने को पसंद करना; ताकि उनकी गुमराही को स्पष्ट किया जाए और उनसे सावधान किया जाए।

• بيان شرعة القصاص العادل في الأنفس والجراحات، وهي أمر فرضه الله تعالى على من قبلنا.
• प्राणों तथा घावों के संबंध में न्यायपूर्ण क़िसास (बदले) के क़ानून का वर्णन, जिसे अल्लाह तआला ने हमसे पहले के लोगों पर फ़र्ज़ किया था।

• الحث على فضيلة العفو عن القصاص، وبيان أجرها العظيم المتمثّل في تكفير الذنوب.
• क़िसास को क्षमा कर देने के गुण के लिए प्रोत्साहित करना, और उसके महान प्रतिफल का बयान, जो कि पापों का प्रायश्चित है।

• الترهيب من الحكم بغير ما أنزل الله في شأن القصاص وغيره.
• 'क़िसास' तथा अन्य मामलों में अल्लाह की उतारी हुए शरीयत के अलावा के साथ फ़ैसला करने से सावधान करना।

 
وه‌رگێڕانی ماناكان ئایه‌تی: (43) سوره‌تی: سورەتی المائدة
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الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

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