വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم * - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക


പരിഭാഷ ആയത്ത്: (40) അദ്ധ്യായം: സൂറത്തുശ്ശൂറാ
وَجَزٰٓؤُا سَیِّئَةٍ سَیِّئَةٌ مِّثْلُهَا ۚ— فَمَنْ عَفَا وَاَصْلَحَ فَاَجْرُهٗ عَلَی اللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ لَا یُحِبُّ الظّٰلِمِیْنَ ۟
जो व्यक्ति अपना हक़ (बदला) लेना चाहे, उसे इसका अधिकार है। लेकिन वह ज़्यादती के बराबर ही होना चाहिए, उससे अधिक नहीं। तथा जो व्यक्ति बुरा व्यवहार करने वाले को क्षमा कर दे औैर उसके दुर्व्यवहार पर उसकी पकड़ न करे तथा अपने और अपने भाई के बीच सुधार कर ले, तो उसका प्रतिफल अल्लाह के पास है। निश्चय वह अत्याचार करने वालों को पसंद नहीं करता, जो लोगों पर उनकी जान, या उनके धन, या उनके सम्मान (सतीत्व) के मामले में अत्याचार करते हैं। बल्कि वह उनसे घृणा करता है।
അറബി ഖുർആൻ വിവരണങ്ങൾ:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الصبر والشكر سببان للتوفيق للاعتبار بآيات الله.
• धैर्य और धन्यवाद (सब्र एवं शुक्र), अल्लाह की निशानियों से शिक्षा ग्रहण करने की तौफ़ीक़ के दो कारण हैं।

• مكانة الشورى في الإسلام عظيمة.
• इस्लाम में शूरा (परस्पर परामर्श) का स्थान बहुत महान है।

• جواز مؤاخذة الظالم بمثل ظلمه، والعفو خير من ذلك.
• ज़ालिम को उसके ज़ुल्म के समान सज़ा देना जायज़ है, परंतु क्षमा कर देना उससे बेहतर है।

 
പരിഭാഷ ആയത്ത്: (40) അദ്ധ്യായം: സൂറത്തുശ്ശൂറാ
സൂറത്തുകളുടെ സൂചിക പേജ് നമ്പർ
 
വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم - വിവർത്തനങ്ങളുടെ സൂചിക

الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم، صادر عن مركز تفسير للدراسات القرآنية.

അടക്കുക