وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - وەرگێڕاوی هیندی * - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان

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وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: سورەتی البروج   ئایه‌تی:

सूरा अल्-बुरूज

وَالسَّمَآءِ ذَاتِ الْبُرُوْجِ ۟ۙ
क़सम है बुर्जों वाले आकाश की!
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَالْیَوْمِ الْمَوْعُوْدِ ۟ۙ
और क़सम है उस दिन की, जिसका वादा किया गया है!
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَشَاهِدٍ وَّمَشْهُوْدٍ ۟ؕ
क़सम है गवाह की और उसकी, जिसके बारे में गवाही दी जाएगी!
تەفسیرە عەرەبیەکان:
قُتِلَ اَصْحٰبُ الْاُخْدُوْدِ ۟ۙ
खाई वालों का नाश हो गया![1]
1. (1-4) इनमें तीन चीज़ों की शपथ ली गई है। (1) बुर्जों वाले आकाश की। (2) प्रलय की, जिसका वचन दिया गया है। (3) प्रलय के भयावह दृश्य की और उस पूरी सृष्टि की जो उसे देखेगी। प्रथम शपथ इस बात की गवाही दे रही है कि जो शक्ति इस आकाश के ग्रहों पर राज कर रही है उसकी पकड़ से यह तुच्छ इनसान बच कर कहाँ जा सकता है? दूसरी शपथ इस बात पर है कि संसार में इनसान जो अत्याचार करना चाहे कर ले, परंतु वह दिन अवश्य आना है जिससे उसे सावधान किया जा रहा है, जिसमें सबके साथ न्याय किया जाएगा, और अत्याचारियों की पकड़ की जाएगी। तीसरी शपथ इस पर है कि जैसे इन अत्याचारियों ने विवश आस्तिकों के जलने का दृश्य देखा, इसी प्रकार प्रलय के दिन पूरी मानवजाति देखेगी कि उनकी क्या दुर्गत है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
النَّارِ ذَاتِ الْوَقُوْدِ ۟ۙ
जिसमें ईंधन से भरी आग थी।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِذْ هُمْ عَلَیْهَا قُعُوْدٌ ۟ۙ
जबकि वे उस (के किनारों) पर बैठे हुए थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَّهُمْ عَلٰی مَا یَفْعَلُوْنَ بِالْمُؤْمِنِیْنَ شُهُوْدٌ ۟ؕ
और वे ईमान वालों के साथ जो कुछ कर रहे थे, उस पर गवाह थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَمَا نَقَمُوْا مِنْهُمْ اِلَّاۤ اَنْ یُّؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ الْعَزِیْزِ الْحَمِیْدِ ۟ۙ
और उन्हें ईमान वालों की केवल यह बात बुरी लगी कि वे उस अल्लाह पर ईमान रखते थे, जो प्रभुत्वशाली और हर प्रकार की प्रशंसा के योग्य है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
الَّذِیْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ شَهِیْدٌ ۟ؕ
वह (अल्लाह) कि जिसके लिए आकाशों और धरती का राज्य है, और अल्लाह हर चीज़ से अवगत है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّ الَّذِیْنَ فَتَنُوا الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ ثُمَّ لَمْ یَتُوْبُوْا فَلَهُمْ عَذَابُ جَهَنَّمَ وَلَهُمْ عَذَابُ الْحَرِیْقِ ۟ؕ
निश्चय जिन लोगों ने ईमान वाले पुरुषों और ईमान वाली स्त्रियों को परीक्षण में डाला (सताया), फिर तौबा न की, तो उनके लिए जहन्नम की यातना है तथा उनके लिए जलाने वाली यातना है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ جَنّٰتٌ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْكَبِیْرُ ۟ؕ
निःसंदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे काम किए, उनके लिए ऐसे बाग़ हैं, जिनके नीचे नहरें बह रही हैं और यही बहुत बड़ी सफलता है।[2]
2. (5-11) इन आयतों में जो आस्तिक सताए गए, उनके लिए सहायता का वादा तथा यदि वे अपने विश्वास (ईमान) पर स्थित रहे, तो उनके लिए स्वर्ग की शुभ सूचना और अत्याचारियों के लिए नरक की धमकी है जिन्होंने उनको सताया और फिर अल्लाह से क्षमा याचना आदि करके सत्य को नहीं माना।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّ بَطْشَ رَبِّكَ لَشَدِیْدٌ ۟ؕ
