وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - وەرگێڕاوی هیندی * - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان

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وه‌رگێڕانی ماناكان ئایه‌تی: (11) سوره‌تی: سورەتی الحجرات
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا یَسْخَرْ قَوْمٌ مِّنْ قَوْمٍ عَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنُوْا خَیْرًا مِّنْهُمْ وَلَا نِسَآءٌ مِّنْ نِّسَآءٍ عَسٰۤی اَنْ یَّكُنَّ خَیْرًا مِّنْهُنَّ ۚ— وَلَا تَلْمِزُوْۤا اَنْفُسَكُمْ وَلَا تَنَابَزُوْا بِالْاَلْقَابِ ؕ— بِئْسَ الِاسْمُ الْفُسُوْقُ بَعْدَ الْاِیْمَانِ ۚ— وَمَنْ لَّمْ یَتُبْ فَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ۟
ऐ लोगो जो ईमान लाए हो![6] एक जाति दूसरी जाति का उपहास न करे, हो सकता है कि वे उनसे बेहतर हों। और न कोई स्त्रियाँ अन्य स्त्रियों की हँसी उड़ाएँ, हो सकता है कि वे उनसे अच्छी हों। और न अपनों पर दोष लगाओ, और न एक-दूसरे को बुरे नामों से पुकारो। ईमान के बाद अवज्ञाकारी होना बुरा नाम है। और जिसने तौबा न की, तो वही लोग अत्याचारी हैं।
6. आयत 11 तथा 12 में उन सामाजिक बुराइयों से रोका गया है जो भाईचारे को खंडित करती हैं। जैसे किसी मुसलमान पर व्यंग करना, उसकी हँसी उड़ाना, उसे बुरे नाम से पुकारना, उसके बारे में बुरा गुमान रखना, किसी के भेद की खोज करना आदि। इसी प्रकार ग़ीबत करना, जिसका अर्थ यह है कि किसी की अनुपस्थिति में उसकी निंदा की जाए। ये वे सामाजिक बुराइयाँ हैं जिनसे क़ुरआन तथा ह़दीसों में रोका गया है। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने ह़ज्जतुल-वदाअ के भाषण में फरमाया : मुसलमानो! तुम्हारे प्राण, तुम्हारे धन तथा तुम्हारी मर्यादा एक दूसरे के लिए उसी प्रकार आदरणीय हैं, जिस प्रकार यह महीना तथा यह दिन आदरणीय है। (सह़ीह़ बुख़ारी : 1741, सह़ीह़ मुस्लिम : 1679) दूसरी ह़दीस में है कि एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है। वह न उसपर अत्याचार करे और न किसी को अत्याचार करने दे। और न उसे नीच समझे। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने सीने की ओर संकेत करके कहा : अल्लाह का डर यहाँ होता है। (सह़ीह़ मुस्लिम : 2564)
تەفسیرە عەرەبیەکان:
 
وه‌رگێڕانی ماناكان ئایه‌تی: (11) سوره‌تی: سورەتی الحجرات
پێڕستی سوره‌ته‌كان ژمارەی پەڕە
 
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وەرگێڕاوی ماناکانی قورئانی پیرۆز بۆ زمانی هیندی، وەرگێڕان: عزيز الحق العمري.

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