निःसंदेह तेरे पालनहार की पकड़ बड़ी सख्त है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
اِنَّهٗ هُوَ یُبْدِئُ وَیُعِیْدُ ۟ۚ
निःसंदेह वही पहली बार पैदा करता है और (वही) दूसरी बार पैदा करेगा।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَهُوَ الْغَفُوْرُ الْوَدُوْدُ ۟ۙ
और वह है जो अत्यंत क्षमा करने वाला, बहुत प्रेम करने वाला है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
ذُو الْعَرْشِ الْمَجِیْدُ ۟ۙ
वह अर्श (सिंहासन) का मालिक, बड़ा गौरवशाली है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فَعَّالٌ لِّمَا یُرِیْدُ ۟ؕ
वह जो चाहता है, कर गुज़रने वाला है।[3]
3. (12-16) इन आयतों में बताया गया है कि अल्लाह की पकड़ के साथ ही जो क्षमा याचना करके उसपर ईमान लाए, उसके लिए क्षमा और दया का द्वार खुला हुआ है। क़ुरआन ने इस कुविचार का खंडन किया है कि अल्लाह, पापों को क्षमा नहीं कर सकता। क्योंकि इससे संसार पापों से भर जाएगा और कोई स्वार्थी पाप करके क्षमा याचना कर लेगा, फिर पाप करेगा। यह कुविचार उस समय सह़ीह़ हो सकता है जब अल्लाह को एक इनसान मान लिया जाए, जो यह न जानता हो कि जो व्यक्ति क्षमा माँग रहा है उसके मन में क्या है? अल्लाह तो मर्मज्ञ है, वह जानता है कि किसके मन में क्या है? फिर "तौबा" इसका नाम नहीं कि मुख से इस शब्द को बोल दिया जाए। तौबा (पश्चाताप) मन से पाप न करने के संकल्प का नाम है और अल्लाह तआला जानता है कि किसके मन में क्या है?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
هَلْ اَتٰىكَ حَدِیْثُ الْجُنُوْدِ ۟ۙ
(ऐ नबी!) क्या तुम्हें सेनाओं की ख़बर पहुँची है?
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فِرْعَوْنَ وَثَمُوْدَ ۟ؕ
फ़िरऔन तथा समूद की?[4]
4. (17-18) इनमें अतीत की कुछ अत्याचारी जातियों की ओर संकेत है, जिनका सविस्तार वर्णन क़ुरआन की अनेक सूरतों में आया है। जिन्होंने आस्तिकों पर अत्याचार किए, जैसे मक्का के क़ुरैश मुसलमानों पर कर रहे थे। जबकि उनको पता था कि पिछली जातियों के साथ क्या हुआ। परंतु वे अपने परिणाम से ग़ाफ़िल थे।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
بَلِ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فِیْ تَكْذِیْبٍ ۟ۙ
बल्कि वे लोग जिन्होंने कुफ़्र किया, झुठलाने में लगे हुए हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
وَّاللّٰهُ مِنْ وَّرَآىِٕهِمْ مُّحِیْطٌ ۟ۚ
और अल्लाह उनके पीछे से (उन्हें) घेरे हुए है।[5]
5. (19-20) इन दो आयतों में उनके दुर्भाग्य को बताया जा रहा है जो अपने प्रभुत्व के गर्व में क़ुरआन को नहीं मानते। जबकि उसे माने बिना कोई उपाय नहीं, और वे अल्लाह के अधिकार के भीतर ही हैं।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
بَلْ هُوَ قُرْاٰنٌ مَّجِیْدٌ ۟ۙ
बल्कि वह गौरव वाला क़ुरआन है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
فِیْ لَوْحٍ مَّحْفُوْظٍ ۟۠
जो लौह़े मह़फ़ूज़ (सुरक्षित पट्टिका) में लिखा हुआ है।[6]
6. (21-22) इन आयतों में बताया गया है कि यह क़ुरआन कविता और ज्योतिष नहीं है, जैसा कि वे सोचते हैं, यह अल्लाह का श्रेष्ठ और उच्चतम कथन है, जिसका उद्गम "लौह़े मह़फ़ूज़" में सुरक्षित है।
تەفسیرە عەرەبیەکان:
 
وه‌رگێڕانی ماناكان سوره‌تی: سورەتی البروج
پێڕستی سوره‌ته‌كان ژمارەی پەڕە
 
وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - وەرگێڕاوی هیندی - پێڕستی وه‌رگێڕاوه‌كان

وەرگێڕاوی ماناکانی قورئانی پیرۆز بۆ زمانی هیندی، وەرگێڕان: عزيز الحق العمري.

